असम NRC ! लफड़े अभी बाकी हैं , पढ़िए एक रिपोर्ट ।


'2019 की एनआरसी सूची 'अंतिम नहीं'; 4,700 नाम अयोग्य'

'2019 की एनआरसी सूची 'अंतिम नहीं'; 4,700 नाम अयोग्य'

असम में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) के कोऑर्डिनेटर हितेश सरमा ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय को बताया है कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) की ओर से एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित किया जाना अभी बाकी है.

3 दिसंबर के एक हलफनामे में, सरमा ने कहा कि आरजीआई ने "अंतिम एनआरसी" के प्रकाशन पर कुछ नहीं कहा है. 31 अगस्त 2019 को प्रकाशित सूची पर उन्होंने कहा कि वो एक "पूरक एनआरसी" थी और उसमें 4,700 नाम अयोग्य हैं.

इंडियन एक्सप्रेस अख़बार का दावा है कि उसे बुधवार को हलफ़नामे की कॉपी मिली है.

सुप्रीम कोर्ट की प्रत्यक्ष निगरानी में पिछले साल अगस्त में प्रकाशित एनआरसी में 19 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया था जिसमें क़रीब 5.56 हिंदू और 11 लाख से ज़्यादा मुस्लिम शामिल थे. राज्य सरकार के मुताबिक़, एनआरसी के लिए क़रीब 3.3 करोड़ आवेदन मिले थे.

तब के एनआरसी स्टेट कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने एक प्रेस वार्ता में इसे "अंतिम एनआरसी" बताया था.

हालाँकि, असम सरकार ने अगस्त 2019 की सूची को ग़लत माना था और एक त्रुटिपूर्ण एनआरसी बनाने के लिए हजेला को दोषी ठहराया था. सरकार से रिश्ते बिगड़ने के तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल उन्हें राज्य के बाहर शिफ्ट कर दिया था.

तभी से एनआरसी की प्रक्रिया में बाधा आई हुई है. एनआरसी कार्यालय ने अब तक सूची से बाहर किए गए 19 लाख लोगों को रिजेक्शन ऑर्डर जारी नहीं किए हैं.

रिजेक्शन ऑर्डर मिलने के बाद ही ये लोग सूची से बाहर किए जाने के ख़िलाफ़ विदेशी ट्राइब्यूनल में अपील कर सकते हैं.

हलफनामे में सरमा ने कहा है कि प्रकाशित एनआरसी में मिली विसंगतियों के बारे में उन्होंने इस साल फरवरी में आरजीआई को सूचित किया था.

इसके अलावा उन्होंने 'एक त्रुटि मुक्त एनआरसी के हित में सुधारात्मक उपायों के लिए ज़रूरी दिशानिर्देश मांगे थे जो बहुत अहम है क्योंकि एनआरसी सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता से जुड़ी है'.

उन्होंने कहा 'हालांकि आरजीआई ने विसंगतियों से निपटने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया है'.

सरमा ने लिखा, "इसके बजाए रिजेक्शन स्लिप जारी करने और एनआरसी के अपडेशन के काम को ख़त्म करने का निर्देश मिला. भारत के रजिस्ट्रार जनरल एनआरसी के अंतिम प्रकाशन को लेकर भी चुप हैं, जबकि सिर्फ वही इसपर कोई कदम ले सकता है. अभी तक भारत के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से अंतिम एनआरसी का प्रकाशन किया जाना बाकी है."

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