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BJP sarkaaron ne 1 Karod padon par bahali roki?
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पूर्वी चम्पारण के चकिया थाना का साइबर अपराधियों को मिला अराध करने का आशीर्वाद ?
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दिनांक 15/06/22 को घटी एक घटना ने चकिया थाना की खोल कर रख दी है पोल।। साइबर अराध के मामले में कैसा है चकिया थाना का रवैया आइए जानते हैं। पीड़ित व्यक्ति मोहम्मद कलामद्दीन चकिया थाना के मनीछपरा के वार्ड 1 के निवासी हैं । दिनांक 15/06/22 को 3 की संख्या में आये अपराधियों ने उनका ATM बदल लिया। चकिया थाना में तुरंत FIR के लिये आवेदन दिया मगर कोई फायदा नहीं हुआ। पीड़ित का आरोप है कि FIR की नकल के लिए थाना गए तो डांट कर भगा दिया गया। यहाँ तक की लिखित आवेदन तक की थाना में मूल प्रति भी खोजने पर नहीं मिली।। पीड़ित का यह भी आरोप है कि थाना के एक अफ़सर ने तो यहाँ तक कहा कि अगर FIR दर्ज़ भी कर लेते हैं तो क्या तुम्हारा पैसा वापस मिल जाएगा? जबकि पीड़ित ने बैंक से पूरी डिटेल्स ला कर पुलिस की हवाले कर दिया कि अपराधियों ने किस बैंक अकाउंट में रुपये ट्रांसफर किये? इसके बावज़ूद पुलिस ने अपराधियों को पकड़ने की जहमत नहीं समझा आखिर क्यों? पुलिस की इन्हीं कार्यशैली और लापरवाही के कारण साइबर क्राइम की सांख्य मे बेतहाशाi इजाफा हो रहा
सिद्दीक़ी कप्पन की बेटी का 15 अगस्त का भाषण चर्चा में
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इमेज स्रोत, @SUCHITRAV इमेज कैप्शन, सिद्दीक़ कप्पन की बेटी मेहनाज़ कप्पन जेल में बंद पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन की नौ साल की बेटी ने सोमवार को स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर केरल के अपने स्कूल में भाषण दिया और एकता की अपील की है. सिद्दीक़ कप्पन की बेटी ने नागरिकों के अधिकार की अहमियत के रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि धर्म, रंग और राजनीति के नाम पर नागरिकों को अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता. कोलकाता से प्रकाशित होने वाले अंग्रेज़ी दैनिक टेलिग्राफ़ ने सिद्दीक़ कप्पन की बेटी मेहनाज़ कप्पन के भाषण को प्रमुखता से जगह दी है. मेहनाज़ कप्पन केरल में मलाप्परम ज़िले के वेनगारा में जीएलपी स्कूल की चौथी क्लास की स्टूडेंट हैं. उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर कहा, ''मैं सिद्दीक़ कप्पन की बेटी मेहनाज़ कप्पन हूँ. मेरे पिता एक पत्रकार हैं और उन्हें जेल में बंद कर दिया गया है. एक नागरिक को जो सारे अधिकार मिलते हैं, उनसे मेरे पिता को वंचित कर दिया गया है.'' छोड़कर ये भी पढ़ें आगे बढ़ें ये भी पढ़ें नेहरू के स्वतंत्रता सेनानी होने को लेकर क्यों मचा बवाल, भिड़े कांग्रेस और बीजेपी पॉपुलर
Azadi ki #AmritMahatsav aur Bharat mein Nayaye ka Haal.... 20 Rupye k liye 21 saal tak Qanuni Ladai Ladni Padi
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भारत की नागरिकता क्यों छोड़ रहे हैं हज़ारों लोग || गृह मंत्रालय के मुताबिक़ साल 2021 में 163,370 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी.
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शुभम किशोर बीबीसी संवाददाता 25 जुलाई 2022, 07:00 IST इमेज स्रोत, GETTY IMAGES संसद में पेश किए गए दस्तावेज़ में कहा गया है कि इन लोगों ने "निजी वजहों" से नागरिकता छोड़ने का फ़ैसला किया है. सबसे ज़्यादा 78,284 लोगों ने अमेरिकी नागरिकता के लिए भारत की नागरिकता छोड़ी. इसके बाद 23,533 लोगों ने ऑस्ट्रेलिया और 21,597 लोगों ने कनाडा की नागरिकता ली. चीन में रह रहे 300 लोगों ने वहाँ की नागरिकता ले ली और 41 लोगों ने पाकिस्तान की. साल 2020 में नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या 85,256 थी और साल 2019 में 144,017 लोगों ने नागरिकता छोड़ी थी. साल 2015 से 2020 के बीच आठ लाख से ज़्यादा लोगों ने नागरिकता छोड़ दी. 2020 में इन आंकड़ों में कमी देखने को मिली थी, लेकिन इसके पीछे की वजह कोरोना माना जा रहा है. विदेशी मामलों के जानकार हर्ष पंत ने बीबीसी से कहा, "इस बार के आँकड़ों में बढ़त का कारण ये हो सकता है कि पिछले साल के कुछ ऐसे लोग जो कोरोना के कारण काम बंद होने से नागरिकता नहीं ले पाए, उन्हें भी इस साल नागरिकता मिली होगी." छोड़कर ये भी पढ़ें आगे बढ़ें ये भी पढ़ें पाकिस्तान के कुछ लोग