पाकिस्तान में बाइडन और कश्मीर पर उनके नज़रिए की चर्चा गर्म - उर्दू प्रेस रिव्यू

 


  • इक़बाल अहमद
  • बीबीसी संवाददाता
इमरान ख़ान

पाकिस्तान से छपने वाले उर्दू अख़बारों में इस हफ़्ते इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ विपक्षी महागठबंधन और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी ख़बरें सुर्ख़ियों में थीं.

सबसे पहले बात अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की.

डेमोक्रैटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे. उन्होंने मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हरा दिया है.

उनके चुनाव जीतने की ख़बर आने के बाद दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष उन्हें मुबारकबाद दे रहे हैं.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भी उन्हें मुबारकबाद देते हुए कहा, "अफ़ग़ानिस्तान और इस क्षेत्र में शांति के लिए हम अमेरिका के साथ मिलकर काम करते रहेंगे."

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बाइडन से पाकिस्तान को ज़्यादा उम्मीद

लेकिन बाइडन की जीत को पाकिस्तान में एक और नज़रिए से देखा जा रहा है. पाकिस्तान को लगता है कि भारत प्रशासित कश्मीर के मामले में बाइडन पाकिस्तान के पक्ष में हैं.

अख़बार एक्सप्रेस ने लिखा है, "बाइडन की सफलता से भारत प्रशासित कश्मीर पर सकारात्मक प्रभाव की संभावना बढ़ी."

अख़बार के अनुसार जो 2008 में जब आसिफ़ अली ज़रदारी पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे, उस समय जो बाइडन को पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान हिलाल-ए-पाकिस्तान से नवाज़ा गया था. बाइडन को यह सम्मान पाकिस्तान को अमेरिका से डेढ़ अरब डॉलर की आर्थिक मदद दिलवाने में अहम भूमिका निभाने के कारण दिया गया था.

अख़बार लिखता है कि बाइडन ने हमेशा ही कश्मीरियों के पक्ष का समर्थन किया है. अख़बार के अनुसार बाइडन ने कश्मीरियों को आत्म-निर्णय का अधिकार दिए जाने की वकालत की है.

अख़बार लिखता है कि बाइडन ने नरेंद्र मोदी की सरकार के उस फ़ैसले का भी विरोध किया था जब मोदी ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत कश्मीर को मिलने वाले विशेष राज्य के दर्जे को ख़त्म कर दिया था और जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छीन कर उसे दो केंद्र प्रशासित राज्यों में बाँट दिया था.

अख़बार के अनुसार बाइडन ने कश्मीर में पाँच अगस्त से पहले वाली स्थिति बहाल करने का अनुरोध किया था.

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अख़बार आगे लिखता है कि नव-निर्वाचित राष्ट्रपति मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले व्यक्ति की हैसियत से भी काफ़ी लोकप्रिय हैं. अख़बार के अनुसार बाइडन रोहिंग्या मुसलमानों और चीन में विगर मुसलमानों के लिए भी हमेशा आवाज़ उठाते रहे हैं.

चुनाव प्रचार के दौरान बाइडन ने मुसलमानों के साथ बेहतर बर्ताव और ट्रंप प्रशासन के प्रवासी विरोधी नीतियों पर दोबारा विचार करने का वादा किया था.

अख़बार जंग ने भी लिखा है कि बाइडन की कामयाबी से भारत डरा हुआ है.

साल 2011 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अली आसिफ़ ज़रदारी के साथ जो बाइडन
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साल 2011 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अली आसिफ़ ज़रदारी के साथ जो बाइडन

कश्मीर और कश्मीरियों पर चर्चा

इस साल जून के महीने में जो बाइडन ने कश्मीरियों के पक्ष में बयान देते हुए कहा था कि कश्मीरियों के सभी तरह के अधिकार बहाल होने चाहिए.

जो बाइडन की कैंपेन वेबसाइट पर प्रकाशित एक पॉलिसी पेपर में कहा गया है, "भारत में धर्मनिरपेक्षता और बहुनस्ली के साथ बहुधार्मिक लोकतंत्र की पुरानी पंरपरा है. ऐसे में सरकार के ये फ़ैसले बिल्कुल ही उलट हैं."

कश्मीर को लेकर बाइडन के इस पॉलिसी पेपर में कहा गया है, "कश्मीरी लोगों के अधिकारों को बहाल करने के लिए भारत को चाहिए कि वो हर क़दम उठाए. असहमति पर पाबंदी, शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकना, इंटरनेट सेवा बंद करना या धीमा करना लोकतंत्र को कमज़ोर करना है."

उन्होंने भारत के नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए को लेकर भी निराशा ज़ाहिर की थी. इसके अलावा उन्होंने नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न यानी एनआरसी को भी निराशाजनक बताया था.

हालांकि बाइडन भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने की भी वकालत करते रहे हैं.

वह भारत-अमेरिका व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने की बात करते रहे हैं. बाइडन अपने उप-राष्ट्रपति के आवास पर दिवाली का भी आयोजन करते रहे हैं.

विपक्षी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रैटिक मूवमेंट की एक रैली में समर्थक
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विपक्षी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रैटिक मूवमेंट की एक रैली में समर्थक

विपक्षी गठबंधन पीडीएम में मतभेद के आसार

पाकिस्तान में पिछले कुछ दिनों से प्रधानमंत्री इमरान ख़ान विपक्षी गठबंधन (पाकिस्तान डेमोक्रैटिक मूवमेंट ) के हमले के शिकार हो रहे हैं, लेकिन इमरान ख़ान के लिए अब थोड़ी राहत की ख़बर यह है कि विपक्षी गठबंधन में मतभेद उभर कर सामने आ रहे हैं.

पिछले हफ़्ते विपक्षी पार्टी मुस्लिम लीग (नवाज़) के एक सांसद अयाज़ सादिक़ का एक बयान सुर्ख़ियों में रहा था.

अयाज़ सादिक़ ने संसद में कह दिया कि भारत के विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान ने रिहा करने का फ़ैसला डर कर किया था.

अयाज़ सादिक़ ने यहां तक कहा था कि जिस बैठक में भारतीय विंग कमांडर को रिहा करने का फ़ैसला किया गया था उस बैठक में विदेश मंत्री जब अपनी बात कह रहे थे उस समय उनके पैर काँप रहे थे और उनके माथे पर पसीना था.

मुस्लिम लीग के सांसद के इस बयान की काफ़ी किरकिरी हुई थी और सेना के अलावा पाकिस्तान के धार्मिक गुरुओं के एक समूह पाकिस्तान उलेमा काउंसिल ने भी अयाज़ सादिक़ के बयान को अफ़सोसनाक क़रार दिया था.

अब पीडीएम के एक अहम गुट पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के चेयरमैन बिलावल भुट्टो के एक इंटरव्यू से गठबंधन पर सवाल उठने लगे हैं.

बिलावल भुट्टो

बिलावल भुट्टो ने ब्रिटेन की एक न्यूज़ संस्था को इंटरव्यू देते हुए कहा कि नवाज़ शरीफ़ ने जब सेना के जनरलों पर आरोप लगाए तो उन्हें इस पर धक्का लगा.

बिलावल ने कहा कि, "ऑल पार्टी कॉन्फ़्रेंस (एपीसी) में फ़ैसला हुआ था कि किसी एक संस्था का नाम नहीं लिया जाएगा, इस्टैबलिशमेंट कहा जाएगा. इमरान ख़ान की सरकार बनवाने की ज़िम्मेदारी किसी एक व्यक्ति पर नहीं डाली जा सकती."

उन्होंने कहा कि वो एपीसी के एजेंडे पर पूरी तरह क़ायम हैं और एपीसी का एजेंडा तैयार करते समय ना तो नवाज़ शरीफ़ ने सेना प्रमुख का नाम लिया था और न ही कोई इशारा किया था.

उन्होंने आगे कहा, "गुजरांवाला की रैली में नवाज़ शरीफ़ ने जब सेना के वरिष्ठ अधिकारी का नाम लिया तो मुझे धक्का लगा."

हालांकि नवाज़ शरीफ़ का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, "सैन्य अधिकारी का नाम लेना नवाज़ शरीफ़ का ज़ाती फ़ैसला था. नवाज़ शरीफ़ तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं. मुझे यक़ीन है सबूत के बग़ैर नाम नहीं लिए होंगे. मुझे इंतज़ार है वो कब सबूत पेश करेंगे."

बिलावल ने कहा कि इस बारे में वो नवाज़ शरीफ़ से ख़ुद बात करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार में इस्टैबलिशमेंट की जाँच के लिए आयोग का गठन किया जाए.

इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ एकजुट विपक्ष पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के बैनर तले ज़ोरदार आंदोलन कर रहा है. पीडीएम ने सरकार के ख़िलाफ़ अब तक तीन (गुजरांवाला, कराची, क्वेटा) बड़ी रैलियां की हैं जिनमें हज़ारों लोग शरीक हुए.

लेकिन बिलावल के इस इंटरव्यू के बाद इमरान ख़ान की सरकार कहने लगी है कि विपक्षी गठबंधन दरअसल निजी स्वार्थों पर आधारित एक गठबंधन है.

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पाकिस्तानी सांसद अयाज़ सादिक़ की आलोचना क्यों हो रही है?

नवाज़ शरीफ़

अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री शिबली फ़राज़ ने बिलावल भुट्टो के इंटरव्यू पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बिलावल का बयान नवाज़ शरीफ़ पर अविश्वास प्रस्ताव है.

फ़राज़ ने कहा, "बिलावल को पता चल गया है कि मुस्लिम लीग (नवाज़) उन्हें इस्तेमाल कर रही है. पीपीपी ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, वो ऐसे किसी प्रस्ताव का हिस्सा नहीं बनेगी जिससे दुश्मन ख़ुश हों."

उन्होंने कहा कि नवाज़ शरीफ़ ने पीडीएम के प्लेटफ़ॉर्म को निजी स्वार्थ की भेंट चढ़ा दिया. सूचना मंत्री ने कहा कि जल्द ही पीडीएम के दूसरे घटक भी ख़ुद को अलग कर लेंगे और पीडीएम में जो दरार नज़र आ रही थीं, वो अब टूटने शुरू हो गए हैं.

उधर इमरान ख़ान ने नवाज़ शरीफ़ पर एक बार फिर हमला किया है.

अख़बार दुनिया के अनुसार इमरान ख़ान ने नवाज़ शरीफ़ पर सेना को बग़ावत के लिए उकसाने का आरोप लगाया है.

इमरान ख़ान ने कहा, नवाज़ शरीफ़ अपना पैसा बचाने के लिए बाहर बैठकर सेना को अपने सैन्य प्रमुख और आईएसआई (पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी) के ख़िलाफ़ बग़ावत के लिए उकसा रहे हैं. इससे ज़्यादा मुल्क से दुश्मनी क्यों हो सकती है.

इमरान ने नवाज़ शरीफ़ के दोनों बेटों पर भी हमला करते हुए कहा कि वो पाकिस्तान लौट कर नहीं आ रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि यहां उन्हें गिरफ़्तार कर लिया जाएगा.

मरियम नवाज़

नवाज़ शरीफ़ की बेटी और पार्टी की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़ पर हमला करते हुए इमरान ख़ान ने कहा कि वो औरत होने का फ़ायदा उठा रहीं हैं.

इमरान ख़ान ने कहा, "औरत के सम्मान का हमारे मूल्यों का फ़ायदा उठाते हुए बेटी (मरियम नवाज़) भी उस सेना के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रही हैं जो सेना देश की रक्षा कर रही है. कोई और देश होता तो उन्हें जेल में डाल दिया जाता."

इमरान ख़ान ने कहा कि नवाज़ शरीफ़ और ज़रदारी एक दूसरे को भ्रष्ट कहते हुए जेलों में डालते रहे हैं और आज दोनों एक साथ मिलकर उनसे एनआरओ (नेशनल रीकंसिलिएन ऑर्डिनेंस) यानी आम माफ़ी माँग रहे हैं.

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