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जालसाजों की चाँदी ? आरक्षी अधीक्षक पूर्बी चंपारण के आदेश देने के चौदह दिन बाद भी जालसाजी के एक मामले में दर्ज न हुई एफ आई आर ...

आरक्षी अधीक्षक पूर्बी चंपारण के आदेश के बावजूद जालसाजी के एक मामले में जालसाजों के खेलाफ अब तक कार्रवाई नहीं हुई है,सूत्रों के अनुसार उपरोक्त जिला के फेन्हरा थाना के गैबन्धी निवासी मुस्मात दुखनी कुंवर ने आरक्षी अधीक्षक पूर्बी चंपारण को लिखित शिकायत दिनांक 29/12/2012 को की थी के उसके नाम पर जारी इंद्रा आवास का रुपया फेन्हारा ब्लॉक के बारा परसौनी उतरी पंचायत के मुखिया और पंचायत सचिव ने जालसाजी कर रुपया गबन कर लिया है,सूत्रों के अनुसार मामला आरक्षी अधीक्षक पूर्बी चंपारण के संज्ञान में दिनांक 4/01/2012 को आया  तो एफ आई आर के आदेश भी दिए,मगर न जाने अंदर की बात क्या है,के आज चौदह (14)दिन बीत जाने के बावजूद अब तक एफ आई आर  न होने से कई तरह के सवाल पैदा होने लगा है .........यहाँ बता ते चले के दुखनी कुंवर के पत्र के अनुसार साल 2003-2004 में इंदरा आवास देने हेतु सरकार ने पैसा जारी किया पर उसे एक अठन्नी तक हाथ न लगी,सरकारी रिकॉर्ड में दिनांक 18/05/2004 को अंतिम भुगतान भी दिखाया गया है।
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Published in 14 Jan-2013 | Print Edition of Roznama Sahara
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                                Published in 12 Jan-2013 | Print Edition of Roznama Sahara

मुस्लिम नौजवानों के खेलाफ आतंकवाद का झूठा मुक़दमा

                    मुस्लिम नौजवानों के खेलाफ आतंकवाद का झूठा मुक़दमा         औरंगाबाद 9,जनवरी (यू एन आई ) रेयासत महाराष्ट्र के नांदेड जिला से दहशत गर्दी  क्व इल्जामात के तेहत गिरफ्तार चार मुस्लिम नौजवानों की रिहाई को लेकर आज यहाँ जमिअत -उल -ओलेम (अरशद मदनी)के वकील ने सेसन कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के नक़ल पेश किया और कहा के पुलिस ने उन नौजवानों के खेलाफ दहशत गर्दी का झूठा मुक़दमा दर्ज किया है,जिसके बाद शेसन अदालत ने इस्तेगासा (अभियोजन)की भी बहस सुनी और जमनत के दरखास्त पर फैसला लेने की तारीख ..............तय की ,आरोपियों की पैरवी करने वाले वकील अधिवक्ता खिज्र पटेल ने अदालत के रूबरू सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया और कहा के प्रदेश की आतंकवाद निरोधक दस्ता ने कल आरोपियों के खेलाफ जो चार नये इल्जेमात (आरोप) लगाये हैं वह उनपर कानूनन लागु नहीं ही सकते ,कयोंके जांच एजेंसियों ने जिन धाराओं को आयेद (लागू) किया है उसका कोई सबूत नहीं है ........        उन्होंने अदालत को बताया के जांच एजेंसियों  ने आरोपियों पे .... यू ए पी ए   एक्ट की जो धारा लगाए हैं उसके मुताबिक़ आरोपियों का किस

एस डी ओ साहेब को कानून की परवाह नहीं?.डी डी सी मोतिहारी ने दिए जाँच के आदेश

4/1/2013 को जब एस डी ओ बारा चकिया से जब पूछा गया के 20 दिन बीत जाने के बावजूद आगे की कार्रवाई हेतु सम्बंधित अधिकारी के पास नहीं पहुँच पाना कानूनन कितना बिहार के पूर्बी चंपारण के बारा चकिया के एस डी ओ ने ये कह कर सुशासन को कटघेरे में ला दिया है के जनता की फाइल , आवेदन जब तक चाहेगा चांप के और दबा के रखे गा ,यानी काम अपनी मर्जी से करेगा ,कानून के हिसाब से नहीं ,मामले के बारे में बताया जाता है के एक आवेदक  ने जन्म प्रमाण पत्र बनाने हे तू आवेदन दिनांक 13 दिसंबर 2012 को  एस डी ओ कार्यालय बारा चकिया  में किया था , बीस दिनों बाद जब कल्यानपुर बी डीओ से पता किया तो बताया के अब तक उक्त  आवेदन अब तक हमारे कार्यालय में नहीं पहुंचा है ,साथ ही ये भी कहा के हमारे यहाँ जब किसी का आवेदन आता है तो हम उसको नहीं रोकते,उसी दिन उसको पंचायत सचिव के पास आगे की करवाई करने हेतु भेज देते हैं,लेकिन जब उनसे 20 दिन बीत जाने के बाद भी एस  डी  ओ  कार्यालय से अबतक न आना कानून के हिसाब पूछा के कितना उचित है? ,तब बी डीओ ने कहा के जानते नहीं हैं एस डीओ ऑफीस के कर्मचारी कुछ लेन देने के लिए रोके रहता है ,लेकिन  दिनांक उचि

हजरत उमर रजिअल्लहो अन्हो ने एक मर्तबा चोर का हाथ इसलिए नहीं काटा था क्योंके कहत साली का दौर(अकाल का समय )था .......,चोरी न होने के कारण पर जब कंट्रोल नहीं था तो हाथ काटने का हुक्म(आदेश )कैसे दिया जाता .....यहाँ तो हर तरफ बलात्कार होने और करने के कारण का दरवाजा खुला हुआ है .....आस पास हर तरफ कारण खुले हुए है ऐसी सूरत में इस्लामी कानून का पहला काम सजा नहीं ,बलके उसको रोकना है ,इसलिए हिन्दुस्तान के मौजूदा समाज में सिर्फ इस्लामी सजा का मुताल्बा (मांग) करना ना काफी ,हम जब तक उन कारणों पर गौर नहीं करेंगे ,और सिर्फ आँख मुंद कर बे लेबासी ,मर्द की दादा गीरी .पुलिस का रवैया ,सरकारी बे तवज्जहि को सिर्फ जिम्मेदार मानते रहेंगे तो न हालात कंट्रोल होंगे और न रेप का मामला रुकेगा ....

                                                                         अज़ीमुल्लाह सिद्दीकी            जब से दिल्ली में 23 वर्षीये लड़की के साथ गैंग रपे का मामला पेश आया  है ,हर तरफ से आवाज उठने लगी है ,उर्दू , हिंदी ,और अंग्रेजी मीडिया में खूब मजामीन (आर्टिकल )छप रहे हैं ,कोई आरोपी के गुप्तांग काटने की बात कर फेंकने की बात कर रहा ,तो कोई फांसी ,की सजा देने की बात कर रहा ,कोई इस्लामी कानून को लागू करने की बात कर रहा तो कोई दिल्ली में स्थित स्लम बस्तियों में गंवार मर्दों को इसका जिम्मेदार ठहरा रहा ,कोई हरयाना और पंजाब से आने वालों की जेहनियत को इसका जिम्मेदार मान रहा है तो कोई मुल्क और समाज में फहाशी ,उड़यानियत और खुलापन को इसका कारण मानकर पीड़ित औरत को ही जुर्म का दरवाजा खुला रखने वाला  घोषित कर रहा है ,गर्ज  के पूरा शहर ,पूरा मुल्क मोकम्मल (सम्पूर्ण )विरोध मार्च कर रहा है ,लेकिन ये प्रदर्शन किसके खेलाफ है ? प्रदर्शन क्यों हो रहा है ?और इसके पीछे मकसद क्या है ?अगर इसका मक्सद बलात्कारिओं(RAPISTS ) के बीच खौफ व दहशत पैदा करना है तो इसका नतीजा सुन्य आरहा है .क्यों के बीते दिनों में हम