पीएम मोदी और अमित शाह के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका, मगर क्यों?- प्रेस रिव्यू

 


पीएम मोदी और अमित शाह

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अवमाननना याचिका दायर की गई है.

अंग्रेज़ी अख़बार द टेलिग्राफ़ में छपी रिपोर्ट के अनुसार एक वकील ने पीएम मोदी और अमित शाह पर राकेश अस्थाना को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने से 'जानबूझकर इनकार करने' का आरोप लगाया है.

इन वकील का नाम मोहनलाल शर्मा है और इन्होंने पेगासस जासूसी मामले में विशेष जाँच दल की अगुआई में एक समिति गठित किए जाने की माँग करते हुए भी याचिका दायर की थी.

मोहनलाल शर्मा का आरोप है कि राकेश अस्थाना की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है जिसके मुताबिक़ सभी रिक्तियों के बारे में पहले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को सूचित किया जाना चाहिए और छह महीने से कम नौकरी के दिन बचे होने की स्थिति में किसी भी अधिकारी को डीजीपी नहीं बनाया जाना चाहिए.

वकील की जनहित याचिका में दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के उल्लंघन के बाद पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पद पर बने रहने का संवैधानिक अधिकार खो चुके हैं.

याचिका में निवेदन किया गया है कि इस मामले की जाँच कम से कम पाँच जजों वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच को करना चाहिए वरना संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है और लोगों का देश में भरोसा ख़त्म हो सकता है.

दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार भी अस्थाना की नियुक्ति का विरोध कर रही है.

राकेश अस्थाना

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कौन हैं राकेश अस्थाना?

कुछ दिनों पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस का कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश जारी किया था. यह उनकी पाँचवीं नियुक्ति थी. वो भी सेवानिवृत होने से सिर्फ़ चार दिनों पहले.

राकेश अस्थाना को सिर्फ़ तीन सालों के अंतराल में ही पाँच अलग-अलग पदों पर नियुक्ति दी गई है. प्रशासनिक सेवा के हलकों में इसे अप्रत्याशित ही माना जा रहा है.

अस्थाना एक समय में सीबीआई में स्पेशल डायरेक्टर के पद पर काम कर चुके हैं. इस दौरान वो सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के साथ हुए विवाद की वजह से चर्चा में आए थे.

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से पढ़ाई करने वाले अस्थाना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के क़रीबी अधिकारियों में से एक माना जाता है.

जब केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनी थी तो गुजरात कैडर के राकेश अस्थाना को 20 अन्य आला अफ़सरों के साथ गुजरात से दिल्ली बुलाया गया था.

राकेश अस्थाना ने अपने अब तक के करियर में उन अहम मामलों की जांच की है जो कि वर्तमान राजनीतिक समीकरणों के लिहाज से ख़ास माने जाते हैं. जैसे- गोधरा कांड की जाँच, चारा घोटाला, अहमदाबाद बम धमाका और आसाराम बापू के ख़िलाफ़ जांच.

एनएसओ

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पेगासस बनाने वाली कंपनी ने कई देशों की सेवा पर लगाई अस्थायी रोक

विवादित स्पाईवेयर पेगासस बनाने वाली इसराइली कंपनी एनएसओ ने दुनिया भर में कई देशों के सरकारों को दी जाने वाली अपनी सेवा अस्थायी रूप से रोक दी है.

अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में वॉशिंगटन की ग़ैर सरकारी संस्था एनपीआर के हवाले से यह जानकारी दी है.

एनएसओ का कहना है कि उसने पेगासस के कथित और संभावित दुरुपयोग की रिपोर्ट्स आने के बाद उनकी जाँच के मद्देनज़र यह कदम उठाया है. यह जानकारी कंपनी के एक सूत्र ने एनपीआर को नाम ज़ाहिर न होने की शर्त पर दी है.

सूत्र ने बताया, "हो सकता है कि हमारे कुछ ग्राहकों की सेवाएं अस्थायी रूप से रोक दी गई हों.'' वहीं, एनएसओ ने पेगासस मामले में सार्वजनिक रूप से मीडिया के सवालों का जवाब देना बंद कर दिया है.

इससे पहले इसराइली सरकार की एजेंसियों ने 'सिक्योरिटी ब्रीच' (सुरक्षा से समझौता) की 'जाँच शुरू करने के लिए' कंपनी के कुछ दफ़्तरों पर छापे भी मारे थे.

पेगासस

एनएसओ का कहना है कि दुनिया के 40 देशों में इसके 60 ग्राहक हैं और ये सभी ख़ुफ़िया एजेंसियाँ, सरकारी अधिकारी और सेना के अफ़सर हैं. कंपनी दावा करती रही है कि उसका मक़सद आतंकवाद और अपराधों से लड़ने में सरकारों की मदद करना है न कि किसी व्यक्ति या संस्था विशेष की जासूसी करवाना.

कंपनी ने दुनिया भर में पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की आशंका पर कहा था कि स्पाईवेयर को कैसे इस्तेमाल करना है, इसका फ़ैसला सरकारें लेती हैं और इसके दुरुपयोग की उसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है.

खोजी पत्रकारों की एक टीम ने अपनी रिपोर्ट में दुनिया भर के उन नेताओं, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की एक लिस्ट जारी की थी जिनके फ़ोन को या तो पेगासस स्पाईवेयर के ज़रिए जासूसी का निशाना बनाया गया था या निशाना बनाए जाने की आशंका था.

इस लिस्ट में फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से लेकर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान तक का नाम था.

भारत में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद जोशी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, मशहूर वायरॉलजिस्ट डॉक्टर गगनदीप कांग, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला समेत कई पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के नाम थे.

हालाँकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इन रिपोर्टों को 'अंतरराष्ट्रीय साज़िश' बताते हुए इन्हें ख़ारिज कर दिया था.

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'देशविरोधी मानसिकता' का हवाला देकर दो घंटे पहले रद्द कराया वेबिनार

मध्य प्रदेश के सागर में डॉक्टर हरिसिंह गौर यूनिवर्सिटी को एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार को रद्द करने का फ़ैसला इसके शुरू होने के महज दो घंटे पहले करना पड़ा.

अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश पुलिस ने यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को चिट्ठी लिखकर चेताया था कि अगर वेबिनार में "धार्मिक और जातीय भावनाएं आहत की जाती हैं' तो कार्रवाई की जा सकती है.

यह वेबिनार यूनिवर्सिटी का एन्थ्रोपॉलजी डिपार्टमेंट (मानव विज्ञान विभाग) आयोजित करा रहा था.

इससे पहले सागर ज़िले के एसपी अतुल सिंह ने गुरुवार को वाइस चांसलर को लिखी चिट्ठी में कहा था उन्हें वेबिनार में शामिल हो रहे वक्ताओं के 'अतीत में देशविरोधी मानसिकता और जाति से सम्बन्धित बयानों' के बारे में जानकारी मिली है.

एसपी ने लिखा था कि वेबिनार में जिन विषयों पर चर्चा होने वाली है और जिस तरह के विचार ज़ाहिर किए जाने वाले हैं, उन पर पहले से सहमति होनी चाहिए.

इस वेबिनार के वक्ताओं में मशहूर वैज्ञानिक गौहर रज़ा, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद, आईआईटी हैदराबाद के प्रोफ़ेसर हरजिंदर सिंह और अमेरिकी की ब्रिजवॉटर स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर डॉक्टर असीम हसनैन शामिल थे.

वेबिनार का विषय था- कल्चरल ऐंड लिंगुइस्टिक हर्डल्स इन अचीवमेंट ऑफ़ साइंटिफ़िक टेंपर.

इससे पहले 22 जुलाई को आरएसएस से सम्बद्ध स्टूडेंट यूनियन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने वक्ताओं के नाम पर विरोध जताते हुए पुलिस में एक ज्ञापन सौंपा था.

गूगल

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गूगल ने दो महीने में हटा डेढ़ लाख से ज़्यादा कॉन्टेन्ट

अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू में छपी ख़बर के अनुसार गूगल इंडिया ने इस साल मई और जून के महीने में यूज़र्स की शिकायत के बाद अपने प्लैटफ़ॉर्म से डेढ़ लाख से ज़्यादा कॉन्टेट हटाए हैं.

कंपनी ने शुक्रवार को जारी की गई अपनी पारदर्शिता रिपोर्ट में यह जानकारी दी है.

इसके अलावा गूगल ने पिछले दो महीनों में ऑटोमेटेडे डिटेक्शन प्रक्रिया से सर्च में आने वाले 11,61,223 लेखों को भी हटाया है.

यह रिपोर्ट देश में 26 मई में लागू नए आईटी नियमों के बाद आई है.

नए आईटी नियमों के मुताबिक़ भारत में 50 लाख से ज़्यादा यूज़र्स वाले किसी भी सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म को हर महीने एक रिपोर्ट जारी करनी है जिसमें उसे मिली शिकायतों और उसके जवाब में की गई कार्रवाई की जानकारी देनी है.

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उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण लड़की और दलित लड़के की शादी और फिर मौत की कहानी

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