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'मैंने उससे याचना की थी मुझे मत छूना, लेकिन....'


'मैंने उससे याचना की थी मुझे मत छूना, लेकिन....'

बलात्कार का शिकार
विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रिटेन के आपराधिक गैंग में होने वाले बलात्कार के मामले अक्सर युद्धग्रस्त इलाकों जैसे होते हैं और इनपर उचित ध्यान नहीं दिया जाता.
हिंसाग्रस्त इलाकों में यौन शोषण के मुद्दे पर लंदन में हो रहे वैश्विक सम्मेलन में विशेषज्ञों ने यह बात कही.
लंदन में गैंग के एक सदस्य के साथ रिश्तों के चलते इनके चंगुल में फंस चुकीं 16 साल की टोनी कहती हैं, "मैं ऐसी बहुत कम लड़कियों को जानती हूँ जिनका बलात्कार नहीं हुआ."
हालांकि अभी तक इस बारे में कोई शोध नहीं हुआ है कि यह समस्या कितनी बड़ी है, लेकिन पूरे ब्रिटेन में फ़ुटपाथिया गैंगों द्वारा आस-पड़ोस के इलाकों में बलात्कार किया जाता है.

'मानसिकता'

प्रेक्षकों का कहना है कि पीड़ित महिला एक ऐसी बर्बर स्थिति में फंस जाती है, जैसा हिंसाग्रस्त इलाकों में घटित होता है, लेकिन यह इतना आम हो चुका है कि इसे सामान्य मान लिया जाता है.
बेडफोर्डशायर विश्वविद्यालय में युवाओं के बीच यौन शोषण के विषय पर शोध करने वाली हेलेन बेकेट कहती हैं, "इन गैंगों में संघर्षग्रस्त इलाकों जैसी मानसिकता का अर्थ यह है कि युवा लड़कियों का भयानक यौन शोषण होता है और उनके पुरुष साथी उन्हें बेइज़्ज़त करते हैं."
टोनी के अनुसार, "यदि आप किसी गैंग में एक बार शामिल हो गए तो वहां इतने सारे लोग होते हैं कि आप उन्हें रोक नहीं सकते.''
टोनी जब 15 साल की थीं तब एक 19 साल के गैंग लीडर ने उनकाबलात्कार किया था.
वह याद करते हुए बताती हैं, "मैंने उससे याचना की थी कि मुझे मत छूना, लेकिन वह चिल्लाने लगा, उसने बोतलें फोड़ीं और मेरे परिवार को नुकसान पहुँचाने की धमकी दी."
वह आगे बताती हैं, "मैंने घर जाने की कोशिश की, लेकिन बाकी लड़कों ने मुझे नहीं जाने दिया. कुछ समय बाद मैंने हिम्मत छोड़ दी. मैं कभी भी उस हादसे से उबर नहीं सकी."
लंदन की मेट्रोपोलिटन पुलिस के मुताबिक, लंदन में 200 से ज्यादा गैंग हैं जिनमें 3,500 से अधिक सदस्य हैं.

'अलग भूमिका'

लंदन के आपराधिक गुट
सेफर लंदन फाउंडेशन की यूथ एंबेसडर लोला मुस्तफा कहतीं हैं, "इन सदस्यों में कुछ लड़कियाँ भी होती हैं, लेकिन उनकी भूमिका पुरुष साथियों से अलग होती है."
वह बतातीं हैं, "वे लड़ती नहीं हैं, बल्कि उनका यौन शोषण किया जाता है और एक साधन की तरह इस्तेमाल किया जाता है."
लोला मुस्तफा कहतीं हैं, "एक गैंग अपने दुश्मन को सज़ा देने के लिए उसकी बहन या गर्लफ्रैंड का अपहरण या बलात्कार भी कर सकता है."
इन लड़कियों का इस्तेमाल किसी को फँसाने या विरोधी गैंग को बुलाने के लिए भी किया जाता है, जहां वे उन्हें पीट सकें.
लेकिन इसके बाद वो लड़की ही निशाने पर आ जाती है.
लंदन के ही एक अन्य गैंग में यौन हिंसा का शिकार हो चुकीं 15 साल की राचेल कहतीं हैं, "अगर विरोधी दल के लोग पकड़ लेते हैं तो वो लड़की को मारते हैं और उसका बलात्कार भी करते हैं. लड़की की वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर भी डाल दिया जाता है जिससे उसका जीवन नर्क बन जाता है."
राचेल इस बात की ओर ध्यान दिलाती हैं कि गैंग की सदस्य लड़कियों पर भी 'सेक्स स्लेव' बनाए जाने का ख़तरा होता है.
वो कहती हैं कि उनके साथियों में से ही एक के ब्वॉय फ्रेंड ने उसका बलात्कार किया और फिर यौन शोषण के लिए पूरे गैंग को सौंप दिया.
उन्होंने कहा, ''उन्होंने उसका वीडियो बनाया और यह कहते हुए उसे ब्लैकमेल किया कि यदि वो उनका कहा नहीं मानेंगी तो वे इसे इंटरनेट पर डाल देंगे. यह एक तरह की वेश्यावृत्ति है.''
राचेल कहती हैं कि वो बहुत सी ऐसी लड़कियों को जानती हैं जिन्होंने खुदकुशी की कोशिश की और एक सामाजिक संस्था एनआईए एंडिंग सर्विस से मदद मिलने से पहले वे खुदकुशी की कोशिशों के चलते कई बार अस्पताल भी पहुंचीं.

'समान पहलू'

युवाओं में लिंग समानता के लिए काम करने वाली एक ग़ैर सरकारी संस्था मिसअंडरस्टुड की अध्यक्ष, कारलेन फर्मिन कहती हैं, "इस स्थिति में कई पहलू युद्धग्रस्त इलाकों के समान होते हैं. सबसे पहला यह कि बलात्कार की योजना में कई लोग शामिल होते हैं और यह सार्वजनिक तौर पर किया जाता है, अकेले में नहीं."
फर्मिन बताती हैं, "लेकिन संघर्ष वाले इलाकों में जिस तरह बलात्कार की समस्या से निपटा जाता है और जिस तरह गैंग में इससे निपटा जाता है, दोनों में बहुत अंतर है."
वह आगे कहतीं हैं, "दोनों ही अक्सर दो समूहों के बीच सीमा को लेकर हुए विवाद की वजह से होते हैं, लेकिन गैंगों में बलात्कार का शिकार हुई लड़कियाँ शायद ही कभी मदद या सहायता माँगती हैं या शायद ही कभी उनके साथ हुए अपराध को संज्ञान में लिया जाता है."
राचेल और टोनी दोनों ही फिलहाल देखरेख में हैं और आपराधिक दुनिया से बाहर आने में सफल रही हैं. लेकिन उन्हें अभी भी ख़तरा बना हुआ है इसलिए उनका नाम बदल दिया गया है.
वो अपनी कहानी बताने के लिए इसलिए राज़ी हुईं कि इस बात को बताया जा सके कि ब्रिटेन में ढेरों लड़कियों के साथ क्या घटित हो रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि इनकी कहानियां इतनी आम हैं कि लंदन में एक बड़ी संख्या में किसी भी लड़की से सुना जा सकता है.
राचेल कहती हैं, ''अधिक से अधिक महिलाओं को सामने आने की ज़रूरत है. लड़कियां नहीं जानतीं कि जब वे सेकेंडरी स्कूल में होती हैं तो उनपर यौन शोषण का ज़्यादा ख़तरा होता है. मुझे लगता है उन्हें शिक्षित किया जना चाहिए.''

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