आज़ादी मार्च ! पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से LOC की तरफ़ बढ़ते लोग

कश्मीरः पाकिस्तानी सेना ने एलओसी से पहले रोका 'आज़ादी मार्च'


एलओसी की ओर बढ़ता मार्चइमेज कॉपीरइटMA JARRAL/BBC

पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद से चला 'आज़ादी मार्च' नियंत्रण रेखा के क़रीब पहुंच गया है. पाकिस्तानी सैन्यबलों ने नियंत्रण रेखा से छह किलोमीटर पहले मार्च को रोक दिया है.
मार्च में शामिल लोग रात सड़क पर ही गुज़ार रहे हैं और सुबह फिर से सीमा की ओर बढ़ने का दावा कर रहा हैं. इसी बीच पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच वार्ता भी हुई, जो किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है.
जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट की ओर से बुलाया गया ये मार्च तीन दिन पहले पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद से शुरू हुआ था.
भारत ने दो महीने पहले जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर भारत प्रशासित कश्मीर में सख़्त पाबंदियां लगाई हैं. ये मार्च इसी के विरोध में निकाला जा रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने लोगों से एलओसी पार न करने की अपील भी की है.

प्रदर्शनकारीइमेज कॉपीरइटMA JARRAL/BBC

भारत के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करते हुए सीमा की ओर आए हज़ारों लोगों में शामिल पेशे से वकील शमा तारिक ख़ान ने कहा, "ये एलओसी नहीं है ये एक ख़ूनी लकीर है जिसे एलओसी का नाम दे दिया गया है. हम चाहते हैं कि इस लकीर को रौंदकर पार जाएं. ये हमारा घर है, हम अपने घर के एक कमरे से उठकर दूसरे कमरे में जाना चाह रहे हैं. हमें रास्ते में रोका ना जाए. हम अपने कश्मीर, अपने घर जा रहे हैं."



पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से हज़ारों लोग आज़ादी के नारे लगाते हुए एलओसी की ओर बढ़ रहे हैं.

जेकेएलफ़ से जुड़े कार्यकर्ता शहबाज़ कश्मीरी कहते हैं, "इंशाअल्लाह हम बॉर्डर तोड़ने जा रहे हैं, हम दुनिया के लोगों को ये संदेश देना चाहते हैं कि वो भी अपने घरों से बाहर निकलें और विरोध करें. अल्लाह ने चाहा तो बॉर्डर टूट जाएगा."
मार्च का मक़सद बताते हुए एक प्रदर्शनकारी दानिश सानिया ने बीबीसी से कहा, "हम अपने मुल्क की भारत और पाकिस्तान दोनों से आज़ादी चाहते हैं. हमारा मुल्क जिस पर 22 अक्तूबर 1947 को क़ब्ज़ा कर लिया गया था. हम अपने मुल्क की आज़ादी के लिए आए हैं."
"हमारे ख़ास दर्जे 35ए, जिसके तहत कोई हमारी ज़मीन नहीं ख़रीद सकता है उसे तोड़ा गया है, हम उसे बचाने आए हैं. जो ज़मीन हमारे बुज़ुर्गों ने सात हज़ार साल से संभाल कर रखी है हम उसे बचाना चाहते हैं. हम कश्मीरियत में कोई दख़ल बर्दाश्त नहीं करेंगे."

प्रदर्शनकारीइमेज कॉपीरइटMA JARRAL/BBC
Image captionदानिश सानिया नाम की इस प्रदर्शनकारी का कहना है कि वो भारत और पाकिस्तान दोनों से आज़ादी चाहती हैं

प्रदर्शनकारी संयुक्त राष्ट्र से दख़ल की मांग भी कर रहे हैं. शमा तारिक ख़ान कहती हैं, "उधर भारत की फ़ौज लगी है, इधर पाकिस्तान की फ़ौज है. हम तो जनता हैं. संयुक्त राष्ट्र का कोई प्रस्ताव हमें उस पार जाने से नहीं रोकता है. हम जो कर रहे हैं उससे कोई क़ानून नहीं टूट रहा है. हम चाहते हैं कि कश्मीरी लोगों के लिए नियंत्रण रेखा को खोल दिया जाए. संयुक्त राष्ट्र इसमें दख़ल दें."

पाकिस्तानी सेना ने रोका मार्च

आज़ादी मार्च को पाकिस्तान के प्रशासन ने चिकोटी चेकपॉइंट से छह किलोमीटर पहले चिनारी के पास रोक दिया है. मार्च को रोकने के लिए सड़क पर कंटेनर लगाए गए हैं और कंटीली तारें बिछाई गई हैं.
प्रशासन के रोकने के बाद प्रदर्शनकारी श्रीनगर और उड़ी की ओर जाने वाली सड़क पर ही बैठ गए हैं. इस दौरान प्रदर्शनकारियों के नेताओं ने प्रशासन से बात भी की है हालांकि कोई समझौता नहीं हो सका है.
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे तौकीर गिलानी ने बीबीसी से कहा कि प्रदर्शनकारी रातभर सड़क पर जमे रहेंगे और दिन निकलने पर एलओसी की ओर बढ़ेंगे.
तौक़ीर गिलानी ने ये भी कहा कि वो नहीं चाहते कि प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच कोई टकराव की स्थिति पैदा हो.

एलओसी की ओर बढ़ता मार्चइमेज कॉपीरइटMA JARRAL/BBC

लेकिन प्रदर्शन में शामिल अधिकतर लोग सीमा की ओर बढ़ने पर आमदा है. बारिश के कारण बढ़ी ठंड के दौरान आग पर हाथ सेंकते एक प्रदर्शनकारी ने बीबीसी से कहा, "कश्मीर को बांटने वाली खूनी लकीर को पार करके हम श्रीनगर जाना चाहते हैं. रात भर हम धरने पर बैठेंगे और सुबह एलओसी की ओर कूच करेंगे."
वहीं जीशान बशीर भट्ट नाम के एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "हम जम्मू-कश्मीर के रिफ़्यूजी हैं. आज़ाद कश्मीर के बाग़ क्षेत्र में रहते हैं. हमने बाग़ से चिकोटी तक जलसा निकाला है और हमारा मक़सद एलओसी क्रॉस करके अपने घर अपने कश्मीर, अपने श्रीनगर पहुंचना है. हमारे इरादे बुलंद हैं और हम अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहे हैं."

वार्ता बेअसर

इसी बीच पाकिस्तानी अधिकारियों और जेकेएलफ़ के नेताओं के बीच रात में वार्ता भी हुई. जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ़्रंट से जुड़े रफ़ीक़ डार ने बीबीसी से कहा, "हमने अपने रास्ते में रुकावटे देखने के बाद प्रशासन से बात की. हमने रुकावटे हटाने की गुज़ारिश की है, अगर रुकावटें नहीं हटाई गईं तो हम यहीं पर धरना देंगे."

प्रदर्शनकारीइमेज कॉपीरइटMA JARRAL/BBC
Image captionपाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने मार्च के रास्ते में कंटेनर लगा दिए हैं

वहीं पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के सूचना मंत्री मुश्ताक़ मिनहास और क़ानून मंत्री फ़ारूक़ अहमद ताहिर ने मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से बातचीत की है.
मुश्ताक़ मिनहास ने बीबीसी से कहा, "हम मार्च पर नज़र रखे हुए हैं. भारत के क़ब्ज़े वाले कश्मीर के हालात को दुनिया के सामने लाने में ये मार्च मील का पत्थर साबित होगा. हम इसे समर्थन देने यहां आए हैं."
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार नहीं चाहती की मार्च यहां से आगे बढ़े. उन्होंने कहा, "आगे ऐसे पॉइंट हैं जहां तक भारतीय सेना की गोलियां पहुंच सकती हैं. ये हमारे नौजवान हैं जो सच्चे ज़ज़्बे के साथ यहां आए हैं. इनकी जान की सुरक्षा करना कश्मीर की सरकार की ज़िम्मेदारी भी है. हम इस ख़ूनी लकीर को नहीं मानते हैं, लेकिन इस वक़्त हालात ऐसे नहीं है कि हम इसे पार करें, हम नहीं चाहते कि हमारे नौजवानों का जानी या माली नुक़सान हों."

Comments

Popular posts from this blog

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"

Department of Education Directory