कश्मीर मसले का शांतिपूर्ण हल तलाशें भारत-पाकिस्तान: मलेशियाई प्रधानमंत्री


मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मदइमेज कॉपीरइटEPA/UN PHOTO/CIA PAK HANDOUT
मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मद ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में कश्मीर मसले का ज़िक्र करते हुए कहा है कि ये भारत और पाकिस्तान के बीच का मुद्दा है जिसे शांतिपूर्ण तरीकों से सुलझाया जाना चाहिए.
बीते शुक्रवार संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों से भरी महासभा को संबोधित करते हुए महातिर मोहम्मद ने कहा कि जम्मू कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के बावजूद जम्मू कश्मीर पर हमले हुए और इसके इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया गया.
उन्होंने कहा कि "ऐसा करने के कारण बताए गए हैं लेकिन ऐसा करना ग़लत है."
उन्होंने कहा कि "इस तनाव को सुलझाने के लिए भारत को पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव की अनदेखी करने से यूएन की बातों को नज़अंदाज़ करने का उदाहरण तो स्थापित होगा ही, साथ ही ये कानून के शासन का सम्मान न करने के बराबर है."
महातिर मोहम्मद ने पिछले साल 92 साल की उम्र में आम चुनावों में ऐतिहासिक जीत हासिल कर 15 सालों बाद सत्ता में वापसी की थी.

विश्व में हो मुक्त व्यापार व्यवस्था

महातिर मोहम्मद ने विकासशील देशों की तरफ इशारा करते हुए कहा "दुनिया के सभी देश तरक्की करना और अपनी अर्थव्यवस्था को आगे ले जाना चाहते हैं. कई देश हैं जिनकी संपत्ति को उपनिवेशवाद के दौरान लूटा गया. उन पर शासन करने वाले धनी होते गए लेकिन फिर भी उन्हें विकास करने का मौक़ा ज़रूर मिलना चाहिए और मुक्त व्यापार की व्यवस्था होनी चाहिए."
उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया एक बड़े बाज़ार में तब्दील हो चुकी है और ऐसे में किसी तरह का ट्रेड वॉर सकारात्मक नहीं है.

'कुछ देश कर रहे हैं दुनिया पर काबू करने की कोशिश'

उन्होंने कहा कि "करीब 75 साल पहले, द्वितीय विश्व युद्ध में पांच ताकतों ने अपनी जीत का दावा किया और वो अपनी ताकत को और पुख़्ता करने में लगी हुई हैं. उन्होंने इस विश्व को चलाने के लिए संस्थाएं बनाईं और उनका दावा रहा है कि ये संस्थाएं दुनिय में शांति की स्थापना के लिए काम करेंगी. लेकिन उन्होंने खुद को वीटो पावर दी है जो दूसरों के ख़िलाफ़ रहीं."
फ़लस्तीनी युवकइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
Image captionइसराइली सुरक्षाबलों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करते एक फ़लस्तीनी युवक
इसराइल के मुद्दे पर महातिर मोहम्मद ने कहा कि "ये कुछ देश दूसरे देशों को अलोकतांत्रिक होने के लिए सज़ा देने का काम करती हैं लेकिन क्या इसे हमेशा के लिए जारी रखा जाना चाहिए? इन देशों को लगता है कि उनके पास हथियारों की ताकत होनी चाहिए और इस कारण उन्होंने हथियार जमा करने की होड़ सी शुरु कर दी है."
उन्होंने कहा कि "हथियारों की बिक्री चलती रहे इसके लिए ये देश दो देशों के बीच तनाव जारी रखते हैं. इसराइल इसी की उदाहरण है लेकिन हमें शांति की राह के बारे में सोचना होगा."
उन्होंने कहा कि मलेशिया इसराइल के अस्तित्व को स्वीकार करता है लेकिन येरुशलम और फ़लस्तीनियों के हिस्से पर कब्ज़े की वो आलोचना करता है. हाल में चरमपंथ का मुद्दा उठाया जा रहा है लेकिन दो मुल्कों के बीच तनाव के कारण मुसलमानों और इस्लाम के प्रति नफरत और हिंसा बढ़ी है.
न्यूयॉर्क में महातिर मोहम्मद ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और तुर्की के राष्ट्रपति रचेप तैय्यप अर्दोआन से मुलाकात की.
तीनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच इस्लाम को बेहतर समझने और इसके बारे में सच्चाई बताने के लिए एक टेलीविज़न चैनल बनाने पर सहमति बनी है.
महातिर मोहम्मद ने कहा कि "मैं मानता हूं कि तानाशाही के मुकाबले गणतंत्र शासन का बेहतर तरीका है, लेकिन मैं ये नहीं कहता कि गणतंत्र का शासन कायम रखना आसान होता है."
उन्होंने कहा, "गणतंत्र की स्थापना कोई हज़ारों साल पहले नहीं हुई. कई देशों ने रातोंरात गणतंत्र अपना लिया और इस कारण वहां गृह युद्ध की स्थिति पैदा हुई."
यमन में जारी गृहयुद्धइमेज कॉपीरइटREUTERS
Image captionये तस्वीर यमन में अदन बंदरगह के नज़दीक की है जहां एक तेल टैंकर में यमन के विद्रोही लड़ाकों ने आग लगा दी थी

'युद्ध से बचें, युद्ध अपराध है'

महातिर मोहम्मद ने कहा, "मलेशिया ने युद्ध को अपराध घोषित करने के लिए अभियान शुरु किया है."
उन्होंने कहा, "हम यदि एक व्यक्ति को हत्या के लिए सज़ा देते हैं, तो हज़ारों लोगों की मौत के मुंह में धकेलने का काम करने वालों को सज़ा मिलनी चाहिए, उनका महिमामंडन नहीं किया जाना चाहिए."
"हम खुद को सभ्य कहलाना पसंद करते हैं लेकिन हम असल में प्राचीन हैं."
"युद्ध में हर कोई हमेशा नहीं जीत सकता, किसी एक को हर हाल में हारना ही होगा. इस बात को समझना ज़रूरी है."
कोलंबिया में जगलों में लगी आगइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
Image captionकोलंबिया में जगलों में लगी आग के कारण सैंकड़ों हेक्टेयर जंगल तबाह हो गए हैं
महातिर मोहम्मद ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिए यूरोपीय देश ही चिंतित नहीं हैं बल्कि विकासशील देश भी चिंतित हैं.
"दुनिया में एक बार फिर वही हो रहा है जो लाखों साल पहले हुआ था. दुनिया का मौसम बदल रहा है. हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी में अपना वक्त लगाएं न कि आपस में युद्ध करने में."
"जलवायु परिवर्तन से निपटने की बजाय देश अपना पैसा घातक और खतरनाक हथियार बनाने और जमा में लगे हैं, जिसके बारे में गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है."
महातिर मोहम्मद ने कहा, "हमें युद्ध को बढ़ावा देने वालों को रोकना होगा और यही हमारा महत्वपूर्ण काम होना चाहिए. तभी हम खुद को सभ्य कह सकते हैं."

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