कोरोना वायरस: क्या तब्लीग़ी जमात के प्रमुख मौलाना साद ने पीएम-केयर्स में 1 करोड़ रुपये दान किए- फ़ैक्ट चेक


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भारत में कोरोनावायरस के मामले

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स्रोतः स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
19: 53 IST को अपडेट किया गया
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए कई राज्य सरकारें अपने राज्य के लिए लॉकडाउन की अवधि बढ़ा रही हैं. लेकिन इस लॉकडाउन में जो चीज़ लोगों तक सबसे आसानी से पहुंच रही है वो है फ़ेक और अप्रमाणिक जानकारियां.
कोविड-19 से लड़ने के लिए केंद्र सरकार के नए राहत कोष पीएम-केयर्स में आम से लेकर नामचीन हस्तियां तक योगदान दे रही हैं.
बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक अंग्रेज़ी अख़बार की तस्वीर ख़ूब शेयर की जा रही है. इस अख़बार की ख़बर में दावा किया जा रहा है कि तब्लीग़ी जमात के मौलवी मोहम्मद साद ने 28 मार्च को पीएम-केयर्स फ़ंड में 1 करोड़ रुपये का सहयोग दिया है.
इस तस्वीर को शेयर करते हुए ये भी दावा किया गया है कि ''उनसे पूछा गया कि आपने ये बात सबको क्यों नही बताई तो उन्होंने जवाब दिया कि- इस्लाम दान के दिखावे की इजाज़त नही देता"
दरअसल मौलाना मोहम्मद साद कांधलवी तब्लीग़ी जमात के प्रमुख हैं. बीते महीने जब उन पर मरकज़ के धार्मिक आयोजन के कारण कोविड-19 के संक्रमण के मामले बढ़ाने के आरोप लगे तो उनका नाम सुर्ख़ियों में आया. इस आयोजन और संक्रमण के फैलने का ज़िम्मेदार मौलवी साद को बताया जा रहा है.
अब बात करते हैं मौलवी साद को लेकर किए जा रहे इस दावे की. जिस अख़बार की तस्वीर के साथ ये दावा किया जा रहा है उसमें 30 मार्च, 2020 की तारीख़ दी गई है.
हमने अख़बार की तस्वीर में लिखी अन्य हेडलाइन के की-वर्ड से सर्च किया. ऐसा करते हुए हमें बीबीसी के ही एक पुराने नॉर्दन आयरलैंड के अख़बारों की समीक्षा वाला आर्टिकल मिला
इस आर्टिकल में नॉर्दन आयरलैंड के अख़बार 'न्यूज़ लेटर' के पहले पन्ने की तस्वीर हमें मिली. इसमें वही खबरें थीं जो मौलवी साद के दावे के साथ शेयर की जा रहे अख़बार की फोटो में भी दिख रही थीं. लेकिन इसकी पहली तस्वीर बदल दी गई थी.
जहां मौलवी साद की तस्वीर के साथ ये दावा है कि उन्होंने पीएम-केयर्स में 1 करोड़ की राशि दान की है, दरअसल वहां ब्रिटेन की महारानी और अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की तस्वीर थी. ये 6 जून, 2019 की तारीख़ का अख़बार है.
अमरीकी राष्ट्रपति पिछले साल जून में ब्रिटेन के तीन दिवसीय दौरे पर थे और इस दौरान उन्होंने ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वीतीय के साथ द्वीतीय विश्व युद्ध के सबसे महत्वपूर्ण सैन्य अभियान 'डी-डे' की 75वीं वर्षगांठ के समारोह में शिरकत की थी. इसे ज़्यादातर अख़बारों के पहले पन्ने पर जगह दी गई थी.
मौलाना साद
अब भारत में इस पुरानी तस्वीर को एडिट करके मौलवी साद के पीएम केयर्स में सहयोग देने का दावा किया जा रहा है.
इस मॉर्फत तस्वीर पर आसानी से यक़ीन किया जा सके इसके लिए इसमें दो और ख़बरें बदली गई हैं. असली अख़बार के दाईं ओर ब्रिटिश एथीलीट ग्रेग रेदरफ़ोर्ड के इंटरव्यू को हटाकर अज़ीम प्रेमजी के कोविड-19 से निपटने के लिए दी गई सहयोग राशि की ख़बर लगा दी गई. साथ ही टोरी नेता की एक अन्य ख़बर को हटा कर स्पेन में कोरोना के क़हर की एक हेडलाइन लगा दी गई है.
बीते लगभग एक सप्ताह से सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को एक कम्यूनल एंगल के साथ पेश किया जा रहा है. धार्मिक आस्था को टार्गेट करते हुए कई पोस्ट वायरल किए जा रहे हैं.
बीबीसी ने अपनी पड़ताल में पाया है कि अख़बार की तस्वीर के साथ मौलवी साद के पीएम-केयर्स में एक करोड़ का योगदान देने का ये दावा पूरी तरह झूठा है.
कोरोना वायरस

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"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

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