क्या होते हैं क्वारंटीन (Quarantine)आइसोलेशन(Isolation) Social Distancing (सोशल डिस्टेंसिंग) पैंडेमिक(Pandemic), Incubation (इन्क्यूबेशन)कोरोना वायरस से जुड़े इन शब्दों को जानना जरूरी है


क्या होते हैं क्वारंटीन, आइसोलेशन और पैंडेमिक? कोरोना वायरस से जुड़े इन शब्दों को जानना जरूरी है


   

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बाईं तरफ प्रोटेक्टिव सूट में बैठा एक आदमी, दाईं तरफ केमिकल्स को ध्यान से देखता एक साइंटिस्ट. कोरोना वायरस से जुड़े कई नए शब्द पढ़ने को मिल रहे हैं. (सांकेतिक तस्वीरें: pexels)

अरे हमने तो खुद को आइसोलेशन में रखा है.
तुमने पढ़ा? विदेश से आने वाले लोगों को क्वारंटीन कर रहे हैं.
 COVID 19 को पैन्डेमिक घोषित कर दिया गया है.
इस तरह की खबरें आप तक पहुंच रही होंगी. लेकिन इन सभी ख़बरों में कई ऐसे शब्द इस्तेमाल हो रहे हैं जो पहले आम तौर पर इस्तेमाल नहीं हो रहे थे, यानी बोलचाल की भाषा का हिस्सा नहीं थे. लेकिन अब धीरे-धीरे बन रहे हैं. क्यों? कोरोना वायरस की वजह से.
नोवेल कोरोना वायरस. जिससे COVID 19 इन्फेक्शन होता है. इसकी वजह से पूरी दुनिया में 16 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. चीन के अलावा इटली, स्पेन, और जर्मनी जैसे देश बहुत बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. इस वजह से भी ये ख़बरों का मुख्य हिस्सा बना हुआ है. रोज इससे जुड़े अपडेट्स के साथ नए-नए शब्दों का इस्तेमाल हो रहा है. इन सभी शब्दों का क्या मतलब है, और इनका इस्तेमाल कहां और कैसे किया जाता है, आप यहां पढ़ सकते हैं.
1. COVID-19
कोरोना वायरस का तकनीकी नाम है SARS-CoV-2.. इसकी वजह से जो बीमारी होती है उसे कहते हैं कोरोना वायरस डिसीज़. इसका पहला मामला 2019 में सामने आया, इसलिए उसके साथ 19 लिखा जाता है. वायरस अपने आप में बीमारी नहीं है. उससे होने वाली बीमारी का नाम COVID-19 है. इसमें सांस लेने में तकलीफ, सूखी खांसी, बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

माइक्रोस्कोप के नीचे दिखाई देने वाला कोरोना वायरस. (तस्वीर: Nature)

2. Pandemic (पैन्डेमिक)
ये शब्द बहुत गंभीर है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने पिछले हफ्ते COVID-19 को पैन्डेमिक घोषित किया था. इस शब्द का मतलब होता है वैश्विक महामारी. जब कोई बीमारी एक देश या उसके आस पास के क्षेत्रों से निकल कर वैश्विक स्तर पर फ़ैल जाए, तो उसे पैन्डेमिक कहा जाता है. ये शब्द बीमारी के एक क्षेत्र से काबू से बाहर हो जाने पर ही इस्तेमाल होता है. जैसे अगर कोई बीमारी सिर्फ अमेरिका या चीन तक सीमित हो, तो उसे एपिडेमिक कह सकते हैं. लेकिन जब वो उस देश से निकल कर अफ्रीका और भारत पहुंच जाए, तो उसे पैन्डेमिक कहा जाएगा.

वैश्विक महामारी को पैन्डेमिक कहते हैं. ये काफी गंभीर स्थिति होती है. काफी सोच समझकर इस शब्द का इस्तेमाल होता है. (सांकेतिक तस्वीर: Pexels)

3. Social Distancing (सोशल डिस्टेंसिंग)
सोशल यानी सामाजिक. डिस्टेंस यानी दूरी. इसका मतलब होता है लोगों से मिलना-जुलना, उनसे ज्यादा सम्पर्क रखना बंद कर देना. उन सभी जगहों से बचकर रहना जहां लोग इकठ्ठा हो सकते हों. जैसे स्कूल, कॉलेज, म्यूजिक कॉन्सर्ट, फेस्ट, सिनेमाघर इत्यादि. ये वायरस खांसने या छींकने वालों के संपर्क में आने पर फैलता है. इसे बढ़ने से रोकने के लिए लोग आपस में दूरी बढ़ा लेते हैं. एक-दूसरे के करीब जाना बंद कर देते हैं. नहीं, इमोशनली नहीं. फिजिकली. अधिकतर लोग आपस में कम से कम एक मीटर की दूरी बनाकर रखते हैं. इसे ही सोशल डिस्टेंसिंग कहा गया है. आप चाहे बीमार हों या न हों, बूढ़े हों या जवान हों, वायरस के इस तरह फैलने की स्थिति में आपको इसे फॉलो करना ही चाहिए.
4. Incubation (इन्क्यूबेशन)
वायरस शरीर के संपर्क में आता है , तो फ़ौरन बीमारी के लक्षण नहीं दिखते. इन लक्षणों को दिखने में कुछ समय लगता है. इस वायरस के मामले में ये समय दो से चौदह दिन का है. जो समय लक्षणों को दिखने में लगता है, उसे ही इन्क्यूबेशन पीरियड कहते हैं. इस दौरान व्यक्ति इन्फेक्टेड होता है, लेकिन लक्षण नहीं दिखने की वजह से बाकी लोगों तक भी इस वायरस को फैला सकता है. इसलिए किसी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने के बाद खुद पर नज़र रखना ज़रूरी है.

वायरस के लक्षण दिखने में जो समय लगे, उसे इन्क्यूबेशन पीरियड कहा जाता है. (सांकेतिक तस्वीर: Pexels)

5. Self- Isolation (सेल्फ-आइसोलेशन)
इसका मतलब खुद को संक्रमित लोगों से दूर रखने के लिए अलग कर लेना. ये बचाव वाला कदम है. ताकि आप लोगों के संपर्क में आएं ही नहीं. अगर आप स्वस्थ हैं, तो बाहर जाना या मिलना-जुलना कम  करने के लिए खुद को एक निश्चित जगह तक सीमित रखना सेल्फ आइसोलेशन कहलाता है. ये आप घर पर करें तो बेहतर.

सेल्फ आइसोलेशन और सेल्फ क्वारंटाइन में अंतर है. इन दोनों को अदल बदल कर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. (सांकेतिक तस्वीर: Pexels)

6. Self Quarantine (सेल्फ क्वारंटीन)
क्वारंटीन का मतलब होता है किसी ख़ास क्षेत्र के बाहर से आए किसी भी जीवित व्यक्ति या पशु को अलग इलाके में रखना. ताकि उसके साथ अगर कोई इन्फेक्शन या बैक्टेरिया/वायरस आए हैं तो उन्हें फैलने से रोका जा सके. उनके लक्षणों पर नज़र रखी जा सके और संबंधित व्यक्ति का इलाज किया जा सके. ख़ासतौर पर जब वो व्यक्ति या जानवर ऐसे इलाके से आया हो जहां किसी तरह का संक्रमण फैला हो.
सेल्फ क्वारंटीन का मतलब ऐसे समझिए. अगर आप ऐसे इलाके में हैं जहां संक्रमण फैला है, या आप ऐसी जगह से ट्रैवल करके आए हैं जहां पर इस संक्रमण के मामले सामने आये हैं, तो आप खुद को 14 दिनों तक अलग रहकर ये देखें कि आपमें कहीं लक्षण तो नहीं दिख रहे. सलाहियत यही है कि अपने घर में रहें. किसी से मिले-जुलें नहीं, बाहर कम से कम जाएं. आस-पास अगर लोग हों तो उनसे तीन से छह फ़ीट की दूरी बनाए रखें.

पूरे विश्व में फ़ैल चुकी इस बीमारी से बचना तभी सम्भव है जब इन्फेक्शन से दूर रहने की भरपूर कोशिश की जाए. अगर किसी संक्रमित व्यक्ति के आस -पास रह चुके हैं, या उनसे सम्पर्क हुआ है, तो आपकी जिम्मेदारी है कि आप इस वायरस के कैरियर बन कर उसे आगे न बढ़ाएं. (सांकेतिक तस्वीर: Pexels)

7. Herd immunity (हर्ड इम्युनिटी)
Herd शब्द का मतलब होता है झुंड. जब लोगों का एक बड़ा झुंड किसी संक्रामक बीमारी से इम्यून हो जाता है, यानी उस रोग का प्रतिरोधक हो जाता है, तो उसे हर्ड इम्युनिटी कहा जाता है. ये सिर्फ संक्रामक बीमारियों के लिए इस्तेमाल होता है. कोरोना वायरस के लिए भी ये कहा जा रहा है कि एक बार अगर काफी लोग इसकी चपेट में आकर ठीक हो गए, तो फिर ये वायरस उनसे आगे नहीं फैलेगा. इस तरह इम्यून हो चुके लोगों के पास अगर कमज़ोर इम्युनिटी वाले लोग भी हों, तो भी उन्हें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि ये वायरस उन तक नहीं पहुंच पाएगा. ऐसा दो तीन तरीकों से हो सकता है.
एक – वैक्सीन लगाई जाए. बड़ी संख्या में वैक्सीन लगेगी तो बड़ी संख्या में लोग इस बीमारी से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बना लेंगे. फिर उनसे इस बीमारी का वायरस आगे नहीं फैलेगा. तो जो लोग बीमार पड़ सकते हैं, उन तक ये वायरस पहुंचने की आशंका बेहद कम रह जाएगी.
दो– बड़ी संख्या में लोग इन्फेक्ट हों, ठीक हों, और इस वजह से उनका शरीर इसके लिए इम्यूनिटी विकसित कर ले. जब ढेर सारे लोग इन्फेक्ट हो कर ठीक हो जाएंगे, तो उनसे भी ये वायरस आगे नहीं फैलेगा. वो एक सुरक्षात्मक दीवार की तरह काम करेंगे अपने आस-पास के लोगों के लिए.

ऊपर वाली तस्वीर में देख सकते हैं कि किस तरह कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों (पीला रंग) के बीच वायरस (लाल रंग) तेजी से फैलता है. वहीं निचली तस्वीर में अगर ताकतवर इम्यूनिटी वाले लोग (हरा रंग) ज्यादा हों तो कमजोर व्यक्ति तक वायरस पहुंचने के चांसेज कम हो जाते हैं. (सांकेतिक तस्वीर: British Centre for Immunology)

8. Coronnials (कोरोनियल्स)
ये सोशल मीडिया का दिया हुआ शब्द है. साइंस से इसका कोई लेना-देना नहीं है. इस वक़्त कई देशों में सरकारें अपने नागरिकों को सेल्फ आइसोलेशन या क्वारंटीन में रहने को कह रही हैं. कंपनियां इस वजह से लोगों को घर से काम करने को कह रही हैं. तो लोगों के मुताबिक़, इस पीरियड के दौरान जो लोग घर पर रहेंगे, उनमें से कई एक दूसरे के पार्टनर भी होंगे. घर पर साथ ज्यादा समय बिताएंगे तो हो सकता है कई लोग सेक्स भी करें. इसकी वजह से नौ महीने बाद जो बच्चे पैदा होंगे, उन्हें कोरोनियल्स कहा जाएगा. ये मिलेनियल्स शब्द की तर्ज पर बनाया गया है. ज्यादा सीरियस मामला नहीं है. हालांकि अगर आप ये जानना चाहते हैं कि ये मिलेनियल्स शब्द कहां से आया और इसका क्या इतिहास है, तो आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं.
9. Flattening the Curve (फ्लैटेनिंग द कर्व)
कर्व यानी उभार/वक्र. फ्लैट यानी चपटा. इस फ्रेज का मतलब हुआ उभार को चपटा करना. इसका क्या मतलब भई. इसके लिए आपको समझना होगा कि किस कर्व की बात हो रही है. ये इमेज देखिए.

(तस्वीर साभार: सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन)

इस इमेज में आपको दो कर्व दिखाई देंगे. एक ऊंचा है. एक थोड़ा सपाट है. ये वक्र क्या माप रहे हैं? कि समय के साथ कोरोना के इन्फेक्शन में कितना चढ़ाव आया है. जो ऊंचा वक्र है, वो दिखाता है कि इन्फेक्शन अगर बिना रोके फैलने दिया जाए तो कितने लोग इन्फेक्ट होंगे. जितना ऊंचा वक्र, उतने ज्यादा लोग. वहीं निचला वक्र दिखाता है कि अगर लोग संयम बरतें, तो मामला कितना कंट्रोल किया जा सकता है. यानी अगर लोग खुद से सोशल डिस्टेंसिंग/ सेल्फ आइसोलेशन/सेल्फ क्वारंटीन जैसे कदम उठाएं, तो वायरस को तेजी से फैलने से रोका जा सकता है. इस तरह रोज आने वाले केसों की संख्या में कमी आएगी. और वक्र की उंचाई कम हो जाएगी. इस तरह वो चपटा होता जाएगा. इसी को फ्लैटेनिंग द कर्व कहा जाता है.
10. Patient 31 (पेशेंट 31)

इस टर्म का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जो बड़ी संख्या में इन्फेक्शन फैला दे. (सांकेतिक तस्वीर)

ये टर्म दक्षिण कोरिया से आया है. यहां पर 20 जनवरी को पहली बार वायरस का पता चला. जो पहले 30 पेशेंट निकले, उन्होंने अपना खूब ध्यान रखा. लोगों से मिले-जुले नहीं. वायरस को फैलने से बचा लिया. इस तरह मामले नहीं बढ़े. लेकिन जो 31वीं पेशेंट थी, 61 साल की एक महिला, उसने गलती कर दी. वो एक चर्च के फंक्शन में गई, और वहां पर कई लोगों से मिली. घूमी-फिरी. डॉक्टर्स ने उसे खुद को आइसोलेट करने की सलाह दी थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया.
कोरियन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने पाया कि वो कम से कम 1, 160 लोगों के सम्पर्क में आई थी. फरवरी के दूसरे सप्ताह तक आते-आते साउथ कोरिया में स्थिति बहुत बिगड़ गई, और उसका ठीकरा इसी 31वें पेशेंट के सिर पर फूटा. अब ये टर्म किसी भी ऐसे इंसान के लिए इस्तेमाल होता है जिसने इन्फेक्टेड होने के बावजूद कई लोगों से सम्पर्क किया हो. और इस वजह से वायरस को काफी फैला दिया हो. कोरोना वायरस आम सर्दी-जुकाम के वायरस से तीन गुना संक्रामक है, इसलिए बेहद तेजी से फैलता है.
आपको भी अगर इनके अलावा कोई ऐसा शब्द पढ़ने/सुनने या देखने को मिला हो, तो हमें बताइए. हम उसका मतलब बताने की पूरी कोशिश करेंगे.
https://www.thelallantop.com/bherant/covid-19-novel-corona-virus-terminology-quarantine-isolation-herd-immunity-coronnials/
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