आखिर खुलने लगा पोल ।। कानपुर में नाली और सड़क के विवाद में धर्म परिवर्तन कैसे आ गया?- पढ़िए बीबीसी हिंदी की ग्राउंड रिपोर्ट

 

कानपुर में नाली और सड़क के विवाद में धर्म परिवर्तन कैसे आ गया?- ग्राउंड रिपोर्ट

  • समीरात्मज मिश्र
  • बीबीसी हिंदी के लिए
अफ़सार अहमद अपने परिवार के साथ

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अफ़सार अहमद अपने परिवार के साथ

कानपुर में बर्रा थाने से कुछ ही दूरी पर काफ़ी बड़ा चौराहा है- चौधरी रामगोपाल चौराहा. चौराहे के एक ओर जा रही सड़क के किनारे क़रीब एक किलोमीटर तक झुग्गी बस्ती है.

इसकी शुरुआत में ही बस्ती के अंदर जाने पर दाहिनी ओर अफ़सार अहमद का घर है जिनकी बुधवार को बजरंग दल के कुछ लोगों ने उनकी पिटाई कर दी थी और उनसे जबरन धार्मिक नारे लगवा रहे थे.

सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस घटना के वीडियो में कुछ लोग रिक्शा चालक अफ़सार अहमद की पिटाई करते हुए नज़र आ रहे हैं. इस दौरान भीड़ में कुछ लोग उनसे 'जय श्री राम' का नारा लगाने को भी कह रहे हैं.

वायरल वीडियो में रिक्शा चालक की सात साल की छोटी बच्ची अपने पिता से लिपटी हुई है और वो भीड़ से अपने पिता को छोड़ देने की मिन्नतें करती हुई नज़र आ रही है. वीडियो में यह भी दिख रहा है कि बाद में कुछ पुलिसकर्मी उस रिक्शा चालक को अपनी जीप से ले जा रहे हैं. हालांकि जब अफ़सार अहमद को भीड़ में पीटा जा रहा है तो उस दौरान पुलिस के लोग भी वहां मौजूद हैं.

वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोग उत्तरप्रदेश की योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार की निंदा करने लगे और इस वीडियो में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की माँग करने लगे.

वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले में मुक़दमा दर्ज कर पुलिस ने गुरुवार रात तीन अभियुक्तों को गिरफ़्तार तो किया लेकिन कुछ ही घंटों के बाद उन सभी को थाने से ही ज़मानत भी मिल गई. अगले दिन यानी शुक्रवार को तीन अन्य लोग पकड़े गए.

वीडियो में मार खाते दिख रहे व्यक्ति का विवाद से कोई संबंध नहीं

अफ़सार अहमद

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अफ़सार अहमद

अफ़सार अहमद ई रिक्शा चलाते हैं और उनका इन विवादों से कोई वास्ता नहीं था लेकिन उन्हें इस वजह से पकड़ लिया गया क्योंकि वो उन लोगों के रिश्तेदार हैं जिनके ख़िलाफ़ रानी गौतम ने शिकायत दर्ज कराई थी.

अफ़सार अहमद बताते हैं, "बजरंग दल के लोग जब बस्ती में आ रहे थे तो उसी समय मैं रिक्शे के सवारियों को उतारने के बाद घर की ओर आ रहा था. तभी रानी गौतम ने उन लोगों को बताया कि मैं सलमान-सद्दाम का चाचा हूं. उनमें से कुछ लोग बिना कुछ पूछे मुझे मारने लगे. हेलमेट से भी मारा. मेरे घर के बाहर बरावफ़ात के मौक़े पर लगा हरा झंडा उखाड़ दिया और उसे जला दिया गया. मारते हुए मुझे चौराहे की ओर ले गए जहां पुलिस वालों ने बड़ी मुश्किल से मुझे बचाया."

पूरी घटना की पृष्ठभूमि को शुरू से समझते हैं. अफ़सार अहमद के घर के ठीक सामने रानी गौतम का घर है, जिन्होंने अपने ही कुछ पड़ोसियों पर आरोप लगाया है कि वे लोग उनकी लड़की को परेशान करते हैं और एक महीने पहले उन लोगों ने सार्वजनिक तौर पर धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाया था.

रानी गौतम के घर के सामने और अफ़सार अहमद के घर से लगा हुआ घर रानी गौतम की एक विवाहित बेटी का है जो अपने परिवार के साथ रहती हैं. रानी गौतम की चार बेटियां और दो बेटे हैं. दो बेटियों की शादी हो चुकी है और बाक़ी बच्चे उनके साथ ही रहते हैं.

कानपुर- धर्म परिवर्तन का मुद्दा कहां से आया?

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बस्ती में ट्रैक्टर ले जाने को लेकर शुरू हुआ था विवाद

बस्ती में ज़्यादातर घर कच्चे और बिना छत के हैं. इन घरों के ऊपर पॉलीथीन की तिरपाल डली हैं. कुछ घरों में दीवारों का काम भी यही तिरपाल ही कर रही हैं. सभी घर अवैध तरीक़े से बने हुए हैं लेकिन सभी घरों में बिजली के कनेक्शन मौजूद हैं.

स्थानीय लोगों के मुताबिक़, यहां ज़्यादातर घर हिन्दुओं के हैं जबकि 15-20 घर मुसलमानों के हैं. थोड़ी देर पहले ही तेज़ बारिश हुई थी जिसकी वजह से बस्ती के अंदर जाने वाला कच्चा रास्ता कीचड़ से सराबोर हो चुका था. क़रीब एक महीने पहले इसी रास्ते से ट्रैक्टर ले जाने को लेकर विवाद हुआ था और शायद वही विवाद इस पूरे मामले की जड़ में है.

रानी गौतम बताती हैं, "इनके बच्चे यहीं से ट्रैक्टर और ई-रिक्शा बहुत स्पीड से ले जाते हैं. हमारे घरों की दीवार और उन्हें सँभालने के लिए लगे लकड़ी की बल्लियां कई बार टूट चुकी हैं. विरोध करने पर मारते-पीटते हैं. हमारे घर के सामने तेज़ आवाज़ में गाना बजाते हैं. लड़कियों को परेशान करते हैं."

रानी गौतम बताती हैं, "नौ जुलाई को ये लोग यहां दारू पी रहे थे. उनकी मम्मी आई और हमसे बोली कि तुम बीस हज़ार रुपये ले लो और हमारे लड़के से अपनी लड़की की शादी कर दो. हमने कहा कि हम नहीं करेंगे, अपना धर्म थोड़ी न बदल लेंगे. कहने लगीं कि नहीं करोगे तो तुम्हें जान से मार देंगे. हमारी लड़की को घसीटने लगे. हमने बड़ी मुश्किल से छुड़ाया. फिर हमने पुलिस बुलाई तो ये सब भाग गए."

रानी गौतम

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रानी गौतम

क्या कहना है पड़ोसियों का?

रानी गौतम जिन लोगों पर आरोप लगा रही हैं वो भी इनके पड़ोसी ही हैं और उनके घर भी यहां से दो-तीन घर छोड़कर आगे की ओर हैं. इनमें से सलमान, सद्दाम और मुकुल के ख़िलाफ़ रानी गौतम एफ़आईआर भी दर्ज करा चुकी हैं.

सलमान और सद्दाम सगे भाई हैं जबकि मुकुल का घर इनके सामने है. सलमान की मां क़ुरैशा बेगम अपने घर के बाहर कुछ लोगों के साथ बैठी बातचीत कर रही हैं. उनके साथ मुकुल की मां विमला भी हैं.

क़ुरैशा बेग़म

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क़ुरैशा बेग़म

क़ुरैशा बेगम कहती हैं, "एक महीने पहले मेरा बेटा ई रिक्शा लेकर आ रहा था. सँकरी सड़क है. उनके घर में ज़रा सा लग गया. उन लोगों ने बेटे को और साथ में मौजूद दो अन्य लोगों को बहुत मारा-पीटा. फिर हमने पुलिस बुलाई और इनके ख़िलाफ़ रिपोर्ट लिखाई. उसी वजह से ये हमें फँसाने के लिए धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगा रही हैं. आप ही सोचिए, हमारे पास तो अपने खाने-पीने के पैसे नहीं हैं, हम बीस हज़ार रुपये देकर किसी का धर्म परिवर्तन कहां से कराएंगे और क्यों कराएंगे?"

क़ुरैशा बेगम कहती हैं कि पुलिस वालों से भी ये लोग धर्म परिवर्तन की शिकायत दर्ज करने का दबाव बना रहे हैं लेकिन पुलिस ने नहीं दर्ज किया है क्योंकि पुलिस वालों को सच्चाई मालूम है.

बर्रा थाने में तैनात कुछ पुलिस अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर इस बात की पुष्टि भी करते हैं.

यही नहीं, बस्ती के तमाम लोग भी इस बात पर यक़ीन नहीं कर पा रहे हैं कि किसी लड़की के धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाया गया है.

विमला देवी

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विमला देवी

विमला देवी भी धर्म परिवर्तन वाली बात से इनकार करती हैं. विमला देवी कहती हैं, "हम लोग तो उन्हीं की बिरादरी के हैं. धर्म परिवर्तन की बात आती तो उन्हें हम लोगों से बताना चाहिए था. जिस दिन लड़ाई हुई, उस दिन ऐसी कोई बात नहीं हुई थी और हमारी जानकारी में इस तरह की कोई बात पहले भी कभी नहीं हुई है."

विमला देवी यह भी कहती हैं कि इतने हिन्दू परिवारों के बीच कोई मुस्लिम परिवार किसी से ज़बर्दस्ती ऐसी बात कर भी नहीं सकता है. उनके मुताबिक़, यहां सभी लोग ग़रीब हैं और किसी तरह से छोटे-मोटे काम करके अपना जीवन-यापन कर रहे हैं.

विमला देवी कहती हैं कि ऐसे में कोई किसी का धर्म बदलने के लिए बीस हज़ार रुपये कहां से दे देगा.

बर्रा थाना

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पुलिस कर रही जाँच

कानपुर दक्षिण की पुलिस उपायुक्त रवीना त्यागी कहती हैं कि रानी गौतम के शिकायती पत्र में छेड़छाड़ के साथ धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने का भी आरोप लगाया गया जिसकी जाँच की जा रही है.

रवीना त्यागी के मुताबिक़, "इनकी शिकायत पर सद्दाम, सलमान और मुकुल के ख़िलाफ़ धारा 354 के तहत एफ़आईआर दर्ज की गई है. एफ़आईआर में विवेचना के दौरान जबरन धर्मान्तरण के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया गया और कार्रवाई की माँग की गई. इस सम्बन्ध में जाँच की जा रही है."

जिन तीन युवकों पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगा है उनमें सद्दाम की उम्र 25 साल है जबकि सलमान और मुकुल की उम्र 15 साल है. स्थानीय थाने में इन तीनों के ख़िलाफ़ कभी कोई शिकायत नहीं आई है.

थाने में तैनात एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक़, "धर्म परिवर्तन का आरोप पुलिस को इसीलिए संदिग्ध लग रहा है क्योंकि युवकों का न तो कोई आपराधिक रिकॉर्ड है और न ही पुलिस तक उनकी कभी कोई और शिकायत आई है."

कानपुर- धर्म परिवर्तन का मुद्दा कहां से आया?

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बजरंग दल की भूमिका

लेकिन सवाल उठता है कि धर्म परिवर्तन वाली बात आई कहां से और बजरंग दल के लोगों के पास यह सूचना पहुँची कैसे कि किसी लड़की का धर्म परिवर्तन कराने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. बस्ती में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं मिला जिसका बजरंग दल से संबंध हो.

बजरंग दल से जुड़ी दुर्गा वाहिनी की प्रांत संयोजिका रूबी सिंह कहती हैं, "पुलिस वालों ने जब उनकी शिकायत नहीं सुनी तो वो बहनें हमारे पास आईं और हमने देखा कि मुस्लिम लड़के किस तरह से और लगातार परेशान कर रहे हैं. पुलिस ने यदि कार्रवाई की होती तो बजरंग दल को बीच में आने की ज़रूरत ही नहीं थी. लेकिन यदि पुलिस कार्रवाई नहीं करेगी तो बजरंग दल के लोग ख़ुद अपनी बहनों की रक्षा करने में सक्षम हैं."

हालांकि रानी गौतम इस बात से इनकार करती हैं कि वो ख़ुद बजरंग दल के लोगों से मिली थीं. उनका कहना है कि पुलिस में शिकायत करने जब वो गई थीं तो वहीं बजरंग दल के लोग मिले और हमारी मदद करने की बात कही. बुधवार को बजरंग दल के तमाम कार्यकर्ताओं ने रामगोपाल चौराहे पर सभा की और पुलिस पर कार्रवाई का दबाव बनाया. उसी दौरान कुछ लोग बस्ती के अंदर अभियुक्तों की तलाश में आ गए.

कानपुर- धर्म परिवर्तन का मुद्दा कहां से आया?

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पुलिस का किरदार

इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि जब अफ़सार अहमद को पीटा जा रहा था तो पुलिस कुछ ही दूरी पर थी. यहां तक कि वीडियो में पुलिस की मौजूदगी में भी अफ़सार को पीटते हुए देखा जा सकता है. वीडियो वायरल होने के बाद गुरुवार देर रात इस घटना के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज हुई और तीन लोग गिरफ़्तार भी किए गए लेकिन रात में ही उन्हें थाने से ज़मानत मिल जाने को लेकर भी पुलिस सवालों के घेरे में है.

क़ुरैशा बेगम और रानी गौतम ने एक-दूसरे के ख़िलाफ़ जो एफ़आईआर दर्ज कराई थीं, उन पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.

क़ुरैशा बेगम ने 12 जुलाई को एफ़आईआर दर्ज कराई थी और रानी गौतम ने सद्दाम, सलमान और मुकुल के ख़िलाफ़ 31 जुलाई को दर्ज कराई है.

गोविंदनगर के पुलिस उपायुक्त मनीष पांडेय इसकी वजह बताते हैं, "दोनों मामलों में जो धाराएं लगी हैं, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार उनमें किसी की गिरफ़्तारी नहीं हो सकती है. विवेचना जारी है, साक्ष्य और गवाह जुटाए जा रहे हैं. उसके बाद यदि कुछ साक्ष्य इत्यादि मिले तो चार्ज शीट लगा देंगे, अन्यथा फ़ाइनल रिपोर्ट लगा देंगे."

हालांकि एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रानी गौतम की ओर से दर्ज एफ़आईआर में धर्म परिवर्तन की धारा इसलिए नहीं जोड़ी गई क्योंकि विवेचक इंस्पेक्टर ट्रेनिंग के लिए बाहर चले गए हैं. उनके मुताबिक़, जब विवाद बढ़ गया तो विवेचक को बदल दिया गया.

स्थानीय लोगों और जानकारों का कहना है कि यह मामला बिल्कुल आपसी विवाद का था लेकिन बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के इसमें आने के बाद यह बड़ा विवाद बन गया. कानपुर में वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण मोहता कहते हैं, "1990 के दशक के दौरान यहां प्रकाश शर्मा बजरंग दल के नेता होते थे और तब उसकी सक्रियता काफ़ी ज़्यादा थी. लेकिन उनके बीजेपी में जाने के बाद बजरंग दल की सक्रियता काफ़ी कम हो गई.

पिछले कुछेक सालों में सक्रियता फिर बढ़ी है. इसी साल जून महीने में कर्नलगंज इलाक़े की दलित बस्ती में भी इसी तरह की घटना हुई थी. वहां भी आमने-सामने रहने वाले हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच के आपसी झगड़े ने सांप्रदायिक रूप ले लिया था लेकिन पुलिस ने उस वक़्त सँभाल लिया था. उस समय भी बजरंग दल के नेताओं के आने के बाद विवाद बढ़ गया था."

इस घटना के बाद बजरंग दल ने मुसलमानों के डर से हिन्दुओं के पलायन का भी आरोप लगाया था लेकिन पुलिस की जांच में इस तरह की कोई घटना सामने नहीं आई थी.

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