मोतिहारी: 70 साल के दिग्गज के सामने 27 साल का युवा- लोकसभा चुनाव 2019

राधा मोहन सिंहइमेज कॉपीरइटRADHA MOHAN/ TWITTER
बिहार बीजेपी ही नहीं बल्कि मौजूदा केंद्र सरकार के पॉवरफुल कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह छठी बार पूर्वी चंपारण से संसद पहुंचने की तैयारियों में जुटे हैं.
पांच बार के सांसद राधा मोहन सिंह को पूरा भरोसा है कि यहां की जनता उन्हें चुनेगी और देश भर की जनता एक बार फिर से मोदी सरकार को चुनाव जिताएगी.
राधा मोहन सिंह कहते हैं इलाके के लोगों के लिए किया गया उनका काम है और बीते 30 सालों से वे इलाके के लोगों के सुख दुख के साथी रहे हैं.
राधा मोहन सिंह अनौपचारिक बातचीत में कहते हैं कि नमांकन भरने के दिन ही लोगों की भीड़ ने उन्हें निश्चिंत कर दिया था.
इसके बाद उनके समर्थन में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह चुनावी रैली कर चुके हैं.
बीजेपी में इस बार ये देखने को मिला है कि मोदी के बाद अमित शाह और योगी आदित्यनाथ स्टार प्रचारक की भूमिका में हैं. अमित शाह और योगी आदित्यनाथ एक ही इलाके में जाने से बचते हैं.
लेकिन पूर्वी चंपारण में अमित शाह की रैली के बाद चुनाव प्रचार के आखिरी दिन योगी आदित्यनाथ भी अरेराज में चुनाव प्रचार करने पहुंचे.
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मोदी के नाम पर चुनाव

अरेराज कॉलेज में योगी आदित्यनाथ की चुनावी सभा के लिए 10 बजे से ही लोगों की भीड़ जुटी थी. दोपहर दो बजे के बाद शुरू होने वाली सभा के लिए जितने लोग पंडाल में थे उससे कहीं ज्यादा लोग बाहर थे.
योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर कहा कि बिहार में अगर विकास की रफ्तार को कायम रखना है तो लोगों को एक बार फिर से राधा मोहन सिंह को जिताना चाहिए.
योगी आदित्यनाथ ने बतौर कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के कामों की तारीफ़ की और कहा, "मैं जानता हूं वे सात दिन में तीन दिन अपने इलाके में ही रहते आए हैं."
योगी आदित्यनाथ की सभा में ऐसे लोग भी मौजूद थे जो ये मान रहे थे कि राधा मोहन सिंह ने उनके इलाके मे कुछ भी नहीं बदला है लेकिन मोदी को जिताना है क्योंकि देश को मजबूत सरकार चाहिए.
वहीं कुछ लोगों ने ये भी बताया कि इलाके के लोगों के लिए राधा मोहन सिंह हमेशा उपलब्ध रहते हैं. लेकिन राधा मोहन सिंह आखिरी पलों तक तैयारी में कोई कसर नहीं रख रहे हैं.
इसकी वजह ये है कि उनके सामने कांग्रेस के दिग्गज नेता अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश कुमार सिंह हैं.
आकाश सिंह

27 साल के नौजवान से चुनौती

आकाश की उम्र महज 27 साल है और खास बात ये है कि वे उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं.
दिल्ली के संस्कृति स्कूल के बाद लंदन पढ़ने गए आकाश बीच में ही पढ़ाई छोड़कर राजनीति के मैदान में आ गए हैं.
लेकिन पहली बार ही चुनावी घमासान में उनकी टक्कर इलाके के दिग्गज नेता राधा मोहन सिंह से हो रही है.
बिहार प्रदेश कांग्रेस चुनाव समिति के प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह क्या अपने बेटे के लिए कोई ज्यादा सुरक्षित सीट नहीं तलाश पाए, इस सवाल के जवाब में वो कहते हैं, "मैंने ये सीट इसलिए चुनी क्योंकि मुझे मालूम है कि ये सबसे आसान सीट है."
अपने भरोसे की वजह बताते हुए वे कहते हैं कि यहां उनके बेटे को अगड़े पिछड़े सबका वोट मिलेगा.
आकाश को जिताने के लिए अखिलेश सिंह हर तरीका आजमा रहे हैं. प्रचार के आखिरी दिन आकाश ने विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी के साथ रोड शो किया तो दोपहर में बाहुबली विधायक अनंत सिंह का रोड शो मोतिहारी की सड़कों पर निकला.
अखिलेश समर्थकों का दावा है कि बिहार में महागठबंधन 15 से 20 सीट जीतेगी और मोदी सरकार की वापसी नहीं होगी.

क्या कहता है जातीय समीकरण

चाहे राधा मोहन सिंह हों या फिर अखिलेश प्रसाद सिंह, दोनों का दावा यही है कि लोग उनको जात से उपर उठकर देखते हैं.
लेकिन बिना जातिगत समीकरणों के बिहार में चुनाव की कहानी पूरी नहीं होती.
मोतिहारी या कहें पूर्वी चंपारण में करीब ढाई लाख वोट भूमिहारों का है. अखिलेश सिंह को अपने स्वजातीय वोट बैंक का साथ मिलने का पूरा भरोसा है. वहीं, इलाके में एक लाख पैंसठ हजार के करीब राजपूत हैं जिन्हें राधा मोहन सिंह के कैंप का माना जा रहा है. यादव और मुस्लिम वोट कुल मिलाकर चार लाख से ज्यादा हैं जिन्हें गठबंधन के खेमे का बताया जा रहा है.
इसके काउंटर में चार लाख के करीब वैश्य मतदाता भी हैं जो बीजेपी के पक्ष में वोट देते आए हैं.
ऐसे में पूर्वी चंपारण सीट का फैसला कौन कर रहा है, इस बारे में एक अरेराज बेतिया रोड पर एक ढाबा चलाने वाले ने बताया- यहां कुशवाहा को वोट जीत हार का फैसला कराएगा. इस समुदाय का वोट पिछले चुनाव में बीजेपी को मिला था.
इलाके मे कुशवाहों का वोट सवा दो लाख है और यही वजह है कि अखिलेश सिंह ने अपने बेटे को उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से उम्मीदवार बनाया है. हालांकि उनके सामने इसी समुदाय का वोट एकजुट रखने की चुनौती है.
जातिगत समीकरणों के अलावा मोतिहारी में सबसे अहम भूमिका बंद पड़े हुए तीन-तीन चीनी मिल भी हैं. 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने यहां चुनावी सभा में कहा था कि अगले चुनाव में यहां आऊंगा तो यहां की चीनी मिल में बनी चीनी की चाय पीकर जाऊंगा.
चीनी मिल तो शुरू नहीं हुए हैं और एक चीनी मिल की ज़मीन ख़रीदने का आरोप भी राधा मोहन सिंह के करीबियों पर लग रहा है. ये भी एक वजह हो सकती है कि मोदी इस बार प्रचार करने नहीं पहुंचे लेकिन गोविंदगंज के लोजपा विधायक राजू तिवारी कहते हैं- जो सीट आसानी से जीत रहे हैं वहां वो अपना समय क्यों दें, उस समय का इस्तेमाल दूसरी सीट पर हो सकता है

प्रदीप कुमार

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