क्या कुत्ता प्रेमी लोकतंत्र प्रेमी नहीं .?


 

कुत्तों के लिए प्रदर्शन करने उतरे लोगों को अंदाज़ा नहीं होगा कि उनका सामना सरकार से ज़्यादा समाज से होगा। उनके प्रदर्शन के ग़ैर राजनीतिक और सीमित होने को लेकर बहुत बातें हो रही हैं। कहा जा रहा है कि ये लोग कभी राजनीतिक मुद्दों पर नहीं बोलते हैं। यह बहस बहुत बड़ी हो गई है, इतनी कि कुत्ते पीछे छूट गए हैं।आज जिस स्तर पर संस्थाएं ढहा दी गई हैं, अत्याचार का स्केल इतना बड़ा हो गया है कि जो लोग बोलते हैं वे भी सभी मुद्दों पर नहीं बोल पाते। यह लड़ाई बोलने वालों के बीच भी है कि इस पर नहीं बोला, उस पर नहीं बोला लेकिन इस बार लड़ाई कुत्तों के लिए उतरने वाले प्रेमियों से हो गई है।  उम्मीद है आप इस वीडियो को देखेंगे और अपने कमेंट के ज़रिए इस बहस को समृद्ध करेंगे।

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