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bharat ke home minister ke beyan par doctor ahsan ki paratikirya.

मुसलमानों की  वैक्तिगत परगति को किसी का  एहसान करार देना उनकी काबलियत और योग्यता के खेलाफ है ,भारत के गृहमंत्री का इशारा इतिहास में पहली बार मुस्लिम आईपीएस अफसर जनाब एस एम इब्राहीम को इन्तेलिगेंस ब्यूरो का चीफ बनाये की तरफ था ,इससे इब्राहीम की य्ग्यता पर शिंधे ने सवालिया निशान लगा दिए।इसपर प्रश्न उठाया जा सकता है के क्या अन्य दुसरे धर्म और जाति के लोग अपनी योग्यता के कारण तरक्की नहीं बलके किसी के रहमो करम और चापलुशी के आधार पर ही ऊँचे पदों पर अबतक बैठाया जाता रहा है उनके योग्यता के आधार पर नहीं ?क्या मुसलमानों को उचे पदों को पाने के लिए चापलुशी का सहारा लेना होगा ? ये  बातें बिहार के मशहूर समाजी कार्यकर्ता एवं साहित्यकार  डॉक्टर कमरुल अहस न एक प्रेस रिलीज़ जारी कर कही ,जिसे उर्दू दैनिक के दिनांक 20/12/2012 के पेज 09 भी देखा जा सकता है   

बाबरी मस्जिद विध्वंश 26/11 से भी बाड़ा मामला :( जिलानी)लखनऊ 15 दिसम्बर एजेंसी पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मल्लिक ने जुमा को हिन्दुस्तान में मुंबई हमले ,समझौता एक्सप्रेस धमाका और बाबरी मस्जिद मामले पर बयान दिया उसके बाद बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी के कंवेनर जफ़र याब जिलानी ने कहा के पकिस्तान के वजीर ए दिखिला कौन होते हैं हमारे मामले में interfare करने वाले अगर वह बाबरी मस्जिद पर हुए हमले की तुलना 26/11 या समझौता एक्सप्रेस धमाका मामले से कर रहे हैं तो ये उनकी न समझी है .बाबरी मस्जिद विध्वंस तो इससे भी बार मामला है, इस वाकये ने पूरी भगवा जेहनियत का इस्तेमाल हुआ।मस्जिद पर जो हमला हुआ वह भारतीय संविधान पर हुआ हमला था ,ये हमले इतने खतरनाक नहीं हैं . रहमान मल्लिक या पकिस्तान इस मसले पर क्यों बोल रहे हैं यह हम मसला है .हिन्दुस्तान का मसला है इस्स उनका क्या मतलब ?इस मामले पर बाबरी मस्जिद का मुक़दमा लड़ने वाले हासिम अंसारी का कहना है के पकिस्तान या कोई भी मुल्क मुसलमानों की भलाई के लिए बोले तो इसमें बुराई क्या है ?आल इंडिया मिल्ली कौंसिल के execute मेम्बर खलीक अहमद ने कहा के 29 अक्तूबर 1994 को डॉक्टर एम् इस्माइल बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया के मुक़दमे में सुप्रीम कोर्ट का जिक्र है के बाबरी मस्जिद गिराने का काम विश्व हिन्दू परिषद और आर एस एस जैसी तंजीमो का काम है , जिन लोगों ने मस्जिद गिरे है वह जरयेम पेशा और देश द्रोही हैं , यह देश के साथ धोका है , खलीक अहमद ने कहा के दर असल रहमान मल्लिक ने उसी हिंशा को उठाया है . पिन्दार उर्दू दैनिक दिनांक 16/12/2012 से लिया गया है .लखनऊ 15 दिसम्बर एजेंसी पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मल्लिक ने जुमा को हिन्दुस्तान में मुंबई हमले ,समझौता एक्सप्रेस धमाका और बाबरी मस्जिद मामले पर बयान दिया उसके बाद बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी के कंवेनर जफ़र याब जिलानी ने कहा के पकिस्तान के वजीर ए दिखिला कौन होते हैं हमारे मामले में interfare करने वाले अगर वह बाबरी मस्जिद पर हुए हमले की तुलना 26/11 या समझौता एक्सप्रेस धमाका मामले से कर रहे हैं तो ये उनकी न समझी है .बाबरी मस्जिद विध्वंस तो इससे भी बार मामला है, इस वाकये ने पूरी भगवा जेहनियत का इस्तेमाल हुआ।मस्जिद पर जो हमला हुआ वह भारतीय संविधान पर हुआ हमला था ,ये हमले इतने खतरनाक नहीं हैं . रहमान मल्लिक या पकिस्तान इस मसले पर क्यों बोल रहे हैं यह हम मसला है .हिन्दुस्तान का मसला है इस्स उनका क्या मतलब ?इस मामले पर बाबरी मस्जिद का मुक़दमा लड़ने वाले हासिम अंसारी का कहना है के पकिस्तान या कोई भी मुल्क मुसलमानों की भलाई के लिए बोले तो इसमें बुराई क्या है ?आल इंडिया मिल्ली कौंसिल के execute मेम्बर खलीक अहमद ने कहा के 29 अक्तूबर 1994 को डॉक्टर एम् इस्माइल बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया के मुक़दमे में सुप्रीम कोर्ट का जिक्र है के बाबरी मस्जिद गिराने का काम विश्व हिन्दू परिषद और आर एस एस जैसी तंजीमो का काम है , जिन लोगों ने मस्जिद गिरे है वह जरयेम पेशा और देश द्रोही हैं , यह देश के साथ धोका है , खलीक अहमद ने कहा के दर असल रहमान मल्लिक ने उसी हिंशा को उठाया है . पिन्दार उर्दू दैनिक दिनांक 16/12/2012 से लिया गया है .लखनऊ 15 दिसम्बर एजेंसी पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मल्लिक ने जुमा को हिन्दुस्तान में मुंबई हमले ,समझौता एक्सप्रेस धमाका और बाबरी मस्जिद मामले पर बयान दिया उसके बाद बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी के कंवेनर जफ़र याब जिलानी ने कहा के पकिस्तान के वजीर ए दिखिला कौन होते हैं हमारे मामले में interfare करने वाले अगर वह बाबरी मस्जिद पर हुए हमले की तुलना 26/11 या समझौता एक्सप्रेस धमाका मामले से कर रहे हैं तो ये उनकी न समझी है .बाबरी मस्जिद विध्वंस तो इससे भी बार मामला है, इस वाकये ने पूरी भगवा जेहनियत का इस्तेमाल हुआ।मस्जिद पर जो हमला हुआ वह भारतीय संविधान पर हुआ हमला था ,ये हमले इतने खतरनाक नहीं हैं . रहमान मल्लिक या पकिस्तान इस मसले पर क्यों बोल रहे हैं यह हम मसला है .हिन्दुस्तान का मसला है इस्स उनका क्या मतलब ?इस मामले पर बाबरी मस्जिद का मुक़दमा लड़ने वाले हासिम अंसारी का कहना है के पकिस्तान या कोई भी मुल्क मुसलमानों की भलाई के लिए बोले तो इसमें बुराई क्या है ?आल इंडिया मिल्ली कौंसिल के execute मेम्बर खलीक अहमद ने कहा के 29 अक्तूबर 1994 को डॉक्टर एम् इस्माइल बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया के मुक़दमे में सुप्रीम कोर्ट का जिक्र है के बाबरी मस्जिद गिराने का काम विश्व हिन्दू परिषद और आर एस एस जैसी तंजीमो का काम है , जिन लोगों ने मस्जिद गिरे है वह जरयेम पेशा और देश द्रोही हैं , यह देश के साथ धोका है , खलीक अहमद ने कहा के दर असल रहमान मल्लिक ने उसी हिंशा को उठाया है . पिन्दार उर्दू दैनिक दिनांक 16/12/2012 से लिया गया है .

अफजल गुरु बेगुनाह है ?AFJAL GURU BEGUNAH HAI? गयारह साल पूर्व पार्लियामेंट पर आतंकी हमला हुआ था .ये हमला किन लोगों ने किया और उनका संबंध किस मुल्क से था इसका आज तक आज तक पता न चल सका।हारे हुए जूआरि की तरह इल्जाम पाकिस्तान पर लगा दिया गया लेकिन इसका कोई सबूत अबतक न दिया जा सका है .इस सिलसिले में अफजल गुरु को गिरफ्तार किया गया जिसे फांसी की सजा दी गई उनके साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी के टीचर गिलानी को भी फांसी की सजा दी गई थी ,जिस की तस्दीक( प्रमाणित )दिल्ली हाई कोर्ट ने भी की थी ,लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जिलानी को बे कसूर समझ कर बा इज्ज़त तौर पर रिहा कर दिया और वह फिर पढा ने का काम करने लगे .गिलानी को गैर मस्देका तौर पर दिल्ली पुलिस ने गोली मार कर क़त्ल (हत्या) करने की कोशिश भी की लेकिन उनकी वकील ने उन्हें फ़ौरन अस्पताल पहुंचाकर बचा लिया .जिलानी के चेहरे पर एक प्रोग्राम में हिन्दू दहशतगर्दों ने थूका और मार पिट की .हिन्दू दहशतगर्दों अपने दहशतगर्दों को हीरो बनाते हैं और मुसलमानों को बेईज्ज़त करते हैं .अटल बिहारी बाजपेई को हिन्दू दहशतगर्दी एतदाल परश्त कहती है लेकिन इस बात को नजर कर दिया जाता है के 5 दिसंबर 1992 को बाजपेई ने लखनऊ में हिन्दुओं को बाबरी मस्जिद को उकसाया था .बाजपेई की तकरीर की सी डी सीबीआई के पास मौजूद है .इसके बुनियाद पर बाजपेई को सजा दी जानी चाहिए .बाजपेई एक हिन्दू फिरका परस्त (सम्प्रादाइक )थे और हैं लेकिन मीडिया ने उन्हें बहूत बड़ा सेक्युलर बना कर पेश किया . अफजल गुरु को फांसी की सजा दी गई लेकिन कैसे दी गई इस पर गौर करने की जरुरत है .अफजल गुरु पहले कश्मीरी दहशतगर्द थे .उनहोंने दहशतगर्दी को छोड़ कर साधारण जिंदगी गुजारने लगे थे .श्रीनगर के एक- डी एस पी तेयागी ने अफजल से कहा के वह कुछ लोगों को दिल्ली ले जाये और वहां उनके रहने का इन्तेजाम करे .DSP तेयागी के कहने पर अफजल गुरु ने वह किया जो एक हिन्दू DSP ने कहा था .हैरत की बात है के अफजल गुरु पर मुक़दमा चला और उसे मौत की सजा दी गई लेकिन हिन्दू DSP तेयागी का कहीं नाम नहीं आया जिस ने दह्सह्त्गार्दों को पार्लियामेंट पर हमला करने के लिए भेजा था .अफजल गुरु के मुक़दमे की कानून के मुताबिक सुनवाई नहीं हुई ,हाई कोर्ट ने गुरु को जो वकील दिया उसने कहा के गुरु को फांसी दी जाए .ये वह वकील कह रहा है जिसकी जिम्मेदारी थी के गुरु का बचाव करे .ये अंदाज और रवैया रहा अदालत का गुरु के मामले में ,अफजल गुरु के खेलाफ कोई जुर्म साबित नहीं हुआ .उसको वकील नहीं दिया गया .उसे गवाहों से जिरह करने की इजाजत नहीं दी गई ,लेकिन फाँसी पर लटकाने का आदेश दे दिया गया .देश के नामवर वकील राम जेठ मालानी ने बयान जारी कर कहा के अफजल गुरु के मामले की सुनवाई कानून के मुताबिक नहीं हुई है और वह खुद उसका मुक़दमा सुप्रीम कोर्ट में लड़ेंगे तब हिन्दू दहशतगर्दों ने उनके मुंबई इस्थित दफ्तर में तोड़ फोड़ की थी .इससे हिन्दू दहशतगर्दी के मिजाज़ का अंदाजा लगाया जा सकता है और फिर BJP ने जेठ मलानी को चुप कराने के लिए उन्हें राज्य सभा का मेम्बर बना दिया . देश में 477 लोग फाँसी का इन्तेजार कर रहे हैं तो फिर गुरु की फाँसी पर ही जिद क्यों ?दर असल इसके पीछे हिन्दू दहशतगर्दाना सोंच काम कर रही .पार्लियामेंट पर हमला हुआ जिसमे 13 लोग मारे गए और हिन्दू दहशतगर्दों ने पाँच हजार मुसलमानों को क़त्ल कराने वाले को गुजरात का मुख्य मंत्री बना रख्खा है ,मालूम नहीं कितने मुसलमानों को क़त्ल कराने वाले का कारण बने लाल कृष्ण आडवाणी को उप प्रधान मंत्री बनाया गया .13 लोग मरे तो अफजल गुरु को फाँसी और हजारों बे गुनाहों को मरवाने वाले अडवाणी और नरेंदर मोदी को बड़े ओहदे .ये कौन सा इन्साफ है ?हम अफजल गुरु को पूरी तरह बे कसूर समझते हैं .अफजल गुरु की फांसी की जिद करने वाले और हिन्दू दहशतगर्द सोंच रखने वालों से मै पूछना चाहता हूँ के देश के बेगुनाह और बेक़सूर मुसलमानों को कत्ल कराने वालों में से क्या किसी एक को भी फाँसी हुई नहीं हुई क्यों के ये सब के सब हिन्दू थे .अफजल गुरु बेगुनाह और बेक़सूर है उसे फ़ौरन रेहा करने की जरुरत है .हिन्दू स्म्प्रदाइक पार्टी ने गुरु की फांसी को एक सियासी मसला बना दिया है ताके इसके जरिये हिन्दू दहशतगर्दाना सोंच रखने वालों का वोट हासिल किया जा सके .हम मांग करते हैं के अफजल गुरु के केस की फिर से सुनवाई की जाये और अगर जरुरत हुआ तो उसे विदेशी वकील उपलब्ध कराइ जाये ताके साबित हो सके गुरु बे गुनाह है .अगर अफजल गुरु को फांसी हुई तो ये इन्साफ का खून होगा .कश्मीर के DSP तेयागी की तलाश करो और उसे सजा दो अफजल गुरु को नहीं . हैरत की बात है के पाकिस्तानी दहशत गर्द कसाब को हर सम्भव सहूलत दी गई ,उसे अच्छे वकील मुहैया कराए गए लेकिन अफजल गुरु को ऐसी सहूलत नहीं दी गई .गुरु के मामले की फिर से सुनवाई हो हम एक बार फिर ये माँग करते हैं .भारतीय पार्लियामेंट और भारतीय जनता को शर्म के समुन्दर में डूब जानी चाहिए के पार्लियामेंट पर हमले में मारे गए 13 मरने वालों की तो गम मनाते हैं लेकिन देश की आजादी के बाद हुए 32 हजार से भी जेयदा फिरकावाराना फसादात(सम्प्रदैक दंगो )में मारे गए बेगुनाहों को याद नहीं करते हो .गुजरात में हजारों औरतों और मुस्लिम लड़कियों की अस्मत दरी (बालात्कार )को तुम क्यों नहीं याद करते ?इसका जवाब दो .तुम बाबरी मस्जिद विध्वंस पर इजहारे शर्म क्यों नहीं करते हो ?इसका क्या जवाब है तुम्हारे पास?हम पार्लियामेंट हमले ही को मशकुक (शंदिग्ध )निगाह से देखते हैं . माफ़ कीजिये उपरोक्त हमले को हम फैब्रिकेटेड कहानी मानते हैं .ऐसा लगता है के जिन लोगों को हलवार कहा जा रहा है वह सब druged थे और किसी और ने गोलियाँ चलाकर सिक्यूरिटी वालों को हालाक (हत्या)किया .हमलावर कौन थे ,कहाँ से आये थे और उनका मकसद क्या था?आज तक उसका पता नहीं चल सका ,सारा मामला रहस्य बना हुआ है ,हाल तो ये है के एक पाकिस्तानी आतंकवादी मारा गया तो दो मिनट के बाद उसका सारा सिजरा अखबारों में आ जाता है के पकिस्तान के फलां शहर की फलां गली और फलां नंबर के मकान में रहता था लेकिन पार्लियामेंट पर हमला करने वालों का कोई अता पता आज तक मालूम न हो सका .अफजल गुरु बेगुनाह है उसे रेहा किया जाना चाहिए या फिर इस मामले की फिर से सुनवाई हो और हिन्दू DSP तेयागी की तलाश करके उसके खेलाफ मुक़दमा चलाना चाहिए . नोट :उपरोक्त आर्टिकल उर्दू दैनिक फारुकी तंजीम पटना से दिनांक15/12/2012 को सम्पदकिये पृष्ठ,पेज नंबर 6 से लिया गया है

                           गयारह साल पूर्व पार्लियामेंट पर आतंकी हमला हुआ था .ये हमला किन लोगों ने किया और उनका संबंध किस मुल्क से था इसका आज तक आज तक पता न चल सका।हारे हुए जूआरि की तरह इल्जाम पाकिस्तान पर लगा दिया गया लेकिन इसका कोई सबूत अबतक न दिया जा सका है .इस सिलसिले में अफजल गुरु को गिरफ्तार किया गया जिसे फांसी की सजा दी गई उनके साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी के टीचर गिलानी को भी फांसी की सजा दी गई थी ,जिस की  तस्दीक( प्रमाणित )दिल्ली हाई कोर्ट ने भी की थी ,लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जिलानी को बे कसूर समझ कर बा इज्ज़त तौर पर रिहा कर दिया और वह फिर पढा ने का काम करने लगे .गिलानी को गैर मस्देका तौर पर दिल्ली पुलिस ने गोली मार कर क़त्ल (हत्या) करने की कोशिश भी की लेकिन उनकी वकील ने उन्हें फ़ौरन अस्पताल पहुंचाकर बचा लिया .जिलानी के चेहरे पर एक प्रोग्राम में हिन्दू दहशतगर्दों  ने थूका और मार पिट की .हिन्दू दहशतगर्दों अपने दहशतगर्दों को हीरो बनाते हैं और मुसलमानों को बेईज्ज़त करते हैं .अटल बिहारी बाजपेई को हिन्दू दहशतगर्दी एतदाल परश्त कहती है लेकिन इस बात को नजर कर दिया जाता है के 5 दिसंबर 199

सैयद आसिफ इब्राहीम की नियुक्ति पर चेमेगोइयाँ क्यों?syed aasif ibrahim ki niyukti par chemigoiyan keyon? डॉक्टर मुश्ताक अहमद rm .meezan @gmail.com सैयद आसिफ इब्राहीम की नियुक्ति पर चेमेगोइयाँ क्यों? हमारा मुल्क हिन्दुस्तान एक बहूत बरा लोकतांत्रिक देश है और हमारा सविंधान का आधार secularism है .यही वजह है के मुल्क के अन्दर अनेक धर्मों और संस्कृति क्र लोग रहते हैं और उनके अलंबरदारों को ये हक हासिल है के वह अपने मजहब और कर कल्चर के तहफ्फुज के लिए कोई भी क़दम उठा सकते हैं शर्त ये है के उनके क़दम से दुसरे मजहब के लोगों के दिल को ठेस न पहुंचे .कयोंके हमारा सविंधान इसकी इजाजत नहीं देता इसी तरह सविंधान में बराबरी के हक़ की वकालत की गई है .गर्ज के तमाम शहरी को को जिंदगी के विभिन छेत्रों में oportunity हासिल करने का सवैंधानिक अधिकार अधिकार प्राप्त है .लेकिन सच्चाई ये है के आजादी के बाद देश में जिस तरह की फेजा बनी हुई है और खास कर तीन दहाई में जिस तरह भेद भाव करने वाले सोंच के लोगों की वर्चश कायेम हुई तो मुल्क के ख़ास तबके को नजर अंदाज किया जाने लगा .खास कर मुसलमानों के साथ जिस तरह का भेदभाव वाला रवैया अपनाया जाने लगा वह न सिर्फ गैर अखलाकी था बलके सवैधानिक भी .नतीजा ये हुआ के मुल्क का मुसलमान जिन्दगी के विभिन छेत्रों में दिनों दिन पिछरता चला गया गया और आज खुद सरकार की रिपोर्टसच्चर कमिटी ,रंगनाथ मिश्रा कमीशन की रिपोर्ट ने इस हकीकत को जाहिर कर दिया है के मुल्क का मुसलमान दलित से भी बदतर है .दलित से भी बदतर कहने का मतलब साफ़ है के इस मुल्क में दलित समाज की हालत भी बेहतर नहीं है और इससे भी बदतर हालत मुसलमानों की है .जबके हमारा सविंधान मुल्क के तमाम शहरी को जिंदगी जीने के बराबरी के अधिकार की वकालत करता है तो फिर आजादी के 66 सालों बाद भी अगर मुसलमान दलीत समाज से भी तरक्की के मामलों में कोसों दूर हैं तो सवाल पैदा होता है के इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?और आखिर कब मुसलमानों की पिछड़ापन दूर होगी ? कयोंके इस मुल्क में मुसलमानों की आबादी 20 प्रतिशत है और जब तक 20 प्रतिशत आबादी पिछड़ा है तो उस वक़्त तक ये देश तरक्की कर सकता है ?इस पर उन लोगों को गौर करने की जरुरत है जो मुसलमानों या दलितों के बारे में भेदभावपूर्ण रवैये का प्रदर्शन करते हैं .आखिर क्या वजह रही के देश के ख़ुफ़िया एजेंसियों के प्रमुख के पद पर अब तक किसी मुसलमान को नियुक्त नहीं किया गया ?और अब के सरकार ने असुली तौर पर आईपीएस कैडर के इमान्दार और फआल ऑफिसर सैयेद आसिफ इब्राहिम को इंटेलीजेंस ब्यूरो( IB )का चीफ बनाने का फैसला किया है तो न सिर्फ सियासी गलियारों में बलके इस मुल्क के इलीट तबकों में भी चेमेंगोइंयाँ शुरू हो गईहैं .खास कर फिरका परश्त संगठन के लोगों ने एक तरह की गलत फहमी फ़ैलाने के साजिश शुरू कर दी है .सियासी तबके में इस नियुक्ति को मुसलमानों को खुश करने वाला क़दम बताया जा रहा है ,जबके सच्चाई ये है के जनाब इब्राहीम को उनके ओहदे पर उनके काबिले फ़ख्र peformance और सेनिओरिटी के आधार पर नियुक्ति की गई है .मुसलमानों को खुश करने वाली बात तब होती जब किसी जूनियर मुस्लिम ऑफिसरको ये ओहदा दिया जाता .इस तरह की चेमेगोइयाँ ये साबित करती है के बा सलाहियत और इमानदारी से आला ओहदे पर काम करने वाले मुस्लिम तबके के अफसरों को किस तरह नजर अंदाज़ करने की साजिशें होती रही हैं .यही वजह है के तिन दशक से मुल्क में IB और रॉ जैसी ख़ुफ़िया एजेंसियां हैं लेकिन मुल्क अब तक किसी मुस्लिम अफसरान को उन एजेंसियों का चीफ होने का मौका नसीब नहीं हुआ .अमर भूसन तत्कालीन स्पेशल सेक्रेटरी RAW ने इस वजह का खुलासा किया है के अब तक अगर किसी मुसलमान को ये ओहदा नहीं दिया गया तो उसके तईं मनफ़ी रवैया( negativ attitude)रहा है .उनका ये भी कहना है के जरुरत इस बात की है के खुफिया एजेंसियों में जेयदा से जेयदा मुस्लिम अधिकारिओं की नियुक्ति होनी चाहिए .सच्चाई भी यही है के मुल्क के मुख्तलिफ रियासतों की police विभाग का मामला हो या राष्ट्रीय अस्तर पर फ़ौज व दिगर हेफाजती दस्ता का मामला।मुसलमानों के बारे में कहीं न कहीं नेगेटिव attitude काम करता रहा है .जिसका सबूत ये है के पुरे मुल्क की आबादी तक़रीबन 20 प्रतिशत लेकिन मज्मुइ तौर पर पुलिस व फ़ौज में मुसलमानों की हिस्सेदारी सिर्फ 6 प्रतिशत .जैसा के सच्चर कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में साबित किया है और अगर जम्मू कश्मीर रियासत के 47000 हजार पुलिस अम्लों को अलग कर दे तो ये सिर्फ 4 प्रतिशतपर पहूच जाती है . सारांस ये के दीगर सरकारी विभागों की तरह सुरक्षा विभाग में भी मुसलमानों की प्रतिनिधित्व बहुत कम हयानि निराशाजनक है जो न सिर्फ मुसलामनों के साथ नाइंसाफी है बल्के हमारे सविंधान के तकाजों के भी खेलाफ है ,क्योंके हमारा सविंधान जात,पात और मजहब से ऊपर उठकर तमाम शहरी को उसकी सलाहियत के मुताबिक सरकारी और गैर सरकारी ओहदों की रिकवरी की गारंटी देता है ,लेकिन अब जबके मुख्तलिफ रिपोर्टों से ये हकीकत उजागर हो रही है के के मुसलमानों को सरकारी विभागों में हिस्सेदारी देने के मामले में किसी भी सरकार की नियत साफ़ नहीं रही है क्योंके रियासत बंगाल में तीन दहाइयों से ऐसी सियासी पार्टी हुक्मरां जमात के तौर पर विराजमान रही जिसके बारे में कहा जता है के इस सियासी पार्टी की बुनियाद सेकुलरिज्म है .लेकिन इस रियासत में भी आजादी से पहले 12 प्रतिशत मुसलमान नौकरियों में थे और आज एक फिसद से भी कम है ,इसलिए किसी एक पार्टी को मुसलमानों की बदहाली के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता .मुल्क में दो तरह की ताक़तें काम कर रहीं हैं .एक वह ताक़त है जो जाहिरन सियासी पार्टी के चोलों में काम कर रही है और दूसरी ताक़त वह है के ख्वाह वह किसी पार्टी का चोला ओढ़ रख्खा हो लेकिन मुसलमानों के मामले में भेदभावपूर्ण और क़दम क़दम पर मुसलमानों के लिए रोड़े खरे करते रहे हैं .बहर कैफ syed aasif ibrahim की नियुक्ति और उनकी मेहनत और मुशक्कत और इमानदारी का फल है किसी सियासी पार्टी का तोहफा नहीं ,लेकिन मौजूदा मरकजी हुकूमत के इस एकदाम को काबिले तहसीन इसलिए करार दिया जा सकता है के इस हुकुमत ने इस नियुक्ति में किसी प्रकार की भेदभावपूर्ण रवैया नहीं अपनाया है और सविंधान के तकाजों को की पासेदारी करते हुए हक ब हक दार रसीद को सच साबित किया है .वाजेह हो के जनाब सैयद आसिफ इब्राहीम 1977 बैच के IPS हिं और उनका कैडर मध्य प्रदेश रहा है और उन्हों ने कश्मीर में बरसों काम किया है और उनकी सेवा काबिले तहसीन रही है लिहाजा हुकूमत हिन्द ने अपनी ख़ुफ़िया एजेंसी IB के मौजूदा चीफ निहचल सिन्धु के सबक्दोसी के बाद जनाब इब्राहीम को इस ओहदे से सरफराज किया है .वाजेह हो के सिन्धु 31.12. 12 को रिटायर्ड हो रहे हैं और 1 जनवरी 2013 को जनाब इब्राहीम इस ओहदे पर फाएज होंगे .इस नियुक्ति से मुस्लिम तबके के उन अफसरों की भी होसला अफजाई हुई है जो ईमानदारी के साथ अपने काम को अंजाम देते रहे हैं .इसमें कोई शक नहीं के अगर इंसान के अन्दर खिदमते खल्क का इमानदाराना जज्बा हो और सालेह फ़िक्र रखता हो तो उसे कामयाबी जरुर मिलती है . हकिमुल्लाह हाली ने ठीक ही कहा है .............परे है चरख नील फाम से मंजिल मुसलमाँ की , सितारे जिसकी गर्दे राह हों ,वह कारवां तो है पिन्दार उर्दू दैनिक 4/12/12 में प्रकाशित rm .meezan @gmail.com सैयद आसिफ इब्राहीम की नियुक्ति पर चेमेगोइयाँ क्यों? हमारा मुल्क हिन्दुस्तान एक बहूत बरा लोकतांत्रिक देश है और हमारा सविंधान का आधार secularism है .यही वजह है के मुल्क के अन्दर अनेक धर्मों और संस्कृति क्र लोग रहते हैं और उनके अलंबरदारों को ये हक हासिल है के वह अपने मजहब और कर कल्चर के तहफ्फुज के लिए कोई भी क़दम उठा सकते हैं शर्त ये है के उनके क़दम से दुसरे मजहब के लोगों के दिल को ठेस न पहुंचे .कयोंके हमारा सविंधान इसकी इजाजत नहीं देता इसी तरह सविंधान में बराबरी के हक़ की वकालत की गई है .गर्ज के तमाम शहरी को को जिंदगी के विभिन छेत्रों में oportunity हासिल करने का सवैंधानिक अधिकार अधिकार प्राप्त है .लेकिन सच्चाई ये है के आजादी के बाद देश में जिस तरह की फेजा बनी हुई है और खास कर तीन दहाई में जिस तरह भेद भाव करने वाले सोंच के लोगों की वर्चश कायेम हुई तो मुल्क के ख़ास तबके को नजर अंदाज किया जाने लगा .खास कर मुसलमानों के साथ जिस तरह का भेदभाव वाला रवैया अपनाया जाने लगा वह न सिर्फ गैर अखलाकी था बलके सवैधानिक भी .नतीजा ये हुआ के मुल्क का मुसलमान जिन्दगी के विभिन छेत्रों में दिनों दिन पिछरता चला गया गया और आज खुद सरकार की रिपोर्टसच्चर कमिटी ,रंगनाथ मिश्रा कमीशन की रिपोर्ट ने इस हकीकत को जाहिर कर दिया है के मुल्क का मुसलमान दलित से भी बदतर है .दलित से भी बदतर कहने का मतलब साफ़ है के इस मुल्क में दलित समाज की हालत भी बेहतर नहीं है और इससे भी बदतर हालत मुसलमानों की है .जबके हमारा सविंधान मुल्क के तमाम शहरी को जिंदगी जीने के बराबरी के अधिकार की वकालत करता है तो फिर आजादी के 66 सालों बाद भी अगर मुसलमान दलीत समाज से भी तरक्की के मामलों में कोसों दूर हैं तो सवाल पैदा होता है के इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?और आखिर कब मुसलमानों की पिछड़ापन दूर होगी ? कयोंके इस मुल्क में मुसलमानों की आबादी 20 प्रतिशत है और जब तक 20 प्रतिशत आबादी पिछड़ा है तो उस वक़्त तक ये देश तरक्की कर सकता है ?इस पर उन लोगों को गौर करने की जरुरत है जो मुसलमानों या दलितों के बारे में भेदभावपूर्ण रवैये का प्रदर्शन करते हैं .आखिर क्या वजह रही के देश के ख़ुफ़िया एजेंसियों के प्रमुख के पद पर अब तक किसी मुसलमान को नियुक्त नहीं किया गया ?और अब के सरकार ने असुली तौर पर आईपीएस कैडर के इमान्दार और फआल ऑफिसर सैयेद आसिफ इब्राहिम को इंटेलीजेंस ब्यूरो( IB )का चीफ बनाने का फैसला किया है तो न सिर्फ सियासी गलियारों में बलके इस मुल्क के इलीट तबकों में भी चेमेंगोइंयाँ शुरू हो गईहैं .खास कर फिरका परश्त संगठन के लोगों ने एक तरह की गलत फहमी फ़ैलाने के साजिश शुरू कर दी है .सियासी तबके में इस नियुक्ति को मुसलमानों को खुश करने वाला क़दम बताया जा रहा है ,जबके सच्चाई ये है के जनाब इब्राहीम को उनके ओहदे पर उनके काबिले फ़ख्र peformance और सेनिओरिटी के आधार पर नियुक्ति की गई है .मुसलमानों को खुश करने वाली बात तब होती जब किसी जूनियर मुस्लिम ऑफिसरको ये ओहदा दिया जाता .इस तरह की चेमेगोइयाँ ये साबित करती है के बा सलाहियत और इमानदारी से आला ओहदे पर काम करने वाले मुस्लिम तबके के अफसरों को किस तरह नजर अंदाज़ करने की साजिशें होती रही हैं .यही वजह है के तिन दशक से मुल्क में IB और रॉ जैसी ख़ुफ़िया एजेंसियां हैं लेकिन मुल्क अब तक किसी मुस्लिम अफसरान को उन एजेंसियों का चीफ होने का मौका नसीब नहीं हुआ .अमर भूसन तत्कालीन स्पेशल सेक्रेटरी RAW ने इस वजह का खुलासा किया है के अब तक अगर किसी मुसलमान को ये ओहदा नहीं दिया गया तो उसके तईं मनफ़ी रवैया( negativ attitude)रहा है .उनका ये भी कहना है के जरुरत इस बात की है के खुफिया एजेंसियों में जेयदा से जेयदा मुस्लिम अधिकारिओं की नियुक्ति होनी चाहिए .सच्चाई भी यही है के मुल्क के मुख्तलिफ रियासतों की police विभाग का मामला हो या राष्ट्रीय अस्तर पर फ़ौज व दिगर हेफाजती दस्ता का मामला।मुसलमानों के बारे में कहीं न कहीं नेगेटिव attitude काम करता रहा है .जिसका सबूत ये है के पुरे मुल्क की आबादी तक़रीबन 20 प्रतिशत लेकिन मज्मुइ तौर पर पुलिस व फ़ौज में मुसलमानों की हिस्सेदारी सिर्फ 6 प्रतिशत .जैसा के सच्चर कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में साबित किया है और अगर जम्मू कश्मीर रियासत के 47000 हजार पुलिस अम्लों को अलग कर दे तो ये सिर्फ 4 प्रतिशतपर पहूच जाती है . सारांस ये के दीगर सरकारी विभागों की तरह सुरक्षा विभाग में भी मुसलमानों की प्रतिनिधित्व बहुत कम हयानि निराशाजनक है जो न सिर्फ मुसलामनों के साथ नाइंसाफी है बल्के हमारे सविंधान के तकाजों के भी खेलाफ है ,क्योंके हमारा सविंधान जात,पात और मजहब से ऊपर उठकर तमाम शहरी को उसकी सलाहियत के मुताबिक सरकारी और गैर सरकारी ओहदों की रिकवरी की गारंटी देता है ,लेकिन अब जबके मुख्तलिफ रिपोर्टों से ये हकीकत उजागर हो रही है के के मुसलमानों को सरकारी विभागों में हिस्सेदारी देने के मामले में किसी भी सरकार की नियत साफ़ नहीं रही है क्योंके रियासत बंगाल में तीन दहाइयों से ऐसी सियासी पार्टी हुक्मरां जमात के तौर पर विराजमान रही जिसके बारे में कहा जता है के इस सियासी पार्टी की बुनियाद सेकुलरिज्म है .लेकिन इस रियासत में भी आजादी से पहले 12 प्रतिशत मुसलमान नौकरियों में थे और आज एक फिसद से भी कम है ,इसलिए किसी एक पार्टी को मुसलमानों की बदहाली के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता .मुल्क में दो तरह की ताक़तें काम कर रहीं हैं .एक वह ताक़त है जो जाहिरन सियासी पार्टी के चोलों में काम कर रही है और दूसरी ताक़त वह है के ख्वाह वह किसी पार्टी का चोला ओढ़ रख्खा हो लेकिन मुसलमानों के मामले में भेदभावपूर्ण और क़दम क़दम पर मुसलमानों के लिए रोड़े खरे करते रहे हैं .बहर कैफ syed aasif ibrahim की नियुक्ति और उनकी मेहनत और मुशक्कत और इमानदारी का फल है किसी सियासी पार्टी का तोहफा नहीं ,लेकिन मौजूदा मरकजी हुकूमत के इस एकदाम को काबिले तहसीन इसलिए करार दिया जा सकता है के इस हुकुमत ने इस नियुक्ति में किसी प्रकार की भेदभावपूर्ण रवैया नहीं अपनाया है और सविंधान के तकाजों को की पासेदारी करते हुए हक ब हक दार रसीद को सच साबित किया है .वाजेह हो के जनाब सैयद आसिफ इब्राहीम 1977 बैच के IPS हिं और उनका कैडर मध्य प्रदेश रहा है और उन्हों ने कश्मीर में बरसों काम किया है और उनकी सेवा काबिले तहसीन रही है लिहाजा हुकूमत हिन्द ने अपनी ख़ुफ़िया एजेंसी IB के मौजूदा चीफ निहचल सिन्धु के सबक्दोसी के बाद जनाब इब्राहीम को इस ओहदे से सरफराज किया है .वाजेह हो के सिन्धु 31.12. 12 को रिटायर्ड हो रहे हैं और 1 जनवरी 2013 को जनाब इब्राहीम इस ओहदे पर फाएज होंगे .इस नियुक्ति से मुस्लिम तबके के उन अफसरों की भी होसला अफजाई हुई है जो ईमानदारी के साथ अपने काम को अंजाम देते रहे हैं .इसमें कोई शक नहीं के अगर इंसान के अन्दर खिदमते खल्क का इमानदाराना जज्बा हो और सालेह फ़िक्र रखता हो तो उसे कामयाबी जरुर मिलती है . हकिमुल्लाह हाली ने ठीक ही कहा है .............परे है चरख नील फाम से मंजिल मुसलमाँ की , सितारे जिसकी गर्दे राह हों ,वह कारवां तो है पिन्दार उर्दू दैनिक 4/12/12 में प्रकाशित

                                    डॉक्टर मुश्ताक  अहमद                                  rm .meezan @gmail.com        सैयद आसिफ इब्राहीम की नियुक्ति पर चेमेगोइयाँ  क्यों? हमारा मुल्क हिन्दुस्तान एक बहूत बरा लोकतांत्रिक देश है और हमारा सविंधान का आधार  secularism है .यही वजह है के मुल्क के अन्दर अनेक धर्मों  और संस्कृति क्र लोग रहते हैं और उनके अलंबरदारों को ये हक हासिल है के वह अपने मजहब और कर कल्चर के तहफ्फुज के लिए कोई भी क़दम उठा सकते हैं  शर्त ये है के उनके क़दम से दुसरे मजहब के लोगों के दिल को ठेस न पहुंचे .कयोंके हमारा सविंधान इसकी इजाजत नहीं देता इसी तरह सविंधान में बराबरी के  हक़ की वकालत की गई है .गर्ज के तमाम शहरी को को जिंदगी के विभिन छेत्रों में oportunity हासिल करने का सवैंधानिक अधिकार अधिकार प्राप्त है .लेकिन सच्चाई ये है के आजादी के बाद देश में जिस तरह की फेजा बनी हुई है और खास कर तीन दहाई में जिस तरह भेद भाव करने वाले सोंच के लोगों की वर्चश कायेम हुई तो मुल्क के ख़ास तबके को नजर अंदाज किया जाने लगा .खास कर मुसलमानों के साथ जिस तरह का भेदभाव वाला रवैया अपनाया जाने लगा

बिहार के भ्रष्ट कृषि पदाधिकारी अपने विभाग के अधिकारिओ तक को नहीं बख्शते ?

बिहार के कृषि विभाग के अधिकारी किस प्रकार से किसानों की सेवा करते होंगे वह इस बात से समझा जा सकता है के  जब वह अपने विभाग के अफसरों को सताने से नहीं चुकते तो भला वह बिहार राज के किसानो की सेवा क्या करते होंगे अंदाजा लगाया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार बेतिया जिला के मझौलिया प्रखंड के B.A .O को वहां के D.A.O चेक बुक जांच के नाम पर परीशान महीनो से कर रहे।बताया जाता सूत्रों ने बताया के DAO की मंशा परीशान कर पैशा उतारना .मजे की बात है के वारिये अधिकारीयों को इस बात की पूरी जानकारी होने के बावजूद परीशान BAO की समाया दूर करने की दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया है और सम्बंधित DAO के खेलाफ कोई अब तक कार्रवाई की कोई खबर है।जबके बताया जाता है के मामले की जानकारी विभाग के निदेशक,के साथ साथ प्रधान सचिव तक को है।सूत्रों की माने तो चेक बुक जाँच के नाम पर पर्खंड कृषि पदाधिकारों को परीशान करने का मामला सिर्फ पशिचम चंपारण में है बलके ये मामला पुरे बिहार के BAO के साथ हो रहा जिससे परीशान BAO सही से न विभाग का  काम देख रहे और न अपने घर और जनत का .

जो वाकई मोमीन हैं वह ऐसा नहीं करते दुनिया के लिए दीन का सौदा नहीं करते

                                                                      गजल                                                                 रशीद आरिफ                                                             संपर्क :09801264891                                                 जो वाकई मोमीन हैं वह ऐसा नहीं करते                                           दुनिया के लिए दीन का सौदा नहीं करते                                           खाए हैं कई तीर कलेजे पे ख़ुशी से                                           दुश्मन को कभी पीठ दिखाया नहीं करते                                          हर शख्स परीशां हैं बीमारी दिल से                                         तुम कैसे मसीहा हो के अच्छा नहीं करते।                                         कमजर्फों की महफिल में कभी जाते नहीं हम                                        तौकीर को खुद अपनी घटाया नहीं करते                                         क्या फुले फलेंगे वह कभी इल्म ओ हुनर में                                       ओस्ताद को खात

एजुकेशन माफियाओं को बचा रही बिहार का एजुकेशन डिपार्टमेंट ?

बिहार के शिक्छा (SHIKCHA )विभाग और SHIKCHA  मंत्री के कार्यालय को एक RTI आवेदन ने नंगा कर दिया है ,बड़े- बड़े अधिकारिओ को बचाने के लिए सूचना ,आवेदक को  14/02/2011 को पूछे गए सवालों का जवाब न शिक्छा (SIKCHA )मंत्री ने दिया और न कार्यालय ने और न उनके विभाग के अधिकारियों ने ,यहीं से सवाल उठने शुरू हो गएँ हैं के आखिर जब आवेदक ने सीधे बिहार के SIKCHA  मंत्री को RTI का आवेदन भेज कर आवेदक ने जब सूचना मांगी तो SHIKCHA  मंत्री / कार्यालय  और उनके विभाग ने आखिर किन लोगों की खाल बचाने के लिए आवेदक को सूचना देने से परहेज किया ? क्या है मामला ? सवतंत्र पत्रकार  सह मानवाधिकार कार्यकर्ता मोहम्मद कौसर नदीम ने 1. SHIKCHA  मंत्री से RTI के जरिये पूछा था के  राज्य सरकार ने BSEB /BIEC  से मान्यता प्राप्त हाई स्कूल +2 BM  दास रोड को आखिर किस आधार पर उसी कैंपस पर CBSE  BOARD से स्कूल खोलने के लिए राज्य सरकार ने NOC  प्रदान की थी .? 2.उपरोक्त प्रकरण को आप किस रूप में देखते हैं ?BSEB / BIEC से मान्यता प्राप्त  SHIKCHAN संस्थान उसी परिसर में खोले जाने को ?3.आप पुरे मामले को उच्च स्तारिये जांच   कराने /

कानून या मजाक ?

                                        कानून या मजाक ? उर्दू दैनिक पिन्दार में दिनांक 30.11.2012 को सम्पादकिये पृष्ठ  पर प्रकाशित महाराष्ट्रा सरकार को एक एक बार फिर शर्मिंदगी उठानी पढ़ी और कानून के गलत इस्तेमाल पर वह आज फिर से कटघेरे में लडिया फिर घिर गई है .facebook विवाद के सिलसिले में सरकार ने ठाणे के दो पुलिस अधिकारीयों SP ठाणे ग्रामीण rawindar sen gaonkar और सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर srikant pingle को सस्पेंड कर दिया गया है सनद रहे के उपरोक्त दोनों पुलिस अधिकारी ने शिव सेना के kaarjkartaon का दबाओं में 18 नवम्बर को शाहीन dhadha और रेनू श्रीनिवासन के खेलाफ न सिर्फ मुकदमा दर्ज किया गया था बलके उन्हें गिरफ्तार करते हुए अदालत मर पेश कर दिया ,जबके ये मामला इस कद्र संवेदनशील न था .जब इस गिरफ़्तारी पर जनता ने गुस्से का इज़हार किया तो सरकार को जाँच करवानी पड़ी .और जाँच रिपोर्ट आने के बाद उपरोक्त दोनों पुलिस अधिकारीयों को दोषी पाया गया .साथ ही हाई कोर्ट ने भी इस मामले में सख्त क़दम उठाते हुए पाल घर के judicial magistate R B bagade का तबादला कर दिया .बेला शुबा किसी भी मुल्क के लिए उसका कान

देश में आतंक के लिए जिम्मेदार कौन ?

डाक्टर मोहम्मद आबेदुर्रह्मान (चंद्वार्बस्वाह )उर्दू दैनिक दिनांक 28/8/2012 पिन्दार में प्रकाशित फसीह महमूद दरभंगा के एक छोटे से गाँव का रहने वाला है ,पेशा से इंजिनियर है और सऊदी अरब में मोलाजेमत करता था,और पिछले कई सालों से वहां रह रहा था,सिर्फ छुटियों में में ही हिंदुस्तान आया करता  था,वह इस साल मई के महीने में लापता हो गया था,उसकी wife का कहना है के सऊदी अरब में कुछ हिन्दुस्तानी और सऊदी पुलिस उसे उसके घर से ले गए थे इसके बाद उसका कोई पता नहीं था यहाँ तक के उसकी wife को अकेले वतन वापस आ जाना पड़ा .उसकी पत्नी ने यहाँ आकर उसकी तलाश के लिए भारतीय वजीर ए खारजा और और दाखेला (home  ministry एंड foreign ministry )में दरखास्त दी .और देश के कई प्रदेशों के मुख्मंत्री और पुलिस प्रमुखों से पुछा के कहीं फसी महमूद किसी जुर्म में संलिप्त तो नहीं ?इसपर तमाम के तमाम ने उसे जवाब दिया के था के न उन्हें फाही का अता पता मालूम है और न ही वह किसी जुर्म में wanted है लेकिन 19 मई 2011 को अरब news ने फसीह महमूद जिस कंपनी में काम करता था उसके मैनेजर के हवाले से खबर दी के सऊदी पुलिस ने फसीह को हेरासत में लेने
आदर्नीये             ADHYAKCH राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग/अध्यक्छ राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग/अध्यक्छ बिहार राज्यामानवाधिकार आयोग             दिल्ली हाई कोर्ट ब्लास्ट मामले में जाँच एजेंसियां निम्नलिखित कारणों से खुद जाँच के दाएरे में आगई हैं hindustan times ने दिनांक २२/९/२०११ ख़ुफ़िया bureau के हवाले से खबर परकाशित की थी के हमलावर हुजी थे ,काम को ५ लोगों ने अंजाम दिया ,हमलावर सारे के सारे बंगलादेशी थे,५ में से दो को जाँच एजेंसियां 1.मद alla-ur- rahman 32, एवं मौलाना सैफुल शेख ४० के रूप में पहचान की थी, hindustan times में छापी कबर के अनुसार,खबर में यह भी कहा गया था के हमलावर देश से बहार भागने में भी सफल हो गए,वही दूसरी तरफ ईमेल  को बुनियाद बनाकर कश्मीर के कुछ नौजवानों के गिरफतारी से जूरी खबर दिनांक २३/९/२०११ के hindustan times में खबर छापी थी,वहीँ  तीसरी तरफ २६/११/२०११ को हिंदुस्तान  हिंदी २६/११/२०११ को हिंदी में  दिल्ली हाई कोर्ट  ब्लास्ट मामले में मधुबनी से दो गिरफ्तार सुर्खी से खबर  पर्काशित  थी,उपरोक्त तथ्यों क्र आलोक में बहुत सारे सवाल उठने शुरू हो गए हैं जिसका जवाब पूरा देश जान
          Suprim court ke purwa neyaeyedhish ewam ewam wartaman press council of india ke chairman katju saheb ka  bihar ke sandarbh mein susasan mein sanch ke dawe purntya sach sabit honay lagay hain. Bihar ke purbi champaran se jo khabray aarahi hai,raj sarkar ki juban band karsakti hai,          Bihar ke purbi chmparan mein BPL & ANTYODAY aur IAY mein bhari garbari ki baat parkash mein aarahi hai,purbi chmparan ke kalyanpur block ke manichapra panchayat ke ek samaj sewi sri ramji bhagat ne kuch BPL &ANTYODAY labharthiyon ke kuch kupan ki chaya parti kuch original copy udaharan sawpup bheje hain jinse pata chalta hai ke purbi champaran ke  kalyanpur parkhand ke tahat aanay walay grampanchyat mein PDS dukandaron aur jila ke aala adhikarion ki mili bhagat se saal 2008 ke 7 maah yani june,july,august,september,octuber,november,december maah ke is baat ki gawahi deraha hai uprokt jila jila code 11 kupan sankheya 0301467 aise yeto sirf udaharan matr hain aise hajaron kupan garib
क्या कोई आदमी दोनों योजनाओं का लाभ -इन्द्रा आवास  योजना  और diesel  अनुदान का लाभ  ले सकता है ?उपरोक्त  सवालों के जवाब  को जानने को बेताब freelance journalist - कम-

मुल्क के गद्दार ?

मुल्क की रक्षा हो न सकेगी झूठे बोल और नारों से  इस मुल्क को खतरा लाहक है इस मुल्क के ही गद्दारों से  दहशतगर्द का झूठा ख़ुफ़िया तंत्र की चाल है ये   दामन अपना दूर ही रखना इनके तंद शरारों से  संसद भवन पर हमला होना , इंटेलिजेंस की गफलत है । कौन है इसके पीछे , आखिर किन लोंगों की शरारत है ? इसकी जाँच से अब तक कोई राज  न अफशां हो पाया । ऐसा लगता है इसके अन्दर कोई सेयासत है । बटला हाउस में मारे जाएँ लोग निहत्ते गोली से। लुत्फ़ उठाएं वर्दी वाले कब तक खून की होली से । काम करे शैतान कोई,इल्जाम आये माशुमों पर । जुर्म छुपाया जायेगा कब तक उनकी झूटी बोली से । समझौता एक्सप्रेस पर हमला किस ने किया ये बतलाओ ? मालेगांव,नानडेर पर हमला कैसे हुआ ये बतलाओ ? मक्का मस्जिद में हमला,अजमेर की घटना याद करो । जामे मस्जिद में गर कौन मिला ये बतलाओ ।  कौन वतन का रखवाला है और यहाँ गद्दार है कौन ? कौन है सच्चाई पे कायेम जालिम बद किरदार है कौन ? हेमंत करकरे ने दिखला दिया प्रग्या, पुरोहित का चेहरा । बात शरीफ समझने की है गुंडों का सरदार है कौन ?              मोहम्म