ranweer sena के चीफ बरमेश्वर मुखिया के क़त्ल को मुद्दा बनाकर इसपर सियासत तेज़ करदी गई है वह लीडर जो बर्मेस्वर मुखिया को कभी अच्छी निगाह से नहीं देखते थे इस कत्ल के बाद अब तो वह भी इसके गम में आंसू बहाने में लगे हैं और यज साबित करना चाहते हैं के इस मुखिया ने अपनी जिंदगी में सैकरों हरिजनों और दलितों का जो सामूहिक कत्लेआम किया और अपनी रणवीर सेना के जरिये उनकी बस्तियों को घेरकर उन में आग लगा दी वह बिलकुल जाएज थी वह रणवीर सेना जो हरिजनों और दलितों की दुश्मनी में बनायीं गई थी उस के संस्थापक के क़त्ल पे आज खुद उन ही हरिजनों और दलितों के लीडरान आंसू बहा रहे हैं और इसपर अपनी सियासत कररहे हैं .इन सियासी लीडरों की करतब बाजी से ये साबित होता है के यहाँ की सियासत में दोगलापन भरा हुआ है और सियासत दानो की कोई स्थाई सीधी रह नहीं है .सवाल ये पैदा होता है के बरमेश्वर मुखिया क्या था?उसके जिन्दा रहने से राष्ट्र को क्या फायेदा था?और उसके क़त्ल से राष्ट्र को क्या नुकसान हो गया ?इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं इभी बरमेश्वर मुखिया के क़त्ल के बाद जो उनके हम्दर्स सामने आये हैं वह उनके हमदर्द हरगिज नहीं हैं वह तो उस क़त्ल पर अपनी सियासत कररहे हैं .बर्मेस्वर मुखिया के बारे में आम खेयाल यही है के इस से बरा कातिल बिहार की तारीख में आज तक नहीं गुजरा है जिसने सौ से जेयादा इंसानों को बे रहमी से क़त्ल किया फिर इतने बरे कातिल से इतनी हमदर्दी क्यों की जा रही है ?इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता के बरमेश्वर मुखिया किसी खास पार्टी खास सदस्य था .लेकिन इस बात को रहस्य रखा गया और किसी भी पार्टी ने उसे अपना नहीं कहा .उसके क़त्ल के बाद इस राज पर से पर्दा नहीं हटा के वह किस पार्टी के लिए काम करता था और रणवीर सेना के बनाने का मकसद क्या था?बरमेश्वर मुखिया का संबध किस पार्टी से था अगर इस राज पर से पर्दा हट जाता तो सी .बी .आई .की जाँच में बहुत जेयदा आसानी ही जाती और इस कटीले आज़म का रिश्ता किन किन लोगों से था और ये के इस इस क़त्ल में कोण ग्रुप सरगरम रहा ये तमाम बातें सामने आजतीं और बर्मेस्वर मुखिया के हामियों का सुराग मिल जाता .लेकिन अब जबके सी बी आई की जाँच शुरू हो चुकी है तो इसकी उमीद जरूर है के कुछ ऐसी बातें सामने आएँगी जिन्हें लोग अबतक नहीं जानते थे और इसका भी जरुर खुलासा ही जाएगा के उसका किस सियासी पार्टी से संबध था.और वह किन लोगों की सियासत का मोहरा था और आज जो लोग उसके नाम पर मातम कर रहे हैं वह कौन लोग हैं .बमेश्वर मुखिया का क़त्ल तो होना ही था उसे कोई रोक नहीं सकता था .ये तो तै है के हर किर्या की प्र्तीकिर्या होता है जिन सैकरों अफराद का मुखिया ने क़त्ल किया था उसके रद्दे अमल में उसका भी क़त्ल होना था .लेकिन अहम् सवाल ये नहीं है के उसने दूसरों का क़त्ल किया इसलिए उसका भी क़त्ल होगेया सबसे अहम् सवाल ये है के बर्मेस्वर मुखिया किस सियासी ग्रुप के इशारे पर हरिजनों और दलितों के गाँव के गाँव जला देता था और बेदर्दी से उनका क़त्ल करता था .सी बी आई पर दोहरी जिम्मेदारी लागु हो गई है के बर्मेस्वर मुखिया के क़त्ल की तहकीकात के साथ साथ ये भी मालुम करे के बर्मेस्वर मुखिया ने जिन तीन सौ लोगो का क़त्ल किया वह किसके हुक्म से और उसका हुक्म देने वाला कौन था अगर ये बात भी खुल कर सामने आ गई तो मुखिया के क़त्ल पर घर्याली आंसू बहाने वालो की साडी सियासत सामने आजायेगी और किसी भी मामले के बाद ये सियासत करना भूल जायेंगे
note.उर्दू आखबार पिन्दार के सम्पद्किये पेज पे पर्काशित दिनांक।10.06.12 से ली गई है .
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