UP_LockDown ! ऊपर से फिट फाट, अंदर से मोकामा घाट वाली कहावत चरितार्थ हो रही । लगातार दूसरे दिन राशन की लाइन में लगी महिला की मौत ने खोला पोल ।

कोरोना लॉकडाउन: बदायूं में लगातार दूसरे दिन राशन की लाइन में लगी महिला की मौत

मृतक के परिजनइमेज कॉपीरइटCHITRANJAN SINGH/BBC
Image captionमृतक के परिजन

भारत में कोरोनावायरस के मामले

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मौतें

स्रोतः स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
18: 54 IST को अपडेट किया गया
उत्तर प्रदेश के बदायूं ज़िले में सरकारी राशन की दुकान पर राशन के लिए लाइन में खड़ी एक महिला की शुक्रवार को मौत हो गई.
महिला की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अभी नहीं आई है लेकिन आशंका जताई जा रही है कि महिला की मौत हार्ट अटैक से हुई है.
महिला दो दिन से राशन के लिए क़रीब डेढ़ किलोमीटर दूर चलकर सरकारी राशन की दुकान पर आ रही थी.
मृतक शमीम बानोइमेज कॉपीरइटCHITRANJAN SINGH/BBC
Image captionमृतक शमीम बानो
बदायूं ज़िले में सालारपुर ब्लॉक के प्रहलादपुर गांव की शमीम बानो शुक्रवार को राशन के लिए लाइन में लगी थीं. शमीम बानो के पति दिल्ली में किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं जो लॉकडाउन के चलते वहीं फँसे हुए हैं.
शमीम बानो एक दिन पहले भी राशन की लाइन में लगी थीं लेकिन तब उनका नंबर नहीं आया. दूसरे दिन यानी शुक्रवार को भी वो सुबह आठ बजे से ही लाइन में लगी थीं.
गांव में पुलिसइमेज कॉपीरइटCHITRANJAN SINGH/BBC
क़रीब 11 बजे तेज़ धूप में वो अचानक बेहोश होकर गिर गईं. वहां मौजूद लोगों ने घर वालों को सूचना दी, उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई.
घटना के बाद गांव में राशन वितरण का काम रोक दिया गया और ज़िले के अधिकारियों को सूचना दी गई.
ज़िलाधिकारी के निर्देश पर ज़िला खाद्यान्न वितरण अधिकारी रामेंद्र प्रताप ने मामले की जांच की.

राशन मिलने में हो रही थी देरी

डीएसओ रामेंद्र प्रताप ने बीबीसी को बताया, "महिला दस मिनट पहले ही आई थी और अचानक बेहोश हो गई. जांच में हमने पाया कि रोज़ाना चालीस-पचास लोगों को राशन दिया जा रहा है. ऐसा नहीं हो सकता कि लाइन में लगे होने के बावजूद उन्हें राशन नहीं मिला. सुबह दस बजे की घटना है इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता कि तेज़ धूप थी."
हालांकि वहां मौजूद अन्य लोगों के अलावा कोटेदार गणेश प्रसाद का कहना है कि घटना के वक़्त ग्यारह बज रहे थे और तब तक महज़ आठ-दस लोगों को ही राशन मिल पाया था.
गणेश प्रसाद बताते हैं, "सोशल डिस्टैंसिंग के लिए गोल घेरे बने थे. हमें पता लगा कि महिला तीस-पैंतीस लोगों के बाद लाइन में खड़ी थी. सर्वर बहुत धीमे चल रहा था इसलिए लोगों को राशन मिलने में देरी हो रही थी. हमने आठ बजे से ही राशन वितरण शुरू कर दिया था."
बिना इस्तेमाल किया गया गैस का चूल्हाइमेज कॉपीरइटCHITRANJAN SINGH/BBC
वहां मौजूद लोगों का कहना है कि तीन घंटे में मुश्किल से दस लोग राशन पा सके थे. यही हाल एक दिन पहले यानी गुरुवार को भी था.
गांव के ही देवी दीन भी राशन की लाइन में लगे थे. वो बताते हैं, "राशन की दुकान के बाहर सभी लोग धूप में ही खड़े थे. बताया गया था कि पंद्रह तारीख़ से राशन बँटेगा, उस दिन भी सब लोग आए थे लेकिन राशन नहीं मिला. अगले दिन आए तो दिनभर लाइन में लगने के बावजूद मुश्किल से बीस-पच्चीस लोग ही राशन पा सके. शुक्रवार को महिला के मरने के बाद राशन बँटना भी बंद हो गया."
बताया जा रहा है कि राशन वितरण के वक़्त पर्यवेक्षक मौजूद नहीं थे जबकि बिना उनकी उपस्थिति के राशन नहीं बँट सकता.

भारत में कोरोनावायरस के मामले

यह जानकारी नियमित रूप से अपडेट की जाती है, हालांकि मुमकिन है इनमें किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के नवीनतम आंकड़े तुरंत न दिखें.
राज्य या केंद्र शासित प्रदेशकुल मामलेजो स्वस्थ हुएमौतें
महाराष्ट्र3323331201
दिल्ली17077242
मध्य प्रदेश13556969
तमिलनाडु132328315
गुजरात12728848
राजस्थान122918311
उत्तर प्रदेश9698614
तेलंगाना79118618
आंध्र प्रदेश6034215
केरल3962553
कर्नाटक3719213
जम्मू और कश्मीर328425
पश्चिम बंगाल2875510
हरियाणा225433
पंजाब2022713
बिहार85372
ओडिशा60211
उत्तराखंड4290
हिमाचल प्रदेश38161
छत्तीसगढ़36240
असम3591
झारखंड3302
चंडीगढ़2190
लद्दाख18140
अंडमान निकोबार द्वीप समूह12110
गोवा760
पुडुचेरी730
मणिपुर210
मिज़ोरम100

स्रोतः स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
18: 54 IST को अपडेट किया गया

महिला के पास नहीं था राशन कार्ड

घटना की सूचना पर डीएसओ, पूर्ति निरीक्षक और दूसरे अधिकारी भी मौक़े पर पहुंचे. गांव के प्रधान सर्वजीत बताते हैं कि महिला बहुत ही ग़रीब है.
उन्होंने बताया, "महिला का पति दिल्ली में रहता है. बच्चों के साथ वह अकेले यहां रहती है. उनका न तो राशन कार्ड था और न ही बैंक में कोई अकाउंट है. इसीलिए दूसरी मदद नहीं मिल पाती है. महिला को राशन मिल सके इसके लिए हमने उसका पीएचएच कार्ड बनवा दिया था. उसको पहले भी राशन मिल चुका है."
महिला के परिजन इस बारे में फ़िलहाल कुछ भी कहने से बच रहे हैं. ग्राम प्रधान ने बताया कि न तो महिला के पास और न ही दिल्ली में काम कर रहे उसके पति के पास मोबाइल फ़ोन हैं. किसी की ओर से इस बारे में पुलिस में कोई शिकायत भी दर्ज नहीं कराई गई है.
स्थानीय पत्रकार चितरंजन सिंह बताते हैं, "राशन के लिए धूप में लाइन में लगना और सर्वर धीमा होना पूरे ज़िले की समस्या है. घंटों खड़े रहने के बाद ही नंबर आता है. कहीं भी कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है कि लोगों को लाइन में न लगना पड़े. इस समय गर्मी तेज़ पड़ रही है, चालीस डिग्री सेंटीग्रेड क़रीब तापमान हो गया है. ऐसे में कुछ घंटे भी लाइन में लगना ख़तरे से खाली नहीं है. प्रशासन को यह सुझाव दिया गया था कि राशन वितरण के लिए टोकन व्यवस्था कर दें, ताकि दस-दस के समूह में लोगों को बुलाया जाए. इससे न तो भीड़ होगी और न ही लोगों को बिना वजह खड़ा होना पड़ेगा."
चितरंजन सिंह बताते हैं कि इस सलाह पर पहले तो अमल नहीं किया गया लेकिन प्रहलादपुर की घटना के बाद अब ज़िले में सभी कोटेदारों से कहा गया है कि वो टोकन सिस्टम के ज़रिए राशन वितरण करें और केवल कुछ लोगों को ही एक साथ दुकान पर बुलाएं.
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