देखिये बिहार पुलिस के काले कारनामे । मासूम अंदर और गुनहगार बाहर । मासूम को मासूम होने के लिए देना पड़ा माल । जिसने नहीं दिया उन्हें जाना पड़ा अंदर ।

मांझी के मुख्यमंत्री रहते भले ही कुछ न हुआ हो , मगर बिहार पुलिस ईमानदार बहुत हो गयी है , निचे कुछ चौकाने वाली बात बताने जा रहा हूँ ,जिसे पढ़ने के बाद बिहार पुलिस की ईमानदारी की लोहा आप भी मानने पर मजबूर हो जायेंगे । निचे एक मामले से सम्बंधित खबर की रिपोर्टिंग है जो कुछ माह पहले लिखी गयी थी , इस मामले में एक और चौकाने वाली बात सामने आई है वह यह है की पीड़ित पक्ष को फंसाने के लिए पुलिस ने मुद्यालय पक्ष से पीड़ित पक्ष और उसके गाँव के मासूम लोगों के विरुद्ध औरत से छेड़खानी और हरिजन एक्ट के तहत मामला बनाने के लिए आवेदन लिखवाया । उसके बाद पूर्वी चंपारण की चकिया पुलिस मासूमों को मासूम लिखने के लिए पैसे की मोटी रकम की मांग करने लगी ,सूत्रों के अनुसार जिन लोगों ने चकिया पुलिस और सम्बंधित वरिये अधिकारी को मोटी रकम दे दी उन सभी को मासूम करार दे दिया और उसी मामले में जिन लोगों ने बतौर घुस मोटी रकम नहीं दी उसके विरुद्ध काउंटर केस के मामले में मामले को true करार दे कर सभी मासूमों को जेल भेज दिया ।
सभी मासूम कई महीने से जेल की हवा खाने को मजबूर हैं ।यानी अगर आप मासूम हैं और निर्दोष हैं इसके बावजूद बिहार पुलिस बगैर मोटी रकम लिए आप को निर्दोष साबित करने नहीं जा रही
निर्दोष साबित होने के लिए आप को मोटी रकम बतौर घुस देना ही होगा वरना अंजाम आपके सामने पेश है ।
कया था मामला पढ़िए निचे लिखी रिपोर्ट जो कुछ माह पूर्व घटना के सम्बन्ध में लिखी गयी थी .....
जांच करने वाली पुलिस खुद जांच के दाएरे में । चकिया पुलिस के एक ए एस आई ने पीड़ित और आरोपी दोनों से ल��

Posted on 27th Jun 2014 17:43:47

पूर्वी चंपारण की चकिया पुलिस जांच के दाएरे में आ गयी है ।वजह बनी है घुस लेकर पक्षपात करने का ।
दिनांक 26/6/14 को चकिया थाना के मनी छपरा गाँव के वार्ड एक में सुबह के 7 बजे के आस पास भूमि विवाद के कारण मार पीट की घटना दो पक्षों में हुई थी ।
दिनांक ...........26/6/14 को ही पीड़ित पक्ष थाना में मामला दर्ज कराने पहुंचा दरखास्त तो थाना में बैठे हुए अधिकारियों में से किसी ने ले लिया मगर रिसीविंग नहीं दिया गया ,जो की कानूनी रूप से अनिवार्ज था ।
बताया जाता है की थाना से कार्रवाई का भरोसा दिलाकर पीड़ितों को टहला दिया गया । और पुलिसिया चुस्ती का आलम देखिये की दिन के 11 बजे के आस पास दर्ज कराये गए मामले की जांच पड़ताल करने वाले पदाधिकारी रात को 9 बजे मौका -ए - वारदात पे आये ।
अब सवाल उठने लगा है की मात्र 3 किलोमीटर की दुरी तय करके आने में 10 घंटे का वक़्त कैसे लगा ?
जांच अधिकारी यानी पीड़ित के अनुसार ASI चकिया थाना ने उनसे कार्रवाई करने के बदले पैसे की मांग कर बैठा .....पीड़ित के अनुसार उसने 1000 रुपया बतौर घुस जांच अधिकारी को दिया .
यानी जांच के लिए पैसा ........क्या ऐसा भी होता है किसी दबंग और असामाजिक तत्यों से मार भी खाईये , जांच के लिए घुस भी दीजिये , मगर ऐसा ही हुआ है चकिया थाना के manichapra गाँव के वार्ड एक के सम्शुशुद्दीन और उनके परिवार के साथ ।
बात इतना पर भी ख़त्म नहीं हुआ , पीड़ित शमशुद्दीन के अनुसार पुलिस के आने के पहले ही आरोपी फरार घर से हो गया ,कयास लगायी जा रही है की पुलिस ने हे पहले से आरोपी को घर छोड़ कहीं दुसरे जगह जाने को कह दिया गया था ।
जांच अधिकारी दोनों पक्षों को थाना पर दिनांक 27 /6/14 को आने का फरमान जरी कर चले गए ।
पीड़ित के अनुसार आरोपी गाँव के ही एक मुखबिर और थाना के दलाल के साथ जांच अधिकारी के साथ पहले से ही बैठा था । जरा सोंचिये जब आरोपी और ,थाना दलाल ,पुलिस पहले से रिश्तेदारी निभा रहें हों तो निष्पक्ष जांच ....और उसके औचिय्तय पर सवालिया निशान लगना लाजमी है ।
पीड़ित ने आरोप लगाया है की जांच अधिकारी ने जिस तरह से मुझ से जांच के नाम पर पैसे लिए उसी प्रकार मामले को आरोपी के पक्ष में अथवा बचाने के लिए पैसे लिए ।और आरोपी के पक्ष में बात बोलकर थाना से ही भगा दिया साथ ही ब्लैक मेलिंग करने के लिए आरोपी से मेरे विरुद्ध भी एक दर्कास्त इस लिए ले लिया गया ताकि उस कम्पलेन को बुनियाद बनाकर मेरा मुहं बंद किया जा सके । यहाँ बताते चलें की आरोपी का एक भाई अभी हाल ही में किसी संदिग्ध गतिविधि में जेल गया था और अभी जमानत पर बाहर आया हुआ है ।
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