20 बच्चों की मौत के बाद सूरत में पसरा मातम, दमकल विभाग पर लोगों का गुस्सा


सूरत अग्निकांडइमेज कॉपीरइटGSTV
शुक्रवार को अग्निकांड में 20 छात्र-छात्राओं की मौत के बाद पूरे सूरत शहर में मातम पसरा था.
सूरत के मुख्य श्मशान घाट पर शनिवार की सुबह से शवों की लाईन लगी हुई थी. जिन लोगों ने अपने बच्चे खोए, उनका रो रो कर बुरा हाल था.
हर चेहरा उदास दिख रहा था. जिस तरह से परिजन अपने गुजरे हुए बच्चों के लिए बिलख रहे थे, पुलिसकर्मियों और मीडिया कर्मियों की आंखों में भी आंसू आ गए.
सूरत के सरथाणा इलाके में स्थित तीन मंजिला तक्षशिला कांप्लेक्स में ये आग लगी थी जिसकी छत पर टीन शेड डालकर कोचिंग क्लास चलाया जा रहा था.
अलोहा क्लासेज में आर्किटेक्ट और डिज़ाइनिंग के ग्रेजुएट कार्यक्रमों के लिए एंटरेंस एग्ज़ाम की तैयारी कराई जाती है.
छुट्टियों का दौरान समर क्लास में बहुत सारे बच्चे प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए आए थे, जिनमें ज्यादातर लड़कियां थीं.
ये इलाका पाटीदार समाज बहुल है और हादसे में प्रभावित ज़्यादातर बच्चे इसी समुदाय से आते हैं.
सूरत अग्निकांड

20 बच्चों की मौत

तक्षशिला इमारत के पास ही गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का ट्रांसफार्मर था जिसमें स्पार्क के कारण आग लग गई.
हादसे के प्रत्यक्षदर्शी प्रफुल्ल मनकाना के अनुसार, स्पार्क की वजह से आग नीचे से तीसरे माले तक पहुंची और फिर छत पर लगे शेड में थर्मोकोल के कारण आग देखते देखते पूरी तरह फैल गई.
पुलिस कमिश्नर सतीश कुमार शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि हादसे के दौरान छत पर 40 बच्चे थे. आग में झुलस कर और कूदने से 20 बच्चों की मौत हो गई.
स्थानीय लोगों का गुस्सा फ़ायर ब्रिगेड को लेकर अधिक दिखा.
उन्होंने बीबीसी को बताया कि फ़ायर ब्रिगेड का कार्यालय घटनास्थल से महज तीन किलोमीटर दूर था लेकिन उन्हें आने में 45 मिनट लग गए.

फ़ायर ब्रिगेड पर गुस्सा

जब दमकल विभाग के कर्मचारी पहुंचे तो उनके पास इतनी लंबी सीढ़ियां नहीं थी कि वो तीसरे माले तक पहुंच सकें.
इस दौरान कुछ बच्चों के परिजन भी पहुंच गए थे. इन्हीं में से एक बच्चे मीत संघाणी के एक रिश्तेदार ने बताया कि वो दमकल कर्मियों के साथ दूसरे माले तक गए थे लेकिन आग तक पहुंचने के लिए पानी का प्रेशर इतना नहीं था कि वो तीसरे माले तक पहुंच गाया.
इतने बड़े हादसे से लोगों में भरी गुस्सा है. शुक्रवार को ही गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी परिजनों से मिलने पहुंचे.
उन्होंने पीड़ितों के परिजनों को चार चार लाख रुपये देने की घोषणा के साथ हादसे की जांच के आदेश दिये.
शनिवार को विपक्ष के नेता परेश धानानी भी पहुंचे और विपक्षी दलों के नेताओं के आने का सिलसिला जारी है.
पाटीदार अनामत आंदोलन समिति ने शनिवार को सूरत बंद का आह्वान किया है. सूरत शाखा के संयोजक धार्मिक मालवीय ने बीबीसी को बताया कि जबतक दोषी लोगों को पकड़ा नहीं जाता उनका विरोध जारी रहेगा.
सूरत के इस इलाके में शनिवार को ज़्यादातर दुकाने बंद रहीं और लोग सड़कों पर दिखे. पूरे शहर में एक मातम जैसा माहौल है.
सूरत अग्निकांड

13 साल की श्रुति बाल बाल बचीं

सूरत पुलिस ने एलोहा क्लासेज के संचालक भार्गव बुटानी को गिरफ्तार किया है.
भार्गव छत पर टीन शेड में किराए पर कोचिंग चलाते थे. दूसरे और तीसरे माले के मालिक हर्सुल भाई वेकड़िया और जिग्नेश बाघडाल हैं.
परेश पटेल की बेटी श्रुति पटेल (13) उसी कोचिंग में मौजूद थीं, वो हादसे में किसी तरह बच गई हैं. परेश पटेल ने बीबीसी को बताया कि दमकल की गाड़ियां लेट आईं.
परेश इस बार से काफ़ी नाराज़गी में गुस्से में कहा कि 'वो आ तो गए लेकिन उनके पास पूरे उपकरण भी नहीं थे.'
एक छात्र नीट संघानी (17) को इस हादसे में बचाया नहीं जा सका. उनके मामा मिलिंद वाला ने बताया, "नीट पढ़ाई में काफ़ी अच्छा था और दसवीं में से 89 प्रतिशत अंक मिले थे और वो आर्किटेक्ट बनना चाहता था."
एक अन्य छात्र दर्शन ढोला (17) इस हादसे में बच तो गए लेकिन कूदते समय उनके जबड़े में काफ़ी चोटें आईं और उनकी कई सर्जरी होनी है.
हालांकि कूदते समय दर्शन को पकड़ने की कई लोगों ने कोशिश की थी. दर्शन के भाई पार्थव ने बताया, "वो काफी अच्छे विद्यार्थी थे जिनका ऑल इंडिया जेईई में शीर्ष 100 रैंक में नाम आया था. अब नहीं जानते कि वो कम अपनी पढ़ाई शुरू कर पाएंगे."
मरने वालों बच्चों में सबसे कम उम्र (15 साल) ईशा काकड़िया की थी.
सूरत आग: जान बचाने के लिए बिल्डिंग से कूदे लोग
छतों पर व्यावसायिक गतिविधियों से हादसा
इस पूरे मामले में फ़ायर चीफ़ बसंत पारिख ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
गुजरात अरबन डेवलेपमेंट एंड अरबन हाउसिंग डिपार्टमेंट के प्रिंसिपिल सेक्रेटरी मुकेश पुरी ने बीबीसी को बताया कि 'फ़ायर ब्रिगेड को लेकर जो भी शिकायतें हैं उन्हें लेकर सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं और वो खुद इस मामले की जांच कर रहे हैं. कलतक इसकी रिपोर्ट वो सरकार को देंगे.'
उन्होंने कहा कि ज़िम्मेदार फ़ायर डिपार्टमेंट के लोगों पर कार्रवाई की जाएगी और सिर्फ सूरत में ही नहीं बल्कि पूरे गुजरात में ऐसे हादसे आगे न हों इसके लिए एक नीति बनेगी.'
घटना वाले इलाके में ग़म और ग़ुस्से का आलम शुक्रवार की पूरी रात दिखा. पूरी रात लोग सड़कों पर थे और वो प्रशासन और सरकार पर ग़ुस्सा ज़ाहिर कर रहे थे.
बहुत सारे लोगों ने बीबीसी को बताया कि ऐसी कई व्यावसायिक इमारतें हैं जिनके छत को भी किराए पर दे दिया गया है.
स्वाभाविक बात है कि अगर छत पर शेड बनाकर व्यावसायिक गतिविधि चल रही है तो वहां सुरक्षा के उपाय की कोई गारंटी नहीं है. निकास द्वार भी एक ही होता है.

Comments

Popular posts from this blog

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

Department of Education Directory