#Bihar_Corona_LockDown_Side_Effects :- बेचारे दूल्हा-दुल्हन और बाराती , बगैर सोंचे समझे , बगैर किसी से मशविरा लिए फैसले का नतीजा देश भुगत रहा , देखें एक रिपोर्ट

दूल्हा, दुल्हन और बाराती 22 दिनों से स्कूल भवन में फंसे

एजेंसी,छपराLast Modified: Tue, Apr 14 2020. 20:08 IST



nikah barat in inayatpur village of saran bihar



पश्चिम बंगाल के बंडील जक्सन से फिरोज अख्तर बिहार के सारण जिले के इनायतपुर गांव तो आए थे सेहरा बांधकर अपनी जीवन संगिनी को साथ अपने घर ले जाने को, लेकिन फिरोज शादी कर के खुद ही फंस गए। अब वे अपनी हमसफर को क्या खुद भी अपने घर वापस नहीं जा पा रहे हैं। आपको इस खबर पर आश्चर्य हो सकता है, लेकिन यह सौ प्रतिशत सही है। दरअसल, लॉकडाउन के कारण एक बारात पिछले 22 दिनों से बिहार के एक गांव में फंसा हुई है। 
कोलकता के बंडील जक्सन के रहने वाले फिरोज अख्तर की शादी सारण जिले के दाउदपुर थाना क्षेत्र के इनायतपुर की रहने वाली खुशबू खातून से तय हुई थी। फिरोज तय समय और तिथि के मुताबिक 22 मार्च को बारात के साथ पहुंच गए और उसी दिन धूमधाम और रीतिरिवाज के साथ निकाह भी हो गया, लेकिन अगले दिन 23 मार्च को खुशबू की विदाई (रूखसती) नहीं हो सकी। 23 मार्च को बिहार में लॉकडाउन लागू हो गया। यातायात व्यवस्था ठप्प हो गई और बारात वापस नहीं लौट सकी।   ऐसे में दुल्हन के घरवालों ने दूल्हा-दुल्हन और बारातियों को गांव के बाहर स्थित एक स्कूल में ठहरा दिया।  

स्‍वयंसेवी संगठन कर रहे 36 बारातियों का सत्कार-
ग्राामीणों के मुताबिक, यहां 22 दिनों से 36 बाराती इस स्कूल में शरण लिए हुए है। इस दौरान हालांकि गांव वाले और स्वयंसेवी संगठन 'अतिथि देवो भव:' का पालन करते हुए बारातियों के सेवा सत्कार में लगे हुए हैं। 
इस क्रम में बारातियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बाराती 21 दिन के बाद अब परेशान हैं। बारातियों का कहना है, “खाने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अन्य कई परेशानियां तो हैं ही।”
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन की अवधि को फिर से 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया है, जिसके बाद ये लोग और परेशान हो गए हैं। 

काम नहीं आ सका प्रशासन का पास-
उल्लेखनीय है कि 31 मार्च को बारातियों को वापस लौटने के लिए प्रशासन से पास भी निर्गत कराया गया था, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि झारखंड सीमा के पहले ही इनके वाहनों को रोक दिया गया और इन सभी को फिर से वापस लौटना पड़ा। 
गौरतलब है कि बारातियों के साथ दुल्हन खुशबू भी अपने मायके को छोड़ बारातियों के साथ स्कूल में ही रह रही है। बारात में शामिल फिरोज का कहना है, “वे लोग लाकडाउन में फंस चुके हैं, लेकिन मांझी ब्लाक के लोगों ने उनकी काफी मदद की है।” 
ग्रामीण तारकेश्वर आईएएनएस से कहते हैं कि स्कूल में ठहरे बाराती खुद खाना बना रहे हैं और लड़की वाले व मुहल्ले के लोग भी उसमें सहयोग कर रहे हैं। 
उन्होंने बताया, “12 अप्रैल को स्वयंसेवी संगठन अल हक फाउंडेशन एवं 14 अप्रैल को सोशल ग्रुप ''अनुभव जिंदगी का' के द्वारा बारातियों को आटा, चावल, आलू, तेल मसाला, सब्जी, साबुन, बिस्किट आदि उपलब्ध कराया गया है।” 

मांझी के प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) नीलकमल ने कहा कि यह सामाजिक पहलू है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण बारात वापस नहीं जा पा रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उन्हें एक स्कूल में ठहराया है। उन्होंने कहा कि वे सभी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं।
News Source:-  https://www.livehindustan.com


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