देश वासियों इस #LockDown और मुसीबत की घड़ी में #AMU के इस मानवीय कारनामें को भूल मत जाना ।
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Cheif Admin
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News18 Hindi | March 28, 2020, 1:38 PM IST
Lockdown के बीच सामने आईं AMU के छात्रों की यह तस्वीरें
नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Corona Virus) से बचाव के लिए देशभर में लॉकडाउन (Lockdown) का ऐलान हो चुका है. भारतीय सेना (Indian Army) से लेकर रेलवे (Indian Railway) और दूसरे संस्थान किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार हो चुके हैं या खुद को तैयार करने में लगे हुए हैं. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के छात्र भी ऐसी ही एक तस्वीर पेश कर रहे हैं.
एएमयू के कुछ छात्र गांवों में जाकर, या जिन छात्रों के गांव में आलू की खेती होती है वहां से गाड़ी में भरकर आलू के पैकेट ला रहे हैं. शेरवानी गंदी भी हो सकती है यह फिक्र किए बिना 50-50 किलो के पैकेट खुद ही लोड-अनलोड भी कर रहे हैं.
गांवों से थोक में आलू लाने के बाद फिर हॉस्टल की मैस में इस तरह से 5-5 किलो के पैकेट बनाए जा रहे हैं. कौन, किस ग्रुप से ताल्लुक रखता है यह सोचे बिना हर एक छात्र इस काम में हाथ बंटा रहा है.
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काम पैकेट बनाने का हो या गाड़ी में से सामान उतारने का, हर जगह ऐहतियात बरती जा रही है. जिसे, जैसे भी मास्क मिल रहा है वो उसका इस्तेमाल कर काम में लगा हुआ है. क्योंकि मकसद है जरूरतमंद तक खाना पहुंचाना बीमारी नहीं.
लॉकडाउन के चलते जब हर कोई घर में बंद है और खाने-कमाने तक नहीं जा सकता है. ऐसे में एएमयू के यह छात्र हर जरूरतमंद परिवार तक बराबर का सामान तराज़ू से तोलकर पहुंचा रहे हैं.
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एएमयू के इन छात्रों ने सिर्फ आलू ही नहीं, आटा, दाल-चावल समेत और दूसरे सामान का भी इंतज़ाम किया है. हर सामान का पैकेट बनाकर उसे हर रोज़ हर उस जरूरमंद तक पहुंचाने की कोशिश जारी है जहां से भी मदद की गुहार लगाई जा रही है.
जब पूरे दिन इकट्ठा किए गए सामान के पैकेट बन जाते हैं तो फिर ज़िम्मेदारी होती है उन्हें जरूरतमंदों के घर तक पहुंचाने की. क्योंकि लॉकडाउन के चलते हर कोई अपने घर से नहीं निकल सकता. बाइक, कार या फिर दूसरा जो भी साधन मिल रहा है उसकी मदद से सामान पहुंचाया जा रहा है.
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दिनभर सामान जमा करना, शाम को पैकेट बनाना और फिर रात में उन्हें बांटना. शहर, गांव जहां से भी फोन आ रहे हैं सामान पहुंचाया जा रहा है. राह चलते मज़दूरों को भी खाना बनाकर खिलाया जा रहा है. और फिर जब वक्त मिलता है तो फिर चाहें रात के 2 बजे हो या फिर सुबह के 4, छात्र अपने लिए खाना बनाने की तैयारी में लग जाते हैं.
लॉकडाउन से जुड़े हर वो सवाल, जिनका जवाब आप जरूर जानना चाहेंगे
कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार देशभर के 75 जिलों में लॉकडाउन (What is a lockdown) के आदेश जारी किए हैं. आइए जानते हैं कि लॉकडाउन के दौरान आम जनता को कौन-कौन सी सुविधाएं मिलेंगी और किन सुविधाओं से होना पड़ेगा वंचित?
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कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार देशभर के 75 जिलों में लॉकडाउन (What is a lockdown) के आदेश जारी किए हैं. आइए जानते हैं कि लॉकडाउन के दौरान आम जनता को कौन-कौन सी सुविधाएं मिलेंगी और किन सुविधाओं से होना पड़ेगा वंचित?
सबसे आम सवाल है कि लॉकडाउन आखिर होता क्या है? दरअसल ये एक आपातकालीन व्यवस्था है, जो आम लोगों को एक निश्चित इलाके तक रोके रखने के लिए इस्तेमाल की जाती है. इसका मकसद निश्वित इलाके में यथासंभव स्थिति बनाए रखना होता है.
लॉकडाउन के दौरान लोगों को सामान की आपूर्ति जारी रहे इसके लिए सरकार ने किराना, दूध, फल-सब्जी और दवाओं की दुकानों को खोले रखने का फैसला किया है. लोग अपने घरों को आसानी से चलाने के लिए जरूरी सामान खरीद सकते हैं.
राज्य सरकार ने पेट्रोल पंप और एटीएम को आवश्यक सेवाओं की श्रेणी में रखा है. सरकार जरूरत के हिसाब से पेट्रोल पंप और एटीएम खुलवा सकती है. यह जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की ज्यादा की ज्यादा बनती है.
लोगों के मन में सवाल है कि लॉकडाउन में क्या निजी गाड़ियों का इस्तेमाल किया जा सकता है? गंभीर बीमारी और आपात स्थिति में निजी गाड़ी का इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन भारी संख्या में गाड़ियां आने के बाद प्रशासन पूरी तरह सख्ती लागू कर सकता है.
बड़े शहरों में काम करने वाले लोगों के मन में सवाल है कि क्या लॉकडाउन के दौरान मेड आदि को बुलाया जा सकता है. तो इसका जवाब है नहीं. सोशल डिस्टेंसिंग के फॉर्मूले के मुताबिक आपको कम से कम लोगों के साथ मिलना है. ताकि वायरस फैलने का खतरा कम हो सके.
निजी गाड़ी के ड्राइवर क्या लॉकडाउन होने पर काम पर जा सकेंगे? इसका जवाब है नहीं. मेड वाला फॉर्मूला ड्राइवर पर भी लागू होगा. सोशल डिस्टेंसिंग को समझिए और उसे अच्छे से लागू कीजिए.
अपने घरों से बाहर रहने वाले लोगों के मन में सवाल है कि क्या रेस्टोरेंट लॉकडाउन के दौरान खुलेंगे? सरकार के अभी तक के आदेश के मुताबिक रेस्टोरेंट में जाकर खाना खाने पर प्रतिबंध है लेकिन खाना होम डिलिवरी के जरिए मंगाया जा सकता है. लेकिन पूरी सावधानी और सफाई के साथ.
लॉकडाउन के दौरान अखबार और दूध की डिलिवरी पर कोई पाबंदी नहीं है. अगर आप सोसाइटी में रहते हैं तो डिलिवरी वालों को बाहर रोका जा सकता है. ताकि बाहरी व्यक्ति का सोसाइटी में प्रवेश न हो सके.
अभी तक के आदेश के मुताबिक सरकार ने जिम पर रोक लगा दी है. इसके अलावा लॉकडाउन का मकसद ही होता है कि बेवजह बाहर निकलने वाले लोगों को घरों में रोका जा सके. ताकि महामारी से बचाव हो सके.
आपात स्थिति में अस्पताल जाया जा सकता है. कोरोना वायरस से संक्रमित होने की स्थिति में आपको सरकार के टोलफ्री नंबर या हेल्पलाइन नंबर पर बताना होगा. उसके बाद सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारी आपको निकालेंगे.
सरकार पूरी तरह ज्यादा भीड़-भाड़ वाले समारोह पर पाबंदी लगा चुकी है. इस स्थिति में कोई भी व्यक्ति किसी समारोह का आयोजन नहीं कर सकता है. ऐसा करने पर उस पर कार्रवाई की जाएगी.
Nirbhaya Case: बीते तीन महीने में दोषियों ने अपनाये यह पैंतरे, लेकिन सजा से बच नहीं पाये
निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड (Nirbhaya Gangrape and murder case) के दोषियों को सात साल 3 महीने बाद आखिरकार फांसी हो ही गई. सात साल 3 महीन और 4 दिन के इस वक्त में दोषियों ने आखिरी वक्त तक जिला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की दौड़ लगाई लेकिन उन्हें सजा मिली आइए आपको बताते हैं कि बीते 3 महीने में दोषियों ने कितने पैंतरे अपनाए.
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निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड के दोषियों को सात साल 3 महीने बाद आखिरकार फांसी हो ही गई. सात साल 3 महीन और 4 दिन के इस वक्त में दोषियों ने आखिरी वक्त तक जिला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की दौड़ लगाई, लेकिन वे अपने जुर्म की सज़ा से बच नहीं पाए. दोषियों ने हर वह कोशिश की जिससे वह फांसी के तख्ते से बच सकें. याचिका दर याचिका और तारीख दर तारीख उन्हें उनके अपराध की सजा से बचा नहीं पाया और निर्भया को न्याय मिला. आइए आपको बताते हैं कि बीते 3 महीने में दोषियों ने कितने पैंतरे अपनाए.
7 जनवरी 2020 में दिल्ली की अदालत ने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई. फांसी देने के लिए 22 जनवरी सुबह सात बजे का वक्त मुकर्रर हुआ. लेकिन 14 जनवरी को आरोपी मुकेश ने दया याचिका दायर कर दी.
17 जनवरी को राष्ट्रपति ने मुकेश की दया याचिका खारिज कर दी. दिल्ली कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी किया. अब फांसी की तारीख 1 फरवरी और सुबह 6 बजे मुकर्रर किया गया. लेकिन मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
28 जनवरी को तर्क सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा. 29 जनवरी को मुकेश की याचिक खारिज हुई. वहीं अक्षय ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दायर की. विनय ने भी राष्ट्रपति के सामने दया याचिका खारिज की. 30 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अक्षय की भी क्यूरेटिव याचिका खारिज की.
31 जनवरी को दावा किया गया कि आरोपी पवन गुप्ता नाबालिग है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की. 1 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने विनय शर्मा की अपील भी खारिज की.
2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने पवन की क्यूरेटिव याचिका खारिज की. राष्ट्रपति के सामने पवन की फिर दया याचिका खारिज की गई. 5 मार्च को नया डेथ वारंट जारी. 20 मार्च की तारीख तय की गई.
5 मार्च को डेथ वॉरंट जारी होने के बाद भी चारों दोषियों ने अलग-अलग पैंतरे अपनाए. एक ओर जहां अक्षय की पत्नी ने बिहार की एक अदालत में तलाक की अर्जी डाल दी तो वहीं चारों दोषी अंतरराष्ट्रीय अदालत तक चल गए. इतना ही नहीं दोषियों ने मानवाधिकार आयोग का रुख भी किया. फांसी के दिन करीब आते-आते एक दोषी ने यह तक कह डाला कि वह घटना के वक्त दिल्ली में था ही नहीं.
फांसी के एक दिन पहले तक दोषियों में से एक पवन ने जिला से लेकर सुप्रीम अदालत तक का रुख किया और खुद के नाबालिग होने का दावा तक किया. हालांकि उसकी दाल नहीं गली और आखिरकार उसे फांसी के तख्ते तक जाना ही पड़ा.
दिल्ली में 23 साल की छात्रा के साथ 16 दिसंबर 2012 की रात को एक चलती बस में बर्बरता के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. इस घटना के करीब 15 दिन बाद पीड़िता की सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी. इस घटना ने देश को हिला दिया था. पीड़िता को को निर्भया नाम से जाना गया.
सिमरन प्रजापति with Rekha Vinod Jain and 4 others Mon · क्या खुब लिखा है किसी ने ... "बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!" न मेरा 'एक' होगा, न तेरा 'लाख' होगा, ... ! न 'तारिफ' तेरी होगी, न 'मजाक' मेरा होगा ... !! गुरुर न कर "शाह-ए-शरीर" का, ... ! मेरा भी 'खाक' होगा, तेरा भी 'खाक' होगा ... !! जिन्दगी भर 'ब्रांडेड-ब्रांडेड' करने वालों ... ! याद रखना 'कफ़न' का कोई ब्रांड नहीं होता ... !! कोई रो कर 'दिल बहलाता' है ... ! और कोई हँस कर 'दर्द' छुपाता है ... !! क्या करामात है 'कुदरत' की, ... ! 'ज़िंदा इंसान' पानी में डूब जाता है और 'मुर्दा' तैर के दिखाता है ... !! 'मौत' को देखा तो नहीं, पर शायद 'वो' बहुत "खूबसूरत" होगी, ... ! "कम्बख़त" जो भी
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