Priya Yadav . के फेसबुक वाल से


एक लङकी थी दीवानी सी, पूजा पाठ
करती थी,
संसार का भटकाव छोङ ईश्वर की शरण मे
जाना चाहती थी.
गली के मोङ पे अक्सर एक
आवारा लङका उसका इँतजार किया करता.
उसे देखता. रोकता. गीत गाता.
लङकी दुखी होकर एक संत के आश्रम
चली गयी.
बरसो से उसका परिवार संत का अनुयायी था.
लङकी को आश्रम मे शान्ति मिली. लेकिन एक
दिन संत ने कहा तुम पर प्रेत
का साया है.
मैने बहुतो का छुङाया है,
एक रात संत ने प्रेत
बाधा दूर की और लङकी का विश्वास उठ
गया.
लङकी ने समाज को जगाने की ठानी.
वह पत्रकार बन गयी. लेकिन एक दिन एक
आदर्श पत्रकार मुखौटे ने
उसे लिफ्ट मे रोक लिया. लङकी ने अपनी ठान
छोङी वह सीधे नेता के
पास गयी शिकायत करने.
लेकिन नेताजी अपने बेडरुम मे किसी और
की शिकायत सुन रहे थे.
लङकी जज के पास गयी तो जज ने फैसले के
बदले आबरु माँग ली.
लङकी लौट आयी अपने घर,
नुक्कङ पर
वही आवारा लङका मिला
लङकी ने उसे रोते हुए कहा....
तुम कितने अच्छे हो, सच्चे हो.
जो अंदर हो वही बाहर हो

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