लाल क़िले से पीएम मोदी ने आरएसएस को 'दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ' कहकर क्या संघ की ही बड़ी फजीहत करा दी है?
15 अगस्त के भाषण से कुछ ख़ास नहीं निकला, निकला तो घुसपैठिए का फर्ज़ी भूत और RSS की सतही तारीफ़। RSS का आज़ादी की लड़ाई में क्या योगदान है, यह तो नहीं बता सके लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के इस एक बयान से विपक्ष को बताने का मौका मिल गया कि आज़ादी की लड़ाई में RSS का कोई योगदान नहीं है। जैसे नेहरू को लेकर हज़ार बार बहस हो चुकी है, वैसा ही RSS को लेकर एक और बार क्यों बहस शुरू हुई? क्या प्रधानमंत्री मोदी यही चाहते थे? क्या RSS NGO बताए जाने की तारीफ़ से ख़ुश है? तब तो फिर मोहन भागवत से लेकर दूसरे प्रचारकों को इस तारीफ़ पर बोलना चाहिए था, स्वागत करना चाहिए था। देखिए हमारा वीडियो। हम डिस्क्रिप्शन में एक लिंक दे रहे हैं। यह द वायर में छपा एक लेख है जो आज़ादी की लड़ाई में RSS की भूमिका की पड़ताल करता है। आप चाहें तो उसे भी पढ़ सकते हैं।
लिंक- https://thewire.in/his...
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