डांस करते, चलते-चलते कार्डियक अटैक और तुरंत मौत- क्या बढ़ रहे हैं ऐसे मामले?

 


  • सुशीला सिंह
  • बीबीसी संवाददाता
हार्ट अटैक

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डॉक्टरों के मुताबिक अस्पताल से बाहर होने वाले कार्डियक अरेस्ट में लोगों के तीन से आठ फ़ीसदी ही जीवित रहने की उम्मीद होती है.

हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर लोगों को अचानक आए हार्ट अटैक के वीडियो वायरल होते देखे जा सकते हैं.

सोशल मीडिया पर अलग-अलग इलाक़ों के वीडियो में जहाँ शादी में नाचता एक व्यक्ति अचानक ज़मीन पर गिरता दिख रहा है, वहीं एक दूसरे वीडियो में एक समारोह में लड़की हाथ में बुके ले जाते हुए गिर जाती है.

एक अन्य वीडियो में अपने दोस्तों के साथ चलते-चलते एक व्यक्ति ज़मीन पर गिर जाता है.

इन घटनाओं के बाद ट्विटर पर # heartattack भी ट्रेंड करने लगा था और लोग कमेंट करके इस तरह की अचानक मौतों पर चिंता व्यक्त करते दिखाई दिए.

हाल ही में कन्नड़ अभिनेता पुनीत राजकुमार की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई थी. वो जिम में कसरत कर रहे थे.

वहीं कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव भी जिम में ट्रेड मिल पर दौड़ रहे थे, तभी उनके सीने में दर्द हुआ था और वोगिर पड़े थे. बाद में डॉक्टरों ने बताया था कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. बाद में उनका निधन हो गया.

लोगों के बीच अचानक आ रहे है ऐसे मामलों को डॉक्टर कार्डियक अरेस्ट के मामले बता रहे हैं.

डॉक्टरों का कहना है कि कार्डियक अरेस्ट हार्ट के आकार और मांसपेशियों के बढ़ने, इसकी नसों में ब्लॉकेज और हार्ट के ख़ून को पंप बंद कर देने की वजह से होता है. जेनेटिक वजहों से भी कार्डियक अरेस्ट हो सकता है.

कार्डियक अरेस्ट के संकेत

डॉ. ओपी यादव, नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट में सीईओ और चीफ़ कार्डियक सर्जन हैं. वे बताते हैं कि आपके शरीर में कोई अनएक्सप्लेन्ड लक्षण दिखाई देते हैं तो सचेत हो जाइए.

ऐसे लक्षणों में शामिल हैं-

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  • पेट में मरोड़ होना
  • पेट के ऊपरी हिस्से में ब्लोटिंग, भारीपन महसूस होना
  • इसे गैस या एसिडिटी समझ कर दरकिनार न करें
  • छाती में दबाव महसूस होना
  • गले में कुछ फँसा हुआ लगे
  • शरीर के काम करने की क्षमता में अचानक बदलाव, जैसे रोज़ आप तीन मंज़िल चढ़ पाते थे और अचानक चढ़ नहीं पा रहे हैं और थकान हो रही है
  • कई दर्द रेफ़र्ड होते हैं जैसे दर्द दिल से पीठ की ओर जाए, कई बार दाँत या गर्दन का दर्द समझकर दरकिनार कर देते हैं, हालाँकि ये नहीं करना चाहिए.
  • परिवार में अगर किसी की 30-40 साल से कम उम्र में या अचानक मौत हुई हो तो आपको कार्डियक अरेस्ट होने का ख़तरा बढ़ जाता है.
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दिल्ली स्थित मैक्स सुपर स्पेशलियटी अस्पताल में सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विवेका कुमार का कहना है,'' हार्ट अटैक में मरीज़ को आधे घंटे या उससे ज़्यादा छाती में दर्द होता है. दर्द बाएँ हाथ की ओर जाता है और उसके साथ काफ़ी पसीना आता है. अगर समय रहते इसका इलाज न हो वो कार्डियक अरेस्ट में तब्दील हो सकता है.''

साथ ही वो बताते हैं कि अस्पताल से बाहर होने वाले कार्डियक अरेस्ट में तीन से आठ फ़ीसदी ही जीवित रहने की उम्मीद होती है.

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डॉक्टरों के मुताबिक हार्ट अटैक में मरीज़ को आधे घंटे या उससे ज़्यादा छाती में दर्द होता है.

कोरोना,वैक्सीन और कार्डियक अरेस्ट का संबंध

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वहीं मीडिया में भी ऐसी ख़बरें आ रही है और इस बात को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं कि जिन लोगों को कोरोना हुआ है और जिन्होंने वैक्सीन ली है उन्हें ऐसे कार्डियक अरेस्ट ज़्यादा हो रहे हैं.

डॉ. ओपी यादव और डॉ. विवेका कुमार दोनों ही कहते हैं कि कोरोना के कारण शरीर में ख़ून के क्लॉट या जमने के मामले सामने आए हैं और ये क्लॉट फेफड़ों, हार्ट, पैरों की नसों और दिमाग़ में बन सकते हैं. हालाँकि ख़ून को पतला करने के लिए मरीज़ों को दवाएँ भी दी गई हैं.

डॉ. ओपी यादव कहते हैं, ''ये हो सकता है कि आपको हाल ही में कोविड हुआ और उसके बाद हार्ट अटैक हुआ हो तो कह सकते है कि दोनों का संबंध हो लेकिन इसके सबूत नहीं हैं. लेकिन जिसे कोरोना हुआ होगा उस व्यक्ति में ख़ून जमने की आशंका बढ़ जाती है और ऐसी स्थिति में हम मरीज़ को ब्लड थिनर देते हैं और कसरत और वॉक करने की सलाह देते हैं. लेकिन हर हार्ट अटैक कोरोना की वजह से हो ये कहना ग़लत होगा.''

डॉ. विवेका कुमार के मुताबिक ''कोरोना वैक्सीन भी एक तरह से कोरोना इन्फेक्शन की तरह है. कोरोना काफ़ी संक्रामक बीमारी है और उसमें क्लॉट बनने की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में अगर हार्ट में हो तो कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है और अगर ब्रेन में जाए ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है. युवाओं में ऐसे मामले ज़्यादा दिख रहे हैं. वैसे स्ट्रेस, धूम्रपान, शराब पीना भी इसके कारण हैं.''

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स्ट्रेस, धूम्रपान, शराब पीने की वजह से लोग हार्ट अटैक के शिकार हो सकते हैं . (फाइल फोटो)

पुरुषों में महिलाओं से ज़्यादा मामले

डॉक्टर बताते हैं कि महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन होता है और पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन.

जब तक एक महिला को माहवारी हो रही होती है उसके शरीर में मौजूद एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर काफी ऊंचा होता है.

ऐसे में जब तक महिला को माहवारी होती है ये हार्मोन उसकी सुरक्षा करता है लेकिन मेनोपोज़ के बाद हार्ट अटैक का ख़तरा बढ़ जाता है.

डॉ ओपी यादव कहते हैं, ''45 साल की महिलाओं के मुक़ाबले पुरुषों में हार्ट अटैक के मामले ज़्यादा हैं. इसका अनुपात 10:1 है. इसका मतलब ये है कि दस पुरुषों की तुलना में एक महिला में हार्ट अटैक होता है.''

उनके अनुसार जैसे ही एस्ट्रोजन का स्तर गिरता है और महिला को मेनोपोज़ होता है तो हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है. वहीं 60 साल की उम्र में महिला और पुरुष के बीच हार्ट अटैक के मामले बराबर हो जाते हैं. 65 साल के बाद पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं में ज़्यादा हार्ट अटैक के मामले सामने आते हैं.

ऐसे में डॉक्टर महिलाओं और पुरुषों दोनों की ही अपने खाने-पीने और कसरत पर ध्यान देने की सलाह देते हैं.

युवा महिलाओं में हो रहे हार्ट अटैक का कारण बताते हुए डॉ ओपी यादव कहते हैं, '' महिलाओं की जीवनशैली में आए बदलाव उन्हें ऐसी बीमारियों की ओर धकेल रहे हैं. धूम्रपान, शराब का सेवन और मैदे से बने भोजन की वजह से इस तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ने लगा है. वहीं घरों में रहने वाली महिलाएं कसरत पर ज़्यादा ध्यान नहीं देती.

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महिलाओं की जीवनशैली में आए बदलाव उन्हें हार्ट अटैक ऐसी बीमारियों की ओर धकेल रहे हैं ( फाइल फोटो)

जिम, सप्लीमेंट्स और कार्डियक अरेस्ट का नाता

डॉक्टरों का कहना है कि अगर आप अचानक जिम जाना शुरू करते हैं और ऐसी कसरत करना शुरू करते हैं, जिसके आप आदी नहीं हैं तो आपको मुश्किलें आ सकती हैं.

डॉक्टर सलाह देते हैं कि जिम करते वक़्त धीरे-धीरे उसका स्तर बढ़ाएं. अगर किसी कम्पीटिशन के लिए तैयारी कर रहे हैं, तो उससे पहले मेडिकल चेकअप ज़रूर करवा लें.

पसीना ज़्यादा आए, तो पानी ज़्यादा पीएँ और शरीर में नमक की कमी न होने दें. शराब, तंबाकू और ड्रग्स का सेवन भी सेहत को प्रभावित कर सकता है और ख़तरे को बढ़ा सकता है.

डॉ विवेका कहते हैं, '' एनर्जी या मसल्स बनाने वाले ड्रिंक्स का सेवन न करें क्योंकि इनमें ऐसी दवाएं होती हैं, जो आपको उत्तेजना बढ़ाती है. इनमें सिंथेटिक कंपाउंड्स भी होते हैं, जो आपको नुक़सान पहुँचा सकते हैं.''

दोनों ही डॉक्टर सलाह देते हैं कि सेहत पर रिटायरमेंट के बाद नहीं, बल्कि जवानी में भी अपनी सेहत पर ध्यान देने की ज़रूरत है. नियंत्रित भोजन और कसरत अच्छी सेहत का मूलमंत्र है.

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