मां ने अपने पांच बच्चों को गंगा नदी में फेंक दिया,.... लेकिन सवाल यह है इस तरह की मेहनत मजदूरी करने वाले माओं के लिए हमारे पीएम ने क्या किया? वह लोग जो हर दिन कमाते और खाते हैं उनके लिए हमारी हुकूमत ने क्या सोचा? और क्या फैसला लिया? 21 दिन होने को है लोग भूख से तड़प तड़प कर जान दे रहे हैं लेकिन हमारी हुकूमत के पास इसका कोई हल नहीं है? ऐसे में अगर एक मजबूर मां अपने बच्चों के साथ नदी में कूद जाती है तो किया सिर्फ इस मां का कुसूर है

यह खबर यकीनन चौंकाने वाली है कि एक  मां ने अपने पांच बच्चों को गंगा नदी में फेंक दिया। सिर्फ इसलिए कि वह भूख की शिद्दत बर्दाश्त नहीं कर सकी।मां तो बच भी गई लेकिन उनके पांचों बच्चे अब ऊस दुनिया में जा चुके हैं जहां भूख उन्हें कभी भी नहीं तड़पाएगी।
 यह हादसा यूपी के भदोही का है । जहां एक मां ने भूख से तड़पते हुए अपने पांच बच्चों को नदी में फेंक दिया। आई ए एन एस की रिपोर्ट के मुताबिक उसका शौहर झारखंड गया हुआ था और यह औरत मेहनत _मजदूरी करतीे थी। मगर लोकडॉन की वजह से उनका काम, धंधा बंद हो गया और वह एक-एक दाना को तरसती रही।ऐसे में इस तड़पती, सिसकती ,और भूख से बिलक्ती मां के पास एक वाहिद इलाज था और वह अपने पांचों बच्चों के साथ नदी में कूद गई । वह तो किसी तरह बाहर निकल गई लेकिन उनके बच्चे बाहर नहीं आ सके ।
खबर के मुतबिक पुलिस ने इस मां पर केस दर्ज किया है और यह काम पुलिस के लिए आसान भी है । इसी काम के लिए उन्हें तनख़ाह भी मिलती है ।मगर मुल्क के पीएम, गृह मंत्रालय, यूपी के मुखिया, सरकार के हजारों कारिंदे पर मुकदमा दर्ज कौन करेगा ।इसलिए के lockdown की वजह से एक रिपोर्ट के मुताबिक 92% मजदूरों की जिंदगी मुश्किलों में घिर गई है। काम ,काज बंद हो चुका है। उनके बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं और वह एक एक दाना  को तरस रहे हैं। इस मां का अपने बच्चों के साथ आत्मा हतिया  करना जुर्म है । तो जिस ने मजबूर किया किया वह जूर्म नहीं है।
  हम यह मानते हैं  कि वायरस महामारी की वजह से  पीएम ने lockdown का फैसला लिया है  जो अच्छी बात है। हम  हम वेलकम कहते हैं और सब ने किया भी। लेकिन सवाल यह है इस तरह की मेहनत मजदूरी करने वाले माओं के लिए हमारे पीएम ने क्या किया? वह लोग जो हर दिन कमाते और खाते हैं उनके लिए हमारी हुकूमत ने क्या सोचा? और क्या फैसला लिया? 21 दिन होने को है लोग भूख से तड़प तड़प कर जान दे रहे हैं लेकिन हमारी हुकूमत के पास इसका कोई हल नहीं है? ऐसे में अगर एक मजबूर मां अपने बच्चों के साथ नदी में कूद जाती है तो किया सिर्फ इस मां  का कुसूर है। अफसोस की बात है इस महामारी में मुल्के के पीएम लोगों से मजाक कर रहे हैं। ₹500 के जरिए जन धन अकाउंट वालों की मदद कर रहे हैं ,और रियासत के सीएम ₹1000 के जरिए वह भी सबको नहीं । और फिर ऐसे वक्त में बैंक के जरिए से गरीबों की मदद कर रहे हैं जबकि सारे रास्ते ही बंद है।और सब के पास बैंक अकाउंट भी नहीं है। और निकालने के लिए नहीं जा सकते।
जबकि सबसे बेहतर शक्ल यह थी कि गांव के मुखिया, वार्ड मेंबर को यह जिम्मेदारी दी जाती और वह घरों तक कम से कम 10 से ₹20,000 के जरिए मदद कर देता। लेकिन सिर्फ 500 के जरिए से मदद होगी या मजाक ?आप ही फैसला कीजिए!!!
 खालिद अनवर पुरनवी
13 अप्रैल 2020


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