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दरभंगा के युवक की सऊदी अरब में हत्या, परिजनों को सोशल मीडिया से मिली जानकारी, सरकार से लगाई शव मंगाने की गुहार

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  एक संवाददाता , जाले (दरभंगा)   Sneha Baluni Last Modified: Sun, 24 Apr 2022 6:24 AM     दरभंगा के जाले थाना क्षेत्र के नरौछ निवासी अब्दुल वदूद के पुत्र मो. शफीकुल्लाह (25) की सऊदी अरब के आभा शहर में हत्या कर दी गयी। घटना गत 12 अप्रैल की बतायी जा रही है। शनिवार की शाम यह खबर मिलते ही गांव में शोक की लहर फैल गयी। बताया जा रहा है कि इस घटना की जानकारी शफीकुल्लाह के परिजनों को नहीं दी गई थी।  शफीकुल्लाह के पिता ने बताया कि सोशल मीडिया से यह खबर शनिवार को गांव पहुंची। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो से उन्होंने शव की पहचान हुई। आभा शहर में रह रहे एक व्यक्ति से संपर्क करने पर पता चला कि एक पाकिस्तानी ने भारत के दो लोगों की हत्या कर दी, जिसमें एक शफीकुल्लाह भी था। एक मृतक केरल का रहने वाला बताया जा रहा है। शफीकुल्लाह की मौत की सूचना की पुष्टि हो जाने बाद परिजनों ने आभा शहर से उसके शव को लाने के लिए पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री डॉ. शकील अहमद से संपर्क किया। मृतक के चचेरे भाई खुर्शीद ने बताया कि शफीकुल्लाह के संदर्भ में डिटेल्स डॉ. शकील को भेज दी गई हैं। बताया जाता है कि मैट्रिक पास शफीकुल्ल

धर्म संसद की जांच पर 'बेहतर हलफ़नामा' दाख़िल करे दिल्ली पुलिस: सुप्रीम कोर्ट

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  Reuters Copyright: Reuters सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से दायर किए गए उस हलफ़नामे पर अपना असंतोष जताया है, जिसमें कहा गया कि पिछले साल के दिसंबर में दिल्ली में आयोजित धर्म संसद में कोई हेटस्पीच नहीं दी गई थी. जस्टिस एएम खानविलकर और अभय एस ओका के नेतृत्व वाली पीठ ने इस पर शुक्रवार को अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की. अदालत ने कहा, ''इस हलफ़नामे को डीसीपी द्वारा दाख़िल किया गया है. हम उम्मीद करते हैं कि वो इसकी संवेदनशीलता समझते होंगे. क्या उन्होंने जांच रिपोर्ट को ही फिर से दाख़िल कर दिया है या अपनी अक्ल भी लगाई है?'' सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को अपना रुख़ साफ़ करने का निर्देश देते हुए कहा, ''क्या ये आपका भी रुख़ है या सब इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी की जांच रिपोर्ट को ही आपने यहां पेश कर दिया है?'' Social embed from twitter रिपोर्ट Report this social embed, make a complaint 4 मई तक फिर से दायर करें हलफ़नामा अदालत ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को 4 मई तक 'बेहतर हलफ़नामा' दाख़िल करने का आदेश दिया है. मालूम हो कि 19 दिसंबर, 2021 को दिल्ली में आयोजित हिंदू युव

जीतन राम माँझी ने देश में हर तरह के धार्मिक जुलूस पर रोक लगाने की मांग की

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Getty Images Copyright: Getty Images बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी ने कहा है कि अब वक़्त आ गया है जब देश में हर तरह के धार्मिक जुलूस पर रोक लगा दी जाए. बिहार में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में जीतन राम माँझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) भी शामिल है. जीतन राम माँझी ने ट्वीट कर लिखा है- अब वक्त आ गया है जब देश में हर तरह के धार्मिक जुलूस पर रोक लगा दी जाए. धार्मिक जुलूसों के कारण देश की एकता और अखंडता ख़तरे में पड़ती दिखाई दे रही है. इसे तुरंत रोकना होगा. पहले रामनवमी और फिर हनुमान जयंती के दौरान राजधानी दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में हिंसा हुई थी. View more on  Twitter View more on twitter जीतन राम माँझी ने पिछले दिनों ये कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया था कि वे राम को नहीं मानते. राम कोई भगवान नहीं थे. उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था- तुलसीदास जी ने और वाल्मिकी जी ने अपनी बातों को कहने के लिए एक पात्र बनाया. इस पात्र के माध्यम से उन्होंने यथार्थ को इंगित किया है. काव्य और महाकाव्य में बहुत सी अच्छी बातें हैं. उसको हम मानते हैं. हम तुलसीदास जी को म

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NDA के साथी मांझी का भगवान राम पर फिर विवादित बयान, कहा- हम नहीं मानते

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  बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा-जेडीयू सरकार के सहयोगी जीतन राम मांझी ने भगवान राम को लेकर विवादित बयान देते हुए कहा है कि वह भगवान राम को नहीं मानते हैं। राम को काल्पनिक पात्र बताया। लाइव हिन्दुस्तान , पटना   Sudhir Jha Last Modified: Fri, 15 Apr 2022 10:07 AM     बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा-जेडीयू सरकार के सहयोगी जीतन राम मांझी ने भगवान  राम को लेकर एक बार फिर विवादित बयान दिया है। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा है कि वह भगवान राम को नहीं मानते हैं। उन्होंने खुद को माता सबरी का वंशज तो बताया लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम को काल्पनिक पात्र मानते हैं। जीतनराम मांझी ने छूआछूत की समस्या पर बात करते हुए भगवान राम को लेकर यह विवादित बयान दिया है। गुरुवार को एक कार्यक्रम में जीतन राम मांझी ने सवाल किया कि जो लोग राम को मानते हैं, वह (दलितों) का जूठा क्यों नहीं खाते हैं। उन्होंने कहा कि बड़े लोगों ने सत्ता के लिए लोगों को बांट दिया है। जीतन राम मांझी ने कहा, ''हम तुलीदास जी को मानते हैं, वाल्मीकि जी को मानते हैं। लेकिन राम को हम नहीं मानते, लेक