patna blast ka gujrat connection taftish ki darkaar


पटना ब्लास्ट का गुजरात कनेक्शन
पटना के इतिहासिक गाँधी मैदान में भारतीय जनता पार्टी की हुँकार रैली के दौरान होने वाले आठ सिलसिलेवार बम धमाके के बाद इसकी तफ्तीश राष्ट्रीय जांच एजेंसी अथवा एन आई ए के सुपुर्द किये जाने के फैसले को बेला सुबह सही दिशा में उठाया गया एक सही क़दम करार दिया जायेगा । कयोंके एन आई ए इस तरह के मामलात और वक़ेआत की जाँच परताल में काफी महारत और तजरबा रखती है; लेकिन इन बम धमाकों को लेकर जिस तरह की बयानबाजी और सियासी गुटबंदी शुरू हो गई है उसको देखते हुए ये शक पैदा होता है के जाँच एजेंसी शायद ही कीसी सही नतीजे पर पहुच सके । ऐसे तो स्थानिये पुलिस ने ही धमाके के दिन ही यानी इतवार को पटना जंक्शन पर जख्मी हालत में इम्तेयाज अंसारी और tarique को गिरफ्तार करने के बाद इस मामले में संलीप्त कथीत इंडियन मुजाहेदीन के 6 कथित लोगों की निशानदेही करने में कामयाबी हासिल करने का दावा किया है ' लेकिन इन गिरफ्तारियों और बम धमाकों की नौइयत और उद्द्येशों को लेकर विभिन स्थानिये अख्बारात के पन्नो और टेलीविज़न चैनलों पर जो details पेश की जाती रही हैं उनको पढ़ने और सुनने के बाद बिहार पुलिस के दावे में कई तरह के वीरोधाभासी बातों का पता चल रहा है । हालाके मंगल को रांची में एन आई ए के अलावा पटना पुलिस ; बिहार पुलिस और रांची पुलिस की टीम ने तहसीन ; हैदर ; नोमान ; और तौफीक की तलाश में कई जगह छापे मारी लेकिन उसको कोई कामयाबी नहीं मिली। एन आई ए के मुताबिक़ पटना के गाँधी मैदान में हुए बम धमाकों में indian mujahedin के जिस दहशतगर्द का हाथ होने का साबुत मिल रहा है वह बिहार में समस्तीपुर जिला के कल्यानपुर थाना के मन्यारपुर गाँव का रहने वाला तहसीन उर्फ़ मोनू है ' जो आई एम् मास्टरमाइंड यासीन भटकल की गिरफ्तारी के बाद से इस तंजीम को सरगना की हैसियत से चला रहा है । तहसीन की गिरफ्तारी पर एन आई ए ने दस लाख रूपये का नक़द इनाम का एलान कर रख्खा है लेकिन वह अपनी चालाकी से अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बचता रहा है । जांच एजेंसियों का कहना है के tarique और इम्तियाज अंसारी ने अब तक पुलिस को जो सूचना उपलब्ध कराई है उसकी बुनियाद पर ये वाजेह हो गया है के तहसीन ने ही इस बम धमाके का योजना तैयार किया था।ऐसे तो एन आई ए ,एन एस जी और बिहार पुलिस के अनेकों branch जैसे civil पुलिस के अलावा रेलवे पुलिस वगैरह भी इस सनसनीखेज वाकेया की तफ्तीश में शुरू दिन से ही लगी हुई है और कई कथित दहशतगर्दों की गिरफ्तारी का दावा भी किया जा रहा है और इन जेरे हिरासत दहशतगर्दों की तरफ से किये गए खुलासे के बुनियाद पर पुरे मामले की जांच में काबिले लिहाज पेश्रफ्त का एलान भी सामने आ रहा है लेकिन हैरत की बात ये है के बिहार का कोई भी आला पुलिस अफ़सर या एन आई ए का कोई जिम्मेदार इस बारे में खुल कर बात करने के लिए तैयार नहीं देखाई दे रहा है । आखीर इसकी वजह क्या है ?क्या इन तमाम जाँच एजेंसियों में कोई ताल मेल नहीं है? या फिर साड़ी एजेंसियां महज पुराने रेकॉर्डों के बुनियाद पर कुछ लीगों को पकड़ने में कामयाब हो गई हैं ?लेकिन उनको इस संगीन जुर्म से जोड़ने के लिए कोई ठोस बुनियाद या कोई ठोस साबुत तलाश करने में नाकाम रहीं हैं ? जैसा के मैंने पहले ही कहा के जांच agensiyon की अबतक की हसुल्याबिओन की बाबत मीडिया में जो खबर आई हैं उसमें बहुत ही वीरोधाभास पाया जा रहा है । पटना के एस एस पी ने दावा किया था के इन बम धमाकों का मकसद खुद नरेंदर मोदी को निशाना बनाना नहीं था कयोंके सारे के सारे बम स्टेज से काफी दूर फीट किये गए थे , लेकिन कुछ अख्बारात में इंटेलीजेंस या जांच एजेंसियों के हवाले से खबर पेश की गई है के हमलावरों का असल मकसद नरेंदर मोदी को ही निशाना बना था और इन्तेहपशंदों ने इसके लिए काफी दिनों से प्लानींग कर रख्खी थी । report के मुताबीक इम्तियाज अंसारी ने जो जो इन्कसफात किये हैं उसके मुताबीक इन्तेहपशंदों ने मोदी के लिए मछली नंबर 5 का कोड फीक्स कर रख्खा था जबके शिवसेना के पूर्व chief बाल ठाकड़े के लिए मछली नंबर 1 कोड तैय कर रख्खा था । सवाल ये है के क्या इंडियन मुजाहेदीन के ये कथीत दहशतगर्द hindustaan में रहते हुए इस हकीक़त से अनजान हैं के बाल ठाकड़े दुनिया से कब के वीदा हो चुके हैं? इसी तरह की खामियां हर report में नजर आये गी जिससे पता चलता है के ये सारी की सारी report फर्जी और मनगढ़ंत हैं जिसको प्रकाशित करने का मकसद एक विशेष समुदाय के खेलाफ गलतफहमियां फैलाना और समाज में सम्पर्दैकता की हवा देना है । वैसे मेरा खेयाल है के रा सरकार को कोंग्रेस के उन दो बड़े leaders दीग वीजय सींह और सुबोध कांत सहाए के उस बयान पर धेयान केंद्रीत करनी चाहीए ,जिसमे ये दावा किया गया है के भारतीय जनता पार्टी ने नरेंदर मोदी को हीरो बनाने के लिए ये धमाके कराये हैं । इस बयान का आधार क्या है ? इसकी गहराई से छानबीन होनी चाहिए ,हालाके अफ़सोस का मोकाम ये है के खुद जनता दल (यू )

के लीडर इस मामले में मुद्दई सुस्त और गवाह चुस्त वाली policy पर अमल कर रहे हैं । नरेंदर मोदी की हिफाजत के मामले में कोताही और लापरवाही बरतने का इल्जाम वजीरे आला नीतीश कुमार पर लगाया जा रहा है लेकिन सवाल ये है के मोदी की आमद से पहले गुजरात के कई आला पुलिस अफसर सारे हिफजती बंदोबस्त का खुद जाएजा लेने के लिए दो दिन पहले से ही पटना आये हुए थे और उसे ए टू जेड इन्तेजामात की निगरानी से मोकम्मल तौर पर वाबस्ता रहे थे , आखीर उनहोंने कहाँ कोताही बरती या उनसे कहाँ चुक हुई ? कहीं गुजरात के उन पुलिस अफ्सरोंने ही अपने सियासी आका के इशारे पर कुछ इस तरह की गड़बड़ तो नहीं करवादी थी ताके बी जे पी को नितीश कुमार और उनकी हुकूमत के खेलाफ प्रोपेगंडा करने के साथ साथ रियासत के अल्पसंख्यकों को बदनाम करने का एक अछ्छा हथीयार हाथ आ जाए ? गुजरात पुलिस वैसे भी फर्जी एनकाउंटर ,सम्पर्दाइक दंगों में अपनी संलिप्तता के लिए कुख्यात रही है । इसे महज इत्तेफाक नहीं करार दिया जा सकता के इस वक़्त गुजरात पुलिस के 30 छोटे बड़े अफसर विभिन तरह के दंगों के मामले में खुद अपने ही राज के विभिन जेलों में बंद हैं । फर्जी एनकाउंटर में मोदी के सियासी विरोधियों का सफाया करने और मासूम लोगों को कसूरवार और दहशतगर्द साबित करने के लिए नाजायेज हथियार और गोला बारूद उनके करीब प्लांट कर देने के अनेकों मामले में गुजरात पुलिस की संलिप्तता की बात प्रकाश में आ चुकी है ।वैसे भी मोदी ने नितीश कुमार को अपना सबसे बड़ा सियासी दुश्मन समझते हुए उनके खेलाफ जिस तरह की मोकम्मल सियासी जंग छेड़ रख्खी है इसमें वह किसी भी हद तक जा सकते है । काबिले गौर बात ये है के मोदी पार्टी सतह पर तो नीतीश कुमार के खेलाफ कट्टर विरोधी हैं ही ,उनसे उनकी दुश्मनी जाती नौइयत की भी हो गई है कयोंके मोदी की उमिद्वारी को लेकर नितीश कुमार ने ही बी जी पी से अपना नाता तोडा है ।नरेंदर मोदी पर इक्तेसादी और पुर तसद्दुद सेयासत करने का इल्जाम भी लगता रहा है , चुनान्चे मेरा खेयाल है के पटना बम धमाकों के गुजरात कनेक्शन की भी पूरी पारदर्शिता और गहराई के साथ छान बीन की जानी चाहीये । यहाँ पर ये बात भी गौर करने के काबिल है के पटना पुलिस के मुताबीक गाँधी मैदान में जो कई बम मीले हैं उस पोलीथीन पर गुजरात का पता लीखा हुआ है ।जांच एजेंसियां अभी तक वही पुरानी घिसी पीटी डगर पर अपनी तफ्तीश को आगे बढाने की कोशिश में लगीं हुई हैं जबके उन्हें गुजरात के उन तमाम पुलिस अफसरों से जो पटना आये थे सख्ती के साथ पूछ ताछ करनी चाहिए और ये पता लगानी चाहिए के गुजरात से कुछ दुसरे लोग भी किसी ख़ास मकसद के लिए पटना तो नहीं बोलाए गए थे ।मेरे खेयाल में जब तक इस मामले की हर पहलु से जांच नहीं की जायेगी उस वक़्त तक किसी सही नतीजे पर पहुंचना बहुत ही मुश्कुल होगा ।आम तौर पर देखा गया है के जब भी और जहां भी बम धमाके होते हैं जांच एजेंसियां एक ख़ास फ्रेम और सीमीत फ्रेम वर्क करके छोड़ देती है जिसके नतीजे में जेयादा तर मामले में बेक़सूर नौजवान ही कानून के शिकंजे में फंसते हैं और आरोपी साफ़ तौर से बच जाते हैं। (मसुदुल रब -urdu dainik pindaar पटना दीनांक 1/11/2013)

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