कोरोना वायरस: पैदल चलते हुए मरने वाले रणवीर सिंह ने आख़िरी कॉल पर क्या कहा था?


रणवीर सिंहइमेज कॉपीरइटFACEBOOK/RANVEERSINGH

"मेरे सीने में दर्द हो रहा है, मुझे लेने आ सकते हो तो आ जाओ..."
ये शब्द उस शख़्स की आख़िरी कॉल के हैं जिनकी मौत दिल्ली से पैदल चलकर मध्य प्रदेश जाते हुए आगरा के पास हो गई थी.
रणवीर सिंह नाम के ये शख़्स दिल्ली में एक डिलिवरी मैन के रूप में काम किया करते थे.
लेकिन लॉकडाउन होने के बाद दिल्ली में खाने-पीने और रहने से जुड़ी दिक्कतें सामने आने के बाद उन्होंने अपने गाँव जाने का फ़ैसला किया था.
लेकिन कोई साधन न मिलने की वजह से रणवीर सिंह ने पैदल पैदल ही अपने गाँव की ओर बढ़ना शुरू कर दिया.

रणवीर सिंहइमेज कॉपीरइटARVIND SINGH

मौत की रात क्या हुआ था?

मौत से पहले की रात रणवीर सिंह ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर घर जाने का फ़ैसला किया था.
लेकिन बसें न चलने की वजह से रणवीर सिंह ने पैदल चलना शुरू कर दिया.
दिल्ली से निकलकर फरीदाबाद पहुंचते हुए रणवीर ने रात साढ़े नौ बजे अपनी बहन पिंकी से बात की.
पिंकी बताती हैं, "मैंने उस दिन अचानक ही भइया को फोन मिला दिया तो उन्होंने कहा कि 'वह घर आ रहे हैं क्योंकि लॉकडाउन की वजह से काम वगैरह सब रुका हुआ है. और पैदल आ रहे हैं.' मुझे ये सुनकर काफ़ी अजीब लगा..."
पिंकी बताती हैं कि भइया से बात करने के बाद मैं अपनी दवा खाकर सो गई. सुबह जब उठी तो मैंने सबसे पहले लगभग पाँच बजे के आसपास भइया को फोन किया.
पिंकी कहती हैं, "इस कॉल पर उन्होंने कहा कि उनके सीने में दर्द हो रहा है…मैंने उनसे कहा कि आप कहीं बैठ जाइए और मैं तब तक किसी को फोन करती हूँ..."

कोरोना वायरस


कोरोना वायरस
रणवीर सिंह का परिवारइमेज कॉपीरइटARVIND SINGH

पैदल चलते हुए रणवीर सिंह के साथ क्या हुआ?

रणवीर सिंह दिल्ली से मथुरा के रास्ते होते-होते सुबह सुबह आगरा तक पहुंच चुके थे.
तब तक रणवीर सिंह काफ़ी थक चुके थे. रास्ते में कुछ किलोमीटर के लिए उन्हें ट्रैक्टर का मौका भी मिला लेकिन लगभग 200 किलोमीटर तक वे पैदल ही चलते रहे.
और रणवीर सिंह इस रास्ते पर अकेले नहीं चल रहे थे. उनके साथ उनकी उम्र के कई युवा, बुजुर्ग और बच्चे शामिल थे.
रणवीर सिंह दिल्ली के एक रेस्तरां में डिलिवरी मैन के रूप में काम करते थे. उनके साथ उनके एक रिश्तेदार अरविंद भी रहते थे.



कोरोना और लॉकडाउन के दौर में मदद करने वाले हाथ

अरविंद वही शख़्स हैं जिन्हें रणवीर सिंह ने आख़िरी बार कॉल किया था. लेकिन अरविंद उस पूरी रात रणवीर सिंह के संपर्क में रहे.
अरविंद को एक ट्रक में जगह मिल गई थी जबकि उनके जीजाजी पैदल चलकर आ रहे थे.
अरविंद सिंह बताते हैं, "मेरी उनसे रात में बात हुई थी. रात में ही थकान की बात कर रहे थे. लेकिन कोरोना के डर की वजह से किसी ने उनकी मदद नहीं की."
"वे पैदल चलते रहे और आगरा तक आते-आते उनकी हालत ख़राब हो गई…"

रणवीर सिंह का परिवारइमेज कॉपीरइटARVIND SINGH

मौत के आख़िरी घंटे...

रणवीर सिंह की मौत नेशनल हाईवे - 2 पर सुबह साढ़े छह बजे हुई.
लेकिन मरने से पहले रणवीर सिंह ने अपने रिश्तेदार अरविंद को फोन करके मदद की गुहार लगाई थी.
अरविंद बताते हैं, "उन्होंने मुझे फोन किया तो कहा कि 'मेरे सीने में दर्द हो रहा है, मुझे लेने आ सकते हो तो आ जाओ' मैंने कहा कि 100 नंबर डायल करो...किसी की मदद लो...लेकिन इसके बाद उनकी आवाज़ नहीं आई."
"इस कॉल के तकरीबन आठ मिनट बाद मैंने ट्रक से उतरकर फिर एक कॉल की तो किसी और ने फोन उठाकर बताया कि उनकी हालत गंभीर है. इसके बाद उनकी मौत हो गई."

प्रवासी मजदूरइमेज कॉपीरइटPTI

मौत के बाद क्या?

रणवीर सिंह की मौत के बाद से उनके घर में कोहराम मचा हुआ है. रणवीर सिंह की पत्नी ममता और उनके तीनों बच्चे सदमे से जूझ रहे हैं.
रणवीर सिंह की बहन पिंकी बीबीसी को बताती हैं, "हमारे पापा भी जल्दी गुजर गए थे. इसके बाद भइया ने ही घर की ज़िम्मेदारी संभाली थी. उनके तीन बच्चे हैं. घर में अब कोई कमाने वाला नहीं बचा है."
"मैं जब अपने घर को देखती हैं तो समझ ही नहीं आ रहा है कि आगे क्या होने वाला है. हमारे ऊपर क्या बीती है ये हम ही जान रहे हैं. भइया ने ये घर की चारदीवारी खिंचवाने के लिए भी डेढ़ लाख रुपये कर्ज लिये थे जो कि वो चुका रहे थे. अब उसका क्या होगा?"
पिंकी ये कहते कहते भावुक होते हुए कहती हैं कि उनके घर की रौनक ही चली गई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते रविवार अपने मन की बात कार्यक्रम में देशवासियों ख़ासकर गरीबों से लॉकडाउन की वजह से होने वाली दिक्कतों को लेकर माफी मांगी थी.
अब सवाल ये उठता है कि रणवीर का परिवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने ऊपर बीती विपदा के लिए माफ कर पाएगा या नहीं, ये समय ही बताएगा.

कोरोना वायरस के बारे में जानकारी

Comments

Popular posts from this blog

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

Department of Education Directory