मुंबई लोकल ट्रेन धमाका के आरोपियों के खेलाफ सबुत न मिलने के कारण महाराष्ट्र ए टी एस हैरत में

                            (उर्दू दैनिक "पिन्दार "पटना दिनांक 27/04/2013 पृष्ठ नंबर 11 से लिया गया है )

मुंबई 26/4/2013 (press release)7 /11 मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाका मामले के आरोपी के फोन रिकॉर्ड (सी डी आर)के मुताबिक़ आरोपीयों  के मौकाए वारदात पर मौजूद न होने के बात सामने आते ही महाराष्ट्र  ए टी एस सकते में है , क्योंके  ए टी एस ने दावा किया था के जिन आरोपियों को उसने इस मामले में गिरफ्तार किया है वह धमाकों के वक़्त मौकाए वारदात पर मौजूद थे ,टेलीफोन कंपनी के इस रिकॉर्ड के बाद ए टी एस  सकते में है और वह आरोपियों के खेलाफ बाकी दुसरे पुख्ता सबुत हासिल करने के चक्कर  लगी है ,सनद  रहे  के गुजिस्ता कल 7 /1 1 मुंबई लोकल ट्रेन धमाका मामले में उस वक़्त एक नया मोड़ आ गया जब मोबाइल कंपनी एयर टेल के नोडल ऑफिसर ने मुल्जेमिन के सी डी आर की बुनियाद पर ये एतराफ (स्वीकार )किया के  चार आरोपियों के इस्तेगासा के दावा के खेलाफ मौकाए वारदात पर मौजूद नहीं थे ,इस हकीक़त के सामने आने के बाद आज आरोपियों ने विशेष मकोका अदालत से दरखास्त की के उन्हें अदालत में अपना बयान दर्ज कराने की इजाजत दी जाए , जिसे आज विशेष मकोका अदालत के जज वाई डी शिंदे ने मंजूर करते हुए मुल्जेमिन से अपना बयान दर्ज करवाने  की  3 0 अप्रैल तारीख मुकर्रर की है , गुजिस्ता कल एयर टेल कंपनी का एक नोडल ऑफिसर विशेष मकोका अदालत में हाजिर हुआ था जिसने फैसल शैख़ , एहतेशाम सिद्दीकी ,मुजम्मिल शैख़  और आसिफ खान के तक़रीबन सात साल पुराने कॉल डिटेल रिकॉर्ड अदालत में पेश किये ,जो ट्रेन बम धमाका के वक़्त अपने मोबाइल फोने में उसी कंपनी का सिम कार्ड इस्तेमाल कर रहे थे ,सी डी आर की तफ्सीलात अदालत में पेश होने के बाद इन आरोपियों को कानूनी मदद पहुंचाने वाली संस्था जमिअतुल उलामाए हिन्द (अरसद मदनी )के देफाई वकील अधिवक्ता शरीफ शैख़ ,अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान , और अधिवक्ता प्रकाश शेठ्ठी के सवालों का जवाब देते हुए इस नोडल ऑफिसर ने स्वीकार किया था के सी डी आर के मुताबिक़ 8 और 9 जुलाई 2006 को ये आरोपी उन स्थानों पर मौजूद थे ,जहां वह काम कर रहे थे ..इसके इलावा 1 1 जुलाई वाले दिन भी ये लोग उन्ही जगहों पर मौजूद थे .....वकील देफा  अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के मुताबिक़ इस केस की तफ्तीश करने वाली ए टी एस के अफ्सरान ने ये दावा किया है के इस मुकदमा के एक मुलजिम मोहम्मद अली के मकान पर बम बनाये गए थे और फिर १ १  जुलाई  को आरोपी बम लेकर चर्च गेट रेलवे स्टेशन गए और  वहाँ विभिन ट्रेनों में चढ़ कर विस्फोटक पदार्थों से भड़े बैग को ट्रेन में छोड़ दिया जिन में बाद में धमाके हुए .ताहम सी डी आर के मुताबिक़ धमाकों वाले दिन भी ये चारों आरोपी मौकाए वारदात पर मौजूद नहीं थे , बलके अपने काम काज के स्थान  पर मौजूद थे ,ए टी एस ने ये दावा किया किया है के आरोपियों ने ये तै किया था के वह धमाकों की साजिश के दौरान अपने मोबाइल फोने इस्तेमाल नहीं करेंगे , लेकिन  इस दौरान भी उनके मोबाइल इस्तेमाल हो रहे थे। इसी तरह आज लूप मोबाइल कम्पनी के नोडल ऑफिसर ने भी अदालत में आरोपियों के सी डी आर पेश किये  जो न मोकम्मल हैं ,इसने खुद स्वीकार किया और कहा के कंपनी ने हर संभव कोशिश की है के मोकम्मल डाटा हासिल कर कर के अदालत में पेश  किया जा सके लेकिन इसमें हम कामयाब न हो सके ..दौराने कार्रवाई अदालत में जमिअतुल उलेमा महाराष्ट्र की जानिब से अधिवक्ता शाहिद नदीम अंसारी , अंसार तम्बोली , और अधिवक्ता अभिषेक पांडे वगैरह मौजूद थे  ....     www.biharbroadcasting.com 


                                उर्दू दैनिक पिन्दार पटना दिनांक 4/05/2013 ke page 11 से
                                      मुझे नंगा करके मेरे हाथ पैर जंजीरों में जकड़ दिए गए
                 विशेष मकोका अदालत के जज के सामने आरोपी एहतेशाम सिद्दीकी की गवाही .
मुंबई 3 मई (एजेंसी )विशेष मकोका अदालत के जज वाई डी शिंदे के रूबरू अपने ही खेलाफ दायर मुक़दमे में बतौर गवाह देफाह पेश हुए ,मुल्जिम एहतेशाम सिद्दीकी ने इन आरोपोयों को मुफ्त कानूनी सहायेता पहुंचाने वाली संस्था जमिअतुल उलुमाये हिन्द महारष्ट्र (अर्शद मदनी )के वकील शरीफ शैख़ की जानिब से आज तीसरे दिन भी सवालों के जवाब देते हुए कहा के मुझे 8 दिसंबर 2006 को बंगलौर के लेडी कर्जन अस्पताल नार्को टेस्ट के लिए ले जाया गया जहाँ मुझे मुझे एक कमरे में उल्टा लेटने के लिए कहा गया .जहाँ कमरे में पहले से ही डी सी पी नवल बजाज मौजूद थे .मुझे वहां सलाइन के जरिये इंजेक्शन भी लगाया गए , जिससे मैं बेहोश हो गया ..जब मुझे होश आया तो मुझे बैंगलोर एयरपोर्ट लेजाया गया मुंबई जाने के लिए ,उस वक़्त मेरे साथ ए सी पी  शिल्के और एक कांस्टेबल थे . सफ़र के दौरान  ए सी पी सालके ने बताया के नार्को टेस्ट के दौरान ये यकीन हो गया के तुमने ब्लास्ट नहीं किये , फिरभी मुझे मुंबई लाकर भुई वाड़ा पुलिस स्टेशन लॉकअप में रख्खा गया और फिर मुझे मज्गाओं कोर्ट में उसी दिन हाजीर किया गया .पुलिसे ऑफिसर शिल्के पी आई तिजने ने मुझे कहा के मई जज के सामने कुछ नहीं कहूँगा  और मैं ने जज के सामने कुछ नहीं कहा और  न ही जज ने मुझसे कोई सवाल पुछा .फिर मुझे पुलिस कस्टडी में दे दिया गया .एक दिन फिर मुझे बजरिये हवाई जहाज बैंगलोर के उसी स्पताल में जहाँ पहले मेरा नार्को टेस्ट कराया जा चुका था ..नार्को टेस्ट की वीडियो रेकोर्डिंग भी की गई ...इस दरमयान मुझसे  बहुत सारे सवाल किये गए लेकिन विशेष तौर पर ये सवाल किया के मैं ने लोकल ट्रेन में बम रखे थे जिसका मैंने नकारात्मक जवाब दिया ...फिरभी मुझे 1 3 दिसंबर 2 0 0 6 को मुंबई वापस लाया गया ...दौराने सफ़र मैंने पुलिस ऑफिसर पी आई खांडेकर से कहा के नार्को टेस्ट में कुछ  नहीं निकला है और क्या मुझे जल्द ही छोड़ दिया जायेगा , लेकिन पुलिस अफसर ने कहा के नार्को टेस्ट में बहुत कुछ निकला है और फिर उसने मुझे सफ़र के दौरान कोई बात नहीं की . मुंबई आने के बाद नागपाड़ा ए टी एस ऑफिस ले जाया गया जहाँ पहले से ही के पी रघुवंशी मौजूद थे जो मुझे अन्दर एक केबिन में ले गये , जहाँ उन्हों ने मुझे तमाम आरोपियों के नाम बताये गए और कहा गया के इन में से तूम किस किस को जानते हो ..मैं ने कहा के मैं डाक्टर तनवीर और साजिद अंसारी को जानता हूँ और बाक्य आरोपियों से कोई जान पहचान नहीं है ..... फिरभी मुझसे के पी रघुवंसी ने कहा के अगर मैं बम धमाकों की जिम्मेदारी कबूल नहीं करूँगा तो मैं तुम्हे encounter में मार दूंगा  , फिर उन्हों ने पी आई खांडेकर और पी आई ताजने को अन्दर केबिन में बुलाया और कहा के रस्सी लेकर आओ उसके हाथ पाऊँ बांधकर इसे बोरीओवेली के नेशनल पार्क में छोड़ दो और जब ये चलने लगे तो इसे पीछे से गोलियों से भून डालो .उसके बाद मुझे काला चौकी में ले जाकर कमरे में छोड़ दिया गया जिसके चारों कोनो में जंजीरे लगी हुई थीं .उसी रात क् additional  ए सी पी जय जीत सिंह . ए पी आई खानोलकर ,पी एस आई सचिन कदम ,कांस्टेबल सालुई ,और दसरे सहायक पुलिस दस्ता के लोग ने  और रस्सी लेकर आये और मेरे हाँथ पाँव बाँध दिए और फिर मुझे जमीन पर बैठने कहा और फिर मेरे दोनों पैरों को दो विपरित दिशाओं में खिंचा गया जिससे मुझे शदीद तकलीफ होने लगी ..इसी दौरान पुलिसे अफसरान मुझसे सिर्फ और सिर्फ एक ही सवाल कर रहे थे के किसने ये बम ब्लास्ट किये हैं और जब मैं ये कहता के मुझे पता नहीं तब वह मेरे दोनों पैरों को और जोर से फैलाते , जिसकी वजह से बहुत जेयादा तकलीफ होने लगी ... इसके बाद उन्होंने मुझे उसी कमरे में बंद कर दिया गया जहां मेरे पास सर्दी से बचने के लिए कम्बल वगैरह कुछ भी नहीं था ...दुसरे रोज जब मैं पेशाब करने बैठा तो पेशाब के साथ खून भी आया मैं ने उनसे कहा के अस्पताल लेक चलो लेकिन पुलिस अफसर ताजने ने कहा के सब खुद ब खुद ठीक हो जायेगा अस्पताल  जाने की जरुरत नहीं है ....लेकिन मेरे कहने के बावजूद कोई भी चिकित्सकिये सहयेता नहीं पहुंचाई , और कहा के इसकी कोई जरुरत नहीं है ,खुद ब खुद ठीक हो जायेगा ......अधिवक्ता शरीफ शैख़ के सवाल पर मुलजिम एहतेशाम ने मजीद ये कहा के इस वाकेया के दुसरे दिन मुझे पी आई ताजने  नागपाड़ा  ए टी एस ऑफिस ले गये जहां पहले से ही के पी रघुवंशी , जय जीत सिंह ,जैसवाल , पी आई  खानोलकर और ए पी आई सचिन कदम मौजूद थे .....ए  पी आई सचिन कदम उन में मिठाई तकसीम कर रहा था ....इसी दरमयान के पी रघुवंशी ने कुछ कागजात मेरे सामने करते हुए कहा के मैं उन कागजात पर दस्तखत करूँ मगर मैं ने दस्तखत करने से इनकार कर दिया .मेरे इनकार करने पर दुबारा मुझे रस्सी से बांध बांधकर कर जद व कोब करना शुरू कर दिया गया ......इसी दौरान मेरे सर पर शदीद जर्ब पहुंचाई गई ,जिसके बेना पर मुझे सांस लेने में दिक्कत पेश आने लगी ,लिहाजा इन लोगों ने मेरा ब्लड प्रेसर खुद ही चेक किया और मुझ से की जाने वाली मार पीट बंद कर दी गई .....उसके दुसरे रोज मेरे कमरे में जहाँ में जेरे तफ्तीश था , पुलिस अफसरान  ताजने , खानोलकर ,सचिन कदम और कुछ कोंस्टेबल आये और नंगा करके मेरे हाँथ पाँव बाँध जंजीर से  बाँध दिए और मेरे जिस्म के ख़ास हिस्से पर पंद्रह मिनटों तक इलेक्ट्रिक शॉक लगाया गया ,जिसकी वजह से मैं कुछ देर तक बेहोशी की हालत में पड़ा रहा , दिन गुजर ने के बाद इसी रोज रात में फिर उपरोक्त अफसरों ने दोबारा मेरे कमरे में आये और मुझे यातनाएं पहुंचाए .......   www.biharbroadcasting.com


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