कोरोनाः बड़ी कामयाबी, वैक्सीन 95 फ़ीसदी लोगों पर असरदार

 


  • जेम्स गैलाघर
  • स्वास्थ्य एवं विज्ञान संवाददाता
टीकाकरण

अमरीकी कंपनी मॉडर्ना के वैक्सीन ट्रायल के डाटा के शुरुआती नतीजे बताते हैं कि कोविड महामारी के ख़िलाफ़ सुरक्षा देने वाली नई वैक्सीन 95 फ़ीसदी तक कामयाब है.

कुछ दिन पहले ही दवा कंपनी फ़ाइज़र ने अपनी वैक्सीन के 90 फ़ीसदी लोगों पर कामयाब होने की जानकारी दी थी.

अब उम्मीदें बंध रही हैं कि ये वैक्सीन महामारी का अंत करने में मददगार साबित होंगी.

मॉडर्ना का कहना है कि ये कंपनी के लिए एक ऐतिहासिक दिन है और वह अगले कुछ सप्ताह में वैक्सीन का इस्तेमाल शुरू करने के लिए अनुमति मांगने जा रही है.

हालांकि वैक्सीन के बारे में अभी शुरुआती डाटा ही उपलब्ध है और कई अहम सवालों के जवाब मिलने बाकी है.

ये दवा कितनी बेहतर है?

ये ट्रायल अमेरिका में तीस हज़ार लोगों पर हुआ है जिनमें से आधे लोगों को चार सप्ताह के अंतर पर वैक्सीन की दो डोज़ दी गई हैं. जबकि बाकी लोगों को डमी इंजेक्शन दिए गए.

जो विश्लेषण पेश किया गया है वो उन पहले 95 लोगों पर आधारित है जिनमें कोविड-19 के लक्षण दिखाई दिए थे.

जिन लोगों को वैक्सीन दी गई उनमें से सिर्फ़ पांच को ही संक्रमण हुआ. जिन बाकी 90 लोगों को संक्रमण हुआ उन्हें डमी इंजेक्शन दिए गए थे.

कंपनी का दावा है कि ये वैक्सीन 94.5 प्रतिशत लोगों को वायरस से सुरक्षा दे रही है.

डाटा से ये भी पता चला है कि ट्रायल के दौरान 11 लोगों में कोविड का गंभीर संक्रमण हुआ. हालांकि इनमें से कोई भी ऐसा नहीं था जिसे वैक्सीन दी गई थी.

मोडर्ना के चीफ़ मेडिकल ऑफ़िसर टेल ज़ेक्स ने बीबीसी से कहा, "वैक्सीन का संपूर्ण प्रभाव शानदार है."

कंपनी के प्रेसीडेंट डॉ. स्टीफ़न होग ने कहा है, "जब नतीजे आए तो मेरे चेहरे पर चौड़ी मुस्कान थी."

उन्होंने बीबीसी से कहा, 'मुझ नहीं लगता था कि हममें से किसी ने सोचा होगा कि वैक्सीन 94 फ़ीसदी कामयाब रहेगी. ये एक हैरान करने वाला नतीजा है.'

ये वैक्सीन कब मिलेगी?

ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी उम्र क्या है और आप दुनिया के किस हिस्से में रहते हैं.

मॉडर्ना का कहना है कि वो अमेरिका में वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति लेने के लिए अगले कुछ सप्ताह में आवेदन करेगी. कंपनी को उम्मीद है कि वो अमेरिका के लिए दो करोड़ डोज़ उपलब्ध करवा सकेगी.

कंपनी को उम्मीद है कि दुनियाभर के इस्तेमाल के लिए वो अगले साल सौ करोड़ डोज़ तैयार कर पाएगी. कंपनी दूसरे देशों में भी अनुमति लेने की तैयारी कर रही है.

ब्रिटेन का कहना है कि अगले साल मार्च तक 25 लाख लोगों के लिए मॉडर्ना का टीका उपलब्ध करवा दिया जाएगा.

ब्रिटेन ने सबसे पहले सबसे बुज़ुर्ग लोगों को टीका लगाने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है.

अभी तक हमें क्या नहीं पता है?

अभी हमें ये नहीं पता है कि टीके से पैदा होने वाली प्रतिरोधक क्षमता शरीर में कब तक रहेगी क्योंकि इसका विश्लेषण करने के लिए स्वयंसेवकों को लंबे समय तक फॉलो करना होगा.

इस बात के संकेत ज़रूर मिले हैं कि ये वैक्सीन बुज़ुर्गों को भी कोविड-19 से सुरक्षा दे रही है. बुज़ुर्ग आबादी पर ही इस महामारी का सबसे ज़्यादा ख़तरा है. हालांकि इस बारे में भी अभी पूरा डाटा नहीं है.

ज़ेक्स ने बीबीसी से कहा है कि अभी तक जो डाटा उपलब्ध है उससे पता चलता है कि वैक्सीन का प्रभाव उम्र के साथ कम नहीं होता है.

और अभी ये भी पता नहीं है कि ये वैक्सीन सिर्फ़ लोगों को गंभीर रूप से बीमार होने से ही बचाती है या उनसे फैलने वाले संक्रमण को भी रोकती है.

और इन सवालों के जवाब वैक्सीन के इस्तेमाल को प्रभावित करेंगे.

क्या इसके साइड इफेक्ट भी होंगे?

अभी तक सुरक्षा को लेकर कोई अहम चिंता ज़ाहिर नहीं की गई है, लेकिन कोई दवा सौ प्रतिशत सुरक्षित नहीं है. पेरासीटामोल भी सौ प्रतिशत सुरक्षित नहीं है.

कुछ मरीज़ों में इंजेक्शन के बाद थकान, सिर दर्द और शरीर में दर्द की शिकायतें मिली हैं.

इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफ़ेसर पीटर ओपनशॉ कहते हैं, "एक वैक्सीन जो बेहतर प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित करने के लिए काम करती है उससे ऐसे प्रभाव दिखने की उम्मीद हम करते हैं."

मोडर्ना की लैब

फ़ाइज़र-बायोनटैक की वैक्सीन की तुलना में ये कहां है?

दोनों ही वैक्सीन शरीर में वायरस को इंजेक्ट करके प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित करने के सिद्धांत पर काम करती है.

दोनों ही वैक्सीन का शुरुआती डाटा जो हमने अब तक देखा है लगभग एक जैसा ही है. फ़ाइजर बायोनडेक की वैक्सीन 90 फ़ीसदी सुरक्षा देती है जबकि मॉडर्ना की वैक्सीन लगभग 95 फ़ीसदी.

हालांकि दोनों ही वैक्सीन के ट्रायल अभी चल ही रहे हैं और अंतिम आँकड़े बदल भी सकते हैं.

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वैक्सीन से जुड़ी अच्छी ख़बर और चुनौती क्या है?

लेकिन मॉडर्ना की वैक्सीन का भंडारण करना आसान लगता है क्योंकि ये शून्य से बीस डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान पर भी स्थिर रह सकती है. इसे स्टैंडर्ड फ्रिज में महीने तक और डीप फ्रिजर में छह महीने तक रखा जा सकता है.

फ़ाइजर की वैक्सीन को शून्य से 75 डिग्री सेल्सियस नीचे रखना पड़ता है और इसे फ्रिज में पांच दिनों के लिए ही रखा जा सकता है.

वहीं रूस में बनी स्पुतनिक वी वैक्सीन का शुरुआती डाटा भी जारी हुआ है. ये लगभग 92 फ़ीसदी सुरक्षा देती है.

ये कैसे काम करेगी?

मॉडर्ना ने आरएनए वैक्सीन बनाई है. इसका मतलब ये है कि कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड का एक हिस्सा शरीर में इंजेक्ट किया जाएगा.

ये शरीर में वॉयरल प्रोटीन बनाता है ना की पूरा वायरस. इससे शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली को वायरस पर हमला करना सिखाया जाता है.

ये कोरोना वायरस से लड़ने के लिए शरीर को एंटीबॉडी और प्रतिरोधक प्रणाली के और तत्व टी-सेल का निर्माण करना सिखाएगी.

कब तक ख़त्म होगी कोविड महामारी?

एक सप्ताह के भीतर फ़ाइज़र, मॉडर्ना और रूस ने वैक्सीन के बारे में जानकारी देकर वायरस को समाप्त करने की उम्मीदों और संभावनाओं को मज़बूत किया है.

इन नतीजों से पहले जिन वैक्सीन की बात की जा रही थी वो 50 फ़ीसदी सुरक्षा दे रहीं थीं. अब उम्मीदें इससे आगे बढ़ चुकी हैं. न सिर्फ़ वैक्सीन संभव है बल्कि वो प्रभावी भी दिखाई दे रही हैं.

अब तक जो डाटा मिला है उससे उम्मीद जगी है कि जो वैक्सीन फिलहाल प्रक्रिया में हैं वो भी कामयाब रहेंगी.

एक चुनौती पूरी होती दिख रही है तो दूसरी शुरू हो रही है.

वीडियो कैप्शन,

Cover Story: कहां तक पहुंची कोरोना वैक्सीन रेस

दुनियाभर में अरबों लोगों को वैक्सीन लगाना एक बहुत बड़ा काम होगा. कुछ विशेषज्ञों को लगता है कि अगले साल मार्च तक हालात सामान्य हो जाएगा तो कुछ को लगता है कि दुनिया को पटरी पर आने के लिए अभी अगले साल सर्दियों तक इंतज़ार करना होगा.

इसका जवाब इस बात पर ही निर्भर करेगा कि देश कितनी जल्दी उम्मीद का ये टीका लोगों को लगा पाते हैं.

इस वैक्सीन को लेकर क्या प्रतिक्रिया है?

इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफ़ेसर पीटर ओपनशॉ कहते हैं, "मॉडर्ना की ये ख़बर उत्साहजनक है और उम्मीद जगाती है कि अगले कुछ महीनों में हमारे पास वैक्सीन के कई अच्छे विकल्प होंगे. अभी हमें प्रेस विज्ञप्ति में जारी जानकारियों से अधिक जानकारियां देखनी होंगी, लेकिन ये घोषणा ही अपने आप में सकारात्मक है."

यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफ़र्ड के प्रोफ़ेसर ट्रूजी लैंग कहते हैं, "पिछले सप्ताह फ़ाइज़र की कामयाबी की ख़बर के बाद एक और वैक्सीन के आगे आने की ये ख़बर बहुत अच्छी है."

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