भावनाभेदभाव के कारण मुसलमानों में बढ़ रही असुरक्षा की भावना ,ऐसी मीडिया को बिल्कुल पशंद नहीं करते जो देश की सुरक्षा , और देश की भाई चारा के लिए खतरनाक हो (काटजू)

भावनाभेदभाव के कारण मुसलमानों में बढ़ रही असुरक्षा की भावना (काटजू)
मुसलामानों को बदनाम करनेवालों क्व खेलाफ जस्टिस काटजू ने की बेबाक आलोचना
सहारनपुर 1 7  मई (एजेंसी
प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन मारकंडे काटजू ने गुजिस्ता दिनों एक सिम्पोजियम को खेताब करते हुए खुले तौर पर इस बात और इस सच्चाई को स्वीकार किया था के मुसलामानों के खेलाफ इम्तेयाजी सलूक अथवा भेदभावपूर्ण रवैया के कारण मुसलामानों में असुरक्षा की भावना बढ़ा है और इसी के साथ उनहोंने मीडिया को लताड़ा भी था के वह मुस्लिम कम्युनिटी के खेलाफ बेहूदा रिपोर्टिंग करके उनके किरदार अथवा छवी को संदेहास्पद बना रहा और वह अपनी गैर जिम्मेदाराना से पूर्ण पत्रकारिता के जरिये उनके हौसले को पस्त भी कर रहा है . जनाब जस्टिस काटजू ने कहा है के  ये एक ऐसी हरकत है के जिसके खेलाफ आवाज उठाने की असल जरुरत है .
   
           
 इससे पूर्व जस्टिस काटजू ने अपने बेबाक बयानात में हर उस हिन्दुस्तानी फिरका की हेमायत में प्रेस की जमकर मुखालेफत की है के जिनको प्रेस अपने मुफाद के लिए और अपनी चटपटी सुर्ख़ियों के लिए इस्तेमाल कर रहा है , उन्होंने कहा के जब कभी भी कोई भी बम धमाका होता है तो एक घंटे के अन्दर हमारे मुल्क के बहुत सारे टी वी चैनेल ये दिखाना शुरू कर देते हैं के इंडियन मुजाहेदीन जैश मोहम्मद  या हरकतुल मुजाहेदीन , हरकते जिहाद इस्लामी या फिर किसी और कथीत मुस्लिम संगठनों ने इस बम धमाके की जम्मेदारी काबुल करने के लिए एस एम् एस भेजा है और इसी एस एम् एस को बुनियाद बनाकर राष्ट्रीय मीडिया अल्पसंख्यक तबका को अपने टी वी चैनलों के जरिये डराना शुरू कर देता है . जस्टिस काटजू ने मज्र्र्द कहा के एक इ मेल या एस एम् एस कोई भी असामाजिक तत्व भेज सकता है ,लेकिन जब आप टी वी पर या फी अगले दिन प्रिंट मीडिया में इसको इस तरह से दिखाना शुरू कर डरते हैं मानो तमाम मुसलमान आतंकवादी होते हैं ,और वह बम फेंकने के अलावा कुछ नहीं करते ?आप पुरे मुस्लिम समाज की हौसले को पस्त और मुस्लिम समाज को अपने इस गलत काम से बदनाम कर देते हैं और देश में समप्रदाइक्ता का जहर घोल देते हैं .जनाब मारकंडे काटजू इंग्लिश दैनिक हिन्दू के बैनर तले  " रिपोर्टिंग टेरर मीडिया किस तरह संजीदा है "पर एक सिम्पोजियम को संबोधित करते हुए पिछले दिनों अपने बेबाक लहजे में ये भी  कहा था के देश की राष्ट्रीय मीडिया का गैर जिम्मेदाराना हरकत मुल्क में फिरकापरस्ती को बढ़ावा दे रहा है ?जनाब काटजू न कहा था के ये नहायत बेहूदा हरकत है मैंने इस हरकत के खेलाफ आवाज़ बुलंद  की है  , लेकिन वह कहते हैं के मई मीडिया को दबा रहा हूँ ये खेयाल जाहिर करते हुए के मीडिया को एख्लाकियात का पाबन्द होना चाहिए और अपनी कौमी अथवा राष्ट्रीय जिम्मेदारी को जेहन नशीं करना चाहिए . जस्टिस काटजू ने आगे कहा था वह देश में अमन व भाई चारा देश की सुरक्षा और मीडिया की आजादी को बेहतर तौर से देखना चाहते हैं ,लेकिन वह ऐसी मीडिया को बिल्कुल पशंद नहीं करते जो देश की सुरक्षा , और देश की भाई चारा के लिए खतरनाक हो .
उर्दू दैनिक पिन्दार पटना दिनांक 18/05/2013 पृष्ट नंबर 6 से लिया गया है .   www.biharbroadcasting.com 

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