एनडीटीवी इंडिया पर लगाए गए बैन पर क्या है राय - BBC हिंदी


एनडीटीवी इंडिया पर लगाए गए बैन पर क्या है राय
रजनीश कुमार
बीबीसी संवाददाता, दिल्ली

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न्यूज़ चैनल एनडीटीवी इंडिया को 24 घंटे तक प्रसारण बंद करने का जो आदेश मिला है, उसे लेकर केंद्र सरकार की चौतरफा आलोचना हो रही है.
सरकार के इस फ़ैसले से मीडिया विश्लेषक सेवंती नैनन हैरान हैं.
उन्होंने बीबीसी हिंदी से कहा, "इस मामले में कई लोगों को कारण बताओ नोटिस दिया गया है. लेकिन ऐसा लग रहा है कि एनडीटीवी पर दबाव है. कुछ हफ्ते पहले ही चिंदबरम को भी सेंसर किया गया था."
सेवंती ने कहा, "सरकार ने साफ़ कहा कि वह फ़ौज की आलोचना बर्दाश्त नहीं करेगी. अब यदि एनडीटीवी ने कुछ दिखाया है तो दूसरे चैनलों ने भी ऐसा ही कुछ किया होगा. लेकिन उन पर कोई एक्शन लिया गया या नहीं, इसकी अभी तक कोई जानकारी नहीं है."
सूचना प्रसारण मंत्रालय के एक पैनल ने पठानकोट में चरमपंथी हमले को लेकर एनडीटीवी के कवरेज को राष्ट्रीय सुरक्षा पर संकट वाला बताते हुए 24 घंटे की पाबंदी लगा दी है.
सरकार के इस फ़ैसले की एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने भी कड़ी निंदा की है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने एक बयान जारी कर कहा है कि वो इस अप्रत्याशित फैसले की घोर निंदा करता है और मांग करता है कि इस फ़ैसले पर तुरंत रोक लगाई जाए.
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सरकार के एनडीटीवी पर पाबंदी के फैसले से मीडिया विश्लेषक सेवंती नैनन भी हैरान हैं.
सरकार का दावा है कि पठानकोट हमले पर एनडीटीवी इंडिया की कवरेज से संवदेनशील सूचनाएं आतंकवादियों के पास पहुंचीं.
एनडीटीवी ने अपने जवाब में कहा कि उसने कोई भी गोपनीय सूचना सार्वजनिक नहीं की है.
चैनल का कहना है कि उसकी कवरेज में जो चीजें आईं, वो पहले से ही सार्वजनिक हैं.
सेवंती ने कहा कि एनडीटीवी पर प्रेशर ज्यादा है और यह फ़ैसला एकतरफा लिया गया है क्योंकि ऐसा किसी नियम के तहत नहीं किया गया.
उन्होंने बताया कि सरकार ने यह कदम एनडीटीवी के इस बात को स्पष्ट करने के बावजूद उठाया है कि वह सरकार की सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े नहीं करेगी. सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ वह कोई कोताही नहीं बरतना चाहती है.
दूसरी तरफ़ सरकार के इस फ़ैसले के बाद कहा जा रहा है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला कर रही है.
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पंजाब के पठानकोट स्थित एयरबेस पर जनवरी में चरमपंथी हमला हुआ था.
इस सवाल पर कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को चुनौती दी जा रही है? सेवंती नैनन ने कहा, "कुछ भी कह सकते हैं. सरकार के लिए मीडिया को काउंटर करना मुश्किल है. यह बिल्कुल सही है कि हमले की कवेरज के दौरान मीडिया को सावधान रहना चाहिए. लेकिन यह सरकार हर बात पर राष्ट्रीय सुरक्षा को मु्द्दा बना रही है."
नैनन ने बताया, "मोदी सरकार का जिस मीडिया हाउस के साथ बढ़िया सबंध है, उससे उन्हें कोई दिक्क़त नहीं है. लेकिन जो उनके साथ नहीं है, उनके प्रति सरकार का रुख़ आक्रामक रहा है."
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी इस फ़ैसले के लिए केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया.
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वकील प्रशांत भूषण
प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर कहा, "कल मोदी ने अच्छी पत्रकारिता के लिए गोयनका अवॉर्ड बांटते हुए कहा था कि आपातकाल को हमें नहीं भूलना चाहिए और आज एनडीटीवी को बैन कर दिया. यह कैसा पाखंड है? यह मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर करारा हमला है."
मानवाधिकार कार्यकर्ता और सुप्रीम कोर्ट की वकील इंदिरा जयसिंह ने भी सरकार से सवाल किया है कि आख़िर किस नियम के तहत एनडीटीवी पर पाबंदी लगाई गई है.
जनवरी में पंजाब के पठानकोट स्थित एयरबेस पर चरमपंथी हमला हुआ था. इसमें सुरक्षा बल के सात जवान और पांच चरमपंथी मारे गए थे.
http://www.bbc.com/hindi/india-37869690

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