अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर अली ख़ान महमूदाबाद को ऑपरेशन सिंदूर पर लिखी गई सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ़्तार किया गया था. प्रोफ़ेसर अली ख़ान ने अपनी पोस्ट में कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी जैसी महिला अधिकारियों की तारीफ़ की, लेकिन साथ ही मॉब लिंचिंग और सांप्रदायिक मुद्दों पर टिप्पणी भी की. हरियाणा पुलिस और हरियाणा महिला आयोग ने इस पोस्ट को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा और सामाजिक अशांति का कारण बताया. उन पर भारतीय न्याय संहिता की गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने प्रो. अली ख़ान को अंतरिम ज़मानत दी, लेकिन इसके साथ कुछ सख़्त शर्तें भी लगाईं. ऐसे में कोर्ट की टिप्पणी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उसके दायरे पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. द लेंस के आज के एपिसोड में कलेक्टिव न्यूज़रूम के डायरेक्टर ऑफ जर्नलिज़म मुकेश शर्मा ने इन्हीं सवालों पर बात की एडवोकेट और वैधानिक मामलों पर लगातार लिखने वाले विराग गुप्ता, दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व डीन प्रोफ़ेसर अनीता रामपाल और बीबीसी के वैधानिक मामलों के संवाददाता उमंग पोद्दार के साथ. प्रोड्यूसर: शिवालिका पुरी गेस्ट कोर्डिनेटर: संगीता यादव


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