किस मसलक में कौन सी खूबी और खासियत -जान कर दंग रह जाएंगे । आपस में लड़ा कर अपनी उल्लू सीधा करने वाले मौलवियों से परहेज़ कीजिये ...




देवबंदी:- नमाज़ के पाबंद । और लिबास व शक्ल से ईमान का जिंदा नमूना हें ।

अहले-हदीस:- कुरआन मजीद और सहीह हदीस की तालीम पर ज़ोर डालने वाले।

शिया:- उम्दा अखलाक़ और उम्दा ज़ुबान के मालिक और आम तौर पर पढ़े-लिखे होते हैं।

बरेलवी:- इस्लाम के लिए किसी से भी लड़ने की हिम्मत रखते हैं। इस्लाम के लिए चंदा देने में सबसे आगे। और सबसे बड़ी बात आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बेपनह मुहब्बत करते हैं ओर अपने इमाम की इज्जत करते हैं।

तब्लीगी जमाअत के लोग घर घर तक बहुत मेहनत करते और नमाज़ सिखाते हैं, और अपनी व्यस्त ज़िन्दगी में भी 40 दिन बड़े आराम से निकाल देते हैं।

जमाअते इस्लामी के लोग पूरे के पूरे इस्लाम को लेकर चलते हैं, और जो मिशन अल्लाह के नबी का था उसे पूरा करने की कोशिश करते हैं।

जमीयत उलमा हिन्द के लोग मुसलमानों के मसले मसाईल क़ुरआन,हदीस और फिक़्ह की रौशनी में हल करने की कोशिश करते हैं

सब में कुछ न कुछ खासियत जरूर है। किसी में कोई कमी या गलती दिखे तो अपने हबीब स○ के तरीके से अख़लाक़ पर अमल करते हुए प्यार से समझाएँ , न कि उस पर तंज कसें ।
किसी को बुरा भला  न कहें । हम लोगों में आपस मे थोड़े बहुत इख्तिलाफ़ हैं लेकिन ये सब लोग अल्लाह का ही काम कर रहे हैं,

मेरे प्यारे भाईयों हम मुसलमान हैं ।
और मुसलमान दिल तोड़ता नही दिलों को जोड़ता है ।
इस्लाम हमें नफरत से नहीँ  मोहब्बत से रहना सिखाता है ।

हमारा "अल्लाह" एक है।
हमारा "इस्लाम" एक है ।
हमारा "दीन" एक है ।
हमारा "काबा" एक है।
हमारा "क़ुरआन" एक है।
हमारे "नबी" एक है ।

तो_फिर अलग कैसे हुए???
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"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

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