अडवाणी अपने गुनाहों की फसल काट रहे ।




भारतीय जनता पार्टी के बुजुर्ग नेता लाल कृष्ण आडवाणी को जिन्होंने नब्बे की दहायीं में पार्टी को नई बुलंदियों तक पहुंचाने का काम किया था पार्टी के सारे मामलात में इस तरह किनारे लगा दिया जाएगा ये शायद उन्होंने अपने ख्वाब में भी नहीं सोंचा होगा लेकिन अब उनके इतने बुरे दिन आ गए हैं कि लोक सभा के टिकटों की तकसीम का मामला हो या वजीरे आज़म की ओहदे की उमीदवारी का सवाल ,पार्टी कयादत उनसे सलाह व मशविरे की भी जरुरत नहीं समझती ।हालांकि पार्टी का ये लौह पुरुष अपने साथ हिने वाली नाइंसाफी के खेलाफ विरोध तो जताते हैं , नाराजगी भी दिखाते हैं लेकिन पार्टी उनकी कुछ नहीं सुनती और उन्हें फिर थक हार कर पार्टी की ख्वाहिशों के सामने सर झुकाना पड़ ही जाता है । गुजिस्ता डेढ़ दो साल से पार्टी के अन्दर उन्हें इस बेईज्ज़ती का सामना करना पड़ रहा है और क़दम क़दम पर जिल्लत झेलना पड़ रही है इसको बर्दास्त करते हुए अगर वह पार्टी में बरकरार रहें तो यही कहा जाएगा की वह बड़े ही दिल गुर्दे वाले या फिर इन्तेहाई बेहाया सख्श हैं ।पी एम् की उमीदवारी के सवाल पर पार्टी कयादत ने आर एस एस के इशारे पर न सिर्फ अडवानी बल्कि शुष्मा सव्राज ,मुरली मनोहर जोशी और अरुण जेटली जैसे बासलाहियत ,और तजरबाकार और मशहूर नेताओं को दूध की मख्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया । इससे ही ये सिग्नल मिल गया था की पार्टी के अन्दर कम अज कम अडवाणी के दिन तो लद ही गए हैं ।आडवानी पार्टी की इस नाइंसाफी पर थोड़े रूठे और नाराज हुए ।विरोध किया लेकिन कोई पूछ न होने पर अपना सर झुका दिया हालात से समझौता करते हुए पार्टी का दामन थामे रहे । जब लोकसभा के टिकटों की तकसीम का वक़्त आया तब उन्हें पार्टी की पहली फेहरिस्त में जगह तक नहीं दी गयी बल्कि पार्टी के हामी ग्रुप ( यानी नरेंदर मोदी ग्रुप )की तरफ से ये शोंशा छोड़ा गया की पार्टी उन्हें और डाक्टर मुरली मनोहर जोशी को लोक सभा की बजाये राज्य सभा का सदस्य बनाना चाहती है । चूँकि पार्टी ने पहले से ही ये मन बना लिया था की मोदी को वाराणसी और गाँधी नगर दोनों ही जगहों से उमीदवार बनाना है ,चुनांचे इसके लिए जोशी और आडवाणी को उनकी सीटों से बेदखल करना जरुरी है ।जोशी भी अपनी बेदखली पर उछले कूदे लेकिन ठंडे पड़ गए ।आडवानी ने कुछ दिलेरी दिखाई और ये एलान कर दिया की वह अपने पूर्व के क्षेत्र गाँधी नगर से ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे ! लेकिन पार्टी कयादत इस बारे में उनको किसी तरह की यकीन देहानी कराने की बजाये ये सिग्नल ही देती रही के गाँधी नगर नरेंदर मोदी की जागीर में शामिल रहेगा ।इस दौरान अडवानी के वफादारों ने उन तक अन्दर की खबर पहुंचा दी कि अगर वह गाँधी नगर से चुनाव लड़ने पर अड़े रहे तो नरेंदर मोदी उनको हराने के लिए एंडी चोटी का जोड़ लगा देंगे जिसके बाद उनकी और भी सुबकी हो जायेगी ।मोदी की शातिराना चाल से चूँकि अडवानी पूरी तरह आगाह हो चुके हैं ,चुनांचे वफादारों का ये मशविरा उनके दिल में बैठ गया और हालात को देखते हुए उन्होंने अपने सबसे ज्यादह काबिले एतमाद दोस्त शिवराज सिंह चौहान की रियासत मध्य प्रदेश के भोपाल से चुनाव लड़ने का इरादा बना लिया ।आर एस एस के इशारे पर मोदी और राजनाथ सिंह ने जो गेम प्लान तैयार किया था वह अब मांजरे आम यानी पर्दा फाश हो गया और प्रेस में इस पर खुल कर बहस होने लगी तब पार्टी केयादत ने घबरा कर आखिर ये एलान कर दिया की आडवाणी को गाँधी नगर से ही टिकट दिया जाएगा ,बुध को जारी फेहरिस्त में बाकायेदा तौर पर उनके नाम का भी एलान कर दिया गया , इस U - turn पर अडवानी के दिलों दिमाग में शक पैदा होना लाजमी था चुनांचे वह आखिर तक ये कहते रहे कि अब वह भोपाल से ही चुनाव लड़ेंगे ।उनके जिद की बुनियादी वजह यही थी की गाँधी नगर में उन्हें यही खौफ सताता रहेगा कि नरेंदर मोदी उनके साथ विश्वाशघात कर सकते हैं ।नरेंदर मोदी को अगरचे बडौदा से उमीदवार बना दिया गया है ।जहाँ से वह वाराणसी के मुकाबले आसानी से जीत जायेंगे लेकिन उनके समर्थक फिरभी नहीं चाहते के अडवानी चुनाव जीत कर लोक सभा पहुंचे कयोंकि ऐसी सूरत में जब दुसरे दलों से समर्थन लेकर हुकूमत बनाने की बात आएगी तब हो सकता है की दूसरी पार्टियां जिनमें जनता दल यू सर फेहरिस्त है । मोदी की बजाये अडवानी को वजीरे आज़मबनाने पर साथ देने को तैयार हों जाएँ और अगर अडवानी हार कर मैदान से बाहर हो जायेंगे तब मोदी के सर पर लटकती हुई तलवार का वजूद ही ख़त्म हो जाएगा । बहर हाल मोदी की ये चोरी जब पकड़ी गयी तब वह संघ के चीफ मोहन भागवत के सामने सफाई पेश करने के लिए नयी दिल्ली पहुंचे और दूसरी तरफ एक बार फिर सुष्मा स्वराज और साबिक सदर नितिन गडकड़ी मान मनौवल के लिए अडवानी के घर गए । अखबारी ख़बरों के मुताबिक रात गए तक आडवानी गाँधी नगर से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए हैं ,लेकिन अफ़सोस और इबरत का मुकाम ये है की उन्हें पार्टी के अन्दर अपना वजूद बरक़रार रखने के लिए इतनी जिल्लत और रुसवाई उठानी पड़ रही । शायद वह भी अपने गुनाहों की फसल काट रहे हैं । इस पुरे ड्रामा का बस एक ही सबक है और वह यह है की भारतीय जनता पार्टी अब पूरी तरह से एक फरदे वाहिद की पार्टी यानी नरेंदर मोदी की पार्टी बन कर रह गयी है ।दूसरी तरफ अडवानी अपने अरूज की खातिर राम मंदिर तहरीक के नाम पर पुरे देश में जो क़त्लेआम और लूट पाट का बाज़ार गर्म कराया था उसकी सजा उन्हें अब इसी तरह की जिल्लत और रुसवाई की शक्ल में मिल रही है
( उर्दू दैनिक पिन्दार , नोक्ता ए नजर , मसुदूल रब , दिनांक 23/3/14 )

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