उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण लड़की से शादी करने वाले दलित पंचायत अधिकारी की दिन दहाडे़ हत्या की पूरी कहानी - गोरखपुर से ग्राउंड रिपोर्ट

 


  • राजेश कुमार आर्य
  • गोरखपुर से बीबीसी हिंदी के लिए
अनीश और दीप्ति ने 12 मई 2019 को गोरखपुर में शादी की थी

इमेज स्रोत,ANEESH FAMILY

इमेज कैप्शन,

अनीश और दीप्ति ने 12 मई 2019 को गोरखपुर में शादी की थी

ब्राह्मण लड़की से प्रेम विवाह करने वाले दलित युवक अनीश कुमार चौधरी की 24 जुलाई को हत्या कर दी गई थी. परिजनों का आरोप है कि इसके पीछे अनीश के ससुराल वालों का हाथ है.

उनका कहना है कि अनीश की पत्नी दीप्ति मिश्र के परिजन इस शादी से खुश नहीं थे. वहीं दीप्ति की मां का कहना है कि अनीश की हत्या में उनके परिवार का हाथ नहीं है.

अनीश की हया के मामले में 17 लोग अभियुक्त बनाए गए हैं, जिनमें से चार लोगों को स्थानीय पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है.

अनीश और दीप्ति ने एक साथ पंडित दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की थी हालांकि दोनों के विषय अलग अलग थे, अनीश प्राचीन इतिहास और दीप्ति ने समाजशास्त्र से एमए किया था. कैंपस में हुई मुलाकातों के बीच अनीश और दीप्ति का चयन ग्राम पंचायत अधिकारी पद पर हो गया.

दीप्ति बताती हैं कि नौकरी लगने के बाद उनकी अनीश से पहली मुलाकात नौ फ़रवरी 2017 को गोरखपुर स्थित विकास भवन में हुई थी. एक ही पद पर चयनित होने के बाद यूनिवर्सिटी कैंपस से शुरू हुआ मुलाक़ातों का सिलसिला बढ़ने लगा. साथ में प्रशिक्षण के दौरान दोनों और क़रीब आ गए.

दीप्ति बताती हैं, ''इस रिश्ते की भनक लगते ही मेरे परिवार वाले उन्हें प्रताड़ित करने लगे. इसके बाद हमने शादी का फ़ैसला किया. शादी का फ़ैसला इसलिए लिया क्योंकि मुझे लगा कि एक बार शादी हो जाने के बाद मेरे परिजन मेरी कहीं और शादी नहीं करवा पाएंगे.''

वो बताती हैं कि उनके फ़्रेंड सर्किल में हर जाति-धर्म के लोग रहे और उनका यक़ीन जात-पात में नहीं रहा.

इमेज स्रोत,ANEESH FAMILY

माता-पिता नहीं माने

अनीश और दीप्ति ने अपनी शादी को कोर्ट में रजिस्टर्ड कराया. शादी के काग़ज़ात के मुताबिक दोनों ने 12 मई 2019 को गोरखपुर में शादी कर ली थी. उनकी शादी को अदालत ने 9 दिसंबर 2019 को मान्यता दे दी थी.

दीप्ति बताती हैं, ''हम दोनों बालिग थे और नौकरी-पेशा थे, इसलिए लगता था कि इस शादी का घरवाले विरोध नहीं करेंगे और अगर करेंगे भी तो हम उन्हें मना लेंगे. मैंने अपने परिवार वालों को काफ़ी समझाने-बुझाने की भी कोशिश की. लेकिन वो नहीं माने.''

वो बताती हैं, ''अनीश से शादी की बात पता चलने के बाद परिवार वाले मुझे मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने लगे. कभी पिता बीमार पड़ जाते थे तो कभी मां. पिता कहते थे, मुझे अटैक आ जाएगा और मैं मर जाऊंगा. जब मैं नहीं मानती थी तो मेरे परिवार वाले अनीश को जान से मार देने की धमकी देते थे. अनीश की सुरक्षा के लिए मुझे कई बार अपने घरवालों की बात माननी पड़ी और उनके कहे मुताबिक़ काम करना पड़ा. मैं अनीश को हर क़ीमत पर बचाना चाहती थी.''

दीप्ति गोरखपुर ज़िले के गगहां थानाक्षेत्र के देवकली धर्मसेन गांव निवासी नलिन कुमार मिश्र की बेटी हैं. दीप्ति चार भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं. उनकी दो बहनों और एक भाई की भी शादी हो चुकी है. उनका भाई उत्तर प्रदेश पुलिस में है. इस समय उनकी तैनाती श्रावस्ती ज़िले में है.

क्या इतने बड़े परिवार में किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया, इस सवाल के जवाब में दीप्ति कहती हैं कि 'नहीं, उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने उनका साथ नहीं दिया.'

इमेज स्रोत,ANEESH FAMILY

अनीश के ख़िलाफ़ मुक़दमा

दीप्ति के पिता नलिन ने काफ़ी सालों तक दुबई में काम किया. वो अगस्त 2016 से अपने गांव के पास स्थित मझगांवां में रेडीमेड कपड़ों की दुकान चला रहे हैं. उनके पिता ने अनीश के ख़िलाफ़ मुक़दमा कर दिया था. इसमें उन पर बलात्कार जैसे कई आरोप लगाए गए थे.

दीप्ति ने बताया कि इस मामले में उन्होंने परिजनों के दबाव में अनीश के ख़िलाफ़ बयान दिया क्योंकि वो अनीश की हत्या कर देने की धमकी देते थे.

वो बताती हैं, "पिता, चाचा और चचेरे भाई हर जगह निगरानी करते थे. जब ऑफ़िस जाती तो भी लोग साथ जाते थे. कई बार चाचा, पिता की लाइसेंसी राइफ़ल लेकर उनके साथ जाते थे."

इमेज स्रोत,RAJESH KUMAR ARYA

इमेज कैप्शन,

मैरिज सर्टिफ़िकेट

दीप्ति बताती हैं कि जब अनीश के जेल जाने की नौबत आ गई तो वो 20 फ़रवरी में उनके साथ रहने चलीं गईं. इसके बाद उनके पिता ने गगहां पुलिस थाने में अनीश पर दीप्ति के अपहरण का केस दर्ज कराया. इस पर दीप्ति ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर बताया कि उनका अपहरण नहीं हुआ है और वो अपनी मर्ज़ी से अनीश के साथ रह रही हैं और दोनों ने शादी कर ली है.

अनीश के परिवार ने बीती 28 मई को गोरखपुर के महादेव झारखंडी मंदिर में दोनों की शादी करा दी. उसी दिन गोरखपुर के अवंतिका होटल में रिसेप्शन भी हुआ. दोनों कार्यक्रमों में केवल अनीश के परिवार के सदस्य और उनके रिश्तेदार ही शामिल हुए थे.

दीप्ति बताती हैं कि इसके बाद में अनीश थोड़े लापरवाह भी हो गए थे. उन्हें लगता था कि यह अपना ही इलाक़ा है तो यहां कोई ख़तरा नहीं है, लेकिन यह लापरवाही भारी पड़ी.

इमेज स्रोत,RAJESH KUMAR ARYA

अनीश का परिवार

अनीश का परिवार गोरखपुर के गोला थानाक्षेत्र के उनौली दुबौली गांव में रहता है. यह दलितों और पिछड़ों की अधिक आबादी वाला गांव है. इन्हीं की बदौलत अनीश के बड़े भाई अनिल चौधरी 10 साल तक इस गांव के ग्राम प्रधान रहे, वह भी तब जब ग्राम प्रधान का पद अनारक्षित था. साल 2015 में प्रधान का पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित हो गया. तब अनिल ने अपनी पत्नी गीता देवी को चुनाव लड़वाया. वो जीतीं भी.

अनीश का परिवार संपन्न है. उनके पिता और चाचा बैंकॉक और सिंगापुर जैसे शहरों में रहकर काम करते थे. लेकिन अनीश सरकारी नौकरी करने वाले अपने परिवार के पहले सदस्य थे.

अनिल से जब यह पूछा गया कि इस रिश्ते की जानकारी होने पर उनकी क्या प्रतिक्रिया थी. इस पर उन्होंने बताया कि उन्हें एक दिन दीप्ति ने ब्लॉक पर मिलने के लिए बुलाया था. दीप्ति ने उनसे कहा था कि वो अपने परिवार को मना लेंगी.

इमेज स्रोत,RAJESH KUMAR ARYA

इमेज कैप्शन,

अनीश के भाई अनिल चौधरी

अनिल बताते हैं, ''मैंने कई बार दीप्ति के परिवार वालों से मिलकर इस रिश्ते को मान्यता देने की बात की थी, लेकिन उन लोगों ने यह बात तो नहीं मानी, उल्टे मेरे घर आकर धमकी देने लगे. उनके परिवार वालों ने 24 जुलाई को मेरे भाई की गड़ासी से काट कर हत्या कर दी.''

अनिल ने सरकार से अपने परिवार और दीप्ति को सुरक्षा देने, मामले के आरोपियों पर सख़्त कार्रवाई करने, आर्थिक मदद देने और परिवार के एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी की मांग की है. उनके घर पर भारी पुलिस बल तो तैनात कर दिया गया है, लेकिन बाक़ी मांगों पर क्या पहल हुई है, इसकी जानकारी अभी नहीं मिल पाई है.

इमेज स्रोत,RAJESH KUMAR ARYA

इमेज कैप्शन,

अनीश के चाचा देवी दयाल भी हमले में घायल हुए हैं

घटना वाले दिन क्या हुआ?

घटना वाले दिन अनीश अपने चाचा और उरुवा ब्लॉक में ही तैनात ग्राम विकास अधिकारी देवी दयाल के साथ किसी काम के लिए निकले थे. दोनों लोग गोपालपुर बाज़ार में स्थित हार्डवेयर की दुकान पंकज ट्रेडर्स में कुछ काम से गए थे. वहां से निकलने के बाद ही यह वारदात हो गई. इसमें देवी दयाल भी घायल हो गए. उनका गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है. उनके सीने में धारदार हथियार के हमले से घाव हुआ है.

देवी दयाल ने बताया, ''दुकान से निकलकर अनीश फ़ोन पर बात करते हुए आगे बढ़ रहा था. इस दौरान अपना चेहरा ढंके चार लोगों ने धारदार हथियारों से उस पर हमला कर दिया. जब वो बचाने के लिए दौड़े तो उन पर भी हमला किया गया. इससे वो बेहोश हो गए. कुछ सेकेंड बाद होश में आने पर वो खड़े हुए. यह देख हमलावरों ने एक बार फिर उन पर हमला किया. तब तक कुछ लोग भी वहां जमा हो गए. यह देखकर हमलावर भाग गए. वो अपना एक हथियार भी छोड़ गए.''

उनके मुताबिक वो यह नहीं देख पाए कि हमलावर किसी दिशा से आए थे और किस दिशा में भाग कर गए. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए मेडिकल कॉलेज में देवी दयाल को सुरक्षा मुहैया कराई गई है, लेकिन उनके परिजन इससे खुश नहीं हैं क्योंकि पुलिस का जवान हथियारबंद नहीं है और देवी दयाल को वॉर्ड में अन्य मरीज़ों के साथ रखा गया है.

इमेज स्रोत,RAJESH KUMAR ARYA

इमेज कैप्शन,

जहां अनीश का खून गिरा था, वहां घटना के 5 दिन बाद भी निशान मौजूद हैं

उनके परिजनों का कहना है कि देवी दयाल इस मामले के एक मात्र चश्मदीद गवाह हैं और प्रशासन के इस रवैये से उनकी जान को ख़तरा हो सकता है.

देवीदयाल बताते हैं कि उन्हें पूरी ज़िंदगी इस बात का अफ़सोस रहेगा कि वो अपने भतीजे की जान नहीं बचा पाए.

गोपलापुर बाज़ार में जहां अनीश की हत्या हुई, वहां जब हमने लोगों से घटना के बारे में जानने की कोशिश की तो इसका कोई भी चश्मदीद नहीं मिला और न ही कोई बात करने को तैयार था, लेकिन जहां अनीश का ख़ून गिरा था, वहां घटना के पांच दिन बाद भी मक्खियां भिनभिना रही थीं.

इमेज स्रोत,RAJESH KUMAR ARYA

पुलिस ने क्या कहा

इस मामले में गोला थाना पुलिस ने अनिल चौधरी की शिकायत पर 17 नामज़द और 4 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है. एफ़आईआर में आईपीसी की धारा-302, 307, 506 और 120-बी के साथ-साथ एससी-एसटी एक्ट की धारा 3(2)(V) भी लगाई गई है.

एफ़आईआर में दीप्ति के पिता नलिन मिश्र और भाई अभिनव मिश्र के अलावा मणिकांत, विनय मिश्र, उपेंद्र, अजय मिश्र, अनुपम मिश्र, प्रियंकर, अतुल्य, प्रियांशु, राजेश, राकेश, त्रियोगी नारायण, संजीव और चार अज्ञात लोगों के नाम शामिल हैं.

इस मामले की जांच गोला के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) अंजनी कुमार पांडेय कर रहे हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया, ''चार लोगों को गिरफ़्तार कर जेल भेजा गया है और अन्य लोगों को भी जल्द ही गिरफ़्तार कर लिया जाएगा.'' उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं लगता है कि इसे भाड़े के हत्यारों ने अंजाम दिया हो. ऐसा लगता है कि ये वारदात जान-पहचान के लोगों ने ही किया है.

हत्या की वजहों में कोई और पहलू सामने आने की बात पूछने पर अंजनी कुमार पांडेय ने कहा, ''अब तक कोई दूसरी वजह सामने नहीं आई है.''

पुलिस ने इस मामले में मणिकांत मिश्र (दीप्ति के बड़े पिता), विवेक तिवारी, अभिषेक तिवारी और सन्नी सिंह को गिरफ़्तार किया है.

इमेज स्रोत,RAJESH KUMAR ARYA

इमेज कैप्शन,

दीप्ति की मां जानकी मिश्र

दीप्ति की मां का आरोपों से इनकार

इस मामले में लग रहे आरोपों पर दीप्ति की मां जानकी मिश्र कहती हैं कि इस मामले से उनके परिवार का कोई लेना-देना नहीं है. उनके परिवार और रिश्तेदारों को फंसाया जा रहा है. उनका कहना था कि शनिवार को उन्होंने एक टिफ़िन में रोटी-सब्ज़ी पैक कर अपने पति को दी थी और वो अपनी दुकान चले गए थे, लेकिन 12-1 बजे के बाद अनीश की हत्या की ख़बर मिलने के बाद उनके पति और अन्य रिश्तेदार अंडरग्राउंड हो गए.

जानकी मिश्र बताती हैं कि इस मामले में अभियुक्त बनाए गए मणिकान्त मिश्र पुलिस के सामने हाज़िर हो गए हैं. पुलिस के सामने हाज़िर होने के लिए उनके पति भी गोरखपुर ही गए हुए हैं और वो जल्द ही पुलिस के सामने पेश होंगे.

दीप्ति की मां बताती हैं कि अन्य रिश्तेदारों की बेगुनाही साबित करने के लिए पुलिस के सामने सबूत पेश किए जाएंगे.

दीप्ति की दलित लड़के से शादी के सवाल पर उनकी मां कहती हैं, ''ऐसी लड़कियों को पढ़ाना-लिखाना तो दूर जन्म देना भी बेकार है. उसने मेरी कोख पर कालिख पोत दिया है. पूरे परिवार और रिश्तेदारों को बदनाम और बर्बाद कर दिया है.''

इमेज स्रोत,RAJESH KUMAR ARYA

इस पूरे मामले में जाति ही सबसे बड़ा फ़ैक्टर नज़र आता है. अनीश के एक रिश्तेदार रमाशंकर चौधरी बताते हैं, ''यह इलाक़ा चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र में आता है, जहां से बसपा के विनय शंकर तिवारी विधायक हैं. सपा-भाजपा के नेताओं ने आकर अनीश की हत्या पर शोक जताया है, लेकिन अभी तक बसपा विधायक नहीं आए हैं जो कि दलितों की पार्टी कही जाती है.''

इस मामले को फ़ैसला आने से पहले लंबी क़ानूनी प्रक्रिया से होकर गुज़रना पड़ सकता है. लेकिन दीप्ति मिश्र सभी अभियुक्तों और अपने पूरे परिवार के लिए फांसी की सज़ा की मांग करती हैं. वो कहती हैं, ''उनका पूरा परिवार इस मामले में किसी न किसी रूप में शामिल है, इसलिए सबको फांसी होनी चाहिए. इसके लिए वो हर स्तर पर इस लड़ाई को लड़ेंगी.''

पति की हत्या के बाद से दीप्ति अनीश की एक तस्वीर साथ लिए रहती हैं और उसे एकटक देखती रहती हैं. वो कहती हैं कि अनीश अपने जिस परिवार को छोड़ गए हैं, अब वह उनकी ज़िम्मेदारी है और वो उसकी देखभाल करेंगी. दीप्ति इस समय गर्भवती हैं.

दीप्ति कहती हैं कि अगर क़ानून ने अनीश के हत्यारों को सज़ा नहीं दी या वो इसमें विफ़ल रहा तो सभी अभियुक्तों को वो ख़ुद सज़ा देंगी.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Comments

Popular posts from this blog

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

Department of Education Directory