देश में आतंक के लिए जिम्मेदार कौन ?

डाक्टर मोहम्मद आबेदुर्रह्मान (चंद्वार्बस्वाह )उर्दू दैनिक दिनांक 28/8/2012 पिन्दार में प्रकाशित
फसीह महमूद दरभंगा के एक छोटे से गाँव का रहने वाला है ,पेशा से इंजिनियर है और सऊदी अरब में मोलाजेमत करता था,और पिछले कई सालों से वहां रह रहा था,सिर्फ छुटियों में में ही हिंदुस्तान आया करता  था,वह इस साल मई के महीने में लापता हो गया था,उसकी wife का कहना है के सऊदी अरब में कुछ हिन्दुस्तानी और सऊदी पुलिस उसे उसके घर से ले गए थे इसके बाद उसका कोई पता नहीं था यहाँ तक के उसकी wife को अकेले वतन वापस आ जाना पड़ा .उसकी पत्नी ने यहाँ आकर उसकी तलाश के लिए भारतीय वजीर ए खारजा और और दाखेला (home  ministry एंड foreign ministry )में दरखास्त दी .और देश के कई प्रदेशों के मुख्मंत्री और पुलिस प्रमुखों से पुछा के कहीं फसी महमूद किसी जुर्म में संलिप्त तो नहीं ?इसपर तमाम के तमाम ने उसे जवाब दिया के था के न उन्हें फाही का अता पता मालूम है और न ही वह किसी जुर्म में wanted है लेकिन 19 मई 2011 को अरब news ने फसीह महमूद जिस कंपनी में काम करता था उसके मैनेजर के हवाले से खबर दी के सऊदी पुलिस ने फसीह को हेरासत में लेने के बाद हिन्दुस्तान भेज दिया है और उसके जहाज इत्यादि के संबंध में हिन्दुस्तानी सरकार को सूचना दे दी और हिन्दुस्तान पहुचने के बाद फसीह को पाकर लिया गया .इस खबर और सरकार के तरफ से फसीह की मालूमात न के जवाब की वजह से उसकी पत्नी ने फसीह की जानकारी हासिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किये तो सरकार ने सुनवाई के एक दिन पहले ही फसीह की गिरफ़्तारी के लिए रेड कार्नर नोटिस किया के फसीह महमूद दहशतगर्दी हथियारों और धमाकाखेज पदार्थों के मामलों में हिन्दुस्तान को वांटेड है .सुनवाई के पहले फसीह महमूद के अते पते से अज्ञानता जाहिर करने वाली सरकार के प्रतिक्रिया इत्यादि के विशलेसन की तफसील अली सोहराब के ब्लॉग sohrabali1979.2012/blogspot .in /3510_post -.blog html blog पर भी देखी जा सकती है .उसके बाद ये भी खबर आई थी के सऊदी प्रशासन ने हिन्दुस्तानी सरकार को फसीह से पूछ ताछ के लिए इजाजत दी थी लेकिन हवालगी के लिए उसके खेलाफ पुख्ता सबूत मांगे थे .ये खबर भी आई थी के सऊदी प्रशासन हिन्दुस्तान के जरिये उपलब्ध कराइ गई सबूत से सहमत नहीं है (.rediff .com ।september 17)बहर हाल अब कहा जा रहा है के 22 अक्तूबर 2012 को फसीह दिल्ली आया और गिरफ्तार कर लिया गया .मिल्ली गजट ने अपने ताज़ा अंक में( 1 से15 अक्तूबर)में लिखा है के इन पांच महीनो के दौरान भी फसीह के खेलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं उपलब्ध नहीं कराये गए बलके जेयदा अरसा बीत जाने के कारण सऊदी अरब ने हिन्दुस्तान भेज दिया .सऊदी अरब से अबू हमजा की हिन्दुस्तान हवालगी के बाद फसीह महमूद की पहली गिरफ़्तारी है और अपनी नौइयत का पहला केस है .लेकिन इस नौइयत में भी वह अकेला नहीं है . 26 अक्तूबर को NDTV ने अपनी वेबसाइट पर बैंगलोर की रहने वाली फातिमा खान की एक प्रेस कांफ्रेंस की खबर प्रकाशित की थी .जिस में उन्हों ने कहा के सऊदी अरब के मिलिट्री हॉस्पिटल में मुलाजिम उनके बेटे डॉक्टर उस्मान गनी को हिन्दुस्तान पुलिस के आग्रह पर सऊदी अरब में 8 अक्तूबर को गिरफ्तार किया गया है .उन्हों ने माजिद ये भी कहा के 2008 में 

हुबली में कुछ लोगों की गिरफ़्तारी के बाद प्रदेश पुलिस ने उनके बेटे को बुलाया था और उनको धमकी दी थी के  अगर उनहोंने inteligence का साथ नहीं दिया तो उनका कैरियर बर्बाद कर दिया जायेगा .यानी डॉक्टर उस्मान पहले से ही पुलिस की नजर में थे .इस मामले में भारतीय सरकार के तरफ से माकूल जवाब सामने नहीं आया है ,जबके बैंगलोर पुलिस ने इस मामले में भी कोई जानकारी होने से इनकार किया है लेकिन इस खबर के दो दिन बाद 28 अक्तूबर को इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी ऑनलाइन प्रकाशन में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है  के बैंगलोर  पुलिस मोहम्मद अब्दुल मजीद ,डॉक्टर  उस्मान गनी खान ,और मोहम्मद शहीद फैसल उर्फ़ जाकिर उर्फ़ ओस्ताद के खेलाफ रेड कार्नर नोटिस जरी करने की तैयारी में है इसके लिए  स्थानिये कोर्ट से इन तीनों के खेलाफ गैर जमानती वारंट भी हासिल कर लिए गए हैं .इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में आगे यह भी कहा है के पुलिस सूत्रों ने डॉक्टर उस्मान गनी  की सऊदी अरब में गिरफ़्तारी पर कमेंट करने से इनकार किया  है लेकिन कहा है के ये केस भी फसीह महमूद के केस से मिलती जुलती है .इसके बाद रोजनाम उर्दू टाइम्स 1 नवम्बर 2012 ने रिपोर्ट दी के सऊदी सरकार ने उस्मान को रिहा कर दिया के उन पर शक बिलकुल गलत निकले फसीह महमूद और डॉक्टर उस्मान दोनों के केस में एक बात मेल खाती है के रेड कार्नर जरी होने से पहले ही सऊदी अरब में गिरफ्तार कर लिया  गया सऊदी अरब में उनकी गिरफ्तारी के बाद रेड कार्नर नोटिस जरी किया गया .इसका मतलब है दाल में कुछ काला है .उपरोक्त तथ्यों के आलोक में दिमाग में सबसे पहला  सवाल ये है के इस बात की क्या गारंटी है के पुलिस के आरोप सही हैं ?अब पुलिस भरोसा के लायेक नहीं रही ,पुलिस कहती कुछ और है और हकीक़त रहता कुछ आयर है।अभी तक पुलिस ने कई मुस्लिम नौजवानों को पक्के और कट्टर खतरनाक दहशतगर्द बना कर पेश किया है लेकिन जब उनपर मुकादमा तो काबिले के एहतराम अदालत ने उन्हें न सिर्फ सबूत  के अभाव में रेहा कर दिया बलके जबरदस्ती इल्जाम लगाने ,मंगढ़ात सबूत पेश करने सबूत बदले के लिए पुलिस की आलोचना भी की .तालीमयाफ्ता मुस्लिम नौजवानों की गिरफ़्तारी हिन्दुस्तान में कोई नई बात नहीं रह गई है,ये सिसिला दरअसल SIMI पर पाबन्दी लगने के बाद से समय समय पर जरी है .शुरू में तालीमयाफ्ता मुस्लिम नौजवानों को सिमी के नाम पर गिरफ्तार किया गया .फिर बम धमाकों के सिलसिले में उनपर देश दरोही के इल्जेमात लगे इसके बाद इंडियन मुजाहेदीन के नाम पर उनकी गिरफ्तारियां की गईं और अब अपने घर वालों की खुशहाली के लिए वतन से कोसों दूर रहने वालों की बारी लाई गई है .दहशत गर्दी के नाम पर मुसलमानों की पढ़ी लिखी नई नस्ल के साथ  जो कुछ हो रहा लगता है के वह बहुत गहरी साजिश के तेहत monazzim तरीके से हो रहा है .

दहशतगर्दी और उसके खेलाफ जंग के पहले ही दिन से मुस्लिम कौम यही कहती रही है के अगर मुस्लिम नौजवान अगर वाकई दहशतगर्द हैं ,दहशतगर्दी की हिमायत करते हैं,दहशतगर्दी की बढ़ावा देते हैं या दहशतगर्दी की किसी भी किस्म की मदद करते हैं तो वह हमदर्दी के काबिल नहीं .और अगर वाकई सम्मिलित हैं तो उन्हें उनके लिए सजा मिलनी चाहिए .हमारा कहना सिर्फ इतना है के उन्हें मुजरिम ठहराने से पहले दुरुस्त और भेदभाव रहित पुरे इन्साफ के साथ ये फैसला होना चाहिए के वाकई वह मुजरिम हैं भी के नहीं .अगर उनपर दहशतगर्दी के इल्जाम सही हैं तो उन्हें अपनी सफाई का पूरा हक मिलना चाहिए .और उनकी हेफजत भी होनी चाहिए .यही नहीं अगर वह अदालत से बेकसूर बरी हो गए तो उन पुलिस वालों और इंटेलिजेंस के अधिकारीयों के खेलाफ़ भी सख्त कारवाई होनी चाहिए जिन्होंने बेगुनाह को गिरफ्तार किया और अगर ये साबित होता है के उन्होंने अपने पॉवर का गलत इस्तेमाल करते  हुए तासुब और साजिश की बुनियाद पर मुस्लिम नौजवानों के खेलाफ झूठे मुक़दमें बनाये तो उनपर कानूनी करवाई भी होनी चाहये।


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