कॉलेज एडमिशन के पहले ये बातें रखें याद




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अक्सर छात्र एडमिशन लेने से पहले ज़रूरी जानकारी नहीं लेते और पछताते हैं.
किसी भी स्टूडेंट के जीवन में हायर सेकेंडरी पास करने के बाद सबसे महत्वपूर्ण निर्णय होता है कि उसे किस कॉलेज में एडमिशन लेना चाहिए.
अक्सर लुभावने विज्ञापन, सुनी-सुनाई बातों और दूसरों की देखा-देखी बच्चे और अभिभावक गलत कॉलेज का चुनाव कर लेते हैं जो स्टूडेंट के करियर के लिए बुरा साबित होता है.
एक्सपर्ट्स की राय के हिसाब से बनाई गई है ये चेकलिस्ट.

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भावी स्टूडेंट होने के नाते आप जो सबसे बड़ी भूल कर सकते हैं, वह है आवेदन से पहले पर्याप्त शोध नहीं करना.
लेकिन यह कैसे तय होगा कि आपका चयन ठीक है या नहीं.
ग्वालियर के आलोक पराग शर्मा की मिसाल लीजिए, जिन्होंने साल 2011 में कानपुर की एक यूनिवर्सिटी में इसलिए एमबीए में प्रवेश लिया क्योंकि उनसे कहा गया था कि यहां प्लेसमेंट अच्छा है.
आलोक की जान-पहचान के कई और छात्रों ने भी वहाँ एडमिशन ले लिया, हाल ही में यूजीसी ने इस यूनिवर्सिटी को फर्ज़ी घोषित कर दिया, अब इन छात्रों का भविष्य अधर में है.
इसी तरह, किसी संस्थान की मौजूदा रैंकिंग एक ज़रूरी जानकारी है, लेकिन सिर्फ़ इसी आधार पर दाख़िले का फ़ैसला नहीं करना चाहिए.
याद रखिए, इस बात की कोई गारंटी नहीं कि जिस कॉलेज में आप प्रवेश लेते हैं, उसकी रैंकिंग आपको सफलता दिलाएगी.
एक्सपर्ट यह भी कहते हैं कि स्टूडेंट और अभिभावकों को ध्यान रखना चाहिए कि कॉलेज तलाश करने की प्रक्रिया में अधिक ध्यान छात्र की ज़रूरत, उसकी योग्यता और कमज़ोरियों पर देना चाहिए.

क्या है ‘छात्र केंद्रित’ प्रक्रिया?




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हर छात्र अलग होता है, उसकी सोच, प्राथमिकता और व्यक्तित्व सब कुछ अलग होता है.
सबसे पहले छात्र को यह तय करना होगा कि उसका लक्ष्य क्या है, चुने हुए कॉलेज में कौन से कोर्स चल रहे हैं? क्या उनके माध्यम से लक्ष्य को हासिल किया भी जा सकता है?
कॉलेज में स्टडी मटेरियल, हॉस्टल, सुरक्षा, खानपान, ट्रांसपोर्टेशन और रिसर्च वगैरह की सुविधाएँ किस प्रकार की हैं, यह भी देखना ज़रूरी है कि कॉलेज किस क्षेत्र में है. कुल मिलाकर कॉलेज में स्टूडेंट के लिए सुरक्षा, समानता और आरामदेह माहौल होना ज़रूरी है.

कॉलेज चुनने की शुरुआत करते समय इन बातों का विशेष ध्यान रखें :

  • पूरी तरह से पता करें कि जिस कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले रहे हैं वो मान्यता प्राप्त है या नहीं.
  • कॉलेज में एडमिशन का कट ऑफ परसेंटाइल.
  • कॉलेज में छात्रों की संख्या और उनके बैकग्राउंड के बारे में समझें.
  • कॉलेज की वेबसाइट के अलावा उसकी सोशल मीडिया प्रजेंस पर भी ध्यान दें, जहाँ से आपको पता चलेगा कि वहाँ के छात्र किन चीज़ों से खुश या नाख़ुश हैं.
  • रहने के इंतजाम क्या हैं- क्या ये मुख्य तौर पर आवासीय या नियमित आने-जाने वालों का कैंपस है.
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  • फैकल्टी की विस्तृत पड़ताल करें, योग्य शिक्षकों के बिना बात नहीं बनेगी.
  • मौजूदा छात्रों और हाल ही में ग्रेजुएट हुए लोगों से बातचीत ज़रूर करें, इसमें पूर्व छात्रों के टेस्टिमोनियल और इंटरनेट पर मौजूद स्टूडेंट फोरम बेहद मददगार होते हैं.
  • पिछले 5 वर्षों का प्लेसमेंट रिकॉर्ड और इंटर्नशिप देने वाली कंपनियों की लिस्ट की जानकारी हासिल करें.
  • कैंपस के बारे में पता करें, हो सके तो खुद जाकर या वर्चुअल टूर की मदद से जानकारी लें.

अभिभावकों के लिए याद रखने वाली बातें




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1. संबंधित कॉलेज में दी जाने वाली स्कॉलरशिप के बारे में भी पता करें.
2. कॉलेज में पढ़ाई के लिए मिलने वाले एजुकेशन लोन की जानकारी भी पता करें. ध्यान रखें कि एजुकेशन लोन सिर्फ उन्हीं कॉलेजों को दिया जाता है जो मान्यता प्राप्त होते हैं अथवा उनकी साख होती है.
3. यदि कॉलेज शहर के बाहर है तो शहर के बारे में पता करें और यात्रा संबंधी रिजर्वेशन कराएं.

सावधान!




दिल्ली विश्वविद्यालय

अक्सर छात्र एमबीए, बीई जैसी बड़ी डिग्री की चाहत में बिना अधिक जांच-पड़ताल किए किसी ऐसी यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लेते हैं जिनकी डिग्री की मान्यता नहीं होती.
ऐसी यूनिवर्सिटी के शिकार छोटे कस्बों के छात्र ज़्यादा होते हैं जो अक्सर दूसरे राज्यों की ऐसी यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लेते हैं जिनकी मान्यता ही नहीं है, ऐसे छात्रों और उनके अभिभावकों को जब तक सच्चाई का पता चलता है, तब तक बहुत देर हो जाती है.



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पिछले 10 सालों में करीब 90 हज़ार छात्र फर्जी यूनिवर्सिटी के शिकार बने हैं, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी कोशिश करता है कि स्टूडेंट इन फर्जी यूनिवर्सिटीज़ से बचें. यूजीसी ने इन फर्जी यूनिवर्सिटियों की सूची अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की है.
हमारे देश में कुल 712 ऐसी यूनिवर्सिटियाँ हैं जिन्हें यूजीसी की मान्यता प्राप्त है, इनमें 330 स्टेट यूनिवर्सिटी हैं, वहीं 128 यूनिवर्सिटियों को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा प्राप्त है. सेंट्रल यूनिवर्सिटी के तौर पर 46 यूनिवर्सिटियाँ जानी जाती हैं. प्राइवेट यूनिवर्सिटियों की संख्या 208 है. इन सभी की जानकारी यूजीसी की वेबसाइट पर दी गई है.
आप जो भी फैसला लें और इस बारे में गहराई से पड़ताल करें और सोचें क्योंकि एक बार दाख़िला ले लेने के बाद वक़्त और पैसे की बर्बादी को रोका नहीं जा सकता.
(हिंदी भाषी छात्रों की मदद के मक़सद से ये बीबीसी हिन्दी और वेबदुनिया डॉट कॉम की संयुक्त पेशकश है. आने वाले दिनों में करियर से जुड़ी ज़रूरी जानकारियाँ हम आप तक पहुँचाएँगे.)
बीबीसी हिंदी से साभार

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