राजस्थान में दलित दूल्हे की बारात पर पुलिस की मौजूदगी में हुआ पथराव, 10 लोग गिरफ़्तार - प्रेस रिव्यू

 


शादी

इमेज स्रोत,NURPHOTO/GETTYIMAGES

इमेज कैप्शन,

सांकेतिक तस्वीर

राजस्थान के जयपुर में एक दलित व्यक्ति की बारात पर पथराव करने के आरोप में पुलिस ने दस लोगों को गिरफ़्तार किया है.

इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने पुलिस के हवाले से लिखा है कि यह घटना गुरुवार देर रात हुई. ये पथराव उस समय हुआ जब दलित दुल्हा घोड़ी पर सवार होकर अपनी बारात लेकर दुल्हन के घर किरोड़ी गांव पहुंचा.

दुल्हन पक्ष का आरोप है कि जिस समय लोगों ने पत्थर फेंके उस समय सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी तैनात थे लेकिन उनकी तैनाती के बावजूद लोगों ने बारात पर पत्थर फेंके.

दुल्हन के पिता हरिपाल बलई के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है, "हमारे गांव में दलित दूल्हे का घोड़ी पर चढ़कर बारात लेकर आना कोई आम बात नहीं है. मैं भेदभाव की इस परंपरा को तोड़ना चाहता था. मेरी बेटी और बेटे दोनों की शादी इसी महीने हो रही है. हमारे गांव में राजपूत समुदाय के लोग अक्सर ये कहते हैं कि वे हमें घोड़ी की सवारी नहीं करने देंगे. इस वजह से मुझे पहले से ही शक था कि कुछ गड़बड़ हो सकती है इसलिए मैंने इस संबंध में पुलिस प्रशासन और ज़िला प्रशासन के समक्ष आवेदन भी दिया था."

बलई कहते हैं कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया था कि कोई अप्रिय घटना नहीं होगी.

गुरुवार रात की घटना का ज़िक्र करते हुए बलई कहते हैं कि 'कल जब मेरे दामाद घोड़ी पर सवार होकर हमारे घर के गेट पर पहुंचे तो पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बावजूद पत्थर फेंके गए. परिवार के क़रीब 10-15 लोगों पर पत्थर पड़े. मेरे भतीजे को तो इतनी चोट आयी है कि उसे टांके तक लगवाने पड़े हैं.'

शादी

इमेज स्रोत,DANIEL BEREHULAK/GETTYIMAGES

इमेज कैप्शन,

सांकेतिक तस्वीर

बलई का आरोप है कि पथराव करने वाले लोग राजपूत समुदाय के थे और वे उनके पड़ोस में ही रहते हैं.

बलई का आरोप है कि उनके दामाद और बारात पर पत्थर इसलिए फेंके गए क्योंकि वे लोग दलितों को घोड़ी पर चढ़कर बारात लाता नहीं देख सकते.

पुलिस का कहना है कि उन्होंने इस मामले में 10 लोगों को गिरफ़्तार किया है.

पुलिस के मुताबिक़, "10 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. ये सभी राजपूत समुदाय से हैं."

पुलिस ने बताया कि उस दिन मौके पर 75 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. हमला केवल कुछ सेकेंड ही रहा और उसके बाद हमलावर झाड़ियों में भाग गए. इस पथराव में तीन लोग घायल हुए हैं.

कोटपुतली के सर्कल ऑफ़िसर दिनेश कुमार यादव के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि इस मामले में आईपीसी की धारा 323, 341 के तहत मामला दर्ज किया गया है. साथ ही एससी/एसटी एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.

यात्री

इमेज स्रोत,THE INDIA TODAY GROUP/GETTYIMAGES

ऐप से ऑटो बुक कराने पर देना होगा जीएसटी

ओला, ऊबर और दूसरी ऐप आधारित ई-कॉमर्स कंपनियों से ऑटो बुक करने पर जनवरी महीने से पांच फीसदी जीएसटी देना होगा.

दैनिक हिंदुस्तान की ख़बर के अनुसार, राजस्व विभाग ने कहा है कि ई-कॉमर्स ऐप्स और प्लेटफ़ॉर्म्स के माध्यम से यात्री परिवहन सेवाएं देने वाले ऑटो रिक्शा के लिए अभी तक जीएसटी में जो छूट दी जा रही थी, उसे वापस लिया जा रहा है.

हिंदुस्तान की ख़बर के मुताबिक़, इससे ऑटो का सफ़र महंगा हो जाएगा. मसलन, अभी तक अगर आप ऑटो से कहीं जाने के लिए 100 रुपये का भुगतान करते थे तो अब आपको उसके लिए 105 रुपये देने होंगे.

टमाटर

इमेज स्रोत,SEAN GALLUP/GETTYIMAGES

आने वाले दो महीनों में भी नहीं कम होंगे टमाटर के भाव

छोड़कर पॉडकास्ट आगे बढ़ें
पॉडकास्ट
बीबीसी 70 एमएम
विवेचना

नई रिलीज़ हुई फ़िल्मों की समीक्षा करता साप्ताहिक कार्यक्रम

एपिसोड्स

समाप्त

क्रिसिल रिसर्च ने कहा है कि लगातार हुई बारिश के कारण सब्ज़ियों की पैदावर पर असर हुआ है और इस कारण सब्ज़ियों के दाम आसमान छू रहे हैं. लेकिन अमूमन 20 से 30 रुपये प्रति किलो बिकने वाला टमाटर दिल्ली समेत कई जगहों पर सौ से अस्सी रुपये प्रति किलो बिक रहा है.

जनसत्ता अख़बार के मुताबिक़, क्रिसिल रिसर्च ने बढ़ी कीमतों पर कहा है कि आने वाले दो महीने में भी टमाटर के भाव कम होने की उम्मीद नहीं है. क्रिसिल के मुतबिक, कर्नाटक टमाटर का मुख्य उत्पादक राज्य है लेकिन वहां टमाटर की पैदावर की स्थिति इतनी गंभीर है कि फिलहाल इसे लेकर राहत की उम्मीद नहीं की जा सकती है.

क्रिसिल के अनुसार, 25 नवंबर तक क़ीमतों में 142 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है. मध्य प्रदेश और राजस्थान में एक बार फसलों की कटाई शुरू होने के बाद दाम कम होंगे लेकिन उसमें अभी कम से कम दो महीने का समय है.

किसान नेता

इमेज स्रोत,ANI

संयुक्त किसान मोर्चा की आज बैठक

तीन कृषि क़ानूनों को रद्द होने के बावजूद प्रदर्शन कर रहे किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे हुए हैं. किसानों का कहना है कि सरकार एमएसपी पर भी क़ानून लेकर आए.

तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते एक साल से प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि भले ही सरकार ने तीनों क़ानूनों को वापस ले लिया हो लेकिन जब तक संसद से यह पारित नहीं हो जाता और जब तक एमएसपी समेत अन्य मांगे नहीं स्वीकार कर ली जातीं वे प्रदर्शन स्थल पर बने रहेंगे.

द हिंदू की ख़बर के मुताबिक, आगे की रणनीति के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की कोर कमेटी आज 27 नवंबर को मीटिंग करेगी.

बीते दिन दिल्ली के सिंघू, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसानों ने जमा होकर अपनी ऐतिहासित जीत को दर्ज किया.

किसानों का कहना है कि यह एक बड़ी उपलब्धि है कि 12 महीने बाद किसानों ने प्रधानमंत्री को झुकने पर मजबूर कर दिया.

ये भी पढ़ें..

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Comments

Popular posts from this blog

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

Department of Education Directory