जम्मू-कश्मीर: एक साल बाद क्या बोले राजनेता और क्या है ‘गुपकर घोषणापत्र’


राजनेताइमेज कॉपीरइटTAUSEEF MUSTAFA

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिए जाने के बाद बीजेपी को छोड़कर केंद्र शासित प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दल शनिवार को एक साथ आए और अनुच्छेद-370 को फिर से बहाल करने को लेकर बयान जारी किया. बयान में कहा गया है कि वो इसको लेकर संघर्ष करेंगे.
नेशनल कॉन्फ़्रेंस (एनसी), पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपल्स कॉन्फ़्रेंस, सीपीआईएम, कांग्रेस और आवामी नेशनल कॉन्फ़्रेंस ये वो दल हैं जिन्होंने 'गुपकर घोषणापत्र' पर हस्ताक्षर किए थे.
'गुपकर घोषणापत्र' के हस्ताक्षकरकर्ताओं ने बयान में कहा है कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार के क़दम ने जम्मू-कश्मीर और नई दिल्ली के बीच रिश्तों को बदल दिया है.
बयान में कहा गया है कि सभी दल 4 अगस्त 2019 के 'गुपकर घोषणापत्र' का पालन करेंगे जिसमें क्षेत्रीय दलों ने संविधान के तहत दिए गए जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बरक़रार रखने के लिए लड़ने का वादा किया है.

महबूबा मुफ़्ती अभी भी हिरासत में


महबूबा मुफ़्तीइमेज कॉपीरइटHINDUSTAN TIMES

पिछले साल केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करते हुए इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था.
अनुच्छेद-370 को हटाने के बाद सैकड़ों राजनेताओं को हिरासत में ले लिया था और कइयों को कठोर पब्लिक सेफ़्टी एक्ट (PSA) जैसे क़ानून के तहत हिरासत में लिया गया था.
तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों फ़ारूक़ अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती को इसी PSA क़ानून के तहत हिरासत में लिया गया था.
महबूबा मुफ़्ती की हिरासत को और तीन महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है.
अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद सभी संचार के साधन बंद कर दिए गए थे और कड़े प्रतिबंधों के साथ-साथ कर्फ़्यू लगा दिया गया था. इसके साथ ही भारी सुरक्षाबलों की तैनाती की गई थी ताकि किसी भी विरोध प्रदर्शन को रोका जा सके.

बयान में क्या-क्या कहा गया


फ़ारूक़ अब्दुल्लाइमेज कॉपीरइटHABIB NAQASH

सभी दलों के साझा बयान में अनुच्छेद-370 और 35ए को फिर से बहाल करने की मांग की गई है. साथ ही कहा गया है कि राज्य का बंटवारा अस्वीकार्य है.
5 अगस्त 2019 को दुर्भाग्य बताते हुए सभी नेताओं ने कहा है कि यह असंवैधानिक था और संविधान को समाप्त करने की कोशिश की गई.
बयान में कहा गया, "हम कौन हैं इसे दोबारा परिभाषित करने के लिए यह कोशिश हुई. लोगों को चुप रखने और उन्हें दबाने के लिए दमनकारी तरीक़ों से ये बदलाव हुए."
पिछले साल कश्मीर में मुख्यधारा के राजनीतिक नेतृत्व ने 'गुपकर घोषणापत्र' पर हस्ताक्षर किए थे.
इस घोषणापत्र में सर्वसम्मति से यह फ़ैसला लिया गया था कि 'सभी दल जम्मू-कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता, सुरक्षा, ख़ास दर्जे को बरक़रार रखने और किसी भी प्रकार के हमले के लिए एकजुट रहेंगे.'
यह बैठक एनसी के वरिष्ठ नेता और सांसद फ़ारूक़ अब्दुल्ला के घर गुपकर रोड पर हुई थी इसलिए ये घोषणापत्र का नाम रखा गया.
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