मोदी-ट्रंप की मुलाक़ात पर क्या बोला अंतरराष्ट्रीय मीडिया


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अमरीका के ह्यूस्टन में रविवार को हाउडी मोदी कार्यक्रम का रंगारंग और भव्य आयोजन ना केवल भारतीय टीवी न्यूज़ चैनलों और अख़बारों की सुर्ख़ियां बना बल्कि पश्चिमी अख़बारों में भी इस बारें में काफ़ी चर्चा हुई है.
वॉशिंगटन पोस्ट ने इस बात को ख़ासतौर पर रेखांकित किया है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की तारीफ़ों के पुल बांधे हैं.
बक़ौल वॉशिंगटन पोस्ट, नरेंद्र मोदी ने ट्रंप की तारीफ़ करते हुए कहा, ''उनका नाम इस धरती पर कौन नहीं जानता. जब वो इस महान देश में सर्वोच्च पद तक नहीं पहुंचे थे, तब भी ट्रंप एक जाना-पहचाना नाम था. सीईओ से कमांडर इन चीफ़ तक. बोर्डरूम से ओवल ऑफ़िस तक. स्टूडियो से वैश्विक मंच तक.''
वॉशिंगटन पोस्ट लिखता है कि मोदी ने ट्रंप की तारीफ़ करके अमरीका के साथ भारत के तनाव को कम करने की कोशिश की है.
अख़बार लिखता है कि अमरीका ने भारतीय स्टील और एल्यूमिनियम आयात पर शुल्क बढ़ाया था, तभी से भारत ट्रंप प्रशासन के साथ कारोबारी तनाव कम करने के तरीक़े खोज रहा था.
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न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने पहले पन्ने पर नरेंद्र मोदी और ट्रंप की वो तस्वीर छापी है जिसमें दोनों एक-दूसरे का हाथ मज़बूती से थामे आगे बढ़ रहे हैं और आयोजन स्थल पर मौजूद लोगों का अभिवादन कर रहे हैं.
अख़बार लिखता है कि इस आयोजन के ज़रिए ट्रंप ने भारतीय-अमरीकियों को लुभाने की कोशिश ज़रूर की है, लेकिन नरेंद्र मोदी के समर्थन के बावजूद उनका वोट हासिल करना आसान नहीं होगा.
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अख़बार ने इस बात का भी ज़िक्र किया है कि 'दंगों में भूमिका' की वजह से अमरीका ने कभी उन्हें वीज़ा देने से मना कर दिया था, लेकिन उसके बाद मोदी ने एक लंबा सफ़र तय किया है.
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अख़बार लिखता है कि मोदी ने जब अपने चुनावी नारे में ट्रंप को फिट करते हुए कहा- 'अबकी बार ट्रंप सरकार', ये सुनकर राष्ट्रपति ट्रंप चहक उठे.
लंदन के गार्डियन अख़बार ने लिखा है कि अमरीका और भारत दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले दो सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र हैं और दोनों का नेतृत्व दक्षिणपंथी नेताओं के हाथ में है.
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अख़बार लिखता है कि ह्यूस्टन में मोदी-ट्रंप की इस तरह मुलाक़ात थोड़ी अजीब लगी.
अख़बार ने इस बात को ख़ासतौर पर रेखांकित किया है कि एक विदेशी नेता अमरीकी ज़मीन पर कार्यक्रम करता है और अमरीकी राष्ट्रपति को उसमें आमंत्रित किया जाता है जिसे राष्ट्रपति ट्रंप ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार कर लेते हैं.
वहीं अल जज़ीरा ने लिखा है कि अमरीका की धरती पर किसी विदेशी नेता के लिए इस तरह लोगों का उमड़ना अपने आप में एक दुर्लभ नज़ारा था, वो भी तब जब अमरीका और भारत के बीच कारोबारी तनाव है.
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अल जज़ीरा ने अपनी ख़बर में इस बात की चर्चा की है कि स्टेडियम के भीतर जब मोदी का जलसा चल रहा था, तब स्टेडियम के बाहर 'हज़ारों लोग' मोदी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे. ये प्रदर्शनकारी भारत प्रशासित कश्मीर और अन्य जगहों पर अल्पसंख्यकों के कथित मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठा रहे थे.
साभार:- 

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"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

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