CAA: जामिया हिंसा में तीन लोगों को लगी 'गोलियां', पुलिस का फ़ायरिंग से इनकार


प्रदर्शन के दौरान हिंसाइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
नागरिकता संशोधन क़ानून यानी CAA को लेकर राजधानी दिल्ली समेत देशभर में कई जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. दिल्ली की जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी में रविवार को हुई हिंसक झड़पों में घायल कम से कम तीन लोगों का दावा है कि उन्हें गोली लगी है, लेकिन दिल्ली पुलिस का दावा है कि लोगों के प्रदर्शन के दौरान उन्होंने किसी तरह की फ़ायरिंग नहीं की थी.
पुलिस का कहना है कि ये लोग आँसू गैस के कैनस्टर लगने से घायल हुए हैं.
बीबीसी ने इनमें से एक शख्स की हॉस्पिटल रिपोर्ट देखी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉक्टर्स ने उनकी जाँघ से 'बाहरी चीज़' निकाली है.
रविवार शाम को केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया से सटे सराय जुलेना इलाक़े और मथुरा रोड पर नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान कई बसों में आग लगा दी गई थी.
हिंसा के दौरान जली गाड़ियांइमेज कॉपीरइटANI
बसों में लगी आग बुझाने के लिए पहुंची फ़ायर ब्रिगेड और पुलिस की गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की गई. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव दिल्ली के सराय जुलेना और मथुरा रोड पर हुआ. जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों सहित स्थानीय लोग सराय जुलेना पर नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे.
ख़बरों के मुताबिक रविवार को हुई हिंसा के दौरान कम से कम तीन लोगों को पुलिस की गोलियां लगी हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में दो लोगों का इलाज़ हुआ है जिन्हें जामिया छात्रों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में "गोली" लगी थी. हालाँकि पुलिस ने इससे साफ़ इनकार किया है.
बीबीसी ने एक तीसरे घायल व्यक्ति मोहम्मद तमीन की मेडिकल रिपोर्ट देखी है, जिनका कहना है कि वो प्रदर्शनकारी नहीं थे और उस दिन घटनास्थल से गुजर रहे थे. उनका दावा है कि पुलिस ने उन्हें बाएं पैर में गोली मारी. रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि ऑपरेशन के बाद 'बाहरी चीज़' को निकाला गया.
क्या है घायल तमीन का दावा?
"रविवार को तकरीबन चार बजे मैं घर से बाहर निकला, जामिया का रोड ब्लॉक होने की वजह से मैं दूसरे रास्ते से न्यूफ़्रेंड्स कॉलोनी की रेडलाइट पर पहुँचा. प्रदर्शनकारी भी डायवर्ट होकर वहाँ पहुँचे. वहाँ उन्होंने घेरा बनाकर विरोध शुरू कर दिया. मैं रेडलाइट पर अपनी बाइक पर था. एकदम से अचानक दिल्ली पुलिस आती है, लाठीचार्ज होता है, सारे छात्र भागते हैं, भगदड़ मचती है, आगे का रास्ता बंद होने की वजह से मैं यूटर्न लेता हूँ, उसी में किसी छात्र का मुझे धक्का लगता है, मैं नीचे गिरता हूँ, मेरी बाइक गिरती है, जैसे ही मैं उठता हूँ, सामने से दिल्ली पुलिस के तीन सिपाही आते हैं, उन्होंने बाइक वाली हेलमेट लगाई थी, जैसे ही मैंने उसे देखा, उसने सीधा गन निकालकर मेरे ऊपर गोली चला दी."
उपद्रवियों ने बस को जला दियाइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
"गोली मेरी बाईं जाँघ में लगी, और मैं गिर गया, जैसे ही बुलेट की आवाज़ आई, कुछ छात्र लौटकर आए और कहने लगे कि इन्हें गोली लग गई, हॉस्पिटल लेकर चलो, उन्हें देख पुलिसवाले वहाँ से भाग गए, तो वहाँ से दो छात्रों ने मुझे अस्पताल पहुँचाया और एक छात्र ने मेरा वीडियो बनाकर वायरल किया, क्योंकि कोई मेरी मदद नहीं कर रहा था, तब जाकर अस्पताल ने भी ध्यान दिया, मैं पाँच बजे से अस्पताल में था, अगली सुबह आठ बजे जाकर मेरा ऑपरेशन हुआ. फिर मैंने जब डॉक्टर से पूछा कि मुझे कैसी गोली लगी थी तो उन्होंने कहा कि अभी हम नहीं बता पाएँगे, ये बुलेट फ़ोरेंसिक जाँच के लिए गई है और हम दो दिन बाद आपको बता पाएँगे."
"मगर मैं ख़ुद जानता हूँ कि उसने मेरे सामने मुझे गोली मारी है, तो मैं कैसे मान लूँ कि मुझे कुछ और चीज़ से चोट लगी, वो रिवॉल्वर थी जिससे उसने लगभग 100 मीटर दूर से गोली मारी.
मैंने उससे कहा भी कि मैं प्रदर्शनकारी नहीं हूँ, सर मैं काम से निज़ामुद्दीन जा रहा हूँ, मगर उसने सुना ही नहीं, सीधे गोली चला दी.
मैं सोचता हूँ कि अगर वो गोली ऊपर लग जाती तो मेरे परिवार को कौन देखता, मेरा परिवार मेरी कमाई से चलता है, मैं बड़ा बेटा हूँ, मेरे पिता नहीं हैं."
क्या बोली दिल्ली पुलिस?
उधर, दिल्ली पुलिस प्रवक्ता एमएस रंधावा ने कहा, ''हमारी तरफ से कोई फ़ायरिंग नहीं हुई. न ही किसी की मौत हुई है. 39 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहाँ उनकी मेडिकल जाँच की गई है."
जामिया हिंसा पर दिल्ली पुलिस क्या बोली?
पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि सोशल मीडिया पर जो भी वीडियो वायरल हो रहे हैं, उनकी जाँच की जा रही है और जल्द ही इस बारे में स्थिति स्पष्ट की जाएगी. इस पूरे मामले की जाँच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच करेगी.
उन्होंने कहा, "कुछ सोशल मीडिया में फ़ायरिंग के वीडियो भी चल रहे हैं. बिल्कुल भी फ़ायरिंग नहीं हुई है. उस समय जो हमारा स्टाफ़ था उसके पास आर्म्स वगैरह भी नहीं थे. जितना मिनिमम फ़ोर्स है, उतना हमने इस्तेमाल किया है."

प्रधानमंत्री ने किया बचाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, "बहस, चर्चा और असंतोष लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और आम जीवन को प्रभावित करना लोकतंत्र का हिस्सा नहीं है."
उन्होंने लिखा कि ये वक्त शांति बरतने और एकता दिखाने का है. मैं सभी से अपील करता हूं कि ऐसे समय में किसी भी तरह की अफवाह और झूठ से बचें.
पीएम ने लिखा, "नागरिकता संशोधन एक्ट, 2019 संसद के दोनों सदनों के द्वारा पास किया गया है. बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों और सांसदों ने इस बिल का समर्थन किया है. ये एक्ट भारत की पुरानी संस्कृति जो कि भाईचारा सिखाती है, उसका संदेश देती है." 
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