कोरोना: ठीक होने के बाद क्या दोबारा हो सकता है?

कोरोना: ठीक होने के बाद क्या दोबारा हो सकता है?




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विज्ञान कहता है कि एक बार किसी वायरस का संक्रमण होने के बाद इंसानी शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति उस वायरस से लड़ना सीख जाती है. इस कारण वो वायरस उस इंसान को फिर से नुक़सान नहीं पहुंचा सकता.
लेकिन क्या आप एक बार कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो गए हैं तो ये वायरस आपको दोबारा संक्रमित करेगा?
किन लोगों को इससे अधिक ख़तरा है और क्या आपके कपड़ों पर ये वायरस एक्टिव रह सकता है?



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1. ठीक होने के बाद दोबारा हो सकता है कोरोना?
अभी ये ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता क्योंकि कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला मामला अभी दिसंबर के आस-पास ही सामने आया है.
हालांकि पहले के वायरसों के अनुभव से ये कहा जा सकता है कि एक बार संक्रमण के बाद वायरस के ख़िलाफ़ शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति एंटी बॉडीज़ बना लेती है. इससे भविष्य के लिए इस वायरस से बचाव हो जाता है.
उदाहरण के तौर पर सार्स और मार्स वायरस (जो कि कोरोना वायरस की फैमिली से ही हैं) की पहले की किस्मों में दोबारा संक्रमण देखने को नहीं मिला.
हालांकि चीन से मिल रही ताज़ा रिपोर्टों में ये बात कही जा रही है कि अस्पताल से डिस्चार्ज किए जाने के बाद भी कुछ लोगों में फिर से संक्रमण पाया गया है. लेकिन पुख्ता तौर पर इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता.



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2. क्या पब्लिक स्विमिंग पूल में नहाना सुरक्षित है?
ज़्यादातर जगहों में स्विमिंग पूलों में क्लोरीन डाला जाता है जिससे वायरस खत्म हो जाते हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि स्विमिंग पूल में क्लोरीन ठीक मात्रा में मिलाया गया है तो वो सुरक्षित है.
लेकिन यूके जैसे कई देश लोगों को सार्वजनिक जगहों पर जाने से मना कर रहे हैं क्योंकि किसी संक्रमित व्यक्ति से संपर्क में आने संक्रमण का पर ख़तरा हो सकता है. चेंजिंग रूम या बिल्डिंग में किसी वस्तु या दरवाज़ों को छूने से संक्रमण का ख़तरा हो सकता है.
यदि कोई संक्रमित व्यक्ति पूल में आपके नज़दीक हो और खांस दे या छींक दे तो भी आपको संक्रमण का ख़तरा हो सकता है.



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3. किस सतह पर वायरस कितनी देर ज़िंदा रहता है?
ये इस बात पर निर्भर करता है कि सतह कौन सी है. दरवाज़े का हैंडल, लिफ्ट बटन जैसे धातु जैसी सतहों पर ये 48 घंटों तक एक्टिव रह सकते हैं.
कुछ पुराने रिसर्च के आधार पर कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस अनुकूल परिस्थितियों में एक हफ्ते तक भी एक्टिव रह सकते हैं.
कपड़ों जैसे नरम सतहों पर कोरोना वायरस बहुत लंबे वक्त तक नहीं जिंदा रहता. ऐसे में अगर आप एक दो दिन तक एक ही कपड़ा नहीं पहनते तो वायरस एक्टिव नहीं रहेगा.
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि किसी संक्रमित सतह को छूने से आपको कोरोना वायरस हो ही जाएगा. जब तक ये आपके मुंह, आंख, नाक के ज़रिए आपके शरीर में नहीं जाता, तब तक आप ठीक हैं. इसलिए अपने मुंह को छूना या बिना हाथ धोए खाना बंद कर दें.



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4. क्या कोरोना का संक्रमण फोन से भी हो सकता है?
माना जाता है कि कोरोना वायरस का संक्रमण छींकने या खांसने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हो सकता है. लेकिन जानकारों का कहना है कि ये वायरस किसी सतह पर भी अस्तित्व में रह सकता है और वो भी संभवतः कई दिनों तक.
इसलिए ये अहम है कि आपका फोन चाहे घर पर हो या दफ़्तर में पूरी तरह से बार-बार साफ़ हो. सभी प्रमुख फोन बनाने वाली कंपनियां मोबाइल फोन को एल्कोहॉल से, हैंड सैनिटाइज़र से या स्टरलाइजिंग वाइप्स से साफ़ करने को लेकर आगाह करती हैं क्योंकि इससे फोन की कोटिंग को नुक़सान होने का ख़तरा रहता है.
इस कोटिंग लेयर को नुक़सान पहुंचने से कीटाणुओं के लिए मोबाइल फोन में फंसे रहना आसान हो जाता है. आजकल जो मोबाइल फोन आते हैं, उनके बारे में कहा जाता है कि वे वाटर रेजिस्टेंस होते हैं यानी पानी से उनको कम ख़तरा रहता है.
अगर ऐसा है तो आप फोन को साबुन और पानी या फिर पेपर टॉवल से साफ़ कर सकते हैं लेकिन ऐसा करने से पहले ये ज़रूर जांच लें कि आपका फोन वाटर रेजिस्टेंस है या नहीं.



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5. ऐसा क्या है जो आपको नहीं करना चाहिए?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि धूम्रपान करने, मास्क पहनने या एंटी बायोटिक लेने से कोविड 19 से आपका बचाव नहीं हो सकता है. बल्कि इससे आपका नुक़सान ही हो सकता है.
न तो अब तक इसकी कोई वैक्सिन यानी टीका आया है और न ही इसके बचाव के लिए कोई एंटी वायरल दवाई बनाई गई है.



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6. कितने दिन में आपको वायरस हो सकता है और कितने दिन के लिए आप बीमार हो सकते हैं?
कोरोना वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड या संक्रमण होने और लक्षण दिखने तक का वक्त - अमूमन 14 दिन है. अब तक जो मामले सामने आए हैं उनके आधार पर कहा जा रहा है कि संक्रमण के 5 दिन के भीतर लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं.
5 में से 4 लोगों के लिए ये फ्लू जैसे लक्षणों के साथ मामूली बीमारी की तरह दिख सकती है. अधिकतर लोगों में इसके प्रारंभिक लक्षण बुखार और सूखी खांसी होते हैं और इन लक्षणों से आप एक हफ्ते में रिकवर भी हो सकते हैं. कई लोगों को तो शायद पता भी नहीं होता है कि उन्हें कोरोना संक्रमण है.
मुश्किल तब होती है जब ये वायरस फेफड़ों में पहुंचता है और वहां एयरसैक बनाने लगता है. इसके बाद व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ़ हो सकती है और उसे निमोनिया हो सकता है.
चीन में जो लोग इस वायरस के कारण ज़्यादा बीमार थे, उन्हें करीब 3 हफ्ते तक अस्पताल में रखा गया. कई लोगों की मौत हुई और ज़्यादातर लोग वापस ठीक भी हो गए हैं.



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7. सबसे ज़्यादा ध्यान किन्हें रखना चाहिए?
बुजुर्गों को और उन लोगों को जिन्हें हाई ब्लडप्रेशल, दिल की बिमारी और फेफड़ों की बीमारी हो या फिर कैंसर या डायबीटिज़ हो उनके लिए संक्रमण मुश्किल साबित हो सकता है.
चीन से मिल रहे आंकड़ों के अनुसार बच्चे तुलनात्मक रूप से कोरोना संक्रमण से बचे हुए हैं. हालांकि जिन बच्चों को फेफड़े की बीमारी है या फिर अस्थमा है, उन्हें ज़्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है क्योंकि ऐसे मामलों में कोरोना वायरस हमला कर सकता है.
ज़्यादातर बच्चों के लिए ये श्वास संबंधी सामान्य संक्रमण की तरह है और इसमें ख़तरे जैसी कोई बात नहीं है.
वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकारों और प्रशासन के पास स्कूल बंद करने का अधिकार होता है. इसको फैसले से रोकने के लिए दुनिया के कई देशों में सरकारों नें स्कूल बंद किए हैं.



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