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भावनाभेदभाव के कारण मुसलमानों में बढ़ रही असुरक्षा की भावना ,ऐसी मीडिया को बिल्कुल पशंद नहीं करते जो देश की सुरक्षा , और देश की भाई चारा के लिए खतरनाक हो (काटजू)

भावनाभेदभाव के कारण मुसलमानों में बढ़ रही असुरक्षा की भावना (काटजू) मुसलामानों को बदनाम करनेवालों क्व खेलाफ जस्टिस काटजू ने की बेबाक आलोचना सहारनपुर 1 7  मई (एजेंसी प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन मारकंडे काटजू ने गुजिस्ता दिनों एक सिम्पोजियम को खेताब करते हुए खुले तौर पर इस बात और इस सच्चाई को स्वीकार किया था के मुसलामानों के खेलाफ इम्तेयाजी सलूक अथवा भेदभावपूर्ण रवैया के कारण मुसलामानों में असुरक्षा की भावना बढ़ा है और इसी के साथ उनहोंने मीडिया को लताड़ा भी था के वह मुस्लिम कम्युनिटी के खेलाफ बेहूदा रिपोर्टिंग करके उनके किरदार अथवा छवी को संदेहास्पद बना रहा और वह अपनी गैर जिम्मेदाराना से पूर्ण पत्रकारिता के जरिये उनके हौसले को पस्त भी कर रहा है . जनाब जस्टिस काटजू ने कहा है के  ये एक ऐसी हरकत है के जिसके खेलाफ आवाज उठाने की असल जरुरत है .                  इससे पूर्व जस्टिस काटजू ने अपने बेबाक बयानात में हर उस हिन्दुस्तानी फिरका की हेमायत में प्रेस की जमकर मुखालेफत की है के जिनको प्रेस अपने मुफाद के लिए और अपनी चटपटी सुर्ख़ियों के लिए इस्तेमाल कर रहा है , उन्होंने कहा के जब कभी भ
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Sunday, January 23, 2011 क्या बिहार में सुशासन है ? कहा जाता है के पिछले ५ सालों में बिहार की कानून वेवस्था बहुत चुस्त और दुरुस्त रही है, मगर १ आर .टी आई आवेदन से जो खुलासा हुआ है वह चौकाने वाली है की sahi tashwir १.01.2005 से १.01 2009 yaani sirf 4 सालों में वह bhi sirf १ jila में MDM yaani madhyahan भोजन की कुल ६० चोरी की घटना घटित हुई,अब आप समझ सकते हिं के सिर्फ एक तरह की चोरी केवल ४ सालों में सिर्फ एक जिला में ६० है dakaiti ,अपहरण बालात्कार,रंगदारी , जैसे और भी parakaar की घटनाओं को मिलकर कितनी घटायें हुई होंगी, अंदाजा lagaya jasakta है. Longon ko ab lagne laga hai ke bihar mein hone waali ghatnaaon media ne aawaam ke smne pesh sarad nahi hi, bharashtachat ke barey mein to kahne ki jarurat to kisi ko nahi ,wah to jagjahir hai. RTI ke aawedan se is baat ka bhi khulasa huaa ke ,mdm ke 60 chori ki ghatnaon me sirf 2maamle mein aarop patra dayar karne mein police ko kamyabi mili .jo bihar ki qabil mani jane wali police ko kaghere mein lakhara karney ke liye kaafi hai. Pos

सच बात तो ये है के चाहे वह नीतीश हों या लालू दोनों ने टोपी पहन, मुसलामानों को टोपी पहनाया है।

आज जिन लोगों का पेट भर जा रहा ,वह यही समझ रहे के सारी दिया का पेट भर चूका , यानी वह भूके तो साड़ी दुया भूखी, उनकी भूख ख़त्म तो साड़ी दुनिया का पेट फुल , भले ही ऐसे  लोगों का परोसी भूख से तड़पकर तड़पकर  कर  दम क्यों न  तोड़ दे , इस तरह की सोंच जब  कम पढ़े ,-लिखे लोग जब सोंचे तो कोई ताजुब नहीं होगी मगर यही सोंच जब एक पढ़ा लिखा तबका बोलने लगे तो तब आप क्या कहेंगे ?                        वर्तमान सरकार में जनता    बदहाली , और बदतर जिंदगी गुजारने पे मजबूर क्यों न  हों ,सरकार के चापलुशों को  ये बदहाली बिलकुल दिखाई नहीं दे रही , वह दलील दे रहे हैं के बिलकुल हक न मिलने से अधुरा हक मिलना अच्छा है , ऐसी दलील  कोई  आम आदमी का नहीं बलके उस उर्दू अखबार के मालिक सह मुख्य  सम्पादक का है , जिसे बिहार सरकार ने मुसलामानों के  बीच सरकार की चाप्लोसी और वोट बैंक बनाने की ठीकेदारी करने के लिए  विज्ञापन के तौर पर कड़ोरों रूपये  दिए थे , आज भी  दे रहे हैं , मगर सवाल पैदा होता है के क्या वाकई में गरीबों को पुरे हक के बदले अधूरे हक भी  बगैर जेबें ढीली किये  और परिशानी उठाये  मिल  रहीं हैं ? या शब्दों से खेलन

Bihar Broadcasting

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सच बात तो ये है के चाहे वह नीतीश हों या लालू दोनों ने टोपी पहन, मुसलामानों को टोपी पहनाया है .

आज जिन लोगों का पेट भर जा रहा ,वह यही समझ रहे के सारी दिया का पेट भर चूका , यानी वह भूके तो साड़ी दुया भूखी, उनकी भूख ख़त्म तो साड़ी दुनिया का पेट फुल , भले ही ऐसे  लोगों का परोसी भूख से तड़पकर तड़पकर  कर  दम क्यों न  तोड़ दे , इस तरह की सोंच जब  कम पढ़े ,-लिखे लोग जब सोंचे तो कोई ताजुब नहीं होगी मगर यही सोंच जब एक पढ़ा लिखा तबका बोलने लगे तो तब आप क्या कहेंगे ?                        वर्तमान सरकार में जनता    बदहाली , और बदतर जिंदगी गुजारने पे मजबूर क्यों न  हों ,सरकार के चापलुशों को  ये बदहाली बिलकुल दिखाई नहीं दे रही , वह दलील दे रहे हैं के बिलकुल हक न मिलने से अधुरा हक मिलना अच्छा है , ऐसी दलील  कोई  आम आदमी का नहीं बलके उस उर्दू अखबार के मालिक सह मुख्य  सम्पादक का है , जिसे बिहार सरकार ने मुसलामानों के  बीच सरकार की चाप्लोसी और वोट बैंक बनाने की ठीकेदारी करने के लिए  विज्ञापन के तौर पर कड़ोरों रूपये  दिए थे , आज भी  दे रहे हैं , मगर सवाल पैदा होता है के क्या वाकई में गरीबों को पुरे हक के बदले अधूरे हक भी  बगैर जेबें ढीली किये  और परिशानी उठाये  मिल  रहीं हैं ? या शब्दों से खेलन

सरबजीत के लिए मुआओजे की बारिश , कतील सिद्दीकी के लिए क्यों नहीं ? (कांग्रेसी नेता आजमी बारी)

सरबजीत के लिए मुआओजे  की बारिश , कतील सिद्दीकी  के लिए क्यों नहीं ? (कांग्रेसी नेता आजमी बारी) गैर मुल्की जेलों में हिन्दुस्तानी शहरियों की बढ़ती संख्या पर दुःख का इज़हार प्रकट करते हुए बिहार के मशहुर कोंग्रेसी नेता आज़मी बारी ने कहा है के इन दिनों विदेशी जेलों में हिन्दुस्तानियों की तादाद हजारों से ऊपर है ,इसमें जेयदा तरअरब मुल्कों में हैं -जैसे सऊदी अरब में 1691, कुवैत में 1161 ,  यूनाइटेड अरब अमीरात में 1102 , बंगला देश में 167 चीन में 157 सिगापुर में 156 अमेरिका में 155 श्रीलंका में 63 कैदी जेल में बंद हैं .इन लोगों के जेल जाने का कारण छोटे छोटे मामले हैं ,क़ैद होने की वजह नशीली दवाओं की स्मगलिंग , पशिमी देशों में घरेलु हिंसा ,अरब देशों में बेबस मजदूरों के लिए गलत कॉन्ट्रैक्ट के साथ साथ बड़े कारणों में ,बलात्कार , डकैती , गैर कानूनी शारीरिक सम्बब्ध ,ट्रैफिक हादसे ,गैर कानूनी शराब बिक्री वगैरह हैं . एक सुचना के मुताबिक़ मलेशिया , सिंगापुर , पकिस्तान , बाग्लादेश , श्रीलंका में जेयादातर हिन्दुस्तानी शहरियों की गिरफ्तारी की वजह आवर्जन कानून की खेलाफवर्जि है .गैर्मुल्की जेलों में

क्या गजरात के मुसलामानों को कभी इन्साफ मील सकेगा ?

                   (अहमद मोहिउद्दीन सिद्दीकी )                              2 0 0 2  के फसादात में हजारों मुसलामानों को शहीद कर दिया गया . 2 3 हजार घड़ों को लूटकर आग लगा दी गई 297 मस्जिदों और दरगाहों को ध्वस्त कर दिया गया .राष्ट्रीय राज मार्गों और हाई वेज पर बारह सौ होटलों को निशाना बनाया गया और 350 तिजारती मराकिज लूट मार कर बर्बाद कर दिए गए . गुलबर्ग सोसाइटी के जले हुए और वीरान बंगलों में मैंने अजीब इज़तेराब महसूस किया , 2 8 फ़रवरी  2002को सुबह को जब सात बजे से शाम 7  बजे तक सरकारी मदद से जिनका क़त्लेआम किया गया .....उन शहीदों की रूहें इन्साफ मांग रही हैं गुलबर्ग सोसाइटी के गेट में दाखील होते ही बाएं तरफ कासिम साहेब का बंगला है ,जिनके 1 9 अफराद शहीद कर दिए गए ,कासीम साहेब उस खानदान के वाहीद अफराद हैं जो उन फसादात में जिन्दा बच गए और वह उस वजह जगह रहने वाले तनहा आदमी हैं ,जो अभी तक डेट हुए हैं ,उस केयामत खेज फसादात का ज़िक्र करते हुए कासीम साहेब की हिचकियाँ बंध गईं और बात चीत को कुछ देर के लिए  मुझे रोक देना पड़ा ..कासिम साहेब बंगला नंबर 2 और उनकी माँ और दुसरे रिश्तेदार बँगला न