Skip to main content

भारतीय सेना ने अपना ही हेलीकॉप्टर मार गिराया: पाकिस्तानी उर्दू प्रेस रिव्यू

31 मार्च 2019

   


Image copyrightGETTY IMAGESभारतीय सेना

पाकिस्तान से छपने वाले उर्दू अख़बारों में इस हफ़्ते पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई और भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों से जुड़ी ख़बरें सुर्ख़ियों में रहीं.
सबसे पहले बात भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों की.
पाकिस्तान का कहना है कि 27 फ़रवरी को जो भारतीय हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और उसमें सवार पांच लोग मारे गए थे वो किसी दुर्घटना का शिकार नहीं हुआ था बल्कि उसे ख़ुद भारतीय सेना ने मार गिराया था.
अख़बार जंग ने अपने पहले पन्ने पर इस बारे में लिखा है जिसकी सुर्ख़ी है, ''भारत ने अपने ही छह फ़ौजी मार दिए, हेलिकॉप्टर भी तबाह.''

भारतीय सेना ने अपना ही हेलीकॉप्टर मार गिराया

अख़बार लिखता है कि भारत का एक और झूठ बेनक़ाब हो गया जिसका भांडा ख़ुद भारतीय मीडिया ने फोड़ दिया. भारतीय वायुसेना का हेलिकॉप्टर किसी तकनीकी ख़राबी के कारण नहीं बल्कि भारतीय सेना की मिसाइल से ही तबाह हुआ था जिसके नतीजे में छह सैनिक मारे गए थे.
भारतीय मीडिया के हवाले से अख़बार लिखता है कि भारतीय सेना मरने वालों के परिजनों और पूरे भारत से झूठ बोलती रही. अख़बार आगे लिखता है कि ये घटना भारत और पाकिस्तान की सेना के बीच पेशेवराना योग्यता में फ़र्क़ का स्पष्ट प्रमाण है.
अख़बार नवा-ए-वक़्त ने सुर्ख़ी लगाई है, ''पाकिस्तानी वायुसेना से भयभीत भारतीय सेना ने अपना हेलिकॉप्टर ख़ुद ही मार गिराया था.''
अख़बार लिखता है कि भारत ने 27 फ़रवरी को पाकिस्तानी वायुसेना से झड़प के दौरान घबराहट में मिसाइल दाग़ कर अपना हेलिकॉप्टर ख़ुद ही मार गिराया था.
भारतीय सेना दोस्त और दुश्मन की पहचान ही खो बैठी थी. पाकिस्तान से झड़प वाले दिन श्रीनगर के क़रीब भारतीय वायुसेना का एमआई वी-5 हेलिकॉप्टर गिरा था जिसमें छह लोग मारे गए थे.
भारतीय अख़बार इकोनोमिक टाइम्स में छपी ख़बर का हवाला देते हुए अख़बार नवा-ए-वक़्त ने लिखा है कि भारतीय टीम इस बात की जांच में लगी है कि आख़िर ये हुआ कैसे और जांच में जिन अधिकारियों को दोषी पाया जाएगा उनके ख़िलाफ़ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई की जाएगी.

Image copyrightAFPभारतीय वायुसेना

करतारपुर कॉरीडोरी पर बातचीत टली

भारत ने करतारपुर कॉरिडोर मामले में दो अप्रैल को भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली बातचीत को स्थगित कर दी है. अख़बार एक्सप्रेस ने सुर्ख़ी लगाई है, "करतारपुर कॉरिडोर बातचीत से भागा भारत."
अख़बार लिखता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच दो अप्रैल को करतारपुर कॉरिडोर के बारे में होने वाली बातचीत को स्थगित कर दिया है. भारत ने पाकिस्तान से कुछ मामलों में और जानकारी मांगी है.
पाकिस्तान ने भारत के इस फ़ैसले पर निराशा जताई है. अख़बार के अनुसार पाकिस्तान ने इस मामले में जो 10 सदस्यीय कमेटी बनाई है उनमें शामिल कुछ सिखों पर भी भारत को आपत्ति है. भारत का कहना है कि कमेटी में शामिल कम से कम पांच लोग भारत विरोधी हैं और भारत के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार करते रहते हैं.
वहीं नवा-ए-वक़्त लिखता है कि करतारपुर कॉरिडोर पर होने वाली बातचीत से ठीक पहले भारत का भाग जाना समझ से परे है. पाकिस्तान के ननकाना साहिब में सिखों के धार्मिक स्थल गुरुद्वारा दरबार साहिब तक पहुंचने के लिए करतारपुर कॉरिडोर खोलने के बारे में दो अप्रैल को बातचीत होनी थी लेकिन भारत पीछे हट गया.
पाकिस्तान ने इसके कवरेज के लिए भारतीय मीडियाकर्मियों को वीज़ा भी दे दिया था.

Video captionकरतारपुर साहिब कॉरिडोर: कैसा चल रहा है पाकिस्तान में काम

भारत के पूर्व सैन्य अधिकारी ने पाकिस्तान की तारीफ़ की

भारत के एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी का बयान भी पाकिस्तानी मीडिया में इस हफ़्ते छाया रहा.
भारतीय सेना के उत्तरी कमांड के एक पूर्व प्रमुख लेफ़्टिनेंट जनरल अता हसनैन ने एक ब्रितानी थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ़ स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ (आईआईएसएस) को संबोधित करते हुए कहा है कि इन्फ़ॉर्मेशन वॉर के मामले में पाकिस्तान ने भारत को पछाड़ दिया है. जनरल हसनैन का ये बयान सारे अख़बारों के पहले पन्ने पर है.
अख़बार दुनिया ने इस पर सुर्ख़ी लगाई है, "तारीफ़ वो जो दुश्मन करे."
अख़बार के अनुसार इस मौक़े पर जनरल हसनैन ने कहा कि अगर किसी ने सिखाया है कि ख़बरों के साथ कैसे खेला जाता है तो वो पाकिस्तानी सेना का संपर्क विभाग आईएसपीआर है.
जनरल हसनैन ने कहा कि आईएसपीआर ने भारतीय कश्मीरियों को न सिर्फ़ भारतीय सेना से बल्कि भारत की जनता से भी दूर कर दिया है. उन्होंने कहा कि अब पारंपरिक जंगों का दौर ख़त्म हो गया है, ये हाइब्रिड वॉर का दौर है जिसमें मीडिया बड़ा हथियार होता है.
जनरल हसनैन ने कहा कि अमरीका ने ये सीखने में 18 साल लगा दिए कि अब पारंपरिक जंग से सफलता नहीं मिलती.

पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई

पाकिस्तान के सारे अख़बारों ने बढ़ती महंगाई के बारे में हफ़्ते भर लिखा है. अख़बार जंग ने सुर्ख़ी लगाई है, "महंगाई चार साल में सबसे अधिक, आठ महीने में 3300 अरब रुपये (पाकिस्तानी रुपया) क़र्ज़ लिए गए."
अख़बार के अनुसार स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान ने एक अप्रैल 2019 से ब्याज़ दरों में 50 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोत्तरी करते हुए 10.75 फ़ीसदी करने की घोषणा की है. अख़बार लिखता है कि पिछले आठ महीने में सरकार ने स्टेट बैंक से 3300 अरब पाकिस्तानी रुपये क़र्ज़ लिए हैं.
सरकार अपने वित्तीय घाटे को कम करने के लिए बैंकों से क़र्ज़ लेती रही, लेकिन अगर ये सिलसिला इसी तरह चलता रहा तो अर्थव्यवस्था की हालत और चिंताजनक हो जाएगी.
अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार एक अमरीकी डॉलर 142.30 पाकिस्तानी रुपये का हो गया है. अख़बार लिखता है कि महंगाई और भी बढ़ती रहेगी और निकट भविष्य में इसमें कमी आने की कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही है.
अख़बार एक्सप्रेस के अनुसार पाकिस्तान में रुपये की क़ीमत लगातार गिर रही है और ऐसी हालत में पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के पास जाने को तैयार हो गया है.

Image copyrightGETTY IMAGESपाकिस्तान की मुद्रा

आईएमएफ़ की मांग है कि रुपये की क़ीमत तय करने के मामले में सरकारी नियंत्रण को कम किया जाए और उसे आज़ाद छोड़ दिया जाए ताकि वो अमरीकी डॉलर का ख़ुद से मुक़ाबला कर सके.
वर्ल्ड बैंक ने भी इसका समर्थन किया है. अख़बार ने पाकिस्तान के प्रमुख उद्दोगपति आरिफ़ हबीब और वित्त मंत्री असद उमर के हवाले से लिखा है कि पाकिस्तान आईएमएफ़ के पास जाने को तैयार हो गया है.

ये भी पढ़ेंः

Comments

Popular posts from this blog

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

Department of Education Directory