जाँच हुई तो फंसे गे कई वरिये अधिकारी?

क्या बिहार सरकार के इस दावे में दम है?के वह नक्सल प्रभावित जिलों में गरीबों को सरकारी योजनाओ लाभ आसानी से मिले सरकार हर संभव प्रयास किये हुए,बिचौलिए 

पर  विशेष नजर rakhkhi जा रही है ,मगर बिहार के नक्सल प्रभावित एक जिला से जो खबर मिल रही है वह सरकारी दावे की पोल खोलने के साथ ही कई वरिये पदाधिकारियों को जाँच के दाएरे में ला दिया है

    पूरबी चंपारण के फेन्हारा   पर्खंड के बार परसौनी पंचायत के रहने वाली 

1.जैलस देवी, पति  राजेन्दर पासवान 2 .रम्भा देवी ,पति सुनील दोनों 

का घर पंचायत के गबन्धी  गाँव से है वित्तिय वर्ष 2005-2006 में सरकार ने बेघर होने के कारण एक एक  अदद  घर बनाने के लिए पैसे 

दिए ,लाभार्थियों ने बताया है के एक  एक  टेलर ईंट देकर ठग दिया गया 

जब इस संबध में तत्कालीन पर्खंड विकास पदाधिकारी से लिखित शिकायत 

करने उनके दफ्तर  करने  गई तो रिसीविंग नहीं दिया गया,रिसीविंग देने के 

नाम पर तत्कालीन BDO बिगर गए जैसा के लाभार्थियों का कहना है,डांट 

डपट करते हुए कहा के करवाई चाहये या रिसीविंग?कारवाई  और आशवासन के बिच 7साल   बीत गए पर आज तक इन्साफ न मिला 

किस अधिकारी ने क्या कहा ?

जब इस संबध में वर्तामान BDO से उनके सरकारी मोबाइल पे दिनांक 

7.11.12 को उनका मंतव जानने की कोशिस की गई तो उनका कहना था के जब तक आज 

की तारीख में लाभार्थी लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराएगा तब तक मै 

करवाई नहीं करूँगा .

डीएम पूर्बी     चंपारण और आयुक्त तिरहुत का भी कुछ इसी प्रकार का बयान था 

जब प्रधान सचिव  से बात की तो उन्होंने एक अधिकारी का मोबाइल नंबर और नाम बताते हुए कहा 

के आप आदित दास नाम के अधिकारी से बात कर लीजिये वे सिर्फ इंद्रा आवास का मामला ही देखते हैं,जब उनसे बात की गई तो कहा  SMS के जरिये मामले के बारे में बताइए कारवाई अवश होगी,sms  कर ने के बाद संपर्क किया तो उन्होंने कहा  के उपविकास आयुक्त को  SMS को forward  करते हुए कारवाई करने को कह दिया है,सूचना है के अबतक किसी पदाधिकारियों ने इन गरीबो का हाल पूछने नहीं गए हैं।

               

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"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

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