कहीं टूथपेस्ट आपके दांत ख़राब न कर दें


टूथपेस्टइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
हमारे घरों में हमें सुबह-शाम टूथब्रश करना तो सिखाया जाता है लेकिन बचपन में क्या किसी ने आपको ये बताया था कि टूथपेस्ट कितना लेना चाहिए?
शायद ही कहा हो...
लेकिन अमरीका स्थित सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के एक अध्ययन के मुताबिक़ तीन से छह साल तक के बच्चों के ब्रश पर मटर के दाने जितना ही टूथपेस्ट लगाना चाहिए.
टूथपेस्टइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
टूथपेस्ट की बहुत अधिक मात्रा बच्चे के दांतों को नुकसान पहुंचा सकती है.
शुक्रवार को जारी हुई स्टडी के अनुसार, "क़रीब चालीस फ़ीसदी अभिभावक अपने बच्चों को तय मात्रा से अधिक टूथपेस्ट देते हैं. जिस उम्र में बच्चों के दांत निकल रहे हों, उस उम्र में बच्चों को कम टूथपेस्ट देना चाहिए क्योंकि अधिक मात्रा में टूथपेस्ट का इस्तेमाल करने से उन्हें डेंटल फ़्लोरोसिस की शिकायत हो सकती है."
यह अध्ययन क़रीब 1700 बच्चों पर किया गया.
टूथपेस्टइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
अमरीकन डेंटल असोसिएशन की वेबसाइट के मुताबिक इसकी बड़ी वजह ये है कि टूथपेस्ट में फ़्लोराइड होता है, जो आमतौर पर दांतों को बैक्टीरिया से सुरक्षित रखता है. लेकिन इसकी अधिक मात्रा दांत की ऊपरी परत को घिस देती है. छोटे बच्चों के लिए टूथपेस्ट का कम इस्तेमाल करने की सलाह इसलिए भी दी जाती है क्योंकि टूथपेस्ट के अलावा पानी भी फ़्लोराइड का एक स्त्रोत है. ऐसे में दांतों पर इससे भी असर पड़ता है.
क्या पड़ता है असर?
टूथपेस्टइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
स्टडी के मुताबिक़, फ्लोरिसस का असर सिर्फ़ उन बच्चों के दांतों पर होता है जिनके दांत आ रहे होते हैं. इससे डेंटल हेल्थ पर पूरी तरह तो असर नहीं पड़ता लेकिन अगर फ़्लोराइड की मात्रा को नियंत्रित नहीं किया जाए तो दांत बदरंग हो सकते हैं. इस तत्व की बहुत अधिक मात्रा दांतों की बनावट पर भी असर डाल सकती है.
ज़रूरी है कि पता हो टूथपेस्ट में क्या-क्या मिला है?
इंडियन डेंटल असोसिएशन (आईडीए) की वेबसाइट पर छपी जानकारी के अनुसार, टूथपेस्ट सिर्फ़ दांत साफ़ करने का काम नहीं करता बल्कि यह दांतों को सुरक्षित रखने के लिए भी ज़रूरी है.
टूथपेस्टइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
वेबसाइट के मुताबिक, कोई भी टूथपेस्ट ख़रीदने से पहले उस पर असोसिएशन की मान्यता ज़रूर जांच लें. आमतौर पर टूथपेस्ट में पांच तत्व शामिल होते हैं.
- कैल्शियम फ़ॉस्फेट्स और सोडियम मेटाफ़ॉस्फ़ेट
- ग्लिसरॉल या सॉर्बिटॉल
- डिटर्जेंट
- फ्लेवर और कलर एजेंट
- फ़्लोराइड
टूथपेस्टइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
दिल्ली स्थित पीडोडेंटिस्ट डॉ. स्वाति भी इस स्टडी का समर्थन करती हैं. वो कहती हैं, "बच्चों के लिए अगर संभव हो तो फ़्लोराइड मुक्त टूथपेस्ट इस्तेमाल किया जा सकता है. क्योंकि कई बार बच्चे टूथपेस्ट घोंट भी जाते हैं और टूथपेस्ट में मौजूद फ़्लोराइड उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है."
वो कहती हैं, "'टूथपेस्ट चुनते समय अपने दांतों की क्वालिटी का ध्यान ज़रूरी रखें. सबके दांत की क्वालिटी और सेंसटिविटी अलग होती है तो टूथपेस्ट उसी हिसाब से लें. "
लेकिन टूथपेस्ट के साथ टूथब्रश का भी ध्यान रखना ज़रूरी है ?
टूथपेस्टइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
आईडीए के मुताबिक, टूथब्रश का इतिहास 3500-3000 ईसा पूर्व का है. 1600 ईसा पूर्व में चीनियों ने च्यूइंग स्टिक का विकास किया और इसके बाद 15वीं शताब्दी में चीनियों ने सूअर की गर्दन के बालों से ब्रसल्स वाले ब्रश का निर्माण किया. यूरोप में भी ब्रश बनाए गए लेकिन घोड़े के बालों से.
इसके बाद धीरे-धीरे टूथब्रश का प्रारूप बदलता गया और आज बाज़ार में कई तरह के विकल्प मौजूद हैं.
अब तो इलेक्ट्रिक ब्रश भी आ गए हैं. लेकिन डॉ. स्वाति की मानें तो जितना ज़रूरी टूथपेस्ट को सेलेक्ट करना है, उतना ही अहम है कि हम पूरी सावधानी से अपना ब्रश चुनें.
वो कहती हैं "ब्रश चुनते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि ब्रसल्स मुलायम हों और ब्रश के हैंडल की ग्रिप अच्छी हो. दांतों पर ब्रश रगड़ें नहीं, हल्के हाथों से फेरें. ज़्यादा ज़ोर से रगड़ने पर दांतों की ऊपरी परत पर असर पड़ता है."
लेकिन कितनी बार ब्रश करें ?
बहुत से लोगों को ऐसा लगता है कि वो जितना ज़्यादा ब्रश करेंगे उनके दांत उतने ही मज़बूत होंगे लेकिन इसमें थोड़ा विरोधाभास है. बहुत अधिक ब्रश करना भी दांतों को नुकसान पहुंचा सकता है. हालांकि दिन में दो बार ब्रश करने की सलाह डेंटिस्ट भी देते हैं और ये भी कहते हैं कि जब भी कुछ खाएं उसके बाद पानी से मुंह ज़रूर साफ़ कर लें ताकि खाने का कोई कण फंसा न रह जाए.
डॉ स्वाति इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहती हैं "दो टाइम ब्रश करना ज़रूरी है. पहला दांत आने के बाद से ही बच्चे के दांत साफ़ करना शुरू कर देना चाहिए. अमूमन छह माह में पहला दांत आ जाता है लेकिन तब ब्रश कराना संभव नहीं होता तो किसी मुलायम कॉटन के कपड़े से दांत साफ़ कर देना चाहिए."
टूथपेस्टइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
लेकिन बावजूद इसके ज़्यादातर लोगों को दांत से जुड़ी कोई न कोई समस्या होती ही है, ऐसे में आप आईडीए की वेबसाइट पर मौजूद इन तीन सूत्रों का पालन करके दांत को सेहतमंद रख सकते हैं...
-हर रोज़ अपने मुंह और दांत की ख़ुद जांच
-डेंटिस्ट के पास नियमित जाना
- साफ़-सफ़ाई और पौष्टिकता का ध्यान रखना
ये भी पढ़ें...

Comments

Popular posts from this blog

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

Department of Education Directory