सिद्दीक़ी कप्पन की बेटी का 15 अगस्त का भाषण चर्चा में

सिद्दीक़ कप्पन की बेटी मेहनाज़ कप्पन

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सिद्दीक़ कप्पन की बेटी मेहनाज़ कप्पन

जेल में बंद पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन की नौ साल की बेटी ने सोमवार को स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर केरल के अपने स्कूल में भाषण दिया और एकता की अपील की है.

सिद्दीक़ कप्पन की बेटी ने नागरिकों के अधिकार की अहमियत के रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि धर्म, रंग और राजनीति के नाम पर नागरिकों को अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता.

कोलकाता से प्रकाशित होने वाले अंग्रेज़ी दैनिक टेलिग्राफ़ ने सिद्दीक़ कप्पन की बेटी मेहनाज़ कप्पन के भाषण को प्रमुखता से जगह दी है.

मेहनाज़ कप्पन केरल में मलाप्परम ज़िले के वेनगारा में जीएलपी स्कूल की चौथी क्लास की स्टूडेंट हैं.

उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर कहा, ''मैं सिद्दीक़ कप्पन की बेटी मेहनाज़ कप्पन हूँ. मेरे पिता एक पत्रकार हैं और उन्हें जेल में बंद कर दिया गया है. एक नागरिक को जो सारे अधिकार मिलते हैं, उनसे मेरे पिता को वंचित कर दिया गया है.''

सिद्दीक़ कप्पन को पाँच अक्टूबर, 2020 को पॉपुलर फ़्रंट ऑफ इंडिया (पीएफ़आई) के तीन सदस्यों के साथ गिरफ़्तार किया गया था जो उनके साथ सफ़र कर रहे थे.

सिद्दीक़ कप्पन तब उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित लड़की के साथ रेप और उसकी हत्या की ख़बर कवर करने के लिए जा रहे थे.

सिद्दीक़ कप्पन तब से ही जेल में हैं. उन पर समाज की शांति भंग करने के मामले में आतंकवाद रोधी क़ानून यूएपीए के तहत आरोप तय किए गए हैं.

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दो देश,दो शख़्सियतें और ढेर सारी बातें. आज़ादी और बँटवारे के 75 साल. सीमा पार संवाद.

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मेहनाज़ ने 15 अगस्त को कहा, ''आज महान राष्ट्र भारत स्वतंत्रता दिवस के 76वें साल में पहुँच गया है. एक भारतीय होने के नाते गर्व से कहती हूँ- भारत माता की जय.'' मेहनाज़ ने कहा कि भारतीयों को आज़ादी त्याग और शहादत के बाद मिली है.

मेहनाज़ ने कहा, ''गांधी, नेहरू, भगत सिंह के त्याग के कारण हम आज आज़ादी का जश्न मना रहे हैं. इनके अलावा और कई लोगों ने आज़ादी के लिए जान की बाज़ी लगा दी. आज भारत में बोलने, अपनी पसंद से खाने-पीने और किसी भी मज़हब को अपनाने की आज़ादी है. भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आज़ादी है. जो भी इस देश से बाहर जाने के लिए कहते हैं, उनका विरोध करने का अधिकार सभी भारतीयों के पास है. जो आपसे असहमत हैं, उन्हें चुप नहीं करा सकते.''

मेहनाज़ ने कहा, ''हमारी गरिमा किसी के सामने झुकनी नहीं चाहिए. लेकिन आज भी अशांति का वातावरण पैदा किया जा रहा है. धर्म, रंग और राजनीति के नाम पर हमले हो रहे हैं. हमें इसे रोकना है और एकजुट रहने की ज़रूरत है. हमें किसी भी तरह की अशांति को आने से पहले ही रोकना चाहिए. हमें मिलकर साथ रहना चाहिए और भारत को नई ऊंचाई पर ले जाना चाहिए. हमें बेहतर कल के लिए सपना देखना चाहिए.'' मेहनाज़ ने अपने भाषण का अंत जय हिंद और जय भारत से किया.

सिद्दीक़ कप्पन

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अपने भाषण के बाद मेहनाज़ ने टेलिग्राफ़ से कहा कि उनका पसंदीदा विषय गणित है. मेहनाज़ ने कहा कि वह भाषण प्रतियोगिता में भाग लेने का कोई भी मौक़ा नहीं छोड़ती हैं.

मेहनाज़ ने कहा कि वह वकील बनना चाहती हैं. मेहनाज़ की माँ रेहाना कप्पन अपने पति को बरी कराने के लिए क़ानूनी लड़ाई लड़ रही हैं. उन्होंने कहा कि उनकी बेटी लोगों के बीच भाषण देना बहुत पसंद करती है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कप्पन की ज़मानत याचिका को ख़ारिज कर दिया था. अख़बार के मुताबिक़ हाई कोर्ट ने कहा था कि हाथरस में पत्रकारों का कोई काम नहीं था और कप्पन के साथ जो सह-अभियुक्त थे, वे मीडिया से जुड़े नहीं हैं. कप्पन ने पुलिस के आरोपों को ख़ारिज किया है कि वह पीएफ़आई के सदस्य हैं.

कप्पन दिल्ली में मलयालम न्यूज़ पोर्टल azhimukham.com के लिए काम करते थे. इसके साथ ही वह केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के सेक्रेटरी थे.

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