बेगूसराय में कासिम को पाकिस्तान जाने की बात कह गोली मारी?: ग्राउंड रिपोर्ट


बेगूसरायइमेज कॉपीरइटNEERAJ PRIYADARSHI
Image captionबेड पर पड़े मो कासिम. पीछे उनकी मां खड़ी हैं.
बिहार के बेगूसराय से बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसद गिरिराज सिंह साल 2014 से ही कहते आ रहे हैं कि "जो लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करते हैं, उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए."
बीते पांच सालों के दौरान और भी कई मौकों पर उन्होंने पाकिस्तान जाने से संबंधित बयान दिए हैं. हाल ही में पटना में हुए नरेंद्र मोदी की रैली में नहीं आने वालों को देशद्रोही करार दिया था.
बेगूसराय के एक फेरी वाले मोहम्मद कासिम नरेंद्र मोदी के विरोधी हैं या समर्थक, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. लेकिन कथित रूप से कासिम को चेरिया बरियारपुर थाने के कुंभी गांव में फेरी लगाने के दौरान एक युवक ने रोककर नाम पूछा, बताने पर यह कहते हुए कि, "तुम मियां जी हो, यहां क्या कर रहे हो? तुमको पाकिस्तान चले जाना चाहिए," देशी कट्टा निकाल कर गोली मार दी.
‌पीठ पर गोली लगने के बाद खून से लथपथ मो कासिम जब अस्पताल पहुंचे तब उन्होंने स्थानीय मीडियाकर्मियों से बात करते हुए यही बयान दिया है. बयान का वीडियो फिलहाल सोशल मीडिया पर वायरल है.
मो. कासिम फिलहाल बेगूसराय के एक प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती हैं. उन्हें बचाने की कवायद चल रही है.
बेगूसराय पुलिस गोली चलाने वाले कथित युवक को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी कर रही है. कासिम ने अपने बयान में यह कहा है कि गोली चलाने वाला युवक उस समय शराब के नशे में चूर था. पुलिस के रिकॉर्ड में उसके ऊपर पहले से आपराधिक मुक़दमे दर्ज़ हैं.
बेगूसराय के एसपी अवकाश कुमार ने बीबीसी को बताया कि " गोली चलाने वाले कथित युवक के पिछले क्रिमिनल रिकार्ड्स की पड़ताल चल रही है. अभी तक एक मामले का पता चल पाया है. चेरिया बरियारपुर थाने में ही गोली चलाने वाले कथित युवक के ख़िलाफ़ शराबबंदी क़ानून के उल्लंघन का मामला दर्ज़ है. इस मामले में वो जेल भी चुका है."
बेगूसरायइमेज कॉपीरइटNEERAJ PRIYADARSHI/BBC
Image captionकासिम के भाई मो. जावेद

अब तक नहीं हुई गिरफ़्तारी

अवकाश कुमार ने बताया कि "पुलिस उसकी गिरफ़्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है. रात में भी लीड मिलने पर छापेमारी की गई है. लेकिन तब तक वह वहां से निकल चुका था. आज कोर्ट से उसके ख़िलाफ़ अरेस्ट वारंट भी ले लिया जाएगा.
इसके पहले बेगूसराय पुलिस और बेगूसराय ज़िला प्रशासन ने ट्वीट कर मामले को जेनरलाइज नहीं करने तथा अफवाहें नहीं फ़ैलाने की अपील की. डीएम राहुल कुमार ने बीबीसी को बताया कि "किसी एक घटना से माहौल का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. इसके लिए अफवाहों से बचना होगा. पुलिस इसकी जांच कर रही है."
सवाल यही है कि क्या सच में मो. कासिम को उनका नाम पूछने के बाद पाकिस्तान चले जाने की बात कहकर गोली मार दी गई? बीबीसी ने बेगूसराय के कुंभी गांव में जाकर मामले की पड़ताल की.
बेगूसराय ज़िला मुख्यालय से क़रीब तीस किलोमीटर दूर है चेरिया बरियारपुर का कुंभी गांव. जिस इलाके में घटना हुई है उसे यादवटोला के नाम से भी जाना जाता है. गांव यादव बहुल है. कोयरी और मल्लाह जातियां भी हैं. लोगों से चुनाव के बारे में बात करने पर कहते हैं कि यहां इसबार लालटेन छाप (राजद) पर जमकर वोट पड़ा है.
बेगूसरायइमेज कॉपीरइटNEERAJ PRIYADARSHI/BBC
Image captionसलाउद्दीन

जब बीबीसी पहुंची कासिम के गांव

कुंभी में रविवार की सुबह जिस जगह पर घटना हुई थी उसे त्रिभुवन चौक कहा जाता है. पीड़ित मो. कासिम ने अपने वीडियो बयान में त्रिभुवन चौक पर सुरेश पान दुकान के सामने ही घटना का ज़िक्र किया था.
जब हम त्रिभुवन चौक पहुंचे, तभी पुलिस की गाड़ी भी वहां आ गई. घटनास्थल के बारे में लोगों से पूछने पर वो ये कहते हैं कि जहां पुलिस की गाड़ी गई है, वही है.
सुरेश पान दुकान के बगल से निकली गली में ही पुलिस की गाड़ी घुसी थी. क्योंकि उसी गली में आगे अभियुक्त युवक का घर था. पान दुकान पर सुरेश खुद बैठे थे. उन्होंने ही यह बताया.
लेकिन घटना के बारे में पूछने पर सुरेश कहते हैं, "हां मेरे ही दुकान के सामने की घटना है. मेरी दुकान भी उस वक्त खुली थी. लेकिन मैं नहीं था. दूध लाने गया था. जब लौटा तो यहां सिर्फ़ बाइक थी. लोगों की भीड़ जमा थी. ना तो गोली मारने वाला था और ना ही जिसको गोली लगी थी वो था."
बेगूसरायइमेज कॉपीरइटNEERAJ PRIYADARSHI/BBC
Image captionमो कासिम

उस दिन की घटना का किसी को पता नहीं

सुरेश से बात चल ही रही थी कि थोड़ी देर में पुलिस की गाड़ी गली से लौटती दिखी. कथित अभियुक्त युवक अभी तक पुलिस की गिरफ़्त से दूर थे.
गली में आगे बढ़ने पर दोनों तरफ घर बने हुए थे. कच्चे-पक्के दोनों तरह के. घरों के बाहर महिलाएं और पुरुष दोनों खड़े थे. पुलिस की गाड़ी तुरंत उस रास्ते से गुजरी थी. शायद इसलिए.
लेकिन यह पूछने पर कि कथित अभियुक्त युवक का घर कहां पड़ता है कोई नहीं बता रहा था. सबसे पहले परमानंद यादव मिले. पहले तो उन्होंने कुछ भी बताने से साफ़ मना कर दिया ये कहते हुए कि घटना के वक्त वो गांव में ही नहीं थे. उनके साथ तीन-चार लोग और थे. उन्होंने भी परमानंद की बातों पर सहमति जताते हुए कहा कि सब लोग बारात में बाहर गए थे.
कथित अभियुक्त युवक के घर का पता पूछने पर परमानंद ने सिर्फ इतना कहा कि इसी गली में आगे है. आगे कुछ महिलाएं खड़ी दिख गईं. घटना के बारे में और कथित अभियुक्त के घर के बारे में पूछने पर यह कहकर कि "हमलोग कुछ नहीं जानते हैं," घर के अंदर चली गईं.
एक युवक जो सुरेश के पान दुकान के पास मिला था, फिर से दिख गया. पूछने पर अपना नाम सुधीर बताया. उसी गांव के रहने वाला था. बकौल सुधीर वह ट्रक चलाता है. घटना के बारे थोड़ा ही पूछने पर कहता हैं कि वो उस दिन गांव में था ही नहीं. ट्रक लेकर गया था.
कथित अभियुक्त के घर के बारे में पूछने पर उसने कहा, "आपको पान दुकान पर ही इशारा मिल गया था. अब इशारों में भी नहीं समझिएगा तो हम कैसे बताएं. यहां दीवारों के भी कान हैं. उसके लोग देख रहे होंगे कि हम आपसे बात कर रहे हैं. इसलिए कह रहे हैं कि हम कुछ नहीं जानते."
बेगूसरायइमेज कॉपीरइटNEERAJ PRIYADARSHI/BBC
Image captionत्रिभुवन चौक

"यहां हिंदू-मुसलमान जैसा कुछ नहीं"

सुधीर की बातों से स्पष्ट हो गया था कि लोग घटना के बारे में कुछ भी बताने से डर रहे थे. शायद पुलिस की गाड़ी अभी गुजरी थी इसलिए.
सुधीर को यह समझाने पर कि जब तक घटना के असली कारण का पता नहीं चलेगा तब तक सिर्फ एक पक्ष (पीड़ित) ही सामने आ पाएगा. क्या मो. कासिम का यह कहना ही घटना का सच है कि मुसलमान होने के कारण कथित अभियुक्त ने उन्हें गोली मार दी?
सुधीर बोलना शुरू कर देते हैं, "आप जिस वीडियो को देखकर यह कह रहे हैं वो हमने भी देखा है. लेकिन वो सच नहीं है. यहां हिंदू-मुसलमान जैसा कुछ है ही नहीं. अब पता नहीं क्यों वो ऐसा बोल रहा है."
हमने सवाल किया कि तो फिर सच क्या है? सुधीर ने हंसते हुए कहा, "अगर हम ये जानते होते तो अब तक बता नहीं देते. सच केवल वही लोग जानते हैं जिनके बीच का मसला है."
गली में मौजूद लगभग सभी लोगों से पूछने के बाद भी अभियुक्त युवक के घर का पता नहीं चल पा रहा था. आगे जाकर गली दाहिने मुड़ जाती है. मोड़ पर ही एक बुजुर्ग मिल गए. हमने पूछा कि कथित अभियुक्त का घर कौन सा है? उन्होंने बता दिया कि सामने पक्का वाला है. मगर जैसे ही उन्हें पता चला कि हम प्रेस से हैं, वो रोककर कहने लगे. "देखिए मेरा नाम मत लिखिएगा. हमलोग ग़रीब आदमी हैं. लोग को पता चलेगा तो वो हमसे भी झगड़ा कर लेंगे."
घटना के बारे में उन्होंने बताया जिस तरह से इसे हिंदू-मुसलमान करके प्रचारित किया जा रहा है वो ग़लत है. सामने एक खपरैल घर में रखे सिलाई मशीन की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, वैसे तो इस गांव में कोई मुसलमान नहीं है. लेकिन सामने वो जो मशीन आप देख रहे हैं वो एक मौलवी मास्टर की है. सलाउद्दीन नाम का उनका. अगर यहां हिंदू-मुसलमान जैसा कुछ भी होता तो इस गांव में सलाउद्दीन पिछले 40 साल से अपनी दुकान कैसे लगाते?
सलाउद्दीन अपनी दुकान पर उस वक्त नहीं थे. थोड़ी देर बाद हाथ में कपड़ा लिए हुए चले आए. बात शुरू हुई, कहने लगे, "जिस वक्त घटना घटी थी मैं नहीं था यहां. शौच के लिए गया था. जब आया तो देखा कि मजमा लगा हुआ है. पता चला कि गोली मारी गई है. लेकिन तब तक जिसको गोली लगी थी, वहां से जा चुका था. पुलिस ने भी हमसे पूछताछ की है. उन्हें भी यही बताया है."
बेगूसरायइमेज कॉपीरइटNEERAJ PRIYADARSHI/BBC

क्या थी गोली चलाने की असली वजह?

सलाउद्दीन भी घटना के बारे में कुछ नहीं बता पाए. लेकिन यह पूछने पर कि इतने दिनों से बिना एक भी मुसलमान वाले गांव में दुकान लगाते हुए उन्हें डर नहीं लगता? सलाउद्दीन कहते हैं, "नहीं, कभी ऐसा तो नहीं हुआ था. जैसा कि अब लोग कह रहे हैं. और हम क्यों झगड़ा करेंगे किसी से! धंधा करना है. रोजी-रोटी है. कोई कुछ बोलता है तो सह भी लेते हैं. लेकिन उस दिन क्या हुआ था मैं सच में नहीं जानता."
कुंभी गांव में कोई भी घटना के बारे में बताने के लिए तैयार नहीं था. यहां तक कि कथिय अभियुक्त युवक के घर में भी जब हमने बात करने की कोशिश की तो कुछ भी हासिल नहीं हुआ. घर में कोई पुरुष नहीं था. महिलाएं बात करने से सीधा इन्कार कर देतीं.
एक तरफ मो. कासिम का वह वीडियो बयान वायरल हो रहा है जिसमें वो कह रहे हैं कि कथित अभियुक्त ने उनका नाम पूछा, पता चला मुसलमान हैं तो यह कहकर गोली मार दिया कि तुम्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए.
दूसरी तरफ घटनास्थल पर मौजूद लोगों से बात करने पर वे उस दिन की घटना के बारे में कुछ बताते तो नहीं है लेकिन ये ज़रूर कहते हैं कि जो बात कासिम कह रहे हैं वो ग़लत है. गांव में हिन्दू-मुसलमान को लेकर कोई भेद नहीं है.
उधर बेगूसराय के एसपी अवकाश कुमार कहते हैं कि पुलिस की जांच में अभी तक यह निकल कर आया है कि लेन-देन के विवाद में घटना घटी थी. इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है.
कथित अभियुक्त और मो. कासिम के बीच उस वक्त क्या बातचीत हुई थी? क्या सिर्फ उतनी ही बात है जितना कासिम ने अपने वीडियो बयान में कहा है?
बेगूसराय सदर अस्पताल के बगल में डॉ. अशोक शर्मा के नर्सिंग होम में इलाज करा रहे मो. कासिम के शरीर से अभी तक बुलेट नहीं निकाला जा सका था. जबकि घटना को हुए 60 घंटे से भी ज़्यादा हो गए.
कासिम के भाई मो. जावेद कहते हैं, "जब वे घायल कासिम को लेकर सदर अस्पताल, बेगूसराय पहुंचे तो डॉक्टरों ने पटना रेफर कर दिया. लेकिन पैसे कम होने और साधन नहीं होने के के कारण पटना नहीं ले जा सके. मजबूरी में इस प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती करा दिए. यहां का बिल अभी तक 88 हज़ार रुपये का हो गया है. डॉक्टर कह रहे हैं कि ऑपरेशन करके बुलेट निकालना होगा. उसके लिए पहले 25 हज़ार रुपये जमा करने होंगे. हमलोग 25 हज़ार रुपये के ही इंतजाम में लगे हैं."
अस्पताल में मो. कासिम का इलाज कराने उनकी मां समेत और भी घरवाले आए थे. बेड पर लेटे कासिम सबसे थोड़ी बहुत बात भी कर ले रहे थे. आग्रह करने पर हमसे भी बात करने के लिए तैयार हो गए.
सुर्खियों में रहने वाले अलवर पहुंचा बीबीसी का #DigitalTrashbin, औरतें किससे चाहती हैं आज़ा
मो. कासिम ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने जितनी बात अपने वीडियो बयान में कही है, वह बिल्कुल सत्य है. इसका यकीन दिलाने के लिए वे क़ुरान की और अपने बच्चों की कसम खाने लगे.
कहते हैं, "मैं हर दिन की तरह उस दिन भी फेरी के लिए निकला था. अपनी विकी मोटरसाइकिल में म्यूजिक सिस्टम लगाया है. मेमोरी कार्ड से साउंड बॉक्स लगाकर गाना बजाते हुए कुंभी से जा रहे थे. जहां तक मुझे याद है कि उस लड़के ने शुरू में मुझे गाना बंद करने के लिए कहा था. मैंने बंद भी कर दिया. फिर वह पीछे से आया, मुझे रुकवाया. उसके हाथ में बंदूक थी. उसने मेरा नाम पूछा, मैंने बताया. फिर उसने पाकिस्तान जाने की बात कहते हुए मुझ पर गोली चला दी. वो तो अच्छा हुआ कि ट्रिगर पर उसका हाथ देखकर मैंने सिर नीचे झुका लिया. पीछे की ओर मुड़ गया. बच गया."
कुंभी में लोगों से बात करने पर किसी ने हमें नहीं बताया कि वो घटना के वक्त मौजूद था. मगर मो. कासिम कहते हैं कि, "गोली लगने के बाद वहां सैकड़ों लोग खड़े थे. उन्हीं लोगों के कहने पर वो लड़का भी वहां से भाग गया. मुझसे किसी महिला ने कहा कि सरपंच के घर जाओ तो बच जाओेगे. तब जाकर मैं किसी तरह सरपंच के घर गया और वहां से मुझे चेरिया बरियारपुर थाना ले जाया गया."
लेकिन पुलिस मो. कासिम के बयान को सच नहीं मान रही है. इसे लेन-देन का विवाद बताया जा रहा है. इसपर कासिम कहते हैं, "जो बयान मैंने आपको दिया है वही पुलिस को भी दिया है. अब पुलिस ऐसा क्यों कर रही है, मुझे नहीं पता. हमें न्याय की उम्मीद है."
बेगूसराय की यह घटना सोशल मीडिया पर चर्चा में है. हाल में ही संपन्न लोकसभा चुनाव में वहां से सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुमार ने भी अपने फ़ेसबुक वॉल पर इस घटना के बारे में लिखा है और विरोध दर्ज़ कराया है.
कन्हैया कुमारइमेज कॉपीरइटTWITTER
ट्वीटर पर कई लोग, जिसमें एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं, ने कासिम के बयान का वीडियो शेयर करते हुए घटना की निंदा की है और इसके लिए बीजेपी के शीर्ष नेताओं को ज़िम्मेदार ठहराया है.
असउद्दीन ओवैसीइमेज कॉपीरइटTWITTER
भारतीय जनता पार्टी पर लग रहे आरोपों पर बिहार बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद कहते हैं, "असदुद्दीन ओवैसी को जवाब वहां के सांसद गिरिराज जी ने खुद ट्वीटर पर दिया है. उनके जैसे लोग समाज में नफ़रत फ़ैलाने का काम करते हैं. पुलिस और प्रशासन को इसमें अपना काम करने दें. एक घटना से जिसकी अभी जांच शुरू ही हुई है, उसके पहले नफ़रत भरे बयान देने का काम भारतीय जनता पार्टी नहीं करती है."
बेगूसरायइमेज कॉपीरइटTWITTER
कासिम से मिलने सब लोग (सारी पार्टियों के) आ रहे हैं. लेकिन उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिल पा रही है. भाई जावेद कहते हैं, "हमलोग चंदा जुटाकर अपने पैसे से इलाज करा रहे हैं. सभी पार्टी के लोग आये, देखकर चले गये. लेकिन हालत जस की तस है. अभी तक गोली मारने वाला गिरफ़्तार भी नहीं हो सका है. कोई सुरक्षा नहीं है हमारे पास. पुलिस जिस तरह मामले को घुमा रही है उससे इंसाफ की उम्मीद कम होती जा रही है. डर है कि यहां भी कुछ ना हो जाए."

Comments

Popular posts from this blog

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

Department of Education Directory