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पेगासस स्पाईवेयर मामला भारत के लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक क्यों?
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सौतिक बिस्वास बीबीसी संवाददाता 20 जुलाई 2021 अपडेटेड 4 घंटे पहले इमेज स्रोत, GETTY IMAGES "इसमें कोई शक नहीं है कि आपकी निजता का उल्लंघन हुआ है. ये एक ऐसी जबरन घुसपैठ है जिस पर यकीन करना मुश्किल लगता है. किसी को ये दिन देखना न पड़े." न्यूज़ वेबसाइट 'द वायर' के सहसंस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन ने पेगासस मामले पर ये बात कही. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ सिद्धार्थ वरदराजन भी दुनिया भर के उन कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, राजनेताओं और वकीलों में शामिल हैं जो जासूसी सॉफ़्टवेयर 'पेगासस' के निशाने पर थे. एक इसराइली कंपनी 'एनएसओ ग्रुप' ये स्पाईवेयर अलग-अलग देशों की सरकारों को बेचती है. न्यूज़ वेबसाइट 'द वायर' के अनुसार कंपनी के क्लाइंट्स की जिन लोगों में दिलचस्पी थी, उनसे जुड़े 50,000 नंबरों का एक डेटाबेस लीक हुआ है और उसमें 300 से ज़्यादा नंबर भारतीय लोगों के हैं. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें पेगासस जासूसी मामला: वो सवाल जिनके जवाब अब तक नहीं मालूम पेगासस जासूसी मामला: नई लिस्ट' में कई चौंकाने वाले नाम- प्रेस रिव्यू पेगासस से जुड़े हर सव
बिहार: बहू ने बाल कलर करने के लिए ग्लास में रखी थी हेयर डाई, पानी समझकर गटक गई सास, हुई मौत
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https://www.livehindustan.com/bihar/story-bihar-news-daughter-in-law-had-kept-hair-dye-in-glass-to-color-her-hair-mother-in-law-drank-thinking-of-water-death-in-hospital-4124005.html गोपालगंज हिन्दुस्तान टीम Last Modified: Mon, Jun 14 2021. 23:56 PM IST सफेद बालों को काला करने के लिए ग्लास में रखे हेयर डाई को पानी समझकर बुजुर्ग महिला ने पी लिया। कुछ ही देर बाद महिला की हालत बिगड़ने लगी। परिजनों ने आनन-फानन में महिला को सदर अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। ये घटना बिहार के गोपालगंज जिले के मांझागढ़ थाने के भैसहीं गांव की है। मृतक महिला स्व. रामनाथ सहनी की पत्नी 70 वर्षीय लालमती देवी थी। परिजनों ने पूछताछ के दौरान पुलिस को जानकारी देते हुए बताया कि लालमती की बहू अपने सफेद बालों को रंगने के लिए बाजार से हेयर डाई खरीद कर लाई थी। ग्लास में डाई घोलकर वो कुछ काम करने चली गई थी। इस दौरान महिला की सास लालमती ने पानी पीने के लिए ग्लास उठाया और उसमें भरे तरल पदार्थ को पानी समझकर पी गई। जानकारी के अनुसार लालमती को आंख से कम दिखाई देता था, जिस कारण ग्लास में रखे हुए
भारत में डॉक्टर क्यों नहीं लगा रहे कोरोना का टीका? क्या करे मोदी सरकार?
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सरोज सिंह बीबीसी संवाददाता, दिल्ली एक घंटा पहले इमेज स्रोत, GETTY IMAGES कोरोना वैक्सीन लगवाने को लेकर भारत में फ्रंट लाइन वर्कर्स में एक हिचक देखने को मिल रही है. ये बात आँकड़ों से भी साबित होती है. भारत सरकार, वैक्सीन लगाने के अपने लक्ष्य से 20-30 फ़ीसदी पीछे चल रही है. भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के 18 जनवरी के आँकड़ों के मुताबिक़ कर्नाटक, ओडिशा, पंजाब, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना वो राज्य हैं, जहाँ अब तक सबसे ज़्यादा लोगों को टीके लगे हैं. वहीं मणिपुर, मिजोरम, पुडुचेरी और लक्षद्वीप में सबसे कम लोगों को टीका लगा है. स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े जानकार इस हिचक के लिए 'वैक्सीन हेज़िटेंसी' शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं. जानकारों की मानें, तो ख़तरा ये है कि अगर ज़्यादा समय तक फ्रंटलाइन वर्कर में वैक्सीन लगाने को लेकर हिचक बनी रही, तो कहीं ये नया चलन ना बन जाए. आगे चल कर कोरोना महामारी से निपटने की सरकार की प्रक्रिया फिर धरी की धरी रह जाएगी. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें कोरोना वैक्सीन का 580 लोगों पर एडवर्स इफे़क्ट, क्या आप भी हिचक रहे हैं? जानिए अपने डर से जुड़े ह