भारत प्रशासित कश्मीर का ताज़ा हालः स्कूलों में अब भी छात्र नदारद


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Image captionसांकेतिक तस्वीर
भारत प्रशासित कश्मीर की सीमा पर शांति नहीं है. पुलिस और सेना का कहना है कि बीते 33 दिनों में पाकिस्तान ने कम से कम 27 बार युद्धविराम का उल्लंघन किया है.
उत्तर कश्मीर के सोपोर से सूचना मिली है कि वहां चरमपंथियों ने सुरक्षाबलों को निशाना बनाया है. क्रॉस फायरिंग में कुछ लोग घायल हुए हैं जिसमें एक छोटी बच्ची भी शामिल है.
वहीं शुक्रवार की सुबह आठ बजे पुंछ के मेंढर तहसील में स्थित कृष्णाघाटी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय चौकियों को निशाना बनाया है. यहां महज़ 15 किलोमीटर की दूरी पर लोगों की बस्ती है.
यह कश्मीर के इस इलाके में दूसरी ऐसी घटना है. पहली घटना में हुई क्रॉस फायरिंग में पुलिस का एक जवान और एक चरमपंथी मारा गया था.
5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से लगातार पुलिस और सेना अलर्ट की घोषणा करती रही है.
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पुलिस और सेना का कहना है कि उन्हें इंटेलिजेंस इनपुट मिले हैं कि पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद लॉन्च पैड पर तैयार हैं और इसी क्रॉस फायरिंग की आड़ में घुसपैठियों को भेजा जा रहा है ताकि यहां हिंसा का माहौल पैदा किया जाए.
सिर्फ़ उत्तर कश्मीर ही नहीं बल्कि श्रीनगर में भी हाई अलर्ट जारी किया गया है और शाम होते ही यहां सड़कों पर चलने वाले वाहनों की तलाशी ली जाती है. कई जगहों पर नाकेबंदी की गई है, बंकर बनाए गए हैं.
प्रशासन और सुरक्षा बल ने संकल्प लिया है कि इतना बड़ा फ़ैसला लेने के एक महीने बाद तक किसी भी तरह की कोई हिंसक घटनाएं नहीं हुईं और बड़े पैमाने पर लोगों को हताश नहीं होना पड़ा, कोई हत्याएं नहीं हुईं तो अब ऐसा डर पैदा न हो जिससे यह लगे कि अचानक सुरक्षाबलों पर हमले शुरू होने लगे हैं या हिंसा का माहौल बन रहा है. इसलिए यह सतर्कता बरती जा रही है.
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आबादी वाले सीमावर्ती इलाके में ही फायरिंग

भारतीय सेना का कहना है कि पाकिस्तान सेना उन सीमावर्ती इलाकों में ही फायरिंग करती है जहां पास में लोगों की बस्ती हो, इससे आम लोगों के जानमाल को ख़तरा रहता है.
हालांकि इसके लिए काफी प्रबंध किए जाते हैं. नागरिकों को बंकर बना कर दिए जाते हैं. उन्हें एहतियात बरतने की शिक्षा दी जाती है.
सीमा पार से हो रही फायरिंग में नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे ज़्यादातर प्रभावित इलाकों में पुंछ और राजौरी के क्षेत्र हैं. हालांकि कश्मीर के गुरेज़, कुपवाड़ा और बारामूला के इलाके से सटी नियंत्रण रेखा है. लेकिन युद्धविराम की ज़्यादातर घटनाएं जम्मू क्षेत्र में घटी हैं.
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स्कूलों में अब भी स्टूडेंट्स नहीं आ रहे

सरकार ने टेलीफ़ोन सेवाएं और स्कूल खोलने की घोषणा कर दी थी. दावा किया जा रहा है कि स्कूल खुल गए हैं लेकिन वहां शिक्षक तो आते हैं लेकिन छात्रों की संख्या नदारद है.
वहीं निजी स्कूलों में शिक्षक भी नहीं आ रहे हैं. अब सरकार ने इस पर बात करना भी बंद कर दिया है कि कितने स्कूल खुल गए हैं और कितने खुलने बाकी हैं.
लोगों में इस बात का आक्रोश है कि जब टेलीफ़ोन और मोबाइल सेवाएं बंद हैं तो स्कूल कैसे खोले जा सकते हैं. ऐसे में जबकि बाहर हड़ताल का माहौल है और भारी संख्या में सड़कों पर अर्धसैनिकों की उपस्थिति रहती है तो यह डर लगा रहता है कि बच्चों को कुछ हो न जाए लिहाज़ा अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते हैं.
इसलिए स्कूलों को खोलने की बातें तकरीबन बंद हो गई हैं.
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कश्मीर में सितंबर और अक्तूबर के महीने में परीक्षाओं का समय होता है. 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षाओं की परीक्षाएं होनी हैं. लिहाजा प्रशासन ने घोषणा की है कि इन परीक्षाओं के फॉर्म स्कूलों में ही उपलब्ध होंगे.
उससे हल्की चहलपहल हुई है. इस फॉर्म को भरने के लिए अभिभावक अपने बच्चों के साथ स्कूल जा रहे हैं लेकिन वहां कक्षाएं नहीं हो रही हैं. वहां सिर्फ फॉर्म दिए जा रहे हैं. इन परीक्षाओं की तारीख़ अभी घोषित किए जाने बाकी हैं.
(बीबीसी संवाददाता शकील अहमद से बातचीत पर आधारित)

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"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

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